पारिवारिक कलह: 10 साल में 5 पार्टियों की हार, लालू की RJD पर भी क्या खतरा?
Shivangi
उद्धव ठाकरे (फोटो क्रेडिट - इंटरनेट)
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप के नई पार्टी बना लेने के बाद अब बेटी रोहिणी आचार्य के बगावती तेवर
रोहिणी ने भाई तेजस्वी के करीबी के खिलाफ ट्वीट किया, फिर पिता और भाई को एक्स पर अनफॉलो किया
नई दिल्ली |
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार में फूट की खबरें सुर्खियों में हैं। लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को मई 2025 में पार्टी और परिवार से निष्कासित करने के बाद अब बेटी रोहिणी आचार्य ने भी ‘बगावती’ तेवर दिखाए हैं। हाल में रोहिणी ने फेसबुक पर तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव की आलोचना की, फिर परिवार के सदस्यों को एक्स पर अनफॉलो कर दिया, जिससे परिवार में दरार की अटकलें तेज हो गईं। आइए जानते हैं कि ये तकरार कितनी गंभीर है और इससे राजद को आगामी विधानसभा चुनाव में क्या चुनौती आ सकती है। गौरतलब है कि बीते दस वर्षों में पांच बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों को इसका चुनावी नुकसान उठाना पड़ा है।
बड़ी बेटी मीसा भारती चुप, पर रोहिणी-तेजप्रताप खुलकर बोल रहे
लालू यादव व राबड़ी देवी की सात बेटियों व दो बेटे के परिवार तनाव के संकेत हैं। हालिया विवाद पर बड़े बेटे तेजप्रताप व दूसरे नंबर की बेटी रोहिणी आचार्य ही खुलकर बोल रही हैं। राजनीति में लंबे समय से सक्रिय, लालू की बड़ी बेटी व पाटलिपुत्र सीट से सांसद मीसा भारती अभी तक चुप हैं। छोटी बहन रोहिणी ने बुधवार तो एक और पोस्ट करके बिना नाम लिए उन लोगों की आलोचना की है, जो उनके मुताबिक यह दोषारोपण कर रहे हैं कि उन्होंने अपने या किसी और के लिए कभी कोई ‘मांग’ रखी थी। साथ ही कहा है कि ऐसे लोगों को शह देने वाले लोगों की सोच गंदी है। जानकार कहते हैं कि ऐसा लिखकर रोहिणी पार्टी या परिवार के किसी व्यक्ति की ओर ही इशारा कर रही हैं।
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Timeline- लालू परिवार में बगावत की कहानी
तेज प्रताप से रोहिणी तक लालू परिवार की राजनीतिक महत्वाकांक्षा हमेशा से चर्चा में रही है, लेकिन 2025 में यह कलह चुनावी संकट बन गई। इसकी टाइमलाइन देखिए..
25 मई : लालू ने बेटे तेजप्रताप को पार्टी से निकाला
मई में लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप को “गैर-जिम्मेदार व्यवहार” के चलते 6 साल के लिए RJD और परिवार से निकाल दिया, जिसकी घोषणा उन्होंने एक्स पर ट्वीट करके दी थी। दरअसल 2018 में तेजप्रताप की शादी ऐश्वर्या ( बिहार के पूर्व मंत्री चंद्रिका राय की पोती) से हुई थी पर रिश्ता नहीं चला और तलाक का केस अब भी कोर्ट में चल रहा है।
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव।
इस बीच तेजप्रताप ने अनुष्का यादव के साथ अपनी एक फोटो ट्वीट करके दावा किया कि वे उनके साथ 12 साल से Live-In रिश्ते में हैं, बाद में इसे डिलीट कर दिया। इसी फोटो के चलते हुई किरकिरी के बाद लालू ने ऐक्शन लिया।
14 सितंबर : बेटे ने नई पार्टी बनाकर गठबंधन किया
इसके बाद तेज प्रताप ने जनशक्ति जनता दल (JJD) नामक नई पार्टी बनाई और 5 छोटे दलों से गठबंधन किया। बता दें कि JJD को मूल रूप से 2020 में रजिस्टर किया गया था, इस दल को चुनाव आयोग ने ‘ब्लैकबोर्ड’ का सिंबल दिया है। बता दें कि तेजप्रताप हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। इससे पहले वह बिहार के महा-गठबंधन में नीतीश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं।
21 सितंबर : पिता-भाई से नाराज रोहिणी ने किया अन-फॉलो
