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बिहार में रिकॉर्ड 65% वोटिंग… क्या ‘बदलाव’ का संकेत या NDA में ‘भीतरघात’ का?

 

पटना | हमारे संवाददाता

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Elections) के पहले चरण (First Phase) में 18 जिलों की 121 सीटों पर गुरुवार (6 नवंबर) को मतदान संपन्न हुआ। इस चरण ने राज्य के चुनावी इतिहास में एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए 64.66% की ऐतिहासिक वोटिंग दर्ज की, जो 2000 (62.57%) के बाद सबसे ज्यादा है।

पहले चरण में बेगूसराय (Begusarai) जिले में जहां सबसे अधिक 67.32% मतदान हुआ, वहीं पटना (Patna) जिला (23.71%) सबसे सुस्त रहा। इस रिकॉर्डतोड़ मतदान ने सियासी गलियारों में यह बहस छेड़ दी है कि क्या यह ‘बदलाव’ का संकेत है या सत्ताधारी दल के लिए ‘समर्थन’ की लहर?

 

14 मंत्रियों व कई दिग्गजों की साख दांव पर

पहले चरण का यह मतदान कई मायनों में अहम था, जिसमें 14 मंत्रियों (14 Ministers) समेत 3 दलों के प्रदेश अध्यक्षों की साख दांव पर लगी थी। जिसमें JDU के उमेश कुशवाहा, रालोमो के मदन चौधरी और IIP के आईपी गुप्ता शामिल थे। पहले चरण में कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में थे जिसमें  122 महिला प्रत्याशी शामिल थीं। 122 सीटों पर कुल  3.75 करोड़ मतदाताओं (1.98 करोड़ पुरुष, 1.76 करोड़ महिला) ने इन उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया।

 

महागठबंधन ने 72, NDA ने 160 सीटों का दावा किया

इस रिकॉर्ड वोटिंग के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। महागठबंधन (Mahagathbandhan) का दावा है कि यह ‘बदलाव का संकेत’ है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने शनिवार को दावा किया कि उनकी इंटरनल रिपोर्ट के मुताबिक, “महागठबंधन पहले फेज की 121 में से लगभग 72 सीटें स्पष्ट रूप से जीत रहा है।” वहीं, NDA (एनडीए) का दावा है कि महिला वोटरों ने सरकार के पक्ष में भारी मतदान किया है और वे 160 से ज्यादा सीटें जीतकर सरकार बनाएंगे।

 

NDA में ‘भीतरघात’ का फायदा ‘महागठबंधन’ को?

हालांकि, सियासी जानकारों के मुताबिक, NDA में ‘भीतरघात’ की भी खबरें हैं। चूंकि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को आधिकारिक तौर पर सीएम फेस (CM Face) घोषित नहीं किया गया है, इसलिए JDU कार्यकर्ता उन सीटों पर BJP-LJP को वोट ट्रांसफर नहीं करा रहे हैं, और यही काम JDU की सीटों पर BJP-LJP के कार्यकर्ता कर रहे हैं।

 

अमित शाह पर ‘चिपक गया कागज’ का आरोप!

इस बीच, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) पर भी एक गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “गृहमंत्री जब (पटना के) होटल में आते हैं तो लिफ्ट (lift) के CCTV के ऊपर कागज चिपका दिया जाता है। हम चाहते हैं कि गृहमंत्री जवाब दें कि वह किससे छिप-छिपकर मिलने आ रहे हैं?” विपक्ष ने पहले चरण में ‘वोट चोरी’ (vote theft) और लाखों मतदाताओं के नाम लिस्ट से गायब होने के भी आरोप लगाए हैं।

 

प्रवासी बिहारियों ने भारी मतदान किया : जनसुराज
पहले चरण की वोटिंग को लेकर प्रशांत किशोर का दावा है कि इस बार प्रवासी मजदूरों ने पलायन, बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दे पर भारी मतदान किया है। प्रशांत किशोर का अपनी दलील के पीछे दावा है कि इस बार मतदान छठ के तुरंत बाद हो रहे हैं, जिसकी वजह से छठ मनाने आए प्रवासी मजदूरों ने मतदान का इंतजार किया और उन्होंने मतदान किया। जिसकी वजह से मतदान प्रतिशत ने बिहार में इस बार सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

 

SIR और ‘वोट चोरी’ कैंपेन का भी असर
राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि मतदाता पुनरीक्षण के दौरान भारी संख्या में लोगों का नाम काटा गया, जिससे लोगों में एक जागरुकता आयी है कि अगर इस बार में वे मतदान नहीं करेंगे तो सरकार या चुनाव आयोग उनका नाम मतदाता सूची से हटा देगी, जिससे वे सरकार के कई योजनाओं और लाभ से वंचित हो सकते हैं।  वहीं, बिहार चुनाव के पहले राहुल गांधी द्वारा वोटर अधिकार यात्रा को काफी सफलता मिली थी जिससे वोटर आईडी को लेकर जागरुकता आई और अंतिम समय तक लोगों ने अपने नाम जुड़वाए।

 

10 हजार की स्कीम से महिला वोटरों में रुझान
वहीं, ये भी माना जा रहा है कि चुनाव से पहले 10 हजार की स्कीम से एनडीए के प्रति महिला वोटरों में जोश हाई है। बिहार में प्रति व्यक्ति आय करीब साढ़े पांच हजार के करीब है। सरकार ने डेढ़ करोड़ से ज्यादा महिलाओं के हाथ में 10 हजार रुपये दे दिए हैं। यह बिहार की महिला वोटरों का करीब 40 फीसदी है। डेढ़ करोड़ महिला वोटरों को 10 हजार देने का मतलब है कि असर साढ़े चार करोड़ (प्रति परिवार चार सदस्य मानें तो) वोटरों पर पड़ेगा। इसका जमीन पर असर दिख रहा है। हालांकि विपक्ष ने हर घर सरकारी नौकरी योजना की घोषणा कर इस स्कीम का काट निकाला है।

 

 

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