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चुनावी डायरी

बिहार चुनाव में ‘परिवार बनाम कार्यकर्ता’ : परिवारवाद की सियासत में सभी दल हुए नंगे

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  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नेताओं की नई फौज… पुराने घरों से! टिकट वितरण में परिवार को तरजीह

पटना | हमारे संवाददाता

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार कार्यकर्ताओं की मेहनत नहीं, नेताओं का परिवार-वाद ज्यादा भारी पड़ रहा है। विधानसभा चुनाव में लगभग सभी बड़े दलों ने टिकट बंटवारे में कार्यकर्ताओं की बजाय अपने ही परिवारों पर भरोसा जताया है। राजनीति अब ‘जनसेवा’ से ज्यादा ‘पारिवारिक विरासत’ का अखाड़ा बनती दिख रही है।

 

RJD में बड़े नेताओं के बेटों को टिकट
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने विधायक का टिकट काटकर बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, मधेपुरा के समाजवादी नेता शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला का भी चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा है।

RJD के प्रदेश अध्यक्ष रहे जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह भी चुनाव मैदान में डटे हैं। जनता दल यूनाइटेड ने कोसी के दबंग आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद को (नबीनगर) और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र सुमित सिंह को (चकाई से) उम्मीदवार बनाया है।

JDU ने दिल्ली सरकार में मंत्री पंकज सिंह के भाई राहुल सिंह को डुमरांव से टिकट दिया है। JDU ने जो दूसरी सूची जारी की है उसमें चेतन आनंद और सुमित सिंह का भी नाम दर्ज है। दोनों को विरासत में राजनीति मिली है।

 

जनसुराज ने भी बड़े राजघरानों को साधा

जन सुराज पहली बार बिहार की सियासी राजनीति में उतरी है। इसने कभी नीतीश कुमार के खास रहे आरसीपी सिंह की बेटी लता सिंह को नालंदा के अस्थावां विधानसभा से मैदान में उतारा है।

इसके अलावा जननायक कर्पूरी ठाकुर की पौत्री को भी पार्टी ने टिकट दिया है।

सहरसा के किशोर कुमार मुन्ना और छातापुर के बीजेपी विधायक नीरज बबलू कभी आनंद मोहन के साथ थे, अब किशोर कुमार मुन्ना ने पाला बदलकर जन सुराज का दामन थाम लिया है।

उम्मीदवारों की सूची में किशोर कुमार मुन्ना का भी नाम है। जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह और पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने चुनाव नहीं उतरने का फैसला किया है।

 

RML के उपेंद्र ने अपनी पत्नी को उतारा

NDA के सहयोगी दल रालोमो (RML) चीफ उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता कुशवाहा को सासाराम सीट से टिकट दिया है।

अपनी पत्नी को चुनावी सिंबल देते उपेंद्र कुशवाहा

अपनी पत्नी को चुनावी सिंबल देते उपेंद्र कुशवाहा

इतना ही नहीं, वे अपने बेटे दीपक कुशवाहा को महुआ सीट से चुनाव लड़वाना चाहते थे पर वो सीट लोजपा (रामविलास) को BJP ने दे दी।

माना जा रहा है कि अब अमित शाह ने उन्हें विधान परिषद की एक सीट के जरिए बेटे को लॉन्च करने का आश्वासन दे दिया है।

 

HAM ने 6 मेें से 4 टिकट परिवार में बांटें

हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) के संस्थापक जीतनराम मांझी को कार्यकर्ताओं से ज्यादा अपने परिवार पर भरोसा है। सीट शेयरिंग में मांझी को छह सीटें मिली थीं।

मांझी ने अपनी बहू और समधन सहित परिवार के चार सदस्यों को टिकट दिया है।

उनके कार्यकर्ताओं को दो टिकट पर ही संतोष करना पड़ा।

राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी पत्नी को टिकट दिया है।

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने भी अपने भांजे सीमांत मृणाल को गड़खा से टिकट दिया है।

 

