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यूपी में ‘नरेंद्र मोदी स्टडीज सेंटर’ चला रहा था, CBI ने केस दर्ज किया

जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।

जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।

नई दिल्ली |

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक युवक पीएम मोदी के नाम पर एक अवैध स्टडी सेंटर चलाता पकड़ा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शिकायत पर सीबीआई ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार करके FIR दर्ज करायी है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज’ (CNMS) के संस्थापक जासिम मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि जासिम मोहम्मद ने बिना केंद्र सरकार या पीएमओ की मंजूरी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का अनधिकृत इस्तेमाल करके साल 2021 में यह ट्रस्ट रजिस्टर किया।
CBI ने जासिम के ऊपर यह कार्रवाई इम्ब्लेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 के उल्लंघन के चलते की है। इस खबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने 28 अक्तूबर को प्रकाशित किया है। 
4 साल पहले मिली थी शिकायत
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की शिकायत पर इस मामले की मार्च 2021 में करवाई गई थी। जांच अप्रैल में प्रारंभिक पूछताछ के बाद औपचारिक FIR में तब्दील हो गई।
PMO को एक वकील की शिकायत मिली थी, जिसमें सेंटर को अवैध बताया गया।
CBI ने पाया कि CNMS को 25 जनवरी 2021 को इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 के तहत रजिस्टर किया गया, लेकिन मोदी के नाम का इस्तेमाल बिना अनुमति के हुआ।

इंडियन एक्सप्रेस

मोदी के प्रशंसक रहे हैं, 2017 में मुलाकात
सेंटर की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि यह स्वतंत्र रिसर्च ट्रस्ट है, जो सरकार या किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं। जासिम मोहम्मद, एक वकील और मोदी के प्रशंसक भी हैं। साल 2017 में अपनी किताब “नरेंद्र मोदी: अर्श से फर्श तक” पीएम को भेंट की थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हैं और 2014 के बाद BJP के समर्थक बने।
मोहम्मद फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस (FMSA) के प्रमुख हैं। CBI जांच में सेंटर की गतिविधियों, आयोजनों और फंड कलेक्शन की पड़ताल हो रही है, जिसमें मोदी के नाम का दुरुपयोग हुआ या नहीं।
नरेंद्र मोदी स्टडीज का दावा- रजिस्ट्रेशन पारदर्शी
CNMS ने बयान जारी कर कहा कि रजिस्ट्रेशन पारदर्शी था और नाम बदलाव कानूनी प्रक्रिया से हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सरकारी प्रतीकों के संरक्षण पर केंद्रित है, जो राजनीतिक हस्तियों के नाम के दुरुपयोग को रोकने का उदाहरण है। जांच जारी है, और अन्य शामिल लोगों पर भी नजर।
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