- अफ्रीकी देश मेडागास्कर में हिंसक प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति ने सरकार भंग की
नई दिल्ली |
मडागास्कर में बिजली और पानी की कटौती के खिलाफ युवाओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके बाद 29 सितंबर को सरकार गिर गई। Gen-Z युवाओं ने नेपाल के आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए तेज प्रदर्शन किए।
मडागास्कर में बिजली और पानी की कटौती के खिलाफ युवाओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके बाद 29 सितंबर को सरकार गिर गई। Gen-Z युवाओं ने नेपाल के आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए तेज प्रदर्शन किए।
अपने तीन दिन के प्रदर्शनों में नारे लगाए – “पानी और बिजली मानवाधिकार हैं”।
बता दें कि मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका में दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीप देश है।
UN के मुताबिक, इस प्रदर्शन में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई और 100 से अधिक घायल हुए। राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना ने सरकार भंग करने की घोषणा की।
हालांकि सरकार ने UN के आंकड़ों को “अफवाहों पर आधारित” बताया।
UN मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सुरक्षा बलों की “हिंसक प्रतिक्रिया” की निंदा की और अफ्रीकी संघ ने शांति की अपील की है।
यह “जेन जेड” आंदोलन हाल में नेपाल के युवा विद्रोहों (Gen Z Protest) से प्रेरित माना जा रहा है। यहां तीन दिन चले प्रदर्शन को कुचलने के लिए पुलिस ने फायरिंग की पर आखिर में राष्ट्रपति को झुकना पड़ा।
तीन दिनों की हिंसा के बाद सरकार गिरी
- शुरुआत: 25 सितंबर 2025 को राजधानी अंटानानारिवो के विश्वविद्यालय से शुरू हुए प्रदर्शन बिजली कटौती (प्रति दिन 12 घंटे) और पानी की कमी पर केंद्रित थे।
- हिंसा: 29 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने शहर केंद्र की ओर मार्च किया, पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। लूटपाट और गिरोहों की हिंसा से मौतें बढ़ीं। UN मानवाधिकार कार्यालय ने कहा, “प्रदर्शनकारियों और राहगीरों को सुरक्षा बलों ने मारा, लेकिन कुछ मौतें लूटपाट से भी हुईं।”
- सरकार भंग: राजोएलिना ने टीवी संबोधन में कहा, “हम सरकार के सदस्यों की जिम्मेदारी न निभाने के लिए माफी मांगते हैं। युवाओं से संवाद के लिए जगह बनाएंगे।” उन्होंने लूट प्रभावित व्यवसायों को सहायता का वादा किया।
बुनियादी सुविधाएं मांग रहे थे युवा प्रदर्शनकारी
स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें बिजली और पानी की नियमित आपूर्ति, युवा बेरोजगारी को कम करना और महंगाई पर नियंत्रण थीं।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय गान गाया और प्लेकार्ड लहराए, जैसे “पानी और बिजली मानवाधिकार हैं”। इस आंदोलन का असर ऐसा हुआ कि हजारों छात्र-छात्राएं सड़कों पर उतरीं।
इस दौरान सुपरमार्केट और बैंकों में लूटें हुईं। सरकार ने कर्फ्यू लगाया।
सरकार ने वादे पूरा न करने पर माफी मांगी
राष्ट्रपति राजोएलिना ने 29 सितंबर को टीवी पर आकर भाषण में कहा , “मैं गुस्से, दुख और कठिनाइयों को समझता हूं। बिजली-पानी की समस्या का असर दैनिक जीवन पर पड़ा है।” उन्होंने कहा कि युवाओं से “संवाद” किया जाएगा।
लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे “देर” कहा।

