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उम्र का मौसम | कविता – सुजाता

सांकेतिक फोटो

सांकेतिक फोटो

नए साल के साथ उम्र का मौसम भी बदल गया है। ऐसे में पेश है ये कविता। उम्र के साथ नजर भले कमजोर हो जाए पर रिश्तों को पहचानने का नजरिया तब ही आता है। कुछ ऐसा ही समझती, सिखाती … ये कविता।

इस कविता को सुनकर कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरूर लिखें।

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