बिहार : पवन सिंह की वापसी, क्या सम्राट चौधरी के लिए चुनौती लाएगी?
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उपेंद्र कुशवाहा ने पवन सिंह को गले लगाया, पुरानी कड़वाहट भुलाई। (फोटो क्रेडिट- पवन सिंह फेसबुक)
भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा और अमित शाह से मुलाकात करके BJP में वापसी कर ली।
पिछले साल पवन सिंह की वजह से काराकाट लोकसभा सीट से हार गए थे NDA के टिकट पर लड़े उपेंद्र कुशवाहा।
प्रशांत किशोर ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दो हत्याकांडों का प्रमुख अभियुक्त बताया था, BJP अब तक चुप।
पटना | स्थानीय संवाददाता
चुनाव के करीब खड़ी बिहार की सियासत में एक नया मोड़ सामने आया है जब भोजपुरी स्टार पवन सिंह की भाजपा में वापसी हो गई जिन्हें पिछले साल पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
पवन सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा और अमित शाह से मंगलवार (30 सितंबर) को दिल्ली में मुलाकात की और इसकी जानकारी फेसबुक पर डालकर खलबली मचा दी।
राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इसे न सिर्फ India गठबंधन के लिए चुनौती बढ़ सकती है, बल्कि खुद BJP के अंदर विशेषकर सम्राट चौधरी व उनके गुट के लिए यह ‘घर वापसी’ असहज करने वाली होगी।
बता दें कि 2024 में पवन सिंह व उपेंद्र कुशवाहा के झगड़े के चलते काराकाट लोकसभा सीट राजद के प्रत्याशी ने जीत ली थी। दूसरी ओर, अब तक डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के समर्थन में पार्टी ने खड़े दिखने के लिए कोई बयान जारी नहीं किया है।
अमित शाह से पवन सिंह ने मुलाकात करके बीजेपी में वापसी कर ली। (फोटो क्रेडिट – पवन सिंह फेसबुक पोस्ट)
रणनीतिक जानकारी मान रहे हैं कि 2025 चुनाव से पहले राजपूत और युवा वोटरों को साधने के लिए BJP पवन सिंह पर दांव लगा रही है।
सूत्रों की मानें तो यह मुलाकात संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत सम्राट चौधरी को बिहार बीजेपी के शीर्ष पद से हटाने की पटकथा लिखी जा रही है।
भाजपा इस समय प्रशांत किशोर के आरोपों से घिरी हुई है, जिसमें कहा गया है कि सम्राट चौधरी दो बड़े हत्याकांडों के प्रमुख अभियुक्त हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
जिसके बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व पूरे प्रकरण से खासा नाराज चल रहा है।
इस मामले में बीजेपी ने अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया है और विकल्पों को तलाश रही है।
पवन सिंह ने वापसी की घोषणा फेसबुक पोस्ट डालकर की (screen grab – Pawan Singh’s FB post)
उपेंद्र से होकर क्यों गुजरा BJP में वापसी का रास्ता?
पवन सिंह की भाजपा में वापसी का रास्ता RML प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात से होकर गुजरा। इन दोनों नेताओं के बीच पिछले साल काराकाट लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के बाद रार पैदा हो गई थी।
दरअसल बीते साल कुशवाहा को NDA ने काराकाट से लोकसभा चुनाव का टिकट दिया था, जबकि पवन सिंह BJP से इसी सीट से टिकट मांग रहे थे, पार्टी ने उन्हें प. बंगाल की एक सीट से टिकट दिया था।
इस पर वे बागी होकर काराकाट से निदर्लीय लड़ गए थे और बड़ी तादाद में उन्होंने कुशवाहा के वोट काटे थे।
इस चुनाव में महागठबंधन के प्रत्याशी राजाराम सिंह जीत गए और पवन सिंह दूसरे नंबर पर रहे व कुशवाहा की करारी हार हुई थी
भाजपा ने वापसी की पुष्टि की
भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने भी बयान देकर इसे पुष्ट कर दिया, उन्होंने कहा- “पवन सिंह बीजेपी में हैं, बीजेपी में रहेंगे।”
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि कुशवाहा और पवन सिंह की मुलाकात अमित शाह के कहने पर हुई थी।
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी (क्रेडिट- @samrat4bjp)
सम्राट पर अब तक BJP चुप, क्या पवन बनेंगे विकल्प ?
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने सोमवार को सम्राट चौधरी पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें तारापुर हत्याकांड व शिल्पी-ललित हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त बताया था, जिसका भाजपा ने कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।
हालांकि पार्टी के दो वरिष्ठ नेता आरके सिंह व अश्वनी चौबे ने आरोपों को लेकर सम्राट के खिलाफ बयान दिए हैं जो पार्टी के अंदर सम्राट के खिलाफ बनते माहौल को दर्शाते हैं।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि 30 सितंबर को भाजपा के NDA में सहयोगी दल के नेता चिराग पासवान ने कहा, “पीके सबूत दें, यह जांच का विषय है।” माना जा रहा है कि यह सम्राट के बचाव में नहीं, बल्कि सावधानी भरा रुख है।
सिर्फ छह साल में पार्टी के प्रमुख नेता बन जाने के चलते और गैर RSS पृष्ठभूमि वाले सम्राट को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं का एक गुट विरोध में रहा है। साथ ही, सम्राट के स्वभाव और कार्यशैली के कारण भी पार्टी में भीतर असंतोष बढ़ता गया।
यह असंतोष अब दिल्ली तक पहुंच चुका है, और कहा जा रहा है कि सम्राट के साथ अब बिहार बीजेपी का कोई बड़ा नेता खड़ा नहीं है।
पवन सिंह – बड़े जनाधार वाले भोजपुरी गायक : भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह का प्रभाव बिहार-पूर्वी UP के भोजपुरी वोटरों (2-3 करोड़) और युवाओं (18-35 आयु वर्ग, 40% वोटर) पर है।
2024 में काराकाट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में 26.7% वोट पाकर हारे, लेकिन उनकी रैलियों में 1 लाख से ज्यादा भीड़ ने जनाधार दिखाया।
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BJP में पवन की एंट्री उपेंद्र को मनाकर करवाई गई, इससे यह स्पष्ट होता है कि वे NDA के लिए कितने अहम हैं।
1990 से बिहार राजनीति में सक्रिय उपेंद्र कुशवाहा एक ओबीसी नेता हैं। इनकी पार्टी RLSP (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ) का 2021 में जदयू में विलय हो चुका है। हालांकि इससे पहले ये राजद से गठबंधन में थे।
2014 में RLSP के साथ NDA में शामिल हुए, 6 सीटें जीतीं। 2019 में RJD से गठबंधन किया और सीटें नहीं जीत पाए।
फिर 2021 में JDU में विलय से NDA में लौटे और 2024 में काराकाट से लड़े लेकिन हार गए।
BJP को लाभ और सम्राट के लिए चुनौती
वोट बैंक मजबूती: पवन के जरिए राजपूत-भोजपुरी वोटरों को साधा जा सकता है।
चुनौती का कारण: अगर प्रशांत किशोर, सम्राट किशोर पर अपने आरोपों के साथ आगे बढ़ते हैं तो आगामी चुनावों में नुकसान हो सकता है। ऐसे में पवन की स्टार पावर के जरिए कुछ सीटों पर जीतकर किसी भी संभावित नुकसान को कम किया जा सकेगा।
आंतरिक रणनीति: सम्राट ने पवन को लाया था, लेकिन उनकी हार और PK के हमले से उनकी स्थिति डगमगाई। BJP अब पवन को आगे कर सम्राट को साइडलाइन कर सकती है।