कांग्रेस ने नेताओं के बेटों पर आस्था जतायी

कांग्रेस ने भी अपने बड़े नेताओं के बेटों के प्रति आस्था जताई है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के पुत्र आकाश सिंह, कांग्रेस के विधान पार्षद मदन मोहन के पुत्र माधव साह, पूर्व मंत्री अवधेश सिंह के पुत्र शशि शेखर और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के पुत्र अंशुल कुमार को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है।

 

लोजपा(रामविलास) ने नेता के बच्चों को टिकट दिया

चिराग पासवान ने अपने भांजे (भगीना) सीमांत मृणाल को गरखा (अनुसूचित जाति) से उम्मीदवार बनाया है।

अपने भांजे सिंबल देते चिराग पासवान

अपने भांजे सिंबल देते चिराग पासवान

इसके अलावा गायघाट से मौजूदा सांसद वीणा कुमारी की बेटी कोमल और मीनापुर के पूर्व विधायक दिनेश कुमार के पुत्र को भी चिराग ने टिकट दिया है।

सकरा से अशोक चौधरी के बेटे आदित्य कुमार, सिकटा से पूर्व विधायक दिलीप वर्मा के बेटे समृद्ध वर्मा और इस्लामपुर से दिवंगत राजीव रंजन के पुत्र सहेल रंजन को प्रत्याशी बनाया गया है।

 

BJP के प्रत्याशी भी राजनीतिक परिवारों से 

BJP ने ऐसे प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है जिनका पारिवारिक रिश्ता राजनीति से जुड़ा है। पूर्व सांसद और मंत्री रहे सीताराम सिंह के पुत्र रणधीर सिंह, दीघा से बीजेपी प्रत्याशी संजीव चौरसिया, नितिन नवीन, अरुण सिंह, नीतीश मिश्रा, राघवेंद्र प्रसाद सिंह का रिश्ता राजनीतिक परिवारों से रहा है। इन लोगों के पिता राजनीति के किसी न किसी बड़े पदों पर रहे हैं।

स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में इस बार पारिवारिक रिश्तों की ताकत कार्यकर्ताओं की मेहनत पर भारी पड़ रही है। सियासी मैदान में ‘वंश बेल’ और भी गहरी जड़ें जमा रही है।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज

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लखीसराय में अपने घर पर वोट डालतीं वरिष्ठ नागरिक मतदाता
लखीसराय में अपने घर पर वोट डालतीं वरिष्ठ नागरिक मतदाता
  • होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।

लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य

बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।

इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।

लखीसराय में अपने घर पर वोट डालते वरिष्ठ नागरिक मतदाता

लखीसराय में अपने घर पर वोट डालते वरिष्ठ नागरिक मतदाता

लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।

लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

 

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चुनावी मंच से अनाउंसर ने चिराग का नाम लिया, पीएम मोदी ने इशारा करके नीतीश कुमार को भिजवाया

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अनाउंसर की ओर नीतीश कुमार को भाषण के लिए बुलाने का इशारा करते पीएम मोदी।
अनाउंसर की ओर नीतीश कुमार को भाषण के लिए बुलाने का इशारा करते पीएम मोदी।
  • बिहार में चुनाव की घोषणा के बाद पीएम मोदी का पहला प्रचार दौरा।
  • समस्तीपुर में रैली के दौरान नीतीश कुमार को भाषण देने के लिए आगे किया।
  • चिराग पासवान के नाम का अनाउंसमेंट सबसे पहले हुआ पर फिर नहीं बुलाया।

 

समस्तीपुर | हमारे संवाददाता

पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार (24 oct) को समस्तीपुर में NDA उम्मीदवार के प्रचार के लिए पहुंचे, इस दौरान पीएम मोदी ने एक बड़े राजनीतिक विवाद को होने से बचा लिया। दरअसल दूधपुरा हवाई अड़्डा मैदान में हुई चुनावी जनसभा के दौरान अनाउंसर ने पीएम के भाषण से पहले सीएम नीतीश कुमार की जगह चिराग पासवान को भाषण देने के लिए तरजीह दी।

