- जर्मनी, चीन व इंग्लैंड ने डबल डेकर स्लीपर बसें पूरी तरह बैन कर दीं।
- खतरनाक डिजायन, ऊंचाई के चलते पलटने का खतरा अहम वजह।
- भारत में बीती 14, 17 व 25 अक्तूबर को तीन बड़े हादसों में 50 लोग मरे।
नई दिल्ली |
देश में बीते दो सप्ताह के भीतर तीन बड़े बस एक्सीडेंट हुए जिसमें 50 यात्रियों की जलकर जान चली गई, इसमें अधिकांश यात्री तो नींद में ही मर गए। जिन AC स्लीपर बसों को कुछ बड़े देश कई साल पहले ‘चलती-फिरती कब्र’ बताकर बैन कर चुके हैं, वे बसें भारत में ‘लग्जरी सफर’ की पहचान बन गई हैं। ट्रेनों की लेटलतीफी और टिकट की मारामारी ने लॉन्ग रूट पर स्लीपर बसों को लोकप्रिय बनाया पर इनके खतरे लगातार सामने आ रहे हैं। आइए जानते हैं किस देश ने कब इसे बैन कर दिया।
- जर्मनी में डबल डेकर स्लीपर बसें 2006 में पूरी तरह बैन हो गईं। इससे पहले इन बसोें को 1931 में रेलवे के संरक्षण के लिए बंद किया गया था पर 2000 के दशक में ये लोकप्रिय हो गईं। पर इन बसों से कई हादसे होने के बाद बैन लगा। इन बसों की ऊंची बनावट के चलते पलटने का खतरा ज्यादा था, सोते समय यात्रियों के बेल्ट न बांधने से एक्सीडेंट होने पर वे उछलकर गिरने से मर जाते थे।
- चीन ने 2012 से नए रजिस्ट्रेशन बंद कर दिए और 2018 में सभी पुरानी स्लीपर बसें हटा दीं। 1990 के दशक में स्लीपर बसों की यहां शुरूआत हुई क्योंकि रेल नेटवर्क की कमी थी। पर 2009 से 2012 के बीच 13 हादसों में 252 मौतें हुईं, जिसपर गाइडलाइन सख्त की गईं पर लाभ नहीं मिला। डिजायन की कमी, ओवरलोडिंग, लंबे सफर में ड्राइवर को आराम न मिलने और सीटों के बीच कम स्पेस के चलते इसे बैन किया गया।
- इंग्लैंड (यूके) ने 2017 में स्लीपर बसें पूरी तरह बंद कर दी गईं। इन बसों को कर्मिशियल बस सर्विस में असफल पाया गया क्योंकि इनमें ज्यादा लागत और ज्यादा खतरा था। इंग्लैंड में 1920 से 50 के दशक में स्लीपर कोच प्रचलन में थे। शॉर्ट सर्किट की आशंका, सुरक्षा की कमी के चलते इसे बंद कर दिया गया। लंबी दूरी के लिए स्लीपर ट्रेन ज्यादा सेफ मानी गईं।
भारत में हुए स्लीपर बस हादस इन कारणों से हुए
- बिजली शॉर्ट सर्किट: एसी यूनिट की खराब वायरिंग, ओवरलोडिंग या पुरानी मॉडिफिकेशन से स्पार्क। जैसलमेर और वेल्लोर मामलों में यही हुआ।
- ईंधन रिसाव और टक्कर: डीजल टैंक फटने से आग, जैसा कुर्नूल में। नींद की कमी वाले ड्राइवर (जो 40% रोड एक्सिडेंट्स के लिए जिम्मेदार, जैसा केरल ट्रांसपोर्ट ऑफिशियल्स का कहना है) हाई स्पीड पर कंट्रोल खो देते हैं।
- डिजाइन की कमियां: स्लीपर बर्थ की संकरी गलियां, ब्लॉक इमरजेंसी एग्जिट, ज्वलनशील इंटीरियर और सील्ड एसी सिस्टम धुएं को फैलने नहीं देते।
- रखरखाव की कमी: प्राइवेट ऑपरेटर्स सेफ्टी चेक स्किप करते हैं; कई बसें पुरानी या अवैध मॉडिफाइड।
17 अक्तूबर (तमिलनाडु) : ब्रेक फेल होने से टक्कर, एसी वायरिंग के आग तेजी से फैली
