- यूएन सुरक्षा परिषद ने गज़ा शांति मसौदे को 13–0 से मंज़ूरी दी, रूस और चीन ने वोट से परहेज किया।
- गज़ा में अस्थायी शासन के लिए Board of Peace बनेगी और एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल तैनात होगा।
- अमेरिका ने अक्तूबर में समझौता लागू कर दिया था, इजरायल अब तक 282 बार उल्लंघन कर चुका है।
नई दिल्ली |
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने सोमवार (17 nov) को गज़ा के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की बनाई शांति योजना को वैधता दे दी है।
डोनाल्ड ट्र्ंप के दामाद व कारोबारी जेरेड कुश्नर ने गज़ा शांति योजना (Gaza peace Plan) को ब्रिटिश पीएम टोनी ब्लेयर की मदद से तैयार करवाया, जिसे इजरायल व अरब देशों का समर्थन मिला है।
गज़ा शांति मसौदे के लिए 15 सदस्य देशों वाले UNSC में वोटिंग करायी गई। इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े, जबकि रूस और चीन ने वोट से परहेज (abstain) किया है। साथ ही प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो का इस्तेमाल भी नहीं किया।
इस तरह प्रस्ताव पास होने के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति की ग़ाज़ा शांति योजना को आधिकारिक वैश्विक वैधता मिल गई है। इसके लिए उन्होंने ट्रूथ सोशल पर एक लंबा पोस्ट लिखकर खुशी जतायी है।
गौरतलब है कि गज़ा में यह शांति समझौता बीते अक्तूबर में लागू किया जा चुका है और उसके बावजूद वहां इजरायली सेना की ओर से हिंसा जारी है।
गज़ा मीडिया ऑफिस के अनुसार बीते 10 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच इस्राइल ने समझौते का 282 बार उल्लंघन किया।
ऐेसे में देखना होगा कि भुखमरी और नरसंहार झेल रहे गज़ा को अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति वाली शांति योजना से क्या मिलता है।
क्या है नया अंतरराष्ट्रीय ढांचा?— Board of Peace और ISF
अस्थायी शासन चलाएंगे ट्रंप और ब्लेयर – गज़ा इंटरनेशनल ट्रांसजिट अथॉरिटी (GITA) अस्थायी तौर पर गज़ा को दोबारा खड़ा करने की जिम्मेदारी संभालेगी और बाद में इसे गज़ा अथॉरिटी को सौंप देगी।
यह अस्थायी अंतरराष्ट्रीय प्रशासनिक निकाय एक शांति समिति (Board of Peace) बनाएगा, जिसकी अध्यक्षता डोनाल्ड ट्रंप करेंगे। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व ब्रिटिश पीएम टोनी ब्लेयर को बोर्ड में अहम जगह मिलेगी।
- बोर्ड के पास गज़ा के नागरिक प्रशासन और पुनर्निर्माण की निगरानी की जिम्मेदारी होगी।
- इसे हमास और अन्य समूहों के हथियार छोड़ने की प्रक्रिया देखने का अधिकार भी दिया गया है।
- इसी ढांचे के हिस्से के रूप में एक International Stabilization Force (ISF) तैनात की जाएगी।
- यह सेना गज़ा की सड़कों की सुरक्षा करेगी। मानवीय सहायता के सुरक्षित रास्ता बनाएगी और युद्धग्रस्त इलाकों की निगरानी संभालेगी।
गज़ा में तैनात होगी अंतरराष्ट्रीय सेना
अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल वॉल्ट्ज ने कहा कि ISF (International Stabilization Force) में इंडोनेशिया और अज़रबैजान सहित कई मुस्लिम-बहुल देशों के सैनिक शामिल होंगे।
हमास इसके खिलाफ – हमास का कहना है कि ISF को गज़ा के भीतर निर्णायक भूमिका देना इसे ‘संघर्ष का पक्षकार’ (Party to conflict) बना देता है। उसका कहना है कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय सेना को सिर्फ सीमा पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी में काम करना चाहिए।
गज़ा शांति योजना को ट्रंप के दामाद ने बनवाया था
गज़ा में शांति स्थापित करने की योजना को लेकर सवाल इसलिए उठते रहे हैं क्योंकि इसे उनके दामाद जेरेड कुश्नर ने बनवाया था। ट्रंप की बेटी इवांका ट्रम्प के पति जेरेड कुश्नर एक कारोबारी और निवेशक हैं।
