नई दिल्ली |
लद्दाख के लेह में 24 सितंबर की हिंसक झड़पों के ठीक तीन सप्ताह बाद एक बार फिर शांति भंग होने की आशंका से पाबंदियां लगा दी गईं। 15 अक्तूबर को प्रशासन ने प्रतिबंध हटाए और 2 दिन बाद 17 अक्तूबर को दोबारा लागू करने की नौबत आ गई।
दरअसल लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) ने पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग और संविधान की छठी अनुसूची की मांगों को लेकर 17 अक्तूबर को शांतिपूर्ण प्रदर्शन बुलाया था। सुबह 10 बजे से दो घंटे का शांति मार्च होना था और शाम को ‘ब्लैकआउट’ के आह्नान को देखते हुए प्रशासन ने इंटरनेट बंदी लागू कर दी। हालांकि स्थानीय मीडिया के मुताबिक, कारगिल में मार्च शांतिपूर्वक निकाला गया।
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में तनाव को फिर से हवा दी है, बीते महीने हुई हिंसा में चार मौतें और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे और प्रदर्शनकारियों की मांगें अब भी बरकरार हैं।
24 सितंबर की हिंसा के बाद के घटनाक्रम
- पूर्ण राज्य की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण अनशन 24 सितंबर को हिंसा में बदल गया था, इसके बाद कर्फ्यू लगा दिया गया।
- उसके बाद कोई हिंसा नहीं हुई और हालात काबू में आने पर 15 अक्टूबर को प्रतिबंध हटाए गए।
- 17 अक्तूबर को मौन मार्च की कॉल के बाद प्रशासन ने दोबारा इंटरनेट बंदी लागू कर दी और शांति-भंग की धारा लागू कर दी।
- प्रदर्शनकारियों की मांग को मानते हुए केंद्र ने शुक्रवार को रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज के नेतृत्व में न्यायिक जांच की घोषणा।
- केंद्र सरकार ने 22 अक्तूबर को लेह और कारगिल के दोनों प्रमुख दलों को फिर से वार्ता शुरू करने के लिए आमंत्रित किया है।
पाक-चीन के बीच बसे लद्दाख में अशांत के मायने
5 अगस्त 2019 को लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। तब लेह के लोग खुश थे कि वे जम्मू-कश्मीर के प्रशासनिक प्रभुत्व से मुक्त हो गए। हालांकि नए केंद्र शासित प्रदेश के ढांचे में उन्हें जम्मू-कश्मीर की तरह विधानसभा नहीं मिली, जिससे कुछ दिन बाद ही लोग असंतुष्ट हो गए क्योंकि अभी पूरा प्रशासन उपराज्यपाल (LG) और नौकरशाहों के हाथ में है। ऐसे में स्थानीय लोगों को नीति बनाने में बजट आवंटन से जुड़े सीमित अधिकार मिले हैं। लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषदें लेह और करगिल के हैं, जिन्हें क्षेत्र के केवल 10% बजट का प्रबंधन मिलता है, जिनके पास सीमित शक्तियां हैं, जिसने असंतोष को और बढ़ावा दिया है।

