- अमित शाह ने पटना में एक कार्यक्रम के दौरान कहा- सीएम का चेहरा विधायक दल के नेता चुनेंगे।
पटना | हमारे संवाददाता
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले फेज का नामांकन आज समाप्त हो जाएगा। चुनाव प्रचार अब काफी तेज हो गया है। इसी दरम्यान गुरुवार (16 oct) को अमित शाह ने सीएम के चेहरे (CM face) को लेकर बड़ा बयान दिया है।
पटना में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एनडीए की जीत के बाद मुख्यमंत्री पद का फैसला विधायक दल करेगा। इस प्रतिक्रिया के बाद बिहार की सियासत में फिर बवाल मच गया है।
बिहार कांग्रेस ने सोशल मीडिया इंटरव्यू का क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा है कि “अमित शाह ने क्लियर कर दिया कि नीतीश कुमार बिहार के अगले मुख्यमंत्री नहीं होंगे।”
नीतीश कुमार को CM बनाने को लेकर हुआ था सवाल
दरअसल अमित शाह ने ‘आज तक’ के एक कार्यक्रम में सीएम को लेकर पूछे गए एक सवाल पर साफ किया कि इस समय गठबंधन नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहा है, और उन पर न सिर्फ बीजेपी बल्कि बिहार की जनता को भी भरोसा है।
सीएम फेस के सवाल पर शाह ने कहा,
“मैं किसी को मुख्यमंत्री बनाने वाला कौन होता हूं? इतनी सारी पार्टियों का गठबंधन है, चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक होगी और वही अपना नेता तय करेगा। फिलहाल हम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ रहे हैं और वही हमारे चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।”
कार्यक्रम के दौरान जब अमित शाह से पूछा गया कि अगर चुनाव में बीजेपी के विधायक अधिक आए तो क्या तब भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘हमारे पास अभी भी ज्यादा विधायक हैं, फिर भी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं। ‘
नीतीश पर भरोसे पर बोले …
नीतीश कुमार पर भरोसे से जुड़े सवाल पर गृह मंत्री ने कहा कि ‘नीतीश भारतीय राजनीति के एक अहम नेता हैं और उनका कांग्रेस के साथ जुड़ाव कभी लंबा नहीं रहा।’ उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार कभी कांग्रेस में शामिल नहीं हुए और जब भी कांग्रेस के साथ रहे, वह समय भी ढाई साल से ज्यादा नहीं था।’ शाह ने कहा कि किसी नेता को आंकने के लिए उसके पूरे राजनीतिक जीवन को देखना चाहिए।
आज तक मंच पर कई महीने पहले भी शाह ने नीतीश की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे।
शाह का बयान बन सकता है टर्निंग प्वाइंट
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय ऐसा बयान बीजेपी के लिए जोखिम भरा कदम हो सकता है। एनडीए का यह इलाका पारंपरिक रूप से मजबूत माना जाता है, लेकिन इस तरह के संकेत गठबंधन के भीतर भ्रम पैदा कर सकते हैं। खासकर जदयू के उन मतदाताओं में, जो नीतीश को मुख्यमंत्री चेहरा मानकर समर्थन दे रहे हैं।
बीजेपी की रणनीति शायद यह मानकर बनी है कि चुनाव के बाद जदयू के विधायक भी अंततः उसके साथ आ जाएंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मतदाता भी ऐसा ही करेंगे? बिहार में नीतीश केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक राजनीतिक विचारधारा का प्रतीक रहे हैं, जिसकी जड़ें कर्पूरी ठाकुर के दौर से जुड़ी हैं। ऐसे में उन्हें दरकिनार करने की कोशिश बीजेपी के लिए उलटा असर भी डाल सकती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह का यह बयान चुनाव में “टर्निंग पॉइंट” साबित हो सकता है। यह न सिर्फ गठबंधन में दरार का संकेत है, बल्कि विपक्ष को गोलबंदी का मौका भी दे सकता है — जैसा प्रभाव 2015 के चुनाव में भी देखा गया था।