भाषण देने के लिए चिराग पासवान के नाम की घोषणा के तुरंत मंच पर बैठे पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने बायीं ओर मौजूद सीएम नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए अनाउंसर को संकेत दिया कि उन्हें मंच पर बुलाया जाए।

इसके बाद अनाउंसर ने समझदारी दिखाते हुए न सिर्फ सीएम नीतीश कुमार को मंच पर बुलाया, उससे पहले ‘विकास पुरुष’ कहते हुए उनके जिंदाबाद के नारे भी लगवाए। नीतीश कुमार ने मंच पर आकर दस मिनट का लिखा हुआ भाषण पढ़ा। और इसके बाद पीएम मोदी का 45 मिनट का भाषण हुआ।

 

चिराग को दोबारा भाषण के लिए नहीं बुलाया

हैरानी की बात यह रही कि चिराग पासवान को दोबारा भाषण के लिए नहीं बुलाया गया, जिसके अब राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। इस मामले का वीडियो वायरल हो रहा है, जबकि बीजेपी के फेसबुक लाइव से इस हिस्से को काट दिया गया है। बीजेपी का लाइव वहां से शुरू होता है जब सीएम नीतीश को भाषण देने के लिए अनाउंसर आमंत्रित कर रहे हैं।

 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी के मंच से नीतीश कुमार की जगह चिराग पासवान को अगर आगे कर दिया गया होता, जैसा कि अनाउंस हो चुका था, तो ये स्थिति आगे जदयू और बीजेपी के बीच एक और क्लैश की वजह बन सकती थी, जिसे समय रहते पीएम मोदी ने बचा लिया। ये चुनावी जनसभा दूधपूरा ​​​​​​में NDA के प्रत्याशियों के समर्थन में की गई थी।

एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते चिराग पासवान।

चिराग पासवान। (फाइल फोटो)

चिराग को लेकर JDU की BJP से चल रही थी नाराजगी 

NDA  के दलों के बीच हुए सीट बंटवारे के बाद जदयू, बीजेपी से नाराज हो गयी थी क्योंकि उसकी नौ सीटों को चिराग पासवान की लोजरा(रामविलास) को दे दिया गया था। तब राजनीतिक हलकों में खबरें थीं कि JDU की पारंपरिक सीटों पर लोजपा को आगे करके भाजपा उसे कमजोर करना चाहती है ताकि चुनाव के बाद JDU और नीतीश कुमार को साइडलाइन किया जा सके।

नीतीश कुमार

 CM चेहरे को लेकर अमित शाह के बयान ने नाराजगी बढ़ाई 

इसके सप्ताह भर बाद ही अमित शाह का एक बयान सामने आया, जिसने जदयू की नाराजगी और बढ़ा दी। टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा था कि जीते हुए विधायक अपना सीएम चुन लेंगे। ये कहकर उन्होंने नीतीश कुमार को सीएम बनाने का बात टाल दी थी। इसके बाद चिराग पासवान ने अमित शाह के बयान का समर्थन किया था। फिर उनका एक और बयान सामने आया कि ‘वे भी बिहार का मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं पर वे यह सब-कुछ तुरंत नहीं चाहते।’

जनसभा के दौरान पीएम मोदी।

जनसभा के दौरान पीएम मोदी।

पीएम ने नीतीश की तारीफ की, जनता को ‘जंगल राज’ याद दिलाया 

PM मोदी ने अपने भाषण में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार के दौरान हुए विकास को गिनाया। उन्होंने लोगों को अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने को कहा। फिर बोले- इस लाइट के सामने क्या किसी को लालटेन  की जरूरत है?  बता देें कि लालटेन RJD का चुनाव चिन्ह है।

मंच से NDA की एकजुटता का संदेश दिया गया।

मंच से NDA की एकजुटता का संदेश दिया गया।

फिर वे बोले कि ‘कांग्रेस के शासन में मोबाइल बहुत महंगा था। विदेश से मंगवाना पड़ता था। उस वक्त मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ 2 फैक्ट्री थी, अब 200 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। NDA सरकार में डेटा भी सस्ता है। इस वजह से नौजवानों को कंटेंट क्रिएशन का नया मार्केट मिला है। आज बिहार में ये मोबाइल, ये प्रकाश हर कोई देख रहा है।’ अपने भाषण में उन्होंने 17 बार जंगलराज का जिक्र किया।