युद्ध रुकवाने जैसे गंभीर मामले में उनकी कोई विशेषज्ञता नहीं है न ही व्हाइट हाउस में उन्हें कोई आधिकारिक पद मिला हुआ है। ये conflict of interest का सीधा मामला माना जा रहा है।
दरअसल जेरेड कुश्नर ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के थिंकटैंक संस्थान ‘टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल चेंज’ से गज़ा के पुनर्निर्माण का विस्तृत प्रस्ताव मांगा था। इसके आधार पर इस अंतरिम शासन मॉडल को विकसित किया गया।
इतना ही नहीं, ट्रंप के दामाद कुश्नर ने मिस्र, इज़राइल, क़तर और अन्य देशों के साथ बैठकों में मध्यस्थता भी की। इस प्रक्रिया में वे और अरब-विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़, नेतन्याहू की कैबिनेट तक सीधे प्रस्ताव लेकर पहुंचे थे। नेतन्याहू ने भी इस योजना को पूरा समर्थन दिया।
बता दें कि इस प्रस्ताव में जो बोर्ड ऑफ पीस बनाया गया है, उसमें टोनी ब्लेयर भी शामिल हैं।
हमास ने यूएन के प्रस्ताव को खारिज किया
हमास ने यूएन प्रस्ताव को “Gaza पर अंतरराष्ट्रीय guardianship” थोपने की कोशिश बताकर खारिज कर दिया है।
संगठन ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उसके लड़ाके हथियार त्यागने के लिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि ऐसे में वे क्षेत्रीय प्रतिशोध का सामना कर सकते हैं।
रूस-चीन ने चिंता जतायी, भारत ने समर्थन किया
रूस और चीन ने इस प्रस्ताव पर वीटो करके रोका नहीं लेकिन उन्होंने इस मसौदे पर चिंता जतायी है। उन्होेंने कहा कि मसौदे में फलस्तीनी अधिकारों के “स्पष्ट प्रतिनिधित्व” की कमी है।
दूसरी ओर, भारत, सऊदी अरब, क़तर, इंडोनेशिया और कई अरब देशों ने इस योजना को समर्थन दिया है।
शांति समझौता लागू पर गज़ा में हिंसा जारी — पहले महीने में 282 उल्लंघन
युद्धविराम लागू हुए लगभग एक महीना हो चुका है, लेकिन इस अवधि में शांति बेहद नाजुक दिखी है। गज़ा मीडिया ऑफिस के अनुसार, 10 अक्तूबर से 10 नवंबर के बीच इस्राइल ने शांति समझौते का 282 बार उल्लंघन किया है।
एक महीने में
- 88 बार नागरिकों पर गोलीबारी की
- 124 बार गज़ा पर बमबारी की गई।
- कम से कम 242 फ़लस्तीनियों की मौत।
- 622 लोगों के घायल होने की रिपोर्ट।
- 52 बार नागरिक संपत्तियों पर हमला किया।
- गाजा से 23 फ़लिस्तीनियों को हिरासत में लिया।
इन आंकड़ों ने ट्रंप की शांति योजना को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब अगला चरण क्या होगा?
गज़ा शांति योजना के Board of Peace और ISF को 2027 तक अधिकृत किया गया है।
यूएन की मंज़ूरी के बाद ट्रंप प्रशासन अगले कुछ सप्ताह मेें Board of Peace के सदस्यों की घोषणा करेगा।
साथ ही, ISF की तैनाती पर औपचारिक निर्णय होने की उम्मीद है।
विवाद की संभावना – विशेषज्ञों का कहना है कि PA को सत्ता हस्तांतरण और हमास के भविष्य पर कोई स्पष्ट समय-सीमा तय नहीं की गई है। जिससे नए विवाद शुरू हो सकते हैं।
गज़ा में बढ़ता विनाश – अब तक 69हजार लोगों की मौत
- गज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, लगातार जारी युद्ध के चलते वहां अब तक 69,000 से अधिक मौतें हो चुकी हैं।
- भारी बारिश और सर्दियों की वजह से अस्थायी शिविरों में बाढ़ और बीमारी का खतरा बढ़ गया है।
- लगभग 94% स्वास्थ्य सुविधाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, कई बच्चे व बड़े तुरंत इलाज न मिलने के कारण मर रहे हैं।
- मानवीय एजेंसियों ने कहा है कि बच्चों में कुपोषण (acute malnutrition) खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है।
- सहायता सामग्री की कमी और शिविरों की भीड़भाड़ ने स्थिति को बेहद गंभीर बना दिया है।
Edited by Mahak Arora (content writer)

