बोलते पन्ने | नई दिल्ली
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सरकारी आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि देश के सबसे ग़रीब दस प्रतिशत यानी क़रीब 14 करोड़ लोग हर दिन 50 से 100 रुपये में गुजारा करने को मजबूर हैं। चिदंबरम ने 22 जून 2025 को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में अपने साप्ताहिक कॉलम “Eleven Years: A Data-Based Critique” में ऐसा लिखा है।
उन्होंने घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (Household Consumption Expenditure Survey) के आंकड़ों के आधार पर भारत की आर्थिक असमानता और गरीबी को दर्शाया है। इसी कॉलम को हिन्दी में जनसत्ता व अमर उजाला अखबार ने भी छापा है।
”अच्छे शासन का अंतिम परीक्षण लोगों का कल्याण है, लेकिन आंकड़े दर्शाते हैं कि अधिकांश भारतीयों की आय बुनियादी आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त है : पी. चिदंबरम”
सबसे अमीर व सबसे ग़रीब के खर्च में 7.5 गुना का अंतर
उन्होंने दावा किया कि सबसे निचले 10% लोगों का दैनिक व्यय मात्र 50-100 रुपये है, जो 14 करोड़ लोगों (विश्व की 10वीं सबसे बड़ी आबादी के बराबर) को प्रभावित करता है। इस राशि से भोजन, आवास, और चिकित्सा जैसी बुनियादी जरूरतें पूरी करना असंभव है। चिदंबरम ने लिखा कि देश में शीर्ष 5% आबादी और निचले 5% आबादी के बीच प्रति व्यक्ति व्यय का अनुपात 12 साल पहले 12 गुना था, जो 2023-24 में 7.5 गुना रह गया, लेकिन यह अंतर अभी भी गंभीर है।
देश के 55% किसान परिवार कर्ज में डूबे
अपने लेख में चिदंबरम ने सरकार के कृषि विकास के दावों पर सवाल उठाया है। NABARD (2021-22) के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा कि देश में 55% कृषि परिवार कर्ज में डूबे हैं, जिनका औसत ऋण 91,231 रुपये है। उन्होंने सरकार की ओर से लोकसभा में 3 फरवरी 2025 को दिए गए एक प्रश्न के जवाब का हवाला देते हुए लिखा कि सरकार के मुताबिक़, 13.08 करोड़ किसानों पर बैंकों का 27.67 लाख करोड़ रुपये बकाया है। यह आंकड़ा भारतीय किसानों की गंभीर वित्तीय संकट को दर्शाता है, क्योंकि यह राशि उनके आय स्तर और चुकाने की क्षमता से कहीं अधिक है।