बोलते पन्ने

हां…हां…भाई सब अच्छे हैं | रिपोर्टर की डायरी

बोलते पन्ने थंबनेल

बोलते पन्ने थंबनेल

इस इतवार शालिनी बाजपेयी अपनी डायरी का चौथा किस्सा लेकर हाजिर हैं। ये किस्सा बतलाता है कि किस तरह एक समूह के रूप में किसी धर्म या जाति को लेकर लोग तमाम तरह के पूर्वाग्रहों से घिरे हुए हों, मगर जब वे उसी धर्म-जाति के किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जानते समझते हैं तो किस तरह वह व्यक्ति उनके लिए एक अच्छा इंसान बन जाता है। असल में तो सभी अच्छे ही इंसान हैं न, जरूरत बस इन पूर्वाग्रहों से बाहर निकलने की है। बता दें कि शालिनी जी ने प्रिंट मीडिया में लंबे वक्त तक काम किया और अभी वे बतौर एक टीवी पत्रकार काम कर रही हैं।

Exit mobile version