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सोनिया गांधी ने नेतन्याहू, ट्रंप और मोदी पर क्या लिखा?

सोनिया गांधी

सोनिया गांधी, साभार इंटरनेट

बोलते पन्ने | नई दिल्ली
सोनिया गांधी ने गाजा और ईरान की हालिया स्थितियों पर भारत की चुप्पी, इजरायली व अमेरिकी नेतृत्व की आलोचना एक लेख लिखकर की है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘द हिंदू’ में प्रकाशित अपने लेख में भारत सरकार की गाजा और ईरान पर चुप्पी को “नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से विचलन” करार दिया। इस लेख की चर्चा सोशल मीडिया पर हो रही है, जिसमें नेतन्याहू, ट्रंप और मोदी सरकार को लेकर की गईं टिप्पणियों को साहसिक बताया जा रहा है। 
‘ईरान पर मौन रहना मूल्यों से समझौता’
इस लेख का शीर्षक है- “It is still not too late for India’s voice to be heard” । सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर गाजा में इजरायल के हमलों और 13 जून 2025 को ईरान पर “गैरकानूनी” हमले पर मौन रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह मूल्यों का समर्पण है। उन्होंने भारत-ईरान के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए 1994 में कश्मीर मुद्दे पर ईरान के समर्थन को याद किया। साथ ही कहा लिखा कि हाल के वर्षों में भारत के रिश्ते इजरायल के साथ भी बेहतर हुए हैं, ऐसे में भारत को पश्चिम एशिया में तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक चैनलों का उपयोग करते हुए एक ब्रिज का काम करना चाहिए। 

द हिन्दू. 21 जून

 

‘ट्रंप का ईरान पर परमाणु हथियार बनाने का आरोप निराशाजनक’

सोनिया गांधी ने लिखा है कि मार्च में अमेरिकी इंटेलिजेंस की प्रमुख तुलसी गबार्ड ने संसद में जानकारी दी थी कि 2003 में निरस्त कर दिए गए परमाणु कार्यक्रम को ईरान ने दोबारा शुरू नहीं किया है और न ही वह परमाणु हथियार बना रहा है… फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ईरान को “परमाणु हथियारों के करीब” बताना निराशाजनक है।

‘नेतन्याहू की राजनीति ने शांति की उम्मीद खत्म की’

सोनिया गांधी ने इजरायल के नेतृत्व को शांति विरोधी” बताते हुए लिखा- “इतिहास हमें बताता है कि नेतन्याहू ने ही उस नफरत को हवा दी थी, जिसके चलते 1995 में इजराइल के प्रधानमंत्री यित्ज़ाक राबिन की हत्या हुई थी। इस तरह फिलिस्तीनियों और इजराइलियों के बीच शांति की सबसे बड़ी उम्मीद खत्म हो गई थी।” उन्होंने लिखा कि नेतन्याहू के रिकॉर्ड को देखते हुए यह चौंकाने वाला नहीं है कि उन्होंने बातचीत की जगह तनाव को चुना।
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