दुनिया गोल
बिजली-पानी की कमी से परेशान Gen-Z ने अब इस देश में सरकार गिराई

- अफ्रीकी देश मेडागास्कर में हिंसक प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति ने सरकार भंग की
मडागास्कर में बिजली और पानी की कटौती के खिलाफ युवाओं का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसके बाद 29 सितंबर को सरकार गिर गई। Gen-Z युवाओं ने नेपाल के आंदोलन से प्रेरणा लेते हुए तेज प्रदर्शन किए।
हालांकि सरकार ने UN के आंकड़ों को “अफवाहों पर आधारित” बताया।
तीन दिनों की हिंसा के बाद सरकार गिरी
- शुरुआत: 25 सितंबर 2025 को राजधानी अंटानानारिवो के विश्वविद्यालय से शुरू हुए प्रदर्शन बिजली कटौती (प्रति दिन 12 घंटे) और पानी की कमी पर केंद्रित थे।
- हिंसा: 29 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने शहर केंद्र की ओर मार्च किया, पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया। लूटपाट और गिरोहों की हिंसा से मौतें बढ़ीं। UN मानवाधिकार कार्यालय ने कहा, “प्रदर्शनकारियों और राहगीरों को सुरक्षा बलों ने मारा, लेकिन कुछ मौतें लूटपाट से भी हुईं।”
- सरकार भंग: राजोएलिना ने टीवी संबोधन में कहा, “हम सरकार के सदस्यों की जिम्मेदारी न निभाने के लिए माफी मांगते हैं। युवाओं से संवाद के लिए जगह बनाएंगे।” उन्होंने लूट प्रभावित व्यवसायों को सहायता का वादा किया।
बुनियादी सुविधाएं मांग रहे थे युवा प्रदर्शनकारी
लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसे “देर” कहा।
दुनिया गोल
हमास सभी इजरायली बंधक छोड़ने पर राज़ी, ट्रंप ने कहा- अब गज़ा बमबारी बंद हो

- डोनाल्ड ट्रंप से गज़ा शांति प्रस्ताव पर आंशिक रूप से राजी हुआ हमास, शुक्रवार देर रात जारी किया बयान।
- फलस्तीनी कैदियों के बदले इजरायली बंधकों को छोड़ने पर राजी हुआ, पर हथियार छोड़ने की शर्त नहीं मानी।
- शांति प्रस्ताव की बाकी शर्तों पर बात करना चाहता है हमास, आज ट्रंप इस पर बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात करेंगे।
नई दिल्ली |
ट्रंप ने गज़ा शांति योजना पर हमास को रविवार शाम तक का समय दिया था और अंतराष्ट्रीय मीडिया के मुताबिक शुक्रवार रात को हमास इस पर आंशिक रूप से राजी हो गया है।
इसकी प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर पोस्ट करके इजरायल से गजा में तुरंत बमबारी रोकने को कहा है। ट्रंप ने हमास के बयान को शेयर किया और दावा किया कि वह गज़ा शांति के लिए तैयार है।
साथ ही हमास ने अपने बयान में कहा है कि “वह गज़ा पट्टी के प्रशासन को एक स्वतंत्र फलस्तीनी निकाय को सौंपने के लिए तैयार है, जो फलस्तीनी राष्ट्रीय सहमति पर आधारित होगा और अरब व इस्लामिक समर्थन से मजबूत होगा।”
इसके आठ घंटों के बाद शनिवार सुबह इजरायली मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि पीएन बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप शांति योजना के पहले चरण की तैयारी शुरू कर दी है।
4 अक्तूबर तक गज़ा में इजरायली हमलों के चलते आधिकारिक रूप से कुल 66,300 लोगों की मौत हो चुकी है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।
हमास के इस कदम को मध्य-पूर्व में शांति की एक नई किरण के तौर पर देखा जा रहा है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की लीडरशिप में गज़ा शांति के लिए हुई इस प्रगति का स्वागत ट्वीट करके किया है। दूसरी ओर, कतर व अन्य देशों ने भी इस कदम का स्वागत किया है।

