Site icon बोलते पन्ने

बिहार : बिना चुनाव लड़े ही कैबिनेट मंत्री बने सांसद और केंद्रीय मंत्री के बेटे.. नई NDA सरकार का ‘परिवारवाद’ जानिए

NDA के सहयोगी दल RLM और HAM के प्रमुख नेताओं के बेटों को कैबिनेट में जगह दी गई, दोनों ही विधायक नहीं हैं।

NDA के सहयोगी दल RLM और HAM के प्रमुख नेताओं के बेटों को कैबिनेट में जगह दी गई, दोनों ही विधायक नहीं हैं।

पटना |

बिहार (Bihar) में नई सरकार के गठन के साथ ही एक नाम ने सबका ध्यान खींचा है। NDA के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के सुप्रीमो और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) के बेटे दीपक प्रकाश (Deepak Prakash) को नीतीश कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है।

हैरान करने वाली बात यह है कि 37 वर्षीय दीपक ने यह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, फिर भी उन्हें रालोमो कोटे से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। उधर, NDA ने अपने दूसरी सहयोगी HAM चीफ व केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के भी बेटे को कैबिनेट मंत्री बनाया है, जबकि पार्टी से पांच विधायक जीतकर आए हैं। विधानपार्षद संतोष सुमन पिछली सरकार में भी मंत्री थे। जानिए NDA सरकार में परिवारवाद का हिस्सा कौन-कौन से चेहरे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा को बेटे दीपक प्रकाश को NDA सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर से राजनेता तक का सफर

दीपक प्रकाश का जन्म 22 अक्तूबर 1989 को हुआ था। उनकी शुरुआती पढ़ाई पटना में हुई। इसके बाद उन्होंने मणिपाल से कंप्यूटर साइंस में बीटेक (B.Tech) किया। तकनीकी क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले दीपक ने 2011 से 2013 तक बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम किया और बाद में अपना बिजनेस शुरू किया। राजनीति में उनकी सक्रियता 2019-20 के आसपास शुरू हुई, जब उन्होंने अपने पिता के संगठनात्मक कार्यों में हाथ बंटाना शुरू किया।

अपनी पत्नी को चुनावी सिंबल देते उपेंद्र कुशवाहा (फाइल फोटो)

मां पहली बार बनीं विधायक, बेटा मंत्री बन गया

NDA में उपेंद्र कुशवाहा की अहमियत को इस बात से आंका जा सकता है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद उन्हें सीधे राज्यसभा भेज दिया गया। उनकी पार्टी RLM को NDA ने इस विधानसभा चुनाव में 6 सीटें दी थीं, जिनमें से पार्टी ने 4 पर जीत दर्ज कर ली। सासाराम सीट पर उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को चुनाव लड़ाया जो जीतकर पहली बार विधायक बनी हैं। अब उनके बेटे को बिना चुनाव लड़े ही कैबिनेट में जगह मिल गई है। नियम के मुताबिक, उन्हें 6 महीने के भीतर किसी सदन का सदस्य बनना होगा, ऐसे में संभव है कि उन्हें MLC बना दिया जाए।


जीतनराम मांझी (तस्वीर – @NandiGuptaBJP)

मांझी ने बेटे को मंत्री बनवाया, बहू-समधन विधायक बने

सिर्फ कुशवाहा ही नहीं, एनडीए के दूसरे सहयोगी दल ‘हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर’ (HAM) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के परिवार की भी पार्टी में बड़ी हिस्सेदारी है। मांझी की पार्टी को NDA ने 6 सीटें दीं, जिसमें दो सीट पर उन्होंने अपनी बहू और समधन को टिकट दिया। उनकी पार्टी ने कुल 5 सीटें जीत लीं। फिर भी मांझी ने अपने कोटे से NDA सरकार में मंत्री अपने पांचों विधायक को नहीं बनाया बल्कि अपने बेटे MLC संतोष सुमन को बनवाया है।

शपथ के बाद हस्ताक्षर करते कैबिनेट मंत्री संतोष कुमार सुमन जो मांझी के बेटे हैं। (Facebook/santosh kumar suman)

1. बहू और समधन जीतीं: गया के इमामगंज सीट से मांझी की बहू और पार्टी अध्यक्ष संतोष सुमन (Santosh Suman) की पत्नी दीपा मांझी (Deepa Manjhi) विधायक बनी हैं। वहीं, बाराचट्टी सीट से उनकी समधन ज्योति देवी (Jyoti Devi) ने जीत दर्ज की है।

2. बाहरी को बनाया नेता: हालांकि, परिवारवाद के आरोपों के बीच एक दिलचस्प फैसला लेते हुए, HAM ने अपने परिवार से बाहर के व्यक्ति, सिकंदरा विधायक प्रफुल्ल कुमार मांझी (Prafull Kumar Manjhi) को विधायक दल का नेता चुना है।


अपने भांजे सिंबल देते चिराग पासवान (फाइल फोटो)

चिराग ने भी परिवार पर ही जताया भरोसा

एनडीए के एक और घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (LJP-Ram Vilas) के प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने भी इस चुनाव में अपने परिवार पर भरोसा जताया था और अपने भांजे को टिकट दिया था। कुल मिलाकर, बिहार की नई सरकार में सहयोगी दलों के परिवारों का वर्चस्व साफ दिखाई दे रहा है।

Exit mobile version