- 3 नवंबर को भर्ती कराया, 6 नवंबर को अस्पताल में भर्ती, 8 नवंबर को मौत
खगड़िया | मो. जावेद
अक्सर अपने परिजन का नशा छुड़ाने के लिए लोग जब हर उपाय अपनाकर हार जाते हैं तो उन्हें नशा मुक्ति केंद्र से ही किसी चमत्कार की उम्मीद होती है। उन्हें उम्मीद होती है कि सुधार केंद्र में इलाज के बाद उनके अपना सामान्य जिंदगी में लौट सकेगा।
पर बिहार के खगड़िया जिले में नशा मुक्ति केंद्र ही एक व्यक्ति की मौत का कारण बन गया। परिवार का कहना है कि वहां भर्ती कराने के बाद ही उनके मरीज की मारपीट के चलते इतनी तबीयत खराब हो गई कि वे वेंटिलेटर पर पहुंच गए और अंत में उनकी मौत हो गई।
यह पूरा मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एनएच-31 इलाके में स्थित ‘रिबॉन फाउंडेशन रिहैबिलिटेशन फॉर अल्कोहल एंड ड्रग काउंसिलिंग सेंटर’ का है।
इस सुधार केंद्र में 3 नवंबर को 42 साल के मो. इम्तियाज आलम को भर्ती कराया गया था, जो बेलदौर थाना क्षेत्र के दिघौन पंचायत के रहने वाले थे।
मो. इम्तियाज के बड़े भाई ने कहा कि वे शरीर से एकदम ठीक थे, बल्कि सुधार केंद्र की टीम जब घर पर उन्हें लेने आई तो वे पैदल चलकर गाड़ी में बैठकर गए थे। उन्होंने कहा कि भर्ती कराने के तीन दिन तक हमें उससे मिलने नहीं दिया गया, तीसरे दिन हमारा फोन भी सुधार केंद्र ने नहीं उठाया। फिर हमें अस्पताल से फोन करके बताया गया कि इम्तियाज की हालत खराब है।
वो कहते हैं कि जब हम वहां गए तो डॉक्टरों ने बताया कि उनके शरीर और सिर पर मारपीट के गहरे निशान हैं।
खगड़िया, बेगूसराय और सिलीगुड़ी ले गया परिवार पर जान नहीं बची
परिवार ने बताया कि मो. इम्तियाज को सबसे पहले सुधार केंद्र वाले खगड़िया के जिला अस्पताल ले गए। वहां से उन्हें बेगूसराय रेफर किया गया। वहां उन्हें फोन पर सूचना देकर बुलाया गया। तब वे लोग वहां से प. बंगाल के सिलीगुड़ी भी ले गए, जहां दो दिन गंभीर हाल के बाद 8 नवंबर को उनकी मौत हो गई। परिवार को डॉक्टरों से साफ बता दिया था कि शरीर में पिटाई के चलते गहरी इंजरी हुई है।
इलाज नहीं, यातना: एनएच-31 पर नशा मुक्ति केंद्र में मौत
परिजनों ने बताया कि 3 नवंबर को उन्होंने इम्तियाज को नशे की लत छुड़ाने के लिए केंद्र में भर्ती कराया था। इसके बदले केंद्र के कर्मियों ने उनसे 9 हजार रुपये नकद लिए थे। उनका कहना है कि भर्ती कराने के बाद उन्हें अपने मरीज से मिलने नहीं दिया गया।
परिवार का आरोप है कि भर्ती के कुछ घंटों के भीतर ही इम्तियाज को कमरे में बांधकर बेरहमी से पीटा गया।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उत्पीड़न की पुष्टि
डॉक्टरों की रिपोर्ट में यह साफ़ हुआ कि मौत का कारण शारीरिक चोटें और आंतरिक रक्तस्राव (Internal Injuries) थीं। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में छाती और पीठ पर गहरे जख्मों के निशान पाए गए हैं। यानी मौत स्वाभाविक नहीं, बल्कि मारपीट के चलते हुई हिंसक मृत्यु का मामला है।
“हाथ-पैर बांधकर पीटा गया” — परिजनों की पीड़ा
मृतक के भाई मो. शद्दाब और मो. शाहीद ने बताया कि केंद्र के कर्मियों ने हाथ-पैर बांधकर मारपीट की, जिससे इम्तियाज गंभीर रूप से घायल हो गया। हालांकि इस मामले में संबंधित सुधार केंद्र का पक्ष नहीं मिल सका है। मृतक के भाई का कहना है –
“हमने सोचा था कि इलाज मिलेगा, लेकिन वहां उसे जानवरों की तरह टॉर्चर किया गया। हम न्याय चाहते हैं और दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए।”
दो लोगों के सहारे 35 मरीज — बिना डॉक्टर, बिना सुविधा
दैनिक हिन्दुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र के एक कर्मचारी मिलन कुमार ने स्वीकार किया कि फिलहाल केंद्र में 35 मरीज भर्ती हैं लेकिन सिर्फ दो लोग काम कर रहे हैं। यह खुलासा खुद बताता है कि केंद्र मानकों (Guidelines) की अनदेखी करते हुए चलाया जा रहा है। न कोई डॉक्टर, न प्रशिक्षित नर्स, न मनोवैज्ञानिक। फिर भी मरीजों से मोटी रकम लेकर इलाज के नाम पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जा रही है।
भोजन और देखभाल के नाम पर खानापूर्ति
परिजनों ने बताया कि केंद्र में भर्ती मरीजों को भोजन के नाम पर अपमान झेलना पड़ता है। सुबह चाय और बिस्कुट, दिन में पानी भरी दाल और सिर्फ आलू की सब्जी दी जाती है। पौष्टिक भोजन, दवा या जांच जैसी बुनियादी सुविधाओं का कोई इंतज़ाम नहीं।
परिजनों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होती, और मरीजों को छह महीने तक रोककर रखा जाता है, जबकि इलाज की अवधि तीन महीने तय है – ताकि उनसे ज्यादा पैसे वसूले जा सकें।
CCTV से खुल सकता है सच
परिजनों का कहना है कि केंद्र के अंदर लगे CCTV कैमरों में पूरी घटना रिकॉर्ड है। उनके मुताबिक, इम्तियाज के हाथ, पैर, छाती और पीठ पर चोट के गहरे निशान मिले हैं, जो साफ़ दर्शाते हैं कि उसे बांधकर मारा गया था। चिकित्सकीय रिपोर्ट (Medical Report) में भी चोटों और पिटाई की बात दर्ज है।
कर्मियों का बचाव, पर जवाब नहीं
केंद्र के एक कर्मचारी रवि कुमार ने कहा कि “केंद्र में ऐसी कोई घटना नहीं हुई, चारदीवारी के अंदर क्या हुआ, हमें जानकारी नहीं।” हालांकि परिजनों के आरोप, डॉक्टरों की रिपोर्ट और स्थानीय गवाहों के बयानों ने इस सफाई को कमज़ोर और संदिग्ध बना दिया है।
बिना मानक और बिना निगरानी के चल रहे ‘इलाज केंद्र’
स्थानीय लोगों का कहना है कि खगड़िया में दर्जनों नशा मुक्ति केंद्र बिना सरकारी अनुमति या मेडिकल मानक के चल रहे हैं। यहां मरीजों को इलाज के नाम पर अत्याचार और वसूली झेलनी पड़ती है। “यहां सुधार नहीं, शोषण होता है,” एक ग्रामीण ने कहा। फिर भी प्रशासनिक निगरानी लगभग न के बराबर है।
पुलिस जांच में जुटी
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। परिजनों की शिकायत पर केंद्र संचालक और कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

