आज के अखबार
प्रशांत किशोर के पास दो वोटर कार्ड, चुनाव आयोग ने 3 दिन में जवाब मांगा
- प्रशांत किशोर का बिहार व पश्चिम बंगाल में भी वोटर कार्ड पाया गया।
- चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को नोटिस भेजकर तीन दिनों में जवाब मांगा।
- प्रशांत किशोर के दो वोटर कार्ड का खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने किया।
पटना/नई दिल्ली |
प्रशांत किशोर के पास दो राज्यों की वोटर आईडी कार्ड है, इस मामले का खुलासा आज एक मीडिया रिपोर्ट में हुआ। इसके बाद चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को एक नोटिस जारी करके इस मामले मेें तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है।
इस मामले में रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र के निर्वाची पदाधिकारी की ओर से मंगलवार को नोटिस जारी किया गया है क्योंकि बिहार में प्रशांत किशोर इसी क्षेत्र से वोटर हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रशांत के पास पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा से भी वोटर कार्ड है।
गौरतलब है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा स्थानों पर मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं करा सकता है, यह दंडनीय अपराध है। ऐसे में देखना होगा कि चुनाव के ठीक पहले उजागर हुए इस मामले पर प्रशांत किशोर की ओर से क्या कहा जाता है और चुनाव आयोग क्या कदम उठाएगा।
PK ने TMC के पते पर बनवाया था वोटर कार्ड – इंडियन एक्सप्रेस
आपको बता दें कि 28 अक्तूबर के एडिशन में द इंडियन एक्सप्रेस ने इस बाबत खबर छापी, जिसमें अखबार ने लिखा कि प्रशांत किशोर ने 2021 में प. बंगाल की वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया था। तब वे तृण मूल कांग्रेस (TMC) पार्टी के लिए चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम कर रहे थे,
अखबार ने लिखा कि प्रशांत किशोर ने जिस पते पर वोटरकार्ड बनवाया, वह कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है और TMC का पार्टी ऑफिस है। इस मामले में प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
आज के अखबार
यूपी में ‘नरेंद्र मोदी स्टडीज सेंटर’ चला रहा था, CBI ने केस दर्ज किया
नई दिल्ली |
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक युवक पीएम मोदी के नाम पर एक अवैध स्टडी सेंटर चलाता पकड़ा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शिकायत पर सीबीआई ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार करके FIR दर्ज करायी है।
आज के अखबार
J&K में 6 साल बाद हुए राज्यसभा चुनाव में ‘Fixed मैच’ का आरोप कौन लगा रहा?
- जम्मू-कश्मीर की 4 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनाव पर विवाद।
- नेशनल कांग्रेस ने चार और भाजपा ने एक सीट पर उम्मीदवार उतारा।
- भाजपा ने इकलौती सीट जीत ली, नेशनल कांग्रेस ने बाकी 3 सीटें जीतीं।
“हमने भाजपा का ऑफर ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा था कि हम तीन सीटें ले लें और एक उन्हें दे दें, लेकिन हमने कहा-नहीं, हम कंटेस्ट करेंगे और मैदान पर फैसला होगा।”
अबदुल्ला के दावे पर लोन ने कहा कि “इस दावे का मतलब है कि दोनों पार्टियों के बीच संवादतंत्र है औ उन्होंने राज्यसभा सीटों पर बातचीत की पर क्या उन्होंने इसके बारे में अपने सहगोगियों को जानकारी दी? क्या ये फिक्स्ड मैच नहीं है?”
भाजपा बोली- ‘यह जीत दर्शाती है कि सरकार से लोग नाखुश’
आज के अखबार
अगले सप्ताह से वोटर लिस्ट की विशेष जांच, तमिलनाडु से शुरुआत क्यों?
- चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट को SIR कराने की जानकारी दी।
- कहा- तमिलनाडु समेत सभी चुनावी राज्यों में सबसे पहले SIR होगा।
- पहले फेज में करीब 10 से 15 राज्य शामिल, आधिकारिक घोषणा जल्द।
नई दिल्ली |
देश के हर नागरिक को वोटर लिस्ट में अपने नाम को दोबारा वेरिफाई करवाना होगा, ठीक उसी तरह जैसे बिहार में वोटर लिस्ट की गहन जांच के दौरान किया गया। वोटर लिस्ट रिविजन की इस प्रक्रिया को SIR (Special intensive revision ) नाम से जाना जाता है जो अगले सप्ताह से तमिलनाडु में शुरू हो जाएगी।
चुनाव आयोग ने मद्रास हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि अगले सप्ताह से वह तमिलनाडु में Special intensive revision शुरू करेगी। साथ ही 2026 में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उन्हें भी इस प्रक्रिया में सबसे पहले शामिल किया जाएगा।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी के हवाले से हिन्दुस्तान अखबार ने लिखा है कि SIR के पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में कराया जाएगा, जिसमें चुनाव वाले राज्य भी शामिल रहेंगे।
पांच राज्यों में होने हैं अगले साल चुनाव
आपको बता दें कि अगले साल देश के पांच राज्यों असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल व प. बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। यानी इन राज्यों में वोटर लिस्ट की जांच का काम सबसे पहले शुरू होगा।
जनसत्ता के मुताबिक, अगले सप्ताह में कभी भी इस प्रक्रिया की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
दैनिक हिन्दुस्तान के मुताबिक, पहले चरण में उन राज्यों को SIR से बाहर रखा जाएगा, जहां स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं या प्रस्तावित हैं।
26 अक्तूबर के हिन्दी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से लिया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने इस खबर को लीड स्टोरी बनाया है। जबकि जनसत्ता, दैनिक जागरण और अमर उजाला ने इसे पहले पन्ने पर छापा है।
20 साल के बाद होने जा रहा वोटर रिविजन
SIR की रूपरेखा तय करने के लिए चुनाव आयोग, राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ पहले ही दो बैठकें कर चुका है।
अधिकांश राज्यों में वोटर लिस्ट दुरुस्त करने का काम दो दशकों के बाद होने जा रहा है, कई राज्यों में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया 2002-2008 के बीच हुई थी, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई SIR के लिए आखिरी वोटर लिस्ट रिविजन के वर्ष को ही कटऑफ ईयर माना जाएगा।
चुनाव आयोग के निर्देश पर अधिकांश राज्यों की आखिरी SIR लिस्ट की मैपिंग करके उसे राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित भी कर दिया गया है।
बिहार SIR को लेकर मामला अब भी कोर्ट में
बिहार में संपन्न हो चुकी SIR प्रक्रिया को लेकर अब भी केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। वोटर वेरिफिकेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए पक्ष ने इस प्रक्रिया की संवैधानिकता पर सवाल उठाया था, इसमें सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि अगर बड़ी संख्या में वोटरों के नाम कटे तो वे इस प्रक्रिया को रद्द कर देंगे। हालांकि मामले पर अब तक फाइनल फैसला नहीं आया है और अब चुनाव आयोग फाइनल वोटर लिस्ट जारी कर चुका है।
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