चेन्नई-बेंगलुरु नेशनल हाईवे पर कलाथुर जंक्शन के पास एक तमिलनाडु स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (टीएनएसटीसी) की एसी बस एक कार से टकराई। टक्कर के बाद दोनों वाहनों में आग लग गई, जिसमें बस का ड्राइवर और कार के दो यात्री जिंदा जल गए।
पुलिस के अनुसार, बस की ब्रेक फेलियर और हाई स्पीड मुख्य कारण थे। आग तेजी से फैली क्योंकि एसी सिस्टम के वायरिंग में शॉर्ट सर्किट हो गया, जो ईंधन टैंक तक पहुंच गया। इस हादसे में कुल पांच लोगों की मौत हुई, जबकि 12 यात्री घायल हो गए।
राज्य के परिवहन मंत्री एसएस सूर्या ने जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन विपक्ष ने पुरानी बसों के रखरखाव की कमी को जिम्मेदार ठहराया।
14 अक्टूबर (राजस्थान) : एसी यूनिट में शॉर्ट सर्किट, खिड़कियां तोड़ने पर आग भड़की
राजस्थान के जैसलमेर के पास 14 अक्टूबर को एक प्राइवेट एसी स्लीपर बस जोधपुर जा रही थी, जब अचानक आग लग गई। थियात गांव के पास यह बस, जिसमें 57 यात्री सवार थे (जिनमें परिवार और बच्चे शामिल थे), सिर्फ पांच दिन पहले एसी फिटिंग करायी गई थी।
फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक, एसी यूनिट की खराब वायरिंग में शॉर्ट सर्किट से आग भड़की, जो इंजन से जुड़ी होने के कारण तेजी से फैली। कार्बन मोनोऑक्साइड गैस से कई यात्री बेहोश हो गए, और जब उन्होंने खिड़कियां तोड़ने की कोशिश की तो बाहर की हवा ने आग को और भड़का दिया।
बस का मुख्य दरवाजा जाम हो गया, इमरजेंसी एग्जिट ब्लॉक था, और कोई फायर एक्सटिंग्विशर या ब्रेकेबल विंडो हैमर नहीं था। नतीजतन 26 मौतें हुईं जिनमें तीन बच्चे शामिल थे, और 16 घायल।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ित परिवारों को 10 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की। बस मालिक, ड्राइवर और वर्कशॉप ओनर को गिरफ्तार किया गया है।
25 अक्तूबर (आंध्र प्रदेश) : बाइक के फ्यूल टैंक से बस में आग, बस के गेट जाम हो गए
कुर्नूल की घटना सबसे भयानक रही, जहां 24 अक्टूबर को हैदराबाद से बेंगलुरु जा रही एक लग्जरी एसी वोल्वो स्लीपर बस (कावेरी ट्रेवल्स) मोटरसाइकिल से टकराई।
चिन्नाटेकुर गांव के पास रात 3:30 बजे हुई इस टक्कर में मोटरसाइकिल का फ्यूल टैंक फट गया, और स्पार्क से बस का डीजल टैंक आग पकड़ लिया। एसी सिस्टम के सील्ड डिजाइन ने धुएं को अंदर कैद कर दिया, जबकि इंटीरियर की सिंथेटिक सामग्री (फोम, प्लास्टिक, रेक्सिन) और एसी गैस (आर-32 या आर-410A जैसी ज्वलनशील) ने आग को बेकाबू बना दिया।
बस के दरवाजे पिघलकर जाम हो गए, और इमरजेंसी विंडोज नहीं खुलीं। 40 यात्रियों में से 20 जिंदा जल मरे, जिनमें दो तमिलनाडु के निवासी भी थे। ड्राइवरों ने भागने की कोशिश की। स्थानीय लोग और फायर ब्रिगेड ने एक घंटे तक आग बुझाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि घोषित की, जबकि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए।