बीते 18 सितंबर को रोहिणी आचार्य ने अपने भाई नेता तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव पर निशाना साधते हुए एक सोशल मीडिया पोस्ट किया। यह पोस्ट बिहार में हुई तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ के दौरान की एक तस्वीर को लेकर था जो बाद में वायरल हो गई। इस तस्वीर में देखा जा सकता है कि रैली की रथनुमां बस में तेजस्वी यादव वाली सीट पर संजय सिंह बैठे हैं। तस्वीर को लेकर रोहिणी ने लिखा, “फ्रंट सीट लालू-तेजस्वी के लिए रिजर्व है, संजय यादव का कब्जा गलत है।” इसके बाद उन्होंने अपने सभी पोस्ट प्राइवेट कर लिए और 21 सितंबर को रोहिणी ने तेजस्वी और लालू को X (ट्विटर) पर अनफॉलो भी कर दिया, जो परिवारिक तनाव का संकेत माना जा रहा है। इनके छोटे भाई तेजप्रताप ने बहन के कदम का समर्थन किया है।
तेज प्रताप ने समर्थन किया, कहा “जो बहनों का अपमान करेगा, उसे सुंदरन चक्र का सामना करना पड़ेगा।” – तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया।
किडनी दान करने के बाद अपने पिता के साथ रोहिणी आचार्य (फोटो क्रेडिट – रोहिणी का फेसबुक पेज)
24 सितंबर : पिता को किडनी दान देने पर पोस्ट किया
रोहिणी आचार्य अपने परिवार के साथ सिंगापुर में रहती हैं और इनकी चर्चा मीडिया में अपने पिता लालू यादव को किडनी दान देने के चलते आई थी। इसके बाद उन्होंने सारण से लोकसभा चुनाव भी लड़ा पर हार गईं। रोहिणी ने बुधवार को एक और फेसबुक पोस्ट करके इसी पर लिखा है कि ”अगर कोई साबित कर दे कि उन्होंने पिता को किडनी दान नहीं की तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगी। साथ ही लिखा कि आरोप लगाने वाले यह भी साबित करें कि कभी भी उन्होंने अपने या किसी और के लिए कोई मांग की थी।”
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तेजस्वी यादव बोले- ‘चुनाव से पहले प्रोपेगैंडा कर रही NDA’
“सब NDA का प्रोपेगैंडा है। हम एक परिवार हैं, और यह सब चुनाव से पहले फैलाया जा रहा है ताकि RJD को कमजोर दिखाया जाए। हमारी एकता अटल है, और यह प्रोपेगैंडा हमें मजबूत ही बनाएगा।” – तेजस्वी यादव,प्रेस कॉन्फ्रेस (21 सितंबर 2025)
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RJD विवाद पर क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार –
:: महिला वोटरों में जा सकता है गलत संदेश
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राजद में लालू की बेटी बगावती तेवरों से पार्टी के महिला वोटरों के बीच छवि को नुकसान हो सकता है। बिहार में महिला वोटर 50% हैं, ऐसे में ये पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है। BJP-JDU गठबंधन इस मुद्दे को भुनाकर नैरेटिव बना सकती है कि पार्टी महिलाओं का सम्मान नहीं करती। पहले ही, सत्ताधारी दल ने विपक्ष पर महिलाओं का सम्मान न करने को लेकर प्रचार जारी रखा है, इसको लेकर बिहार बंद भी बुलाया गया था। बता दें कि मोदी ने गया में दिए वर्चुअल भाषण में कहा था कि ‘इंडिया गठबंधन के मंच से उनकी मां को गाली दी गई।’
:: संजय यादव के राजद में बढ़ते कद से नाराजगी RJD में रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव के बगावत के केंद्र में तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव रहे हैं। संजय ने 2020 विधानसभा चुनाव में RSS चीफ मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान पर तेजस्वी की रणनीति बनाई, जिससे RJD को फायदा हुआ।
तेजस्वी यादव के साथ उनके करीबी सहयोगी संजय यादव (फोटो क्रेडिट – @sanjuydv)
संजय का प्रभाव तेजस्वी की राजनीतिक शैली को आकार देता आया है। पिछले साल पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में सांसद बनाकर भेज दिया। जानकारों के मुताबिक, लालू परिवार के सदस्यों को लगता है कि संजय का बढ़ता प्रभाव पार्टी के अन्य सदस्यों में असुरक्षा की भावना भर सकता है और परिवारिक सदस्यों को यह भी लगता है कि यह “बाहरी” हस्तक्षेप है।
:: पहले भी चुनौतियां आईं पर लालू ने RJD को मजबूत रखा
ऐतिहासिक संदर्भ से यह भी पता लगता है कि RJD अतीत में भी कलह से उबरी है, नेतृत्व एकजुटता रहने पर इस चुनौती से भी पार पा सकती है। 1990 के दशक में लालू प्रसाद यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उनके भाई-भतीजावाद की आलोचना हुई, फिर भी उन्होंने पार्टी को बिहार की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित किया।
