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जिस रूसी फर्म पर US ने बैन लगाया, भारत उसके साथ विमान क्यों बनाएगा?

By http://www.aai.aero/, Fair use, Link

भारत और रूस ने अमेरिकी दवाब के बीच में संंबंधों को जारी रखा है।

नई दिल्ली|
अमेरिकी प्रतिबंध झेल रही एक रूसी विमान निर्माता फर्म के साथ भारतीय पब्लिक सेक्टर की कंपनी HAL ने देश में नागरिक विमान बनाने से जुड़े एक एक समझौते पर साइन किया है।
रुस के साथ अपने व्यावसायिक संबंधों को जारी रखने के चलते इस समय भारत से अमेरिकी राष्ट्रपति नाराज चल रहे हैं और उन्होंने भारत के ऊपर अतिरिक्त 25% का टैरिफ भी भारत के ऊपर लगाया है, ऐसे में सवाल उठता है कि US प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने ऐसा ‘जोखिम भरा’ कदम क्यों उठाया?
भारत को घरेलू उड़ानों के लिए चाहिए 200 जेट
HAL का कहना है कि भारत में क्षेत्रीय स्तर पर हवाई कनेक्टिविटी वाली UDAN योजना के तहत अगले 10 साल में 200 क्षेत्रीय जेट चाहिए। साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए 350 विमानों की जरूरत का अनुमान है।

उड़ान योजना

HAL का कहना है कि भारत की हवाई उड़ानों के लक्ष्य को पूरा करने में हालिया समझौता मददगार हो सकता है। 
पूरी तरह भारत में बनेंगे विमान 
भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूसी फर्म के साथ जो साझेदारी की है, उससे SJ-100 क्षेत्रीय जेट विमानों को भारत में बनाया जाएगा।
द इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि संभव है कि ये विमान देश के पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ विमान कहलाएं। आपको बता दें कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को घरेलू बाजार के लिए विमान उत्पादन का अधिकार मिला है।

SJ100 विमानों को दो दशकों के भीतर बनाया जाएगा।

 

दो इंजन वाला विमान, 103 यात्रियों की क्षमता
भारत में रूसी फर्म के साथ जो विमान बनाए जाएंगे, उन्हें SJ-100 कहा जाता है। ये दो इंजन (twin engine), सकरे आकार (नैरो-बॉडी) वाले विमान होते हैं जिनमें 103 यात्रियों को 3,530 किमी तक ले जाने की क्षमता है।
ये ब्राजीली छोटी दूरी के विमान ‘एम्ब्रेयर E190’ और कनाडा के ‘एयरबस A220’ जैसे होते हैं।
अभी प्रोजेक्ट की टाइमलाइन स्पष्ट नहीं
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने यह समझौता रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के साथ किया है।
इसका MOU साइन हो गया है पर अभी कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। साथ ही, HAL ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वह कितने जेट कितनी अवधि में बनाएगा और प्रोजेक्ट की टाइमलाइन क्या होगी। 

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

इन देशों ने लगाया रूसी फर्म पर बैन
2022 से यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध के बाद से रूस के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं।
रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन के ऊपर भी अमेरिका के अलावा, यूरोपीय संघ (EU), ब्रिटेन (UK), कनाडा, स्विट्जरलैंड और जापान ने सैन्य-औद्योगिक कॉम्प्लेक्स के खिलाफ बैन लगाया।
अमेरिकी प्रतिबंध का खतरा 
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि प्रतिबंधित रूसी कंपनी के साथ व्यापार करने पर अमेरिका संबंधित देशों पर सेकेंडरी सैंक्शन लगा देता है।
इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि हालिया समझौते से भारत के ऊपर सेकेंडरी सैंक्शन लग सकते हैं या नहीं।
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रूस-यूक्रेन युद्ध (फाइल फोटो- इंटरनेट)

रूसी व्यापार पर अमेरिकी दवाब को समझिए 

अमेरिका ने रूस की ऊर्जा कंपनियों पर हाल में बैन लगाया है पर अभी तक रूसी तेल कंपनियों पर कोई बैन नहीं लगाया गया है। दरअसल पश्चिमी देश जानते हैं कि अगर रूसी कच्चे तेल के आयात पर बैन लगा दिया गया तो पूरी दुनिया में तेल की कीमतों में उछाल आ जाएगा और स्थिरता खत्म हो जाएगी।

पर अब अब ट्रंप सरकार, रूसी सरकार के खजाने पर और दबाव बनाना चाहती है और उसका कहना है कि भारत जैसे देशों को रूस के तेल नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि रूस इसके जरिए धन जुटाकर युद्ध में लगा रहा है।

कार्गो शिप (प्रतीकात्मक फोटो)

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत में बढ़ा रूसी तेल का आयात 

रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत आने वाले कच्चे तेल में रूसी तेल की हिस्सेदारी बेहद कम थी, भारत में मुख्य रूप से मध्य पूर्व से तेल आता था। पर 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने भारी छूट पर रूसी कच्चा तेल खरीदना शुरू किया।

इससे वह अब भारत में कच्चे तेल के आयात का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।

 

ट्रंप भारत पर लगा चुके हैं 25% की पैनाल्टी

राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दें, इसको लेकर वे कई बार बयान दे चुके हैं। भारत के ऊपर 25% की अमेरिकी पैनाल्टी भी उन्होंने लागू की है।

हाल में ट्रंप ने यहां तक दावा किया कि “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे कहा था कि भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देगा।”  भारतीय विदेश मंत्रालय ने ऐसी कोई बातचीत होने से इनकार किया है।

ऐसे में अब रूस के साथ भारत के हालिया विमान समझौते को लेकर आशंकाएं घिर गई हैं, हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत, रूस के साथ व्यापार के फैसले स्वतंत्र रूप से ले रहा है।

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