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रिपोर्टर की डायरी

अलविदा डॉ. झा : एक शिक्षक जिसने जिला बनने से पहले बनाया ‘अररिया कॉलेज’ 

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अररिया कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डॉ. झा
  • अररिया कॉलेज के पहले प्राचार्य डॉ. गंगानाथ झा का 88 साल की उम्र मेें देहावसान
  • अररिया जिले की मांग के आंदोलन के दौरान जिले के नाम पर इंटर कॉलेज की नींव डली

अररिया |

कहानी उस वक्त की है जब बिहार का अररिया, पूर्णिया जिले का हिस्सा हुआ करता था और इसे अलग जिला बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी। उस आंदोलन के अग्रणी समाजसेवियों ने सोचा कि अलग जिले का अपना एक इंटर कॉलेज होना चाहिए ताकि वहां के बच्चों को अररिया में ही शिक्षा का अवसर मिले। बस यही से नींव पड़ी अररिया कॉलेज की, जिसके संस्थापक प्राचार्य डॉ. गंगानाथ झा का रविवार को दिल्ली में स्वर्गवास हो गया है। यही कॉलेज आगे चलकर अररिया महाविद्यालय बना, जहां के हजारों लड़के-लड़कियां पढ़कर जिले की तरक्की में भागीदार बने हैं।

अररिया कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डॉ. झा

अररिया कॉलेज के संस्थापक प्राचार्य डॉ. झा (फोटो क्रेडिट – सोमेश ठाकुर, नवादा) 

‘जिला बनाओ’ ..आंदोलनकारियों का विचार था- अररिया कॉलेज

अररिया कॉलेज बनने की कहानी उस दौर से शुरू होती है जब 1970-1971 में अररिया जिला बनाने की मांग ने जोर पकड़ा। ‘अररिया जिला बनाओ’ संघर्ष समिति सड़क पर आंदोलन कर रही थी। इस दौरान एक रोज अररिया कॉलेज की स्थापना को लेकर शहर के हाईस्कूल में बुद्धिजीवियों की एक बैठक हुई। इस बैठक में शामिल रहे अब दिवंगत अधिवक्ता हंसराज प्रसाद जो बाद में अररिया के चेयरमैन बने, ने एक पूर्व साक्षात्कार में बताया था कि बैठक में कॉलेज निर्माण की कमेटी बनाने पर सहमति बनी।

डॉ. गंगानाथ झा को बनाया गया कॉलेज का प्रिंसिपल

समिति में तत्कालीन एसडीओ आरटी शर्मा को अध्यक्ष, अररिया जिला बनने के बाद सांसद रहे अब दिवंगत तस्लीमुद्दीन अहमद को संयोजक बनाया गया था। जबकि हंसराज प्रसाद को उप-संयोजक का दायित्व मिला। इन सबकी सहमति से क्षेत्र के वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. गंगानाथ झा को अररिया कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया। सिरसिया कला निवासी डॉ. झा के मार्गदर्शन में संस्थान ने उल्लेखनीय प्रगति की, सहशिक्षण कॉलेज होने से यहां जिले की लड़कियों को इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने का अवसर मिला।

अररिया कॉलेज

अररिया कॉलेज

सड़कों पर उतरे, कव्वाली करवाकर कॉलेज के लिए चंदा जुटाया  

आंदोलनकारियों ने अररिया कॉलेज की परिकल्पना तो कर ली थी पर पूंजी जुटाना एक कठिन काम था। कॉलेज निर्माण समिति के उपसंयोजक हंसराज प्रसाद ने जीवित रहते हुए मीडिया को बताया था कि 3 फरवरी, 1973 के दिन वे सभी सड़कों पर चंदा मांगने उतरे। इतने से काम नहीं चला तो समिति के तत्वावधान में ‘आजाद अकादमी’ में साल 1975 के अप्रैल में कव्वाली का आयोजन करवाया गया। दिवंगत हंसराज प्रसाद के मुताबिक, आरएस जाने वाले मार्ग में 15 एकड़ की जमीन स्कूल के लिए तोला राम लठ नामक जमींदार से खरीदी गई जो कलियांगज के निवासी थे। जमा हुए चंदे से स्कूल के आठ कमरे का भवन बना और 1979 में स्वीकृति मिलने के बाद इंटर की पढ़ाई शुरू हुई। पढ़ाई की जिम्मेदारी डॉ. गंगानाथ झा ने संभाली और बाद में कॉलेज को अंगीभूत का दर्जा 1981 में मिला।

