बोलते पन्ने

ऐसे ही चलती है दुनिया .. | रिपोर्टर की डायरी

बोलते पन्ने थंबनेल

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रिपोर्टर शालिनी की डायरी का छठा किस्सा हाजिर है, सुनिए और फीडबैक दीजिए। इस बार शालिनी फिर अपनी बचपन की उन गलियों में घूम आयी हैं, जहां कोई शादी-ब्याह किसी एक परिवार नहीं पूरे मोहल्ले की जिम्मेदारी होता था। उन गलियों में रहने वालों की दोस्ती भी कमाल की थी, जिसमें अलग-अलग जाति धर्म किसी भेदभाव नहीं बल्कि तरह-तरह के उत्सव मनाने का मौका देते थे।

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