- नीतीश कुमार की जदयू खुद को NDA में ‘बड़ा भाई’ कहती आई है पर बीजेपी प्रमुख भूमिका निभा रही।
पटना। हमारे संवाददाता
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सत्ता चला रहा NDA गठबंधन में पांच पार्टियों वाला है। जिसमें नीतीश कुमार की जदयू (JDU) खुद को बड़ा भाई कहती आई है। फिर आखिर ऐसा क्यों है कि NDA गठबंधन में सीट बंटवारे की जिम्मेदारी BJP के जिम्मे है?
जानकारी कहते हैं कि BJP की केंद्रीय ताकत, नीतीश की JDU पर कमजोर हुई पकड़ और केंद्रीय सत्ता चलाने के लिए BJP की ‘राजग’ (NDA) गठबंधन को चलाने की मजबूरी ने बिहार में NDA सीट शेयरिंग की कमान BJP को सौंपी है। आइए इसे विस्तार में समझते हैं।
NDA गठबंधन को जानिए
NDA जिसे हिन्दी में राजग कहा जाता है, इस गठबंधन का पूरा नाम ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ (National democratic alliance ) है। इस संगठन को 15 May 1998 में बनाया गया। बिहार में राजग के बैनर तले BJP, JD(U), LJP(RV), HAM(S), RLM का गठबंधन है।
BJP की NDA में मजबूत पकड़
अमित शाह, जेपी नड्डा और PM मोदी की राजग में मजबूत पकड़ BJP को सीट बंटवारे का नेतृत्व करने की ताकत देती है। BJP, NDA की सबसे बड़ी पार्टी है, जिसने 2020 में 74 सीटें जीतीं, जबकि जेडी(यू) (JDU) की 43 सीटें थीं।
सेंटर में गठबंधन की मजबूरी
2024 लोकसभा चुनाव में BJP को बहुमत नहीं मिला। नीतीश कुमार का समर्थन केंद्र के लिए जरूरी है। इसलिए BJP को चिराग पासवान (LJP-RV, 20-25 सीटें), जीतन राम मांझी (HAM, 7 सीटें) और उपेंद्र कुशवाहा (RLM, 6 सीटें) के साथ संतुलन बनाना पड़ रहा है। चिराग ने 40-50 सीटें मांगीं, लेकिन BJP ने सर्वे के आधार पर सीट बंटवारे का फॉर्मूल बनाया है, ताकि मजबूत उम्मीदवार उतारे जाएं।
दूसरी ओर, बीजेपी NDA सहयोगियों को इसलिए भी साध रही है ताकि 2029 पीएम मोदी को प्रधानमंत्री बनाए रखा जा सके, अगर NDA गठबंधन बिखरा तो उनकी पीएम की कुर्सी पर खतरा न आएं।
बिहार चुनाव में NDA की रणनीति:
BJP ने पटना में बैठक कर ‘NDA सरकार फिर से’ का नारा दिया ताकि विपक्षी महागठबंधन (RJD-कांग्रेस) के खिलाफ एकजुटता बनाई रखी जा सके। 20 साल के नीतीश राज से पैदा हुई ऊब या एंटी-इनकंबेंसी से निपटने के लिए भी राजद गठबंधन की रणनीति बनाई गई है।
JD(U) में अंदरूनी संकट
JD(U) में नीतीश कुमार का नियंत्रण कमजोर हुआ। संजय कुमार झा, विजय कुमार चौधरी और ललन सिंह बड़े फैसले ले रहे हैं। बीते 10 अक्तूबर को RJD में चले गए नीतीश के विश्वासपात्र संतोष कुशवाहा ने आरोप लगाया कि नीतीश को अंधेरे में रखा जा रहा। “ये तीनों सवर्ण समुदाय से हैं, जिससे लव-कुश (कुर्मी-कुशवाहा), अति-पिछड़ा और दलित कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।” सूत्रों के मुताबिक, नीतीश को 90% फैसलों की जानकारी नहीं दी जाती।
NDA बैठकों में नीतीश की अनुपस्थिति:
सीट बंटवारे और टिकट वितरण में नीतीश कम नजर आए। विजय कुमार चौधरी पर ज्यादा जिम्मेदारी है। JD(U) कार्यकर्ताओं को लगता है कि नीतीश के बजाय ये नेता फैसले ले रहे, जिससे टिकट न मिलने की शिकायतें बढ़ीं। हालांकि, नीतीश ने हाल में JD(U) दफ्तर में बैठकें कीं और उम्मीदवारों से मिले।
‘हम बड़े भाई, पर सहयोगियों से आप निपट लें’
नीतीश ने हाल में BJP से कहा, “चिराग, मांझी और कुशवाहा से आप निपटें, हम अपनी सीटों पर समझौता नहीं करेंगे।” इस बयान ने बीजेपी को मजबूती दी। हालांकि चिराग पासवान व जीतनराम मांझी को अपने फॉर्मूला पर मनाना उसके लिए चुनौती बन गया है।
NDA गठबंधन में BJP ने 100+ सीटों पर दावा किया है जबकि JD(U) का कहना है कि “उसे भाजपा के बराबर नहीं बल्कि उससे ज्यादा सीटें चाहिए, भले वह एक सीट ही ज्यादा पर लड़े, आखिर वह NDA में ‘बड़े भाई’ की भूमिका में है।”