अररिया कॉलेज बनने के 10 साल बाद बना अररिया जिला

अररिया जिले की मांग सत्तर के दशक में शुरू हुई और 14 जनवरी, 1990 को आधिकारिक रूप से इसे जिला घोषित किया गया। जबकि अररिया कॉलेज इससे दस साल पहले साल 1979 में ही शुरू हो गया था। डॉ. गंगानाथ झा के निर्देशन में इस कॉलेज ने शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाया और जिले के कई बड़े नाम बने लोग यहीं के विद्यार्थी थे।

आंदोलन के अंतिम अग्रणी कार्यकर्ता नहीं रहे 

जिला बनाने की मांग के अग्रणी आंदोलनकारियों में पूर्व चेयरमैन हंसराज प्रसाद, पूर्व सांसद तस्मीमुद्दीन अहमद का देहांत हो चुका है और कई अन्य समाजसेवी नेता भी आज दुनिया में नहीं हैं। इस फेहरिस्त में डॉ. झा अंतिम अग्रणी कार्यकर्ता थे जिनका शनिवार को देहावसान हो गया।

शिक्षाविद डॉ. झा के सभी बच्चे टीचर 

डॉ. झा ने न सिर्फ अपने पेशेवर जीवन में नाम कमाया, एक पिता के रूप में भी उन्होंने अपने बच्चों को ऐसी सीख दी कि वे चारों शिक्षक बनकर ही समाज की सेवा कर रहे हैं। इनकी बेटी जिले में ही शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं। जबकि इनके दो बेटे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) और तीसरे बेटे दिल्ली विश्व विद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। इनकी पत्नी दिल्ली में ही बेटों के साथ रह रही हैं। डॉ. झा के निधन पर जिले के प्रमुख नेताओं व समाजसेवियों ने शोक संवेदना व्यक्त की हैं।

(नवादा से संवाददाता अमित कुमार के इनपुट पर आधारित) 

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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चुनावी डायरी

बिहार : चिराग की 30 सीटों की मांग, बोले- अभी बातचीत शुरूआती दौर में

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चिराग पासवान से 7 अक्तूबर को मिले बिहार चुनाव प्रभारी।
  • दिल्ली में आज बीजेपी से सीट बंटवारे पर बात हुई, जिसमें सहमति न बनने पर रात को पटना आए।
  • चिराग पासवान के प्रशांत किशोर से गठबंधन की खबरें चलीं, NDA का एकजुटता का संदेश दोहराया।
  • एनडीए कह रहा है कि सीट बंटवारे पर बातचीत फाइनल दौर में है, चिराग बोले- बातचीत अभी शुरू हुई है।

पटना |

बीजेपी ने दिल्ली में चिराग पासवान के साथ 45 मिनट लंबी बैठक की, जिसमें सीट बंटवारे पर सहमति बनने की जगह उल्टा यह निकलकर आया कि मांझी के बाद अब चिराग ने ज्यादा सीटों की डिमांड कर दी है। मीडिया में चिराग के नाराज होकर प्रशांत किशोर के साथ संभावित गठबंधन की भी खबरें चलीं, माना जा रहा है कि इस तरह चिराग पासवान NDA के अंदर अपनी मांग को और पुख्ता बनाने की कोशिश में हैं।

