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भारत के काबुल में दूतावास खोलने के मायने क्या हैं?

अफगानिस्तानी विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश मंत्री (तस्वीर - @DrSJaishankar)

अफगानिस्तानी विदेश मंत्री के साथ भारतीय विदेश मंत्री (तस्वीर - @DrSJaishankar)

 

नई दिल्ली  |

अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का चार साल में पहला भारत दौरा हो रहा है। तालिबानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी को इस दौरे के लिए संयुक्त राष्ट्र ने यात्रा प्रतिबंध में छूट दी है। दौरे के दूसरे दिन भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ने घोषणा की है कि भारत फिर से काबुल में अपना दूतावास खोलेगा।

भारत में तालिबान के आधिकारिक दौरे का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि ठीक पहले रूस ने तालिबान सरकार से ऑफिशियल वार्ता करके अमेरिका को संकेत दिए। रूस दुनिया का एकमात्र देश है जिसने तालिबान सरकार को मान्यता दी है।

गौरतलब है कि अफगान के साथ भारत के रिश्तों में बीते मई में तब सुधार दिखे, जब पहलगाम हमले को लेकर तालिबान ने पाक की आलोचना की थी।

भले भारत चार साल बाद दूतावास खोलेगा पर वह 2022 से अफगानिस्तान को मेडिकल व मानवाधिकार मदद पहुंचाने के लिए एक छोटा मिशन चला रहा है।

काबुल में अब तक चीन, रूस, ईरान, तुर्किेये और पाकिस्तान के दूतावास संचालित हो रहे है। माना जा रहा है कि भारत ने दूतावास खोलने का फैसला अफगानिस्तान को पाक और चीन के प्रभाव से रोकने के लिए लिया है।

आगे देखना होगा कि तालिबान सरकार को भारत कब मान्यता देता है, भारत के लिए उस सरकार को मान्यता देना एक चुनौती होगी जहां महिलाओं को समान अधिकार न मिल रहे हों।

 

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