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एक्सप्रेस की खोजी रिपोर्ट – ‘यूपी में सरकारी पदों पर नौकरी पाने वाला हर पांचवां बड़े ओहदे वाले का रिश्तेदार’ 

सांकेतिक तस्वीर

सांकेतिक तस्वीर

आज सभी अखबारों ने यूपी में प्रदर्शनकारी विद्यार्थियों की मांग मानते हुए PCS (प्रारंभिक) की परीक्षा को एक ही पारी में करवाए जाने की खबर प्रमुखता से छापा है। पर बात इंडियन एक्सप्रेस की करें तो पहले पन्ने पर खोजी खबर लगाई है कि रिव्यू व असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर (आरओ, एआओ) व जूनियर पदों के लिए 2020-21 में हुईं परीक्षाओं में पास होने वाले हर पांचवें अभ्यार्थी का सीधा कनेक्शन यूपी सरकार में मौजूद बड़े सरकारी अफसर से है। अखबार ने लिखा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे चौंकाने वाला घोटाला कहा है और कहा कि इसकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए।

विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ, सचिवालय प्रभारी के रिश्तेदारों को नौकरी मिली : Indian Express

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा व विधान परिषद में 186 प्रशासनिक पदों पर होने वाली नियुक्तियों के लिए 2020-21 में दो राउंड में परीक्षाएं हुई थीं, जिसमें अनुमानित रूप से ढाई लाख अभ्यार्थी शामिल हुए थे। अखबार का दावा है कि इस परीक्षा के जरिए नियुक्ति पाने वाले हर पांच में से एक अभ्यार्थी वीवीआईपी अधिकारी या नेताओं के रिश्तेदार हैं और यह भी दावा है कि इनमें से कई अधिकारियों की निगरानी मेें ही ये परीक्षा आयोजित हुई थी। नौकरी पाने वालों के कनेक्शन कितने ऊंचे ओहदे के अफसरों से हैं, इसे इस उदाहरण से समझा जा सकता है- ”अखबार का दावा है कि नियुक्ति पाने वालों में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के पीआरओ व उनके भाई हैं। एक अन्य नियुक्ति विधानसभा परिषद सचिवालय प्रभारी के बेटे, विधानसभा सचिवालय प्रभारी के चार रिश्तेदारों की हुई हैं।”

अखबार ने इन आरोपियों से संपर्क किया जिसमें कई ने मामला सुप्रीम कोर्ट में बताकर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया जबकि कुछ ने कहा कि उन्होंने अपनी प्रतिभा पर नौकरी पाई।  दरअसल इस मामले का खुलासा इस परीक्षा में असफल रहे तीन अभ्यार्थियों के केस दायर करने के बाद हुआ। इसी सुनवाई में उच्च अदालत ने कड़ी टिप्पणी की और सीबीआई से जांच करवाने को कहा। हालांकि विधान परिषद की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगा दी और मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 को होगी। इस मामले में दो निजी फर्मों को भी आरोपी बनाया गया है जिन्हें परीक्षा करवाने का ठेका मिला था।

साभार इंडियन एक्सप्रेस (15 नवंबर)

 प्रयागराज विद्यार्थी प्रदर्शन : हिन्दी अखबारों के पहले पन्ने से खबर गायब, अंदर छापी योगी की वाहवाही की 

अब बात करें यूपी में हाल में आरओ/एआरओ की परीक्षा को दो पालियों में करवाए जाने के विरोध प्रदर्शन और इस पर सरकार के पीछे हटने पर हिन्दी अखबारोें की कवरेज की। विद्यार्थियों के चार दिन चले प्रदर्शन को स्थानीय पुलिस ने बल प्रयोग से कुचलने की कोशिश की मगर वे नहीं झुके और प्रदर्शन के चौथे दिन की शाम को मुख्यमंत्री योगी को उनकी मांगें माननी पड़ीं। इस बात को अमर उजाला ने डायल्यूट करते हुए लिखा है कि ‘मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप पर फैसला लिया गया’। अखबार ने सरकार के मांगों पर झुकने की खबर को पहले पन्ने पर जरा सी भी जगह न देते हुए पेज 14 पर लगाया है। जिसमेें एक अहम जानकारी को बहुत ही छोटा सा छापा है कि गुरुवार की सुबह कुछ प्रदर्शनकारी छात्रों को पुलिस उठा ले गई, जिसका विरोध कर रहीं कई छात्राएं भी घायल हुईं। समझा जा सकता है कि इस तरह प्रदर्शन और भड़क गया और अंतता: सरकार को झुकना पड़ा। दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर पहले पन्ने पर तो ली पर सरकार के झुकने की खबर को यूं लिखा है कि सरकार ने ऐतिहासिक फैसला ले लिया हो, खबर की पहली ही पंक्ति कुछ यूं है – ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर यूपीपीएससी ने प्रदर्शनकारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए बड़ा निर्णय लिया है।’ अमर उजाला की तरह दैनिक जागरण ने भी इस अहम खबर को अपने दो-दो मुख्य पृष्ठों पर लगाने लायक नहीं माना, हालांकि अपेक्षा के विपरीत संतुलित खबर अंदर के पेज 17 पर लगाई है। हेडिंग है – झुका आयोग, एक ही दिन होगी यूपीपीएससी-प्री परीक्षा।

अमर उजाला, 15 नवंबर (पेज 14 की खबर का इनसेट)

दैनिक जागरण, 15 नवंबर

आंदोलन कुचलने के लिए आधी मांग मानी 

अंग्रेजी अखबार द हिन्दू ने पहले पन्ने पर खबर लगाई जिसमें फैसले को ज्यादा स्पष्टता से लिखा है कि लोक सेवा आयोग ने पीसीएस – प्रिलिम्स की परीक्षा एक दिन की एक पाली में करवाने को तो राजी हो गई जो कि पुराना पैटर्न है, मगर आरओ/एआरओ की परीक्षा को भी एक ही पाली में करवाने के बजाय टाल दिया और इस मांग की समीक्षा के लिए समिति बनाने की बात कही। यानी प्रदर्शनकारियों की आधी मांग ही मानी गई। प्रदर्शनकारियों के हवाले से अखबार ने लिखा है कि ऐसा करके सरकार ने प्रदर्शन कुचलने की कोशिश की है पर हम अपनी मांगों के पूरा होने तक प्रदर्शन करते रहेंगे। इस मामले में अखिलेश यादव ने कहा है कि उपचुनाव में हार को देखते हुए दवाब में आकर सरकार झुकी है।

द हिन्दू, 15 नवंबर

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