- तेजस्वी यादव को CM चेहरा न बनाकर कांग्रेस गठबंधन में चाहती है बराबरी।
- राहुल के ‘वोट चोरी’ नैरेटिव ने हवा बनाई पर क्या चुनाव तक वोटर पर असर रहेगा?
पटना| हमारे संवाददाता
6 और 11 नवंबर को होने जा रहे बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी गर्मी चरम पर है। RJD के नेतृत्व वाला महागठबंधन और नीतीश कुमार की NDA के बीच कांटे की टक्कर है। लेकिन इस बार कांग्रेस ने ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाकर नया रंग जोड़ा है। राहुल गांधी की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ ने लाखों लोगों को जगाया, पर सवाल यह है कि क्या कांग्रेस बिहार में अब भी फैक्टर है या यह सिर्फ एक शोर बनकर सिमट जाएगी ? आइए जानते हैं इस विश्लेषण में..
‘वोट चोरी’ ने हवा बनाई, चुनाव तक मुद्दा रहेगा?
- कांग्रेस का दावा: जुलाई 2025 में विशेष गहन संशोधन (SIR) के दौरान चुनाव आयोग (ECI) ने 65 लाख वोटरों के नाम काटे। इनमें ज्यादातर गरीब, दलित और अल्पसंख्यक। राहुल गांधी ने इसे ‘वोट चोर- गद्दी छोड़’ का नारा दिया।
- ECI का जवाब: ECI ने दावा खारिज किया, कहा—केवल 1.97 लाख संदिग्ध नाम हटाए। सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक नहीं लगाई, पर समयबद्धता पर सवाल उठाए।
- आरोपों का असर: कांग्रेस का अभियान सोशल मीडिया पर छाया। #VoteChorGaddiChhod ट्रेंड किया। X पर यूजर्स ने ECI की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। लेकिन BJP ने पलटवार किया—’कांग्रेस का बूथ लूट का इतिहास है।’
- हस्तक्षेप की गुंजाइश कम : SIR बंद होने की उम्मीद कम है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी और अनुच्छेद 329 के तहत सुप्रीम कोर्ट इसमें हस्तक्षेप से बचेगा। जिससे कांग्रेस का वोट-चोरी का नैरेटिव कमजोर पड़ सकता है।
कांग्रेस का आधार और रणनीति
- सीट शेयरिंग: 2020 में 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस अब 56-60 सीटों पर दावेदारी कर रही है। RJD ने 56 सीटों का ऑफर दिया, पर बातचीत जारी। 30 उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली गई है।
- मजबूत क्षेत्र: गोपालगंज (15.1% वोटर डिलीशन), पूर्णिया (12.1%वोटर डिलीशन), किशनगंज (11.8% वोटर डिलीशन), मधुबनी (10.4% वोटर डिलीशन) में कांग्रेस की पकड़। इन जिलों में प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यकों का वोट बैंक है, जो वोट चोरी के आरोपों से गुस्से में हैं। दक्षिणी बिहार के भोजपुर जैसे जिलों में भी पार्टी की पैठ बढ़ रही, जहां आरा-बढ़हरा सीटों पर दावेदारी मजबूत।
- कमजोर क्षेत्र: मगध और शाहाबाद डिवीजन मेें कांग्रेस का आधार कमजोर है, यहां NDA का दबदबा बना हुआ है।
- CWC की रणनीति: बीते 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ‘वोट चोरी’ को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का निर्णय हुआ। इसमें कहा गया कि वोट चोरी का मतलब, “राशन, पेंशन, रोजगार और न्याय की चोरी है।” यानी आगे के प्रचार का फोकस ये मुद्दे होंगे।
क्या कांग्रेस फैक्टर है?
