- SP केसी सुरेंद्र बाबू की हत्या के बाद भीम बांध में 20 वर्ष पोलिंग बूथ बना।
- 2005 में नक्सलियों ने एसपी सहित 7 जवानों को बारूदी सुरंग में उड़ा दिया था।
मुंगेर | प्रशांत कुमार
जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड में पड़ने वाला भीम बांध इलाका लंबे समय तक नक्सलियों का गढ़ माना जाता था, गुरुवार को यहां 20 साल के बाद मतदान हो रहा है, जिससे ग्रामीणों में उत्साह देखते ही बना। इस क्षेत्र मेें सुरक्षा कारणों के चलते दो दशकों तक पोलिंग बूथ नहीं बनाया जाता था, जिससे गांव के सभी लोग वोटिंग करने 20 किलोमीटर दूर के पोलिंग बूथ पर नहीं जा पाते थे।
81 साल के मतदाता विशुन देव सिंह ने इस मौके पर खुशी जतायी और कहा कि वे चाहते हैं कि उनके इलाके में इसी तरह शांति बनी रहे। इस बूथ नंबर 310 पर बड़ी संख्या में ग्रामीण लाइन लगाकर वोटिंग कर रहे हैं जो क्षेत्र में नक्सलवाद के खात्मे का संदेश देता है।
SP समेत सात जवानों की हुई थी हत्या
2005 में मतदान केंद्र बनाने के बाद एक नक्सली हमला हुआ था जिसमें तत्काली SP केसी सुरेंद्र बाबू और सेना के सात जवानों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद से इस गांव में पोलिंग बूथ नहीं बनाया जा रहा था। सेक्टर मजिस्ट्रेट अशोक कुनार ने बताया की इस इलाके में बीस साल बाद मतदान हो रहे है जिससे लोग बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि मतदान केंद्रों पर केंद्रीय पुलिस की तैनाती की गई है, जगह-जगह पेट्रोलिंग की जा रही है।
20 किलोमीटर दूर था बूथ, कई पहली बार वोट कर रहे
पिछले बीस साल से यहां के लोगों के लिए चुनाव आयोग ने एक बूथ बनाया था जो इस गांव से बीस किलोमीटर दूर था। गांव के लोगों को प्रशासन अपने वाहन या टमटम से बूथ तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी उठाता था लेकिन फिर भी गांव के सभी मतदाता वोट नहीं कर पाते थे। बुजुर्ग वोटर विशुनदेव (81) ने कहा कि कई महिलाएं और बुजुर्ग बूथ नहीं जा पाते थे।
पहली बार मतदान कर रहे गांव के ही बादल प्रताप ने कहा कि उनका वोटर दो साल पहले बन गया था, वे पहली बार अपने ही गांव में वोट करने को लेकर खुश हैं। पर गांव में ऐसे भी वोटर हैं, जो कभी बूथ पर नहीं जा पाए क्योंकि वो काफी दूर था।
374 वोटर वाले गांव को पोलिंग बूथ से उम्मीद मिली
तारापुर विधानसभा क्षेत्र के नक्सल प्रभावित भीम में कुल 374 मतदाता है, जिसमें 170 महिलाएं और 204 पुरुष वोटर हैं। यहां की मतदाता नीलम कुमारी ने मीडिया से कहा कि वे BLO में रह चुकी हैं और उनकी ड्यूटी पहले काफी दूर पड़ती थी, उनके गांव के लोगों को पहले गायघाट जाकर वोट देना पड़ता था, सभी महिलाएं नहीं जा पाती थीं। उनसे पूछा गया कि ऐसा क्यों था तो सीधे उन्होंने किसी न नाम नहीं लिया और कहा कि ‘सभी जानते हैं कि ऐसा क्यों था।’ वे बोलीं कि अब बहुत सुधार हुआ है, हम सब बहुत खुश हैं।
वोटर दिलखुश का कहना है कि “गांव में बूथ बन गया, हम वोट देंगे तो कल को यहां नेता भी आया करेंगे, हम अब मजबूती से अपनी बातें रख पाएंगे क्योंकि हम कह पाएंगे कि हमने आपके लिए वोट किया है, हमारी मांगे पूरी करना आपकी जिम्मेदारी है।” इस क्षेत्र में नक्सल प्रभाव के चलते अच्छे स्कूल की कमी रही है। महिला मतदाता नीलम देवी ने कहा कि इस बार गांव में वोट पड़ रहे हैं तो वे भी वोट डालकर आई हैं और बहुत खुश हैं।

