- 2019 से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव पद पर नियुक्त हैं 76 वर्षीय डी. राजा
- पार्टी के शताब्दी वर्ष में निरंतरता बनाए रखने के लिए उम्र में छूट मिलने का तर्क
- मंच पर चढ़कर पार्टी की केरल इकाई के नेता ने कड़ा विरोध जताया, युवा कैडर नाराज
नई दिल्ली |
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने वरिष्ठ नेता डी. राजा को पार्टी का दोबारा महासचिव चुन लिया जबकि वे 76 वर्ष के हो चुके हैं और नवंबर में 78 के हो जाएंगे। खास बात यह है कि यह फैसला CPI की 75 वर्ष की आयु-सीमा नियम के खिलाफ जाकर लिया गया। पार्टी ने उन्हें इस नियम से छूट दी है जिससे पार्टी के कुछ इकाइयों, विशेष रूप से केरल इकाई में बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यह फैसला चंड़ीगढ़ में 22 से 24 सितंबर तक आयोजित हुई पार्टी की 25वीं कांग्रेस में लिया गया।
गौरतलब है कि डी. राजा को 2019 में पहली बार पार्टी जनरल सेक्रेटरी बनाया गया था, फिर 2022 में विजयवाड़ा में हुई पार्टी कांग्रेस में उन्हें दूसरी बार चुना गया। अब पंजाब के चंड़ीगढ़ में हुई पार्टी कांग्रेस में उनका चुनाव तीसरी बार बतौर महासचिव हुआ है। डी. राजा लगातार दो बार बार के राज्यसभा सांसद हैं और पार्टी के पहले दलित महासचिव बनने पर 2019 में आम चर्चा में पहली बार आए थे।
“यह एकमत फैसला है। पार्टी की निरंतरता के लिए यह जरूरी था। 2025 शताब्दी वर्ष में हम युवा नेतृत्व को मजबूत करेंगे, लेकिन अनुभव का महत्व भी समझते हैं।” – डी. राजा, पार्टी जनरल सेक्रेटरी, (प्रेस कॉन्फ्रेंस, 25 सितंबर)
केरल-दिल्ली इकाई ने कड़ा विरोध जताया
इंडियन एक्सप्रेस ने शुक्रवार को इस मामले को प्राथमिकता से कवर करते हुए लिखा कि केरल इकाई के नेता राजाजी मैथ्यू थॉमस मंच पर चढ़ गए और फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा कि डी. राजा को महासचिव बनाए जाने का फैसला पार्टी के नियमों के खिलाफ है। सीपीआई की दिल्ली इकाई के डी. वरुण ने भी विरोध दर्ज कराया। हालांकि डी. राजा ने प्रेसवार्ता में कहा कि फैसले पर पार्टी एकमत है और यह फैसला पार्टी की निरंतरता के लिए जरूरी है। डी. राजा 2019 से पार्टी महासचिव हैं। बता दें कि साल 2025 को CPI अपने शताब्दी वर्ष के रूप में मना रहा है।
पार्टी का तर्क- शताब्दी वर्ष में मजबूती के लिए फैसला
सीपीआई के महासचिव के रूप में डी. राजा की पुर्नियुक्ति को लेकर पार्टी ने तर्क दिया है कि इससे पार्टी में निरंतरता बनी रहेगी। इस साल पार्टी अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रही है इसलिए भी राजा का अनुभव पार्टी के लिए जरूरी है। महासचिव के रूप में राजा ने 2024 लोकसभा चुनाव में 2 सीटें (केरल) जीतने में भूमिका निभाई।
CPI में पार्टी पदों पर बने रहने की अधिकतम सीमा 75 साल
CPI (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) ने 2022 में अपनी “पार्टी कमीशन” स्तर पर 75 वर्ष की अधिकतम आयु-सीमा को अधिसूचित किया था। CPI की पार्टी कमीशन (Vijayawada में हुई बैठक में) ने 18 अक्टूबर 2022 को यह निर्णय लिया कि पार्टी नेताओं को पार्टी पदों पर बने रहने के लिए अधिकतम उम्र 75 वर्ष होगी। उस निर्णय में यह कहा गया कि यह सीमा राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व पदों पर लागू होगी।
CPI(M) ने शुरू की थी 75 साल की सीमा, पर केरल सीएम को छूट दी
75 वर्ष की रिटायरमेंट सीमा की अवधारणा भारतीय राजनीति में औपचारिक रूप से 2014 में CPI(M) से शुरू हुई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के अंदर आंतरिक सुधारों और नेतृत्व के पुनर्जनन पर 2000 के दशक में बहस शुरू हुई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि CPI(M) ने 2015 में हुई कांग्रेस (बैठक) में 75 वर्ष की सीमा अपनायी। CPI(M) ने हाल ही में मधुरै कांग्रेस (2025) में 75 वर्ष सीमा लागू की, केवल केरल के 79 वर्षीय सीएम पिनरई विजयन को इसमें छूट दी थी। जबकि प्रकाश करात व वृंदा करात को इसके चलते पद छोड़ने पड़े थे।
BJP में बना था मार्गदर्शन मंडल, कांग्रेस ने भी कोशिश की थी
- BJP में 2014 में “मार्गदर्शक मंडल” बनाकर 75 साल पार कर चुके प्रमुख नेताओं (जैसे- आडवाणी) को सलाहकार भूमिका में रखा, जो अप्रत्यक्ष रिटायरमेंट था। हालांकि ये ‘नियम’ सबपर लागू नहीं हुआ। हाल में मोदी के 75वें जन्मदिन पर भी ये मुद्दा चर्चा में आया था।
- कांग्रेस ने 2023 की कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) में 70 वर्ष सीमा को लेकर विचार रखा था, हालांकि इस पर औरचारिक प्रस्ताव नहीं रखा गया और मीडिया रिपोर्ट से चर्चा में आया। ध्यान रहे कि सोनिया गांधी (78) पार्टी में सक्रिय भूमिका में हैं।