- कांग्रेस के कैंपेन से महागठबंधन में एका : राहुल की यात्रा ने युवाओं और अल्पसंख्यकों में जागरूकता फैलाई। X पर ‘वोटर लिस्ट स्कैम’ चर्चा में। इस मुद्दे से महागठबंधन के दलों के बीच एकता मजबूत हुई। ये एकता अगर महागठबंधन को 120 से ज्यादा सीटें जिता दे तो कांग्रेस को 20-25 सीटें मिलना संभव।
- मुद्दा फीका पड़ा तो हाशिए पर जाने का डर : वोट चोरी पर ECI की रिपोर्ट ने कांग्रेस के वोट चोरी के दावों को कमजोर किया। कांग्रेस ने वोट चोरी पर लिखित आपत्ति भी नहीं दर्ज करायी। ऐसे में अगर वोट चोरी का मुद्दा फीका पड़ गया तो पार्टी फिर हाशिए पर जा सकती है।
- ‘घुसपैठ नैरेटिव’ और ₹10000 की योजना चुनौती: वोट चोरी नारे को काउंटर करने के लिए NDA ने अवैध धुसपैठ का नैरेटिव दिया। फिर महिला स्वरोजगार के लिए NDA 10,000 रुपये की मदद योजना लायी। ये कदम कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकते हैं।
- बड़े नेताओं का साथ छोड़ना चुनौती : बिहार कांग्रेस के बड़े नेता रहे डॉ. अशोक राम ने हाल में जदयू (JDU) का दामन थाम लिया, ये छह बार के विधायक व पूर्व प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी थे।
एक और वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मुरारी प्रसाद गौतम ने भाजपा का रुख किया है। बिक्रम सीट से दो बार विधायक रहे सिद्धार्थ सौरव ने भी BJP ज्वाइन कर ली। हालांकि बिहार प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, राहुल गांधी के करीबी कन्हैया कुमार, निर्दलीय और कांग्रेस समर्थित सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव बिहार में कांग्रेस की मजबूती हैं।
तेजस्वी को CM चेहरा न बनाना: सियासी चाल
- RJD की मांग: तेजस्वी यादव को CM चेहरा बनाने की मांग लगातार राजद कर रही है पर कांग्रेस इसे टालती आई है।
- कांग्रेस की रणनीति: ऐसा करके कांग्रेस इस गठबंधन में बराबरी चाहती है। CWC ने तेजस्वी को ‘अनौपचारिक’ नेता माना, पर औपचारिक ऐलान को टाल दिया था।
- देरी से जोखिम: तेजस्वी को सीएम न बनाने का कांग्रेस का दांव RJD का वर्चस्व भी बढ़ा सकता है क्योंकि चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
- तेजस्वी की नौकरी घोषणा चुनौती: तेजस्वी ने अपनी ओर से जीतने के बाद ‘नई सरकार’ में कानून बनाकर ‘हर घर को एक सरकार नौकरी’ देने की घोषणा कर दी है। कांग्रेस के लिए 2020 की तरह 19 सीटों के नुकसान को दोहराने का संकट।
NDA पर कांग्रेस ने चार्जशीट निकाली, क्या बदलेगा प्रचार
नौ अक्तूबर को तेजस्वी यादव ने ‘हर घर को एक सरकार नौकरी’ का वादा किया था, इसी दिन कांग्रेस ने पटना में NDA को ‘डबल इंजन’ (double engine) नहीं ‘ट्रबल इंजन’ (trouble engine) सरकार बताया और 42 पन्नों की चार्जशीट जारी की। साथ ही, नीतीश के बीस साल को ‘विनाश काल’ कहा।
इससे संकेत मिले कि अब कांग्रेस एनडीए सरकार की भ्रष्टाचारी सरकार के रूप में प्रचारित करना चाहती है, ऐसे में सवाल है कि क्या इससे वोटर प्रभावित होगा और क्या प्रचार का फोकस ‘वोट चोरी’ से आगे बढ़ेगा?
कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा-
“जुलाई-2025 में CAG की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार के 10 विभागों में 71 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है। यह बिहार का भविष्य नहीं हो सकता।” – बिहार कांग्रेस

