रिपोर्टर की डायरी
बरेली के मुस्लिम इलाकों में चिंता, 27 ‘अवैध’ मकानों में नोटिस चस्पा
- 26 सितंबर को I love Muhammad प्रदर्शन के दौरान हुई थी हिंसा।
- तब से बरेली पुलिस-प्रशासन की ओर से लगातार कार्रवाइयां जारी।
- हिंसा के आरोपियों वाले इलाकों में कई बार चला अतिक्रमण अभियान।
- अब 27 मकानों को अवैध निर्माण बताकर खाली करने का नोटिस।
बरेली | मोनू पांडे
उत्तर प्रदेश के बरेली के मुस्लिम इलाकों में पुलिस, नगर निगम और BDA (बरेली विकास प्रधिकरण) की कार्रवाइयां लगातार जारी है, जिससे समुदाय के बीच डर का माहौल है।
बरेली नगर निगम ने 27 मकानों को अपनी जमीन पर बना हुआ बताकर नोटिस चस्पा किए हैं। ये नोटिस शहर के भूड (वार्ड- 54) इलाके में चस्पा किए गए जो शाहबाद-कोहाड़ापीर का इलाका भी कहा जाता है। नोटिस में मकानों को 15 दिनों के अंदर खाली करने का आदेश दिया गया है। ऐसा न करने पर ‘अवैध अतिक्रमण’ को नगर निगम की ओर से हटाने और ‘कब्जेदारों’ पर FIR भी करने की बात लिखी हुई है।
“सरकारी जमीन पर कब्जा किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नगर निगम अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत कार्रवाई होगी। जो खुद कब्जा नहीं हटाएगा, उस पर न सिर्फ बुलडोजर चलेगा बल्कि वसूली भी होगी।” – संजीव कुमार मौर्य, नगर आयुक्त, बरेली
50 परिवारों को बेघर होने का डर
इन नोटिसों से इलाके में रहने वाले 50 परिवारों में दहशत हैं, पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे कई पीढ़ियों से अपने मकानों में रह रहे हैं। अचानक नगर निगम ने इसे निगम की जमीन बता दिया है जो सही नहीं है। परिवारों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ऐसी कार्रवाइयों को रोकने की गुहार लगाई है।
दूसरी ओर, लगातार मुस्लिम इलाकों और मुस्लिम समुदायों के ऊपर हो रही कार्रवाइयों को राजनीतिक दल और समाजसेवी एकतरफा और बदले की भावना से भरी हुई बता रहे हैं।
पार्षद ने उठाया था मुद्दा, खुली पुरानी फाइल
नगर निगम का कहना है कि भूड में अवैध कब्जे के मुद्दे पर कार्रवाई की मांग पिछले कई साल से उठ रही है। यहां की पार्षद शालिनी जौहरी ने इस मामले को निगम के सामने कई बार उठाया था। ऐसे में माना जा रहा है कि नगर निगर ने बरेली हिंसा के बाद इस पुरानी फाइल को दोबारा खोल दिया है।
हिंसा के आरोपियों वाले इलाके में बुलडोजर
हाल में कटघर और सैलानी के इलाके में नगर निगम ने अपना अतिक्रमण अभियान चलाकर कथित अवैध निर्माण को ढहाया था। इन दोनों इलाकों के लोगों ने तब मीडिया से कहा था कि दुकानों के बाहर की जगह घेर लेने जैसा अतिक्रमण तो पूरे शहर में है, नगर निगर सिर्फ हमारे इलाकों को निशाना क्यों बना रहा है?
मुस्लिम समुदाय की कई संपत्तियां सील
बरेली हिंसा से जुड़े कई आरोपियों की संपत्ति के खिलाफ नगर निगम व BDA ने ढहाने व सीज करने की कार्रवाइयां की हैं। हाल में रज़ा पैलेस पर बुलडोजर चला जो तौकीर रजा के सहयोगी व पूर्व पार्षद का है। इससे पहले फाइक इनक्लेव में IMC से जुड़े फरहत खान का घर सील किया गया। इसके अलावा, कई अन्य दुकानें सील की जा चुकी हैं।
गौरतलब है कि दोनों विभागों ने अपनी कार्रवाइयों का बचाव अवैध निर्माण के आधार पर किया, साथ ही ऐसे आरोपों से भी इनकार किया कि बरेली हिंसा में शामिल होने के आरोपों के चलते संबंधित की संपत्तियों पर ऐक्शन हुए।
नगर निगम बोला- जांच के बाद कार्रवाई
नगर निगम के एक्सईएन राजीव कुमार राठी का कहना है कि “हमने 8 अक्टूबर को स्थलीय और अभिलेखीय जांच में इन इलाकों में अतिक्रमण की पुष्टि की। इसके बाद कब्जेदारों को नोटिस देकर 15 दिन की मोहलत दी गई है। तय समय में कब्जा नहीं हटाने पर निगम खुद कार्रवाई करेगा। खर्च भी उन्हीं से वसूला जाएगा और पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।”
चुनावी डायरी
बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज
- होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।
लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य
बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।
इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।
लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।
वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रिपोर्टर की डायरी
अब बरेली में 41 मकानों को अवैध बताया, बुलडोजर चलेगा
- पीड़ित लोग बोले- जिन्हें वोट दिया, वही घर उजाड़ रहे।
- मेयर बोले- निगम की जमीन की कार्रवाई नहीं रोक सकते।
- शाहबाद और डेलापीर के कब्जेदारों को एक सप्ताह की और मोहलत दी।
बरेली | मोनू पांडे
यूपी के बरेली में 41 मकानों को एक सप्ताह बाद बुलडोजर से ढहा दिया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि शाहबाद और डेलापीर में उनकी जमीनों पर कई साल से अवैध कब्जा है और इसे हटाने के लिए कब्जेदारों को 15 दिनों का समय दिया था जिसकी मियाद 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। हालांकि 25 अक्तूबर तक अधिकांश घर खाली नहीं हो सके तो नगर निगम ने एक सप्ताह की मोहलत दे दी है।
शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों पर चलेगा बुलडोजर
बरेली के शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों को नोटिस गया था, यहां 25 अक्टूबर को नगर निगम ने अवैध निर्माण ढहाने के निर्देश दिए थे, हालांकि लोगों को एक सप्ताह के अंदर खुद ही कब्जा खाली करने की मोहलत दी गई है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है कि हम लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं। यहां एक प्रधानमंत्री आवास भी बना है, उस पर भी बुलडोजर चलेगा। यहां रहने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने 26 सितंबर को हुई हिंसा में गिरफ्तार भी किया है।
डेलापीर तालाब किनारे 14 मकानों को अवैध बताया
नगर निगम ने डेलापीर तालाब के किनारे बसे 14 मकानों के अवैध बताते हुए 15 दिन पहले नोटिस भेजा था। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि वो लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं, जब हम लोग यहां रहने आए थे तब यहां घना जंगल था और बड़ा सा तालाब था।
उस वक्त यहां कोई मुफ्त में भी जगह नहीं लेना चाहता था। दिनदहाड़े लोगों को लूट लिया जाता था। धीरे-धीरे यहां कई कालोनियां बन गईं। अब यहां की जमीनें काफी महंगी हो गई हैं इसलिए नगर निगम अब हम लोगों को यहां से हटा रहा है।’
मजदूर वर्ग और दलित-ओबीसी परिवारों का इलाका
लोगों का कहना है कि हम सभी मजदूर वर्ग के हैं। सभी दलित और ओबीसी जाति के लोग हैं। रोज कमाने-खाने वाले हैं। 40-50 गज में सभी घर बने हुए हैं। यहां रहने वाले पुरुष रिक्शा चलाते हैं तो महिलाएं घरों में चौका-बर्तन करके पेट पालती हैं। हमने बहुत मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने घरों में लाखों रुपये लगाए हैं। कुछ लोगों का जन्म यहीं हुआ तो कुछ महिलाओं की शादी यहीं होकर आई। शादी के 50 साल हो गए। बच्चे बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गई। कुछ लोगों की लड़कियां जवान हैं, शादी की उम्र है। लोगों का कहना है कि अब हम लड़कियों की शादी करेंगे या नई जगह मकान बनाएंगे? अब हम सब सड़क पर जाएंगे। हमारे पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं है।
योगी से मिलने गए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
लोगों का कहना है कि हम लोग गोरखपुर और लखनऊ भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। यहां लोकल स्तर पर मंत्री डॉ. अरुण कुमार और मेयर डॉ. उमेश गौतम के पास भी गए थे, लेकिन उन लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि मोदी हम सबको अपना परिवार कहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार को ही उजाड़ रहे हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
रिपोर्टर की डायरी
बेतिया के मेडिकल कॉलेज में डेडबॉडी को घेरकर प्रदर्शन क्यों कर रहे डॉक्टर?
- बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में डॉक्टरों का प्रदर्शन।
- नाइट ड्यूटी के दौरान डॉक्टर न होने का आरोप, मरीज की मौत हुई।
- डॉक्टरों से मारपीट में मृतक की पत्नी व बहन घायल, इलाज जारी।
बेतिया | मनोज कुमार
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के ऊपर लापरवाही के आरोप लगे तो उन्होंने एक डेडबॉडी को ही बंधक बनाकर धरना देना शुरू कर दिया।हालात ऐसे हुए कि मृतक के परिजनों को अस्पताल से भागना पड़ा, मृतक की पत्नी व बहन घायल हो गए हैं जिनका इलाज एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है।
दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों ने एक नर्स के साथ दुर्व्यवहार किया था। ये घटना बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के Government Medical college and Hospital की है, जिसे आपतौैर पर GMCH कहा जाता है।
शनिवार सुबह (25 अक्तूबर ) हुई इस घटना के बाद अस्पताल में तनाव की स्थिति बन गई, जिसके चलते SSB और नगर थाना पुलिस को तैनात किया गया।
दरअसल 24 नवंबर को बानूछपरा इलाके के एक गंभीर मरीज रंजय तिवारी को अस्पताल लाया गया। परिजनों का कहना है कि रंजय को तीन इंजेक्शन दिए गए, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने डॉक्टरों को खोजने की कोशिश की पर कोई भी डॉक्टर रात में मौजूद नहीं मिला, जिससे उनके मरीज की तड़प-तड़पकर मौत हो गई।
शनिवार सुबह जब डॉक्टर अस्पताल पहुंचे तो गुस्साए परिजनों ने हंगामा किया। आरोप है कि दोनों के बीच काफी मारपीट हुई और मारपीट के कारण मृतक की पत्नी तनुश्री और बहन छोटी कुमारी घायल हो गईं, जिनका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक डेडबॉडी नहीं मिली है, उन्होंने पुलिस के शव दिलाने का अनुरोध किया है।
इस मामले में GMCH अधीक्षक सुधा भारती का कहना है कि उनके नर्सिंग व डॉक्टर स्टाफ में काफी नाराजगी है, वे मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ FIR चाहते हैं, उन्हें भी लगता है कि केस होना चाहिए। साथ ही उन्होंने बोला कि मरीज के अटेडेंट ने अपनी गलती मानी है। हालांकि डेडबॉडी सुपुर्द न करने को लेकर उनसे बात नहीं हो सकी।
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