पीएम मोदी का ट्वीट (screen grab – @narendramodi)
हथियार छोड़ने को राजी नहीं, बाकी शर्तों पर मोलभाव करेगा हमास
कतर से संचालित मीडिया ‘अलज़जीरा’ के मुताबिक, हमास ने सभी इजरायली बंधकों की रिहाई पर सहमति जताई है।
ब्रिटिश मीडिया ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, हमास ने 20 बंधकों की रिहाई पर सहमति जतायी है जिसमें मृत बंधकों के शव वापस किए जाएंगे। पर शांति प्रस्ताव की उस शर्त पर हमास राजी नहीं हुआ जिसमें गजा से हटने और हथियार छोड़ने को कहा गया है।

हमास का आधिकारिक झंडा (फोटो इंटरनेट)
साथ ही हमास ने शर्त रखी है कि बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल से बमबारी बंद की जाए और फलस्तीनी कैदियों की रिहाई की गारंटी मिले।
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लाइव अपडेट
- हमास ने 3 अक्टूबर 2025 को घोषणा की कि वह सभी जीवित और मृत इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए तैयार है, जैसा कि ट्रंप के 20-सूत्री शांति प्रस्ताव में कहा गया ।
- ट्रंप ने ट्वीट कर कहा, “इजरायल को गजा बमबारी तुरंत रोकनी चाहिए ताकि बंधकों की सुरक्षित रिहाई हो सके। हम शांति के करीब हैं।”
- इजरायली PM नेतन्याहू ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन सैन्य कार्रवाई जारी है, जिससे तनाव बना हुआ है।
- गजा से रिपोर्ट्स में कहा गया कि शुक्रवार को नागरिक इलाकों में बमबारी से 10 लोग मारे गए, UN ने मानवाधिकार उल्लंघन की चेतावनी दी।
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Time line – कैसे राजी हुआ हमास
- 2 अक्तूबर : ट्रंप और नेतन्याहू ने अमेरिका में संयुक्त रूप से 20-सूत्री शांति प्रस्ताव पेश किया। जिसके तहर 72 घंटे में हमास को 20 बंधकों की रिहाई करनी है और जिसके बदले इजरायल फलस्तीनी कैदियों की अदला-बदली करेगा।
- 3 अक्तूबर: द गार्जियन के मुताबिक, हमास ने प्रस्ताव पर सकारात्मक जवाब दिया, लेकिन हथियार डालने और गजा शासन से हटने से इनकार किया।
- 4 अक्तूबर: अलज़जीरा के मुताबिक, ट्रंप ने इजरायल पर दबाव बढ़ाया, लेकिन नेतन्याहू ने फलस्तीनी राज्य के खिलाफ रुख दोहराया, जिससे अनिश्चितता बनी रही ।
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आगे क्या : ट्रंप आज नेतन्याहू से बात करेंगे
शनिवार की शाम 3 बजे तक बजे ट्रंप और नेतन्याहू के बीच बातचीत की उम्मीद है, जिसका नतीजा यह तय करेगा कि शांति वार्ता पर वह आगे बढ़ेगा या नहीं।
बता दें कि पिछले नवंबर में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने गज़ा में युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री योव गल्लांट के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे।
इजरायल को अपने इस क्षेत्र पर युद्ध के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में नरसंहार के मामले का भी सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, मानवाधिकार उच्चायुक्त ने गजा में नागरिक हताहतों पर चिंता जताई और तत्काल युद्धविराम की मांग की है। यूरोपीय संघ ने ट्रंप के प्रयासों का स्वागत किया, लेकिन इजरायल से संयम बरतने को कहा।
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क्या ट्रंप का शांति प्रस्ताव वाकई गज़ा में शांति लाएगा – इस मामले को विस्तार से समझने के लिए इस लिंक के जरिए पूरा विश्लेषण पढ़ें।
दुनिया गोल
पाक : भारत से गए ‘शरणार्थियों’ के आरक्षण के खिलाफ POK में हिंसक प्रदर्शन

