नई दिल्ली |
पड़ोसी देश पाकिस्तान (Pakistan) और अफगानिस्तान (Afghanistan) के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। सोमवार रात पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खोस्त, कुनार और पक्तिका प्रांतों में जोरदार एयरस्ट्राइक (Airstrike) की, जिसमें 10 आम नागरिकों की मौत हो गई। मरने वालों में 9 मासूम बच्चे और एक महिला शामिल है। तालिबान (Taliban) ने इसे इस्तांबुल में हुए सीजफायर करार का उल्लंघन बताया है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर दो पड़ोसी देश एक-दूसरे के खून के प्यासे क्यों हो गए हैं? इसकी जड़ें 132 साल पुराने इतिहास और डूरंड लाइन (Durand Line) विवाद में छिपी हैं।
ताजा हमला और TTP का मुद्दा
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगानिस्तान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को पनाह दे रहा है, जो उसकी धरती से हमले कर रहा है। सोमवार शाम को ही पेशावर (Peshawar) में एक आत्मघाती हमले में 6 लोग मारे गए थे, जिसका जवाब पाकिस्तान ने रात में एयरस्ट्राइक करके दिया।
132 साल पुराना डूरंड लाइन विवाद
इस दुश्मनी की असली वजह डूरंड लाइन है।
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क्या है डूरंड लाइन: यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की 2,430 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है।
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इतिहास: यह समझौता 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच हुआ था।
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विवाद: इस लाइन ने अफगान पख्तून समुदाय को दो देशों में बांट दिया। यह लाइन बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और पाकिस्तान के कबायली इलाकों से गुजरती है।
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तालिबान का रुख: तालिबान इसे नहीं मानता। उसका कहना है कि इस समझौते को खत्म माना जाना चाहिए क्योंकि यह पख्तूनों को बांटता है।
संघर्ष की टाइमलाइन: एक महीने में क्या-क्या हुआ?
दोनों देशों के बीच पिछले कुछ हफ्तों में हिंसा का दौर तेज हुआ है। यहां देखें सिलसिलेवार घटनाक्रम:
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8 अक्टूबर: खैबर पख्तूनख्वा में TTP का पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला, जिसमें 23 सैनिकों की मौत हुई।
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9 अक्टूबर: जवाब में पाकिस्तान ने काबुल में हवाई हमला किया। TTP नेता नूर वली महसूद को निशाना बनाया गया (मौत की पुष्टि नहीं)।
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10 अक्टूबर: पाकिस्तान ने पक्तिका प्रांत के एक बाजार पर बमबारी की।
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11-12 अक्टूबर: अफगान तालिबान ने पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया। अफगानिस्तान का दावा- 58 सैनिक मारे, 25 चौकियों पर कब्जा। पाकिस्तान का दावा- 200 तालिबानी मारे।
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12 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान ने सीजफायर घोषित किया, लेकिन पाकिस्तान ने हमले जारी रखे। 19 तालिबानी मारे गए और बॉर्डर व्यापार बंद हो गया। कतर और सऊदी अरब ने मध्यस्थता शुरू की।
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15 अक्टूबर 2025: पाकिस्तान ने स्पिन बोल्डक (कंधार) में हवाई हमला किया। तालिबान ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तानी टैंक और चौकियां कब्जे में लीं। 15 अफगानी नागरिकों की मौत हुई। शाम को 48 घंटे का सीजफायर लागू हुआ।
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16 अक्टूबर 2025: अफगानिस्तान ने पाक पर जीत का जश्न मनाया।
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17 अक्टूबर 2025: पाकिस्तान में आर्मी कैंप पर TTP का हमला, 7 सैनिकों की मौत।
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18 अक्टूबर 2025: पाकिस्तानी एयरस्ट्राइक में 3 अफगान क्रिकेटरों की मौत। कुल 17 मौतें हुईं। विरोध में अफगानिस्तान ने टी-20 सीरीज से नाम वापस ले लिया।
शांति वार्ता क्यों हुई फेल?
अक्टूबर में दोहा (Doha) में सीजफायर समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे और तुर्किये (Turkey) में शांति वार्ता भी हुई, लेकिन यह किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। मुख्य वजह TTP को लेकर मतभेद थे। अफगान सरकार TTP को आतंकी नहीं बल्कि अपना वैचारिक साथी मानती है, इसलिए वह उस पर सख्ती नहीं करना चाहती।
अमेरिका और तुर्किये का रिएक्शन
इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका और तुर्किये ने चिंता जताई है, लेकिन अभी तक कोई कड़ा हस्तक्षेप नहीं किया है। भारत भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि इस क्षेत्र की अस्थिरता का असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है।

