- रजौली प्रखंड के धमनी गांव से बुढ़ियासाख रास्ते में बना संपर्क मार्ग दो महीने से टूटा, ग्रामीण परेशान
- नदी पर बड़े पुल की मांग करते रह गए ग्रामीण, अस्थायी तौर पर संपर्क पथ बना दिया जो चंद घंटों में बहा।
- पैदल नदी पार करने को मजबूर हुए लोग, बाइक को ग्रामीणों की मदद से हाथों से उठाकर होती है नदी पार।
रजौली (नवादा) | सुनील कुमार
जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर नवादा के धमनी गांव ने अपनी ग्राम पंचायत बुढ़ियासाख से संपर्क खो दिया है। कारण है खुरी नदी पर बनी छोटी पुलिया, जो जुलाई 2025 की बाढ़ में टूट गई। ग्रामीणों ने बार-बार बड़े पुल की मांग की, लेकिन प्रशासन ने अस्थायी संपर्क मार्ग (diversion road) बनाया, जो दो बार चंद घंटों में बह गया। पिछले दो महीनों से ग्रामीण पैदल नदी पार करने को मजबूर हैं, नाव की व्यवस्था न होने से बाइक को चार-पांच लोग मिलकर दूसरी तरफ ले जाते हैं, इस तरह लोग नदी पार करके गांव से बाहर निकल पा रहे हैं। गौरतलब है कि बिहार की इस साल बाढ़ ने नवादा समेत 10 जिलों को प्रभावित किया, जिससे 25 लाख लोग संकट में हैं।
छोटी पुलिया टूटी, ग्रामीणों की मांग अनसुनी
धमनी गांव और बुढ़ियासाख ग्राम पंचायत के बीच बहने वाली खुरी नदी पर एक छोटी पुलिया और संपर्क मार्ग बनाया गया था। ग्रामीणों का कहना था कि नदी के तेज बहाव को देखते हुए बड़ा पुल (bridge) जरूरी है, लेकिन ग्रामीण कार्य विभाग ने उनकी बात अनसुनी कर दी। जुल ाई में भारी बारिश के कारण पुलिया टूट गई, और संपर्क मार्ग पानी में बह गया। ग्रामीण सिकंदर राजवंशी ने कहा, “अगर शुरुआत में ही बड़ा पुल बनाया होता, तो आज हमें जान जोखिम में डालकर नदी पार न करना पड़ता।”
DM के आदेश पर बने रोड, लेकिन नहीं टिके
पुलिया टूटने की खबर मिलने पर नवादा के डीएम रवि प्रकाश ने धमनी-बुढ़ियासाख क्षेत्र का दौरा किया। ग्रामीणों ने डीएम से कहा कि एक मजबूत पुल ही समाधान है। डीएम ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यपालक अभियंता को अस्थायी डायवर्जन रोड बनाने का आदेश दिया। अगले दिन ह्यूम पाइप (cemented pipes) डालकर रोड बनाया गया, लेकिन उसी रात बारिश ने इसे बहा दिया। दूसरी बार बनाया गया डायवर्जन रोड भी दो दिन में टूट गया। ग्रामीण टिहन ने निराशा जताते हुए कहा, “हमारी शिकायतें सुनी जाती हैं, लेकिन समाधान टिकता नहीं। बच्चों की पढ़ाई भी रुक रही है।”
नाव नहीं, पैदल नदी पार, बीमारियां बढ़ीं
बाढ़ प्रभावित धमनी गांव में नाव की कोई व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण पैदल नदी पार करते हैं, और बाइक को कई लोग मिलकर उठाकर ले जाते हैं। इससे नदी में भीगने के कारण बीमारियां (जैसे डेंगू, मलेरिया) बढ़ रही हैं। रजौली प्रखंड से सवैयाटांड़ ग्राम पंचायत (20 किमी) के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी नदी पार करनी पड़ रही है।
“स्कूल जाना जरूरी है, लेकिन कपड़े गीले हो जाते हैं। कई बार परिजन को साथ लाना पड़ता है, ताकि नदी में न गिरें।”- शिक्षिका रेणु कुमारी
पुलों के रखरखाव की नीति, फिर भी लापरवाही
बिहार सरकार ने 2025 में ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी शुरू की, जिसमें IIT विशेषज्ञों द्वारा पुलों का ऑडिट और सेंसर मॉनिटरिंग शामिल है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो रही। नवादा में जुलाई-अगस्त 2025 की बाढ़ ने कई संपर्क मार्ग तबाह किए, और प्रशासन की अस्थायी व्यवस्थाएं नाकाम रही हैं।
क्या बोले कार्यपालक अभियंता
“हमने नदी पर दो बार संपर्क पथ का निर्माण कराया, पर बारिश के कारण डायवर्जन टूट गया। मौसम ठीक होने के बाद अग्रतर कार्रवाई की जाएगी।” — अरविंद कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग
बिहार बाढ़ 2025 : 25 लाख लोग प्रभावित
2025 की बाढ़ ने बिहार के नवादा समेत 10 जिलों में 25 लाख लोगों को प्रभावित किया है। गंगा, कोसी, और बागमती नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर रहा। नवादा में कई गांवों के संपर्क मार्ग टूट गए और अस्थायी डायवर्जन रोड बारिश में बह गए। बिहार में 2024-25 में 14 से ज्यादा पुल/पुलिया टूटने की घटनाएं सामने आई थीं, स्थानीय लोग कहते हैं कि प्रशासन ने पिछले साल से सीख ली होती तो आज नवादा के धमनी गांव में दयनीय हालात न होते।