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भड़काऊ पोस्ट को लाइक करने के नाम पर केस नहीं दर्ज करते : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- आईटी एक्ट की धारा 67 को भड़काऊ कंटेंट पर लागू नहीं किया जा सकता, यह अश्लील कंटेंट के लिए है।

बोलते पन्ने स्टाफ | नई दिल्ली

हाल में देखा गया है कि किसी विवादित मामले पर सोशल मीडिया पोस्ट करने के चलते लोगों के ख़िलाफ़ मुकदमें हुए हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर विवादित मुद्दे से जुड़े पोस्ट को लेकर लोग काफी सतर्कता बरतने लगे हैं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी पोस्ट को लाइक करने के आधार पर आईटी एक्ट की धारा 67 नहीं लगाई जा सकती। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आईटी एक्ट की यह धारा अश्लील कंटेंट को लेकर है, भड़काऊ सामग्री पर यह धारा लागू नहीं हो सकती।

पोस्ट को लाइक करना, शेयर करने जैसा नहीं

दैनिक जागरण के 20 अप्रैल के संस्करण में छपी ख़बर के मुताबिक़, उत्तरप्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी मामले पर पोस्ट करना उसे प्रकाशित करना है, जबकि उसी पोस्ट को शेयर या रीट्वीट करना उसे प्रसारित करना माना जाएगा। लाइक करना इससे अलग है। इस टिप्पणी के साथ अदालत ने आगरा निवासी इमरान खान के ख़िलाफ़ आईटी की धारा 67 के तहत दर्ज केस की कार्रवाई रद्द कर दी है। इमरान ने मुस्लिमों को बिना अनुमति प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा होने की अपील वाले एक पोस्ट को लाइक किया था, जिसके बाद उनके ख़िलाफ़ स्थानीय प्रशासन ने आईटी एक्ट में केस दर्ज कर दिया था।

दैनिक जागरण, 20 अप्रैल

आईटी एक्ट की धारा 67 को समझें: 
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 के तहत इलेक्ट्रॉनिक रूप से ऐसी सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने को अपराध माना गया है, जो कामुक है या कामुक रुचि को अपील करती है, या अगर उसका प्रभाव ऐसा है जो ऐसे व्यक्तियों को भ्रष्ट करने की प्रवृत्ति रखता है।
  • पहली बार दोषी पाए जाने पर, पांच साल की जेल और/या दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। 
  • यह एक गैर-ज़मानती अपराध है
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