बोलते पन्ने

हम अलग-अलग होकर भी एक | With Shalini Bajpai

बोलते पन्ने थंबनेल

बोलते पन्ने थंबनेल

पत्रकार शालिनी बाजपेयी इस संडे अपनी डायरी के उन पन्नों को पलट रही हैं जो हमें बचपन की उन गलियों में ले जाते हैं, जहां मिश्रित बसावट में कई धर्मों के लोग एकसाथ पीढ़ी-दर-पीढ़ी रह लेते थे। जहां एक-दूसरे को लेकर लोग भले भोजन का परहेज करते, मगर उन्होंने कभी किसी दूसरे की थाली जबरन बदलवाने की कोशिश नहीं की। वे अलग-अलग होने के बावजूद एक ही से थे या कहें कि अब भी एक ही से हैं। बता दें कि शालिनी जी ने प्रिंट मीडिया में लंबे वक्त तक काम किया और अभी वे बतौर एक टीवी पत्रकार काम कर रही हैं।

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