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यूपी के अस्पताल में दस नवजात जलकर मर गए, जागरण-HT ने खबर की हत्या कर दी

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर

आज के अखबार (17 नवंबर 2024) | नई दिल्ली

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार की रात पौने 11 बजे दस नवजातों की जलकर मौत होने की खबर को आज सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। दैनिक भास्कर ने पीड़ितों के हवाले से लिखा है कि नवजातों को बचाने के बजाय अस्पताल कर्मी जान बचाकर भाग गए। इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि 18 सीटों वाले एनआईसीयू में 54 बच्चों का इलाज चल रहा था जो कि क्षमता से बहुत अधिक हुआ। इतनी गंभीर घटना की कवरेज पर विस्तार से बात करने से पहले जान लीजिए कि दैनिक जागरण ने पहले पन्ने पर यह खबर ही नहीं लगाई है।

दरअसल, यह मेडिकल कॉलेज पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र में सस्ते इलाज का एक प्रमुख केंद्र है जहां यूपी सीमा पर लगते मध्यप्रदेश के क्षेत्रों से भी मरीज इलाज के लिए आते रहते हैं।  मीडिया रिपोर्टों के आधार पर बता दें कि आग से झुलसे 16 नवजात अभी भी जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं जिनका इलाज अस्पताल में जारी है। मामले के कारणों का पता लगाने के लिए राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय कमेटी बना दी है।

भास्कर ने पूछे तीखे सवाल- मातम के बीच डिप्टी सीएम का स्वागत हुआ?

दैनिक भास्कर ने इस मामले में सबसे प्रभावशाली कवरेज की है जिसकी हेडिंग में ही सवाल पूछा गया है कि जब दस नवजातों की मौत पर शोक व्यक्त करने डिप्टी सीएम आए गए तो प्रशासन उनके सत्कार में क्यों लग गया, अस्पताल कर्मी सड़क पर चूना डालते देखे गए। जबकि अपने नवजातों को गंवाने वाले पीड़ित मां-बाप का कहना है कि शुक्रवार को आग लगने के बाद डॉक्टर व नर्स पीछे के रास्ते से जान बचाकर भाग गए, अगर उनके बच्चे एनआईसीयू की जगह उनके पास होते तो वे किसी भी तरह उन्हें जरूर बचा लेते। चूना डाले जाने की तस्वीर दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में भी लगाई है, उसे उसकी हेडिंग चापलूसी भरी है – ‘वीपीआईपी कल्चर पर डिप्टी सीएम नाराज हो गए’।  दैनिक हिन्दुस्तान ने भी इस वाकये को डिप्टी सीएम के नाराज होने के एंगल पर ही उठाया है।

दैनिक भास्कर, 17 नवंबर

दैनिक जागरण, 17 नवंबर (इनसेट)

कई नवजातों को बचाने वाले एक पिता याकूब की कहानी

20 साल के पिता याकूब मंसूरी की कहानी टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर लगाई है जो कई बच्चों के जीवनरक्षक साबित हुए। हालांकि अखबार लिखता है कि उनकी अपनी जुड़वा बेटियां ये बात कभी नहीं जान पाएंगी क्योंकि उनके पिता ने एनआईसीयू का शीशा तोड़कर कई नवजातों को बचाया और वे उनके लिए हीरो बन गए हैं। बदकिस्मती से ये दोनों बच्चियां उसी वॉर्ड में जल गईं। अखबार लिखता है कि याकूब एक ढेला चलाते हैं और अपनी पत्नी से साथ अस्पताल में निढाल पड़े यकीन नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने अपनी दोनों बच्चियों को खो दिया। बहादुरी की यह कहानी आज के माहौल मेें कही जाना इसलिए भी जरूरी हो जाती है क्योंकि देखा गया है कि बीते कुछ समय से हर बड़ी घटना में कसूरवार ठहराने के लिए मुस्लिम एंगल ढूंढा जा रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया, 17 नवंबर

मोदी-योगी को बुलाकर HT@100 का जश्न मानने में असल खबर ही मार दी 

अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर रहे हिन्दुस्तान टाइम्स में 17 नवंबर का अखबार अपने जश्न पर समर्पित कर दिया जिसमें पीएम मोदी, सीएम योगी व अन्य नेता मौजूद थे। इतना ही नहीं, अखबार ने योगी शासन पर सवाल खड़े करने वाली झांसी की खबर को भी मार दिया। दस नवजात बच्चों के जलकर मरने की खबर की जगह अखबार ने पहले पन्ने में सबसे नीचे कोने पर खबर लिखी है – ‘झांसी के अस्पताल में आग की घटना पर जांच शुरू’। खबर पढ़ने से ऐसा लगता है कि किसी पुराने मामले पर जांच बैठा दी गई हो। जाहिर होता है खबर को फॉलोअप स्टोरी की तरह लिखने की चालाकी के जरिए अखबार ने खुद को अपने ‘मेहमानों’ की नाराजगी से बचा लिया। पहले पन्ने का पौन पेज अखबार ने इवेंट पर ही झोंक दिया है और नीचे के स्पेस में मणिपुर व झांसी जैसी बड़ी खबरों को सिंगल व छोटी दो कॉलम में समेटा है। जबकि ऐसे मौकों के लिए अखबारों में प्रैक्टिस रही है कि अतिरिक्त पेज लगाकर इनहाउस इवेंट की कवरेज छापी जाए जिससे असली खबरों के साथ स्पेस का समझौता न करना पड़े। इसी तर्ज पर इसी कंपनी के हिन्दी अखबार दैनिक हिन्दुस्तान ने भी पहले पन्ने पर बेहद छोटी कवरेज की है।

हिन्दुस्तान टाइम्स, 17 नवंबर

अमर उजाला व हिन्दुस्तान का दावा – छह शिशु अब भी लापता पर ब्यौरा गायब

अमर उजाला ने पहले पन्ने पर सवाल खड़े करते हुए छह नवजातों का अब तक पता न लग पाने की खबर लगाई है। ठीक इसी तरह दैनिक हिन्दुस्तान की लगाई अंदर के पेज की खबर की हेडिंग भी लगभग यही है। पर इतनी गंभीर जानकारी हेडिंग में देते हुए दोनों अखबारों ने इस दावे का विस्तृत ब्यौरा ही नहीं दिया। जबकि बच्चों के लापता होने की ऐसी कोई जानकारी या दावा अन्य किसी अखबार ने नहीं किया है।

दैनिक हिन्दुस्तान

अमर उजाला

दैनिक जागरण ने पहले पन्ने पर खबर ही नहीं लगाई। दूसरे पन्ने पर की गई कवरेज की हेडिंग है – ‘झांसी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन कन्सन्ट्रेटर में हुई स्पार्किंग से लगी थी आग’। इसी एंगल पर अखिलेश यादव ने भी सरकार को घेरा है। कुछ अखबारों ने अखिलेश तो कुछ ने राहुल गांधी का बयान कवरेज में शामिल किया है। सभी ने बताया है कि इस मामले में राज्य सरकार पांच-पांच लाख व केंद्र सरकार दो-दो लाख रुपये मृत नवजातों के परिजनों को देगी जबकि घायल नवजातों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी।

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