 

कर्पूरी ठाकुर के पैतृक गांव भी गए

पीएम मोदी समस्तीपुर जिला में भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर के पैतृक आवास कर्पूरीग्राम में माल्यार्पण करने पहुंचे, इसके बाद जनसभा को संबोधित किया। नीतीश कुमार और पीएम मोदी दोनों ने ही अपने-अपने भाषणों में कर्पूरी ठाकुर का जिक्र किया। नीतीश कुमार ने पूरे समय लिखा हुआ भाषण पढ़ा। मोदी बोले कि कर्पूरी ठाकुर को NDA ने सम्मान दिया।

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बिहार में कांग्रेसी अपने ही नेता के खिलाफ ‘वोट चोर’ का नारा क्यों लगा रहे?

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पार्टी ऑफिस में धरना देते कांग्रेस कार्यकर्ता।
  • बिहार में कांग्रेस नेताओं की प्रदेश लीडरशिप के साथ नाराजगी बढ़ी।
  • एयरपोर्ट पर हंगामा, प्रेस कॉफ्रेंस के बाद अब पार्टी ऑफिस में धरना दे रहे।
  • बिहार प्रदेश अध्यक्ष और बिहार प्रदेश प्रभारी पर टिकट बेचने का आरोप लगाया।

पटना | हमारे संवाददाता

बिहार में कांग्रेसी अपनी ही प्रदेश लीडरशिप के खिलाफ ‘वोट चोर-बिहार छोड़’ का नारा लगा रहे हैं। राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा के दौरान वोटर लिस्ट की जांच की SIR प्रक्रिया के खिलाफ वोट चोरी का नारा दिया था। गुरुवार को पटना में कांग्रेस पार्टी ऑफिस के अंदर धरना दे रहे नेताओं ने यही नारा राज्य के नेताओं के ऊपर लगाकर उन्हें हटाने की मांग कर डाली।

23 अक्तूबर को कांग्रेस के नाराज नेताओं ने बिहार पार्टी हेडक्वार्टर सदाकत आश्रम में सामूहिक उपवास और धरना-प्रदर्शन किया। इससे पहले 15 अक्तूबर को टिकट कटने से नाराज कांग्रेस नेता एयरपोर्ट पर अपने बिहार प्रभारी के खिलाफ प्रदर्शन और धक्का-मुक्की तक कर चुके हैं।

नाराजगी इतने पर भी नहीं रुकी, 18 अक्तूबर को नाराज कांग्रेसियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया के सामने अपनी बात रखी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम व प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू ने विधानसभा टिकट मोटी रकम लेकर बेचे।

इस दौरान कांग्रेस रिसर्च कमेटी के अध्यक्ष व प्रवक्ता आनंद माधव ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।

 

कांग्रेस प्रभारी को भाजपा का ‘स्लीपर सेल’ कहा

23 अक्तूबर को आनंद माधव समेत दर्जनभर नेताओं ने काली पट्टी बांधकर पार्टी ऑफिस में धरना दिया। इस दौरान कांग्रेस नेता आनंद माधव ने प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरू को बीजेपी का ‘स्लीपर सेल’ तक कह दिया।

उन्होंने कहा कि ‘कृष्णा अल्लावरू और उनकी टीम ने टिकट की खरीद फरोख्त की है। जब भारतीय जनता पार्टी का स्लीपर सेल यहां काम करेगा तो राहुल गांधी कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे। उन्होंने बिना किसी पैरामीटर के एक दिन पहले उठाए लोगों को टिकट दे दिया।’

 

आरोपों पर क्या बोले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष 

इस मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा है कि चुनावी वर्ष में टिकट बेचने के आरोप आम हैं, ये कार्यकर्ता पार्टी के अंदर धरना दे रहे हैं जो इनका हक है। उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन अगर कोई गंभीर मामला सामने आता है, तो जांच जरूर होगी।

 

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