नए साल के साथ उम्र का मौसम भी बदल गया है। ऐसे में पेश है ये कविता। उम्र के साथ नजर भले कमजोर हो जाए पर रिश्तों को पहचानने का नजरिया तब ही आता है। कुछ ऐसा ही समझती, सिखाती … ये कविता।
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सांकेतिक फोटो