दिल्ली में बात न बनने के बाद अचानक मंगलवार रात को चिराग पासवान पटना लौटे हैं। यहां उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि “सभी तरह का डिस्कशन अभी प्राइमरी स्टेज पर है, फाइनल होने पर जानकारी दी जाएगी।”

 

चिराग- 30, मांझी- 15 सीटों पर अड़े

दिल्ली में चिराग पासवान के आवास पर सीट शेयरिंग को लेकर बैठक हुई। बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय चिराग को मनाने पहुंचे थे।

चिराग पासवान से 7 अक्तूबर को मिले बिहार चुनाव प्रभारी।

चिराग पासवान से 7 अक्तूबर को मिले बिहार चुनाव प्रभारी।

45 मिनट तक ये मीटिंग चली। सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान 30 सीट और जीतन राम मांझी 15 सीटों पर अड़े हैं।

जदयू में भी सीटों पर बैठक

इससे पहले पटना में नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के साथ बैठक की। खबर है कि टिकट और उम्मीदवार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सीएम ने 45 मिनट चर्चा की है। जदयू अपने कोटे की सीटों और उम्मीदवारों पर मंथन जारी है।

मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने कहा, ‘एनडीए पूरी मजबूती से खड़ा है और जल्द सीट शेयरिंग हो जाएगी।’

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चुनावी डायरी

बिहार : RJD के दो विधायकों के खिलाफ राबड़ी आवास पर नारे लगे, टिकट न देने की मांग उठी

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रावड़ी देवी के आवास पर राजद कार्यकर्ताओं ने विधायक के खिलाफ नारेबाजी की।
  • मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग पर नारे लगे
  • मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ तीन दिन पहले हुआ था विरोध
नई दिल्ली |
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले RJD में आंतरिक कलह ने जोर पकड़ लिया है। मंगलवार को राबड़ी देवी के आवास पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हंगामा मचाया और मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग की। इससे पहले एक अन्य विधायक को लेकर नारेबाजी हो चुकी है। माना जा रहा है कि RJD के अंदर टिकट वितरण पर कलह महागठबंधन की रणनीति को कमजोर कर सकती है।
पहली बार जीतीं पर विकास की अनदेखी के आरोप
सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने ने नारे लगाए- “रेखा हटाओ, मसौढ़ी बचाओ!”  प्रदर्शनकारियों ने लालू प्रसाद को भी पोस्टर दिखाए, लेकिन लालू ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। रेखा पासवान एक दलित नेता हैं, जिन्होंने 2020 में मसौढ़ी विधानसभा सीट से 32,227 वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन भ्रष्टाचार और विकास की अनदेखी के आरोपों से घिरी हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि रेखा को दोबारा टिकट मिला तो पार्टी सीट हार जाएगी।
मखदूमपुर विधायक के खिलाफ भी हुई थी नारेबाजी
पार्टी कार्यकर्ताओं की अपने नेताओं से नाराजगी की यह पहली घटना नहीं। बीते चार अक्तूबर को मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ भी राबड़ी आवास पर ही जोरदार विरोध हुआ, जहां कार्यकर्ताओं ने विकास कार्यों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए टिकट न देने की चेतावनी दी।
नाराज रोहिणी को मनाने को मसौढ़ी विधायक को लाया गया था आगे
रेखा पासवान के बारे में एक गौर करने वाली बात यह है कि जब हाल में तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव के अगली सीट पर बैठने से बहन रोहिणी आचार्य नाराज हो गई थीं और परिवार के खिलाफ लगातार फेसबुक पोस्ट कर रही थीं, तब  विवाद शांत करने के लिए दो दलित नेताओं रेखा पासवान और शिवचंद्र राम (पूर्व मंत्री, रविदास समुदाय) और आगे बिठाया गया, जिसे रोहिणी ने सराहा था।
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रिपोर्टर की डायरी

योगी के मंत्री वाल्मीकि जयंती पर फतेहपुर आए, लिंचिंग पीड़ित दलित परिवार से नहीं मिले

