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न बिजली पहुंची न नल-जल का लाभ, CM नीतीश कुमार के गृहजिला में अतिपिछड़ों का हाल

महादलित टोला के लोगों ने अपनी समस्याएं बताईं

महादलित टोला के लोगों ने अपनी समस्याएं बताईं

 

सिलाव (नालंदा) | संजीव राज

नीतीश की 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दिए जाने की योजना लागू हुए तीन महीने हो चुके हैं, पर इस सुविधा से उस क्षेत्र के महादलित समुदाय के लोग ही महरूम रह गए, जिस नालंदा जिले में नीतीश कुमार का जन्म हुआ था।

नालन्दा विधान सभा क्षेत्र में सिलाव प्रखंड के नीरपुर पंचायत के अंतर्गत आने वाले सभी महादलित टोलों के हालात एक से हैं। इन टोलों में मांझी समाज के लोग बसते हैं जो बिहार में सामाजिक रूप से सबसे पिछड़ी हुई जाति है।

महादलित टोले का हाल

इन टोलों में अब तक बिजली की लाइन तक नहीं पहुंची है। आज भी लोग डिबरी और लालटेन के सहारे जी रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार कह वह दावा खारिज हो जाता है जिसमें वह कहते आए हैं कि उनके बीस साल के शासन में ‘लालटेन युग’ समाप्त हो गया।

दिरापर महादलित टोला के लिए पक्की सड़क नहीं। 

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि नालंदा विधानसभा में जो विधायक लगातार 20 साल से जीत रहे हैं, वे वर्तमान सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री श्रबन कुमार हैं। इसके बावजूद नालंदा के इस गांव में विकास छूकर भी नहीं गुजरा।

वार्ड 1- गोबिंदपुर का एक महादलित टोला दिरापर का है, यहां मांझी समाज के 30 से अधिक परिवार रह रहे हैं। इस टोला के गरीबन मांझी, निरमा देवी, रुविया देवी, टुनटुन मांझी, गोपाल व ववन मांझी ने बताया कि वे लोग 15 साल पहले टोले में बसे। पर आज तक यहां न तो बिजली है और न ही पक्का रास्ता जो टोले को गांव की मुख्य सड़क से जोड़ दे। इन अति पिछड़े समुदाय के बच्चों-बुजुर्गों को कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। बच्चे आज भी ढिबरी के सहारे पढ़ने को विवश हैं।

नलजल योजना अब तक इस टोले में नहीं पहुंची

इलाके में अब तक ‘नल-जल योजना’ नहीं पहुंची है जबकि पूरे राज्य में इसे लागू हुए 9 साल हो चुके हैं। इस योजना के तहत पाइप लाइन डालकर ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पानी पहुंचाने का प्रावधान है।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि महादलितों को मुख्य धारा में लाने की एक दर्जन से ज्यादा योजनाएं पूरे राज्य में लागू हैं पर टोले के लोगों का कहना है कि उनके इलाके में आज तक कोई इन योजनाओं के बारे में बताने नहीं आया।

 

स्थानीय निवासी रंजन पटेल का आरोप है कि इस टोला में बुनियादी सुविधाओं को लेकर स्थानीय विधायक व ग्रामीण विकास मंत्री श्रवन कुमार से भी कई बार कहा गया, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।

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