- 1947 में भारत से पाकिस्तान गए शरणार्थियों की विधानसभा में 12 सीटों को कम करने की मांग
- तीन दिन पहले शुरू हुआ आंदोलन हिंसक हुआ, तीन पुलिसकर्मियों की मौत, 150 घायल
पाकिस्तानी मीडिया हाउस ‘द डॉन’ के मुताबिक, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने 1 अक्टूबर को टेलीविजन संबोधन में प्रदर्शनों पर चिंता जताई और शांति बहाल करने का आह्वान किया
तीन दिनों के चल रहा था आंदोलन
POK में रह रहे शरणार्थियों ने अपनी मांगों को लेकर तीन दिन पहले 29 सितंबर को आंदोलन शुरू किया था।
आंदोलन चला रहे ‘जम्मू कश्मीर पब्लिक एक्शन कमेटी’ (पीएसी) ने सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं।
जिसमें शरणार्थियों के लिए 12 विधानसभा सीटों का प्रावधान करने की मांग प्रमुख है। साथ ही, प्रशासनिक अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के विशेषाधिकार समाप्त करने की मांग रखी गई है।
इसके अलावा न्यायिक प्रणाली में सुधार की भी मांग है।
प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि उन्हें फ्री मेडिकल सुविधा मिले, कोटा सिस्टम खत्म किया जाए व निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान हो।
दुनिया गोल
अमेरिका : सरकार ने Shut-down की उल्टी गिनती क्यों शुरू की?

- सालाना बजट पास न हो पाने के बाद सभी गैर-जरूरी सेवाएं व दफ्तर आज बंद हो जाएंगे।
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे डेमोक्रेट शटडाउन कहा है, व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर एक घड़ी लगाई।
नई दिल्ली |
अमेरिका सरकार भारतीय समयानुसार आज शाम साढ़े आठ बजे बंद हो जाएगी, यह शटडाउन प्रक्रिया के तहत होने जा रहा है।
अमेरिका के व्हाइट हाउस की आधिकारिक वेबसाइट पर शटडाउन को लेकर एक ‘काउंटडाउन क्लॉक’ (घटता हुआ समय दिखाती घड़ी) लगाया गया।
दरअसल अमेरिका में अगर सालाना बजट जारी न हो पाए तो सभी ग़ैर-जरूरी सेवाएं और दफ़्तर बंद हो जाते हैं, इसे शटडाउन कहा जाता है। जिसे सरकार की ओर से लागू किए जाने की उल्टी गिनती या काउंटडाउन (count down) कहते हैं।
गौर करने वाली यह भी है कि इस बात का ठीकरा विपक्षी दल डेमोक्रेट पर फोड़ते हुए आधिकारिक वेबसाइट पर इस शटडाउन को “डेमोक्रेट शटडाउन” लिखा गया है। साथ ही यह भी लिखा गया कि “लोग डेमोक्रेट्स से सहमत नहीं हैं।”
व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय ने भी ज्ञापन जारी करके पुष्टि की है कि सरकार मंगलवार मध्यरात्रि से बंद हो जाएगी। भारतीय समय के मुताबिक, ऐसा शाम साढ़े आठ बजे के आसपास होगा।
सरकार मंगलवार रात बंद होगी : व्हाइट हाउस
व्हाइट हाउस के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय ने भी ज्ञापन जारी कर पुष्टि की है कि सरकार मंगलवार मध्यरात्रि से बंद हो जाएगी। इस ज्ञापन पर निदेशक रसेल वॉट के हस्ताक्षर हैं।
सरकार को फंड उपलब्ध कराने के लिए डेमोक्रेट्स का प्रस्ताव अमेरिकी सीनेट में खारिज हो गया। मतदान में यह बिल 47 के मुकाबले 53 से पास नहीं हो सका।
यह प्रस्ताव सरकार को शटडाउन से बचाने की कोशिश थी। लेकिन 100 सदस्यीय सदन में इसे आवश्यक 60 मतों का समर्थन नहीं मिला। इसके बाद रिपब्लिकन का फंडिंग बिल भी 55-45 से खारिज हो गया।
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