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फतेहपुर में वाल्मीकि जयंती पर भाषण देते जलशक्ति मंत्री
फतेहपुर में वाल्मीकि जयंती पर भाषण देते जलशक्ति मंत्री (तस्वीर - Ramkesh Nishad FB पेज)

UP : वाल्मीकि जयंती पर योगी के मंत्री फतेहपुर आए पर लिंचिंग में मारे गए दलित के परिवार से नहीं मिले

  • जलशक्ति मंत्री रामकेश निषाद वाल्मीकि बस्ती पहुंचे, कार्यक्रम किया पर मृतक के घर नहीं गए।
  • मीडिया ने मंत्री से पूछा- मृतक के घर कोई बीजेपी नेता-मंत्री क्यों नहीं गए; मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया।
  • कांग्रेस डेलीगेशन ने आज दलित परिवार से मुलाकात की, सपा सांसद भी मृतक के पिता से मिले।

 

फतेहपुर | संदीप केसरवानी

योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्री आज फतेहपुर जिला पहुंचे और वाल्मीकि जयंती के कार्यक्रम में भाग लिया। पर स्थानीय लोगों को इस बात पर हैरानी हुई कि मंत्री जी आयोजन स्थल से सिर्फ एक किलोमीटर दूर उस पिता से मिलने नहीं पहुंचे जो अपने बेटे की लिंचिंग के बाद सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है।

मृतक हरिओम वाल्मीकि के घर पर किसी भाजपा नेता या विधायक के न पहुंचने से जुड़ा सवाल जब इस संवाददाता ने किया तो मंत्री जी ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। हालांकि उन्होंने योगी सरकार की कानून व्यवस्था को पूरे देश के लिए मॉडल बताया और कहा कि “इस घटना या दुर्घटना की जांच की जा रही है।”

गौरतलब है कि आज (7 अक्तूबर) को योगी सरकार ने वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पूरे राज्य में छुट्टी रखी है और दलित समुदाय के उत्थान में प्रमुख रहे महर्षि वाल्मीकि से जुड़े कार्यक्रम हुए हैं। फतेहपुर में भी वाल्मीकि समुदाय व स्थानीय भाजपा नेताओं की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भाग लेेने के लिए कैबिनेट मंत्री रामकेश निषाद पहुंचे थे।

ये आयोजन पीरनपुर के वाल्मीकि पार्क में हुआ जबकि उससे मुश्किल से एक किलोमीटर दूर के वाल्मीकि मोहल्ले पुरावली का पुरवा में मृतक हरिओम का घर है। वहां मृतक के पिता गंगादीन इसी आस में थे कि मंत्री जी उन्हें आकर न्याय दिलाने का विश्वास देंगे।

मृतक की बहन ने आज फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने भाई की हत्या में तुरंत न्याय दिलाने की मांग दोहराई।

 

बुलडोजर ऐक्शन के सवाल पर बोले- जांच से तय होगा

मंत्री को स्थानीय मीडिया के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। योगी सरकार ‘बुलडोजर न्याय’ को लेकर पूरे देेश में सुर्खियां बटोरती है, ऐसे में मृतक के पिता व बहन ने भी आरोपियों के घरों पर बुलडोजर ऐक्शन की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। क्या इस हत्या के आरोपियों पर भी बुलडोजर ऐक्शन होगा? के सवाल पर मंत्री ने कहा- ‘ये जांच के बाद ये तय होगा। ‘

 

मंत्री ने सरकार की दलितों से जुड़ी योजनाएं बतायीं

यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री रामकेश निषाद ने वाल्मीकि बस्ती में पहुंचकर प्रदेश सरकार की ओर से इस दिन के लिए घोषित की गई छुट्टी की जानकारी दी। फिर आरोप लगाया कि “पिछली सरकारें सिर्फ दलितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करती थीं।” उन्होंने बोला कि “सफाई कर्मचारियों का वेतन हमारी सरकार ने 8 हजार से वेतन बढ़ाकर 16 हजार कर दिया है।”

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