लालू यादव, credit – staticflickr
विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी रणनीति, जिसमें सामाजिक न्याय और यादव-मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करना शामिल था, ने उन्हें संकट से उबारा। 2020 में भी तनाव के बावजूद RJD ने 75 सीटें जीतीं, जो एकता की मिसाल थी। वर्तमान में लालू की नेतृत्व क्षमता और तेजस्वी यादव की युवा अपील पार्टी को फिर से खड़ा करने की संभावना रखती है।
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पारिवारिक कलह : दो दलों में भाई-बहन झगड़े, बहन को पार्टी से निकाल दिया
1- तेलंगाना में के. कविता को निकाला, BRS की हार हुई – भरत राष्ट्र समिति (BRS) पार्टी में बेटे और बेटी के बीच के झगड़े ने 2023 में इसे सत्ता से बाहर कर दिया और कांग्रेस ने सरकार बना ली। तेलंगाना के इस प्रमुख दल को के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने बनाया था। उनके बेटे के.टी. रामाराव (KTR) और बेटी के. कविता के बीच पार्टी में वर्चस्व का झगड़ा शुरु हो गया, हाल में के. कविता को पार्टी से बाहर कर दिया गया है।
KCR की बेटी के. कविता (फोटो क्रेडिट – इंटरनेट)
2023 में झगड़े के चलते चुनाव में पार्टी 88 से घटकर 39 सीटों पर सिमट गई, कांग्रेस ने 64 जीतीं। कलह ने पार्टी की एकता तोड़ी और वोट बैंक (OBC) बंट गया।
2- आंध्र प्रदेश में शर्मिला को निकाला, YSRCP दोनों चुनाव हारी : वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाइएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के बहन वाईएस शर्मिला से झगड़े ने चुनावी नुकसान पहुंचा। AP के इस प्रमुख दल ने 2024 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार झेली।
वाईएस शर्मिला (फोटो क्रे़डिट – @realyssharmila)
जगन ने शर्मिला को पार्टी से निकाल दिया, जिसके बाद शर्मिला कांग्रेस में शामिल हो गईं। YSRCP की सीटें 151 से घटकर 11 रह गईं।
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तीन दलों में चाचा-भतीजे की नहीं बनी, चुनाव में वोट कटे
1- यूपी में सपा से शिवपाल अलग हुए, पार्टी चुनाव हारी-उत्तर प्रदेश (2016-2017) के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के बीच कलह ने पार्टी को दो धड़ों में बांट दिया। मुलायम के भाई शिवपाल सिंह यादव ने विद्रोह किया, जिससे 2017 विधानसभा चुनाव में SP की सीटें 224 से घटकर 47 रह गईं। BJP ने 312 सीटें जीतीं। कलह ने यादव वोट बैंक को बांटा, और SP को 25 वर्षों बाद विपक्ष में धकेल दिया।
2- महाराष्ट्र में अजीत पवार अलग हुए, NCP टूटी – राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच कलह ने NCP को दो भागों (NCP-SP और NCP-Ajit) में बांट दिया। 2023 विधानसभा में NCP-SP को 10 सीटें मिलीं, जबकि अजित गुट ने BJP के साथ गठबंधन कर 41 जीतीं। कुल मिलाकर, कलह ने NCP को 54 से घटाकर 10-41 सीटों पर सीमित कर दिया।
3- महाराष्ट्र में उद्धव झगड़े, फिर शिवसेना टूटी, सत्ता गई – बाल ठाकरे के पोते राज ठाकरे और भतीजे उद्धव ठाकरे के बीच 2005 से कलह चल रही थी, जिसका नुकसान मूल पार्टी को अगले नौ साल तक झेलना पड़ा। राज ठाकरे ने 2006 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) नाम से पार्टी बना ली, उद्धव ठाकरे के पास मूल पार्टी शिवसेना रही।2019 के लोकसभा चुनाव में MNS ने शिवसेना को नुकसान पहुंचाया।
उद्धव ठाकरे (फोटो क्रेडिट – इंटरनेट)
पारिवारिक बेस कमजोर होने के बाद 2022 में पार्टी के सदस्य एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में विद्रोह करके इसे दो भागों में बांट दिया और पार्टी का मूल नाम व चुनाव चिन्ह भी ले लिया। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने अपने दल का नाम ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ Shiv Sena (UBT) कर दिया। इस दल को ने पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में चुनाव लड़ा और उसकी सीटें 145 से घटकर 20 रह गईं।