बिहार के चंदन साहू एक दशक से साइकिल रिक्शा चला रहे थे, अपने रिक्शे में बैटरी व मोटर लगवा लेने के बाद उन्हेें ऐसा महसूस होने लगा है कि जैसे वे खुद के लिए ह्यूडई ले आए हैं। तकनीकी के जरिए मेहनतकश लोगों को मिल रही कुछ सहूलियत के बारे में इनका क्या कहना है, अपने रिक्शे में मोटर लगवाने के लिए किस तरह इनके रोज के कस्टमरों ने इन्हें सहयोग दिया …. सुनिए ई-रिक्शा चालक बन गए चंदन की कहानी, उन्हीं की जुबानी।
जब पैडल की जगह मोटर लगी तो क्या बोले रिक्शे वाले भइया..

चंदन साहू, रिक्शा चालक