- पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक निर्मल कुमार सिंह मधेपुरा जिले के कुमारखंड के निवासी थे।
- गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह के निर्देश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया था।
मधेपुरा | राजीव रंजन
बिहार के मधेपुरा जिले के कुमारखंड के निवासी और पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक निर्मल कुमार सिंह (एनके सिंह) का रविवार (5 अक्टूबर 2025) रात दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया।
97 वर्षीय एनके सिंह को इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता था।
उनकी मृत्यु की खबर ने बिहार से लेकर झारखंड तक शोक की लहर दौड़ा दी है।
राजनीतिक हलकों में उनकी भूमिका को याद करते हुए कई दिग्गजों ने श्रद्धांजलि दी, जबकि ग्रामीण इलाकों में उनके योगदान की चर्चा जोरों पर है।
पुलिस मेडल और राष्ट्रपति पुलिस मेडल मिला था
1961 बैच के आईपीएस अधिकारी एनके सिंह का जन्म बिहार के मधेपुरा जिले के कुमारखंड में हुआ था। उन्होंने सीबीआई में एसपी से लेकर संयुक्त निदेशक तक का पद संभाला।
दिल्ली के पुलिस आयुक्त और बीएसएफ के महानिदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहने के दौरान उन्होंने अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से ख्याति अर्जित की।
उन्हें पुलिस मेडल और राष्ट्रपति पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया था। सेवानिवृत्ति के बाद वे दिल्ली में परिवार के साथ रहते थे, लेकिन हर साल बिहार के पैतृक गांव का दौरा करते थे।
इंदिरा गांधी गिरफ्तारी का ऐतिहासिक क्षण
एनके सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है। 3 अक्टूबर 1977 को मोरारजी देसाई सरकार के दौरान, होम मिनिस्टर चौधरी चरण सिंह के निर्देश पर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया।
एनके सिंह का नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित है। 3 अक्टूबर 1977 को मोरारजी देसाई सरकार के दौरान, होम मिनिस्टर चौधरी चरण सिंह के निर्देश पर उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया।
यह गिरफ्तारी रायबरेली में 1977 के लोकसभा चुनाव के दौरान 100 जीपों की खरीद और एक फ्रेंच कंपनी को दिए गए अनुबंध से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों पर आधारित थी, जिसमें कथित रूप से 11 करोड़ रुपये का सरकारी नुकसान हुआ था।
यह भारत का पहला अवसर था जब किसी पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी हुई।
इसके अलावा, उन्होंने संजय गांधी और वीसी शुक्ला के खिलाफ ‘किस्सा कुर्सी का’ मामले में चार्जशीट दाखिल की।
राजनीतिक रंजिश में बेटे की जान गई
इस कार्रवाई के बाद उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का सामना करना पड़ा, जिसमें उनके बड़े बेटे दिलीप सिंह की ट्रक दुर्घटना में कथित हत्या शामिल थी। इस घटना पर लोकसभा में चंद्रशेखर, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे विपक्षी नेताओं ने जोरदार विरोध दर्ज कराया।
समता पार्टी से भी जुड़े
एनके सिंह का झारखंड के जमशेदपुर से गहरा संबंध था। वे झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर मृगेन्द्र प्रताप सिंह के बड़े बहनोई और बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर अमरेन्द्र प्रताप सिंह के बड़े भाई थे।
एनके सिंह का झारखंड के जमशेदपुर से गहरा संबंध था। वे झारखंड विधानसभा के पूर्व स्पीकर मृगेन्द्र प्रताप सिंह के बड़े बहनोई और बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर अमरेन्द्र प्रताप सिंह के बड़े भाई थे।
सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा—जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा गठित समता पार्टी के संस्थापक सदस्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।
बाद में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने।
उनके भतीजे संजय कुमार सिंह मधेपुरा जिले में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन के जिला अध्यक्ष हैं। मधेपुरा के कुमारखंड में उनका पैतृक घर आज भी उनका स्टाफ संभालता है।
ब्रेन हेमरेज के चलते निधन
एनके सिंह की अचानक बिगड़ती तबीयत के कारण 5 अक्टूबर को उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिन पहले चलते समय गिरने से ब्रेन हेमरेज हो गया था, जिसके चलते रविवार रात करीब 10:21 बजे उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में ही किया जाएगा।
आत्मकथा में CBI के किस्से उजागर किए
सेवानिवृत्ति के बाद एनके सिंह ने तीन पुस्तकें लिखीं—’खरा सच’, ‘द प्लेन ट्रुथ’ और ‘हॉल ट्रुथ’। ‘द प्लेन ट्रुथ’ में उन्होंने सीबीआई के अनुभव साझा किए, जबकि ‘हॉल ट्रुथ’ उनकी आत्मकथा है, जिसमें उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू और जमीउ के स्वतंत्रता सेनानी श्याम प्रसाद सिंह को अपने जीवन के प्रमुख प्रेरणास्रोत बताया। 1996 में जमशेदपुर में ‘द प्लेन ट्रुथ’ का विमोचन जॉर्ज फर्नांडिस, अरुण शौरी और मृगेन्द्र प्रताप सिंह जैसे दिग्गजों की उपस्थिति में हुआ था।
एक युग का अंत
मधेपुरा और जमशेदपुर में उनकी मृत्यु की खबर से शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों ने उन्हें ईमानदार अधिकारी के रूप में याद किया। राजनीतिक दलों ने उनके योगदान को सलाम किया, लेकिन विशिष्ट बयान अभी तक सामने नहीं आए।
एनके सिंह का निधन न केवल एक अधिकारी का, बल्कि एक युग का अंत दर्शाता है, जो कानून के सामने सबको समान मानने वाले सिद्धांत पर अडिग रहे। उनकी स्मृति में बिहार और झारखंड में कई कार्यक्रम आयोजित होने की संभावना है।

