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आज के अखबार

अमेरिकी विदेशमंत्री की यात्रा से पहले मस्क से मोदी की वार्ता

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फाइल फुटेज

1- अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले मोदी-मस्क की वार्ता 

इस ख़बर को द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने पहले पन्ने की लीड बनाया है, जिसमें बताया गया है कि मस्क व मोदी के बीच बातचीत ऐसे दौर में हो रही है जबकि ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक ड्यूटी लगाई है और अगले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति वेन्स भारत आ रहे हैं। पारस्परिक कर ( रेसिप्रोकल टैरिफ़) से निपटने के लिए भारत अमेरिका के साथ व्यापार नीति बनाने पर तेजी से काम कर रहा है, ऐसे में मस्क से मोदी की फोनवार्ता महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वेन्स के आने पर भी इस कार्य को गति मिलने की संभावना है। ख़बर में बताया गया है कि मोदी ने एक्स पर ट्वीट किया कि फोनवार्ता में दोनों ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। इस ख़बर को दैनिक भास्कर, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी पहले पन्ने पर लिया। हालांकि दैनिक हिन्दुस्तान इसकी अहमियत नहीं समझ पाया और इसे विदेश पन्ने पर छापा है।  एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी-अपनी ख़बर में यह भी बताया है कि गुरूवार को मस्क की सेटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस कंपनी ‘स्टारलिंक’ के प्रतिनिधि ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात की, जिसमें उन्होंने भारत में कंपनी के भविष्य के निवेश व स्थानीय साझेदारी (पार्टनरशिप) पर चर्चा की।  अभी यह कंपनी भारत में काम शुरू करने के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र का इंतज़ार कर रही है। बता दें कि मस्क की स्टारलिंक ने पिछले साल रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की, इसके जरिए भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की योजना है।

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – ये मोदी की मस्क से दूसरी वार्ता है जो मात्र दो महीने के भीतर हुई है। मस्क की ट्रंप सरकार में खासी अहमियत को देखते हुए उपराष्ट्रपति वेन्स के भारत दौरे से पहले मस्क से वार्ता अहम हो जाती है। इसके अलावा, मस्क के भारत में टेस्ला व स्टारलिंक के जरिए निवेश की योजनाओं के चलते यह महत्वपूर्ण है।

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2- नासिक की दरगाह ध्वस्त करने के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई 

इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर एक और महत्वपूर्ण ख़बर लगाई कि नासिक के एक प्राचीन दरगाह के आसपास अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए नासिक नगर निगम के दिए गए ध्वस्तिकरण नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट से पूछा है कि हजरत सतपीर सैयद बाबा दरगाह की ओर से इस ध्वस्तिकरण के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने और सुनवाई करने से क्या इनकार कर दिया गया था? बता दें, 15 अप्रैल की रात में एनएमसी अधिकारियों ने जब निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू की तो भीड़ की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी।

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – इस मामले में अंतरिम रोक लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने हाईकोर्ट से प्रश्न किया है कि तत्काल सुनवाई के लिए लिखित अनुरोध वाली याचिका को क्यों नहीं सुना गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जवाबदेही लेने से किसी मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में पारदर्शिता आ सकती है।

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3- अगर तिहाड़ में बंद किया तो आरोपियों को भारत नहीं भेजेंगे : ब्रिटेन प्रत्यर्पण अथॉरिटी 

भारत की अदालतों विशेषकर तिहाड़ में बंद आरोपियों के साथ कथितरूप से होने वाले टॉर्चर का मुद्दा उठाते हुए ब्रिटेन की प्रत्यर्पण अथॉरिटी ने भारत के सामने शर्त रखी है कि अगर वह यह सुनिश्चित करेगा कि जो बड़े अपराध के आरोपी वह भारत में बुलाना चाहता है, उन्हें तिहाड़ में नहीं रखेगा.. तब ही वे (ब्रिटेन) भारत में प्रत्यर्पण की अपील पर सुनवाई करेंगे। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह अहम ख़बर पहले पन्ने पर लगाई है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

 

ख़बर की अहमियत – भारतीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, ऐसे में ब्रिटेन का भारतीय सरकार से यह कहना है उनके देश से भारत भेजे जाने वालों से जेल में मानवीय व्यवहार किया जाए और तिहाड़ को ‘अमानवीय व्यवहार’ की एक उपमा बना देना महत्वपूर्ण है। अगर भारत सरकार ऐसा आश्वासन देती है तो यह ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित होने वाले सभी मामलों पर लागू होगा, जिसका असर अन्य विदेशी प्रत्यर्पण के मामलों पर भी पड़ सकता है।

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अमेरिका में जिन विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा हुआ, उसमें आधे भारतीय 

अमेरिका में वीजा कैंसिल होने वालों में से आधे विद्यार्थी भारत से हैं जबकि 14 प्रतिशत चीन से हैं। अमेरिकी दूतावास ने वीजा अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए हैं। अमेरिका में जिन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीजा हाल ही में रद्द कर दिए गए उनमें से लगभग 50 प्रतिशत भारत से थे। अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) ने यह जानकारी दी। यह ख़बर द इंडियन एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर दी है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – कई भारतीय विद्यार्थियों को बहुत छोटे अपराध जैसे ट्रैफिक व पार्किंग नियम तोड़ना आदि के आधार पर अमेरिकी सरकार ने विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा करना शुरू कर दिया है। इस मामले में अभी तक भारतीय सरकार की अमेरिका को कोई शिकायत दर्ज किए जाने की रिपोर्ट सामने नहीं आई है, ऐसे में यह ख़बर और ज्यादा चिंताजनक है।

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4- श्रीलंका ने सैन्य अभ्यास के लिए पाक को कहा 

इस हेडलाइन के साथ दैनिक हिन्दुस्तान अख़बार ने यह ख़बर पहले पन्ने पर लीड लगाई है। जिसमें बताया गया है कि भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में पाकिस्तान की नौसेना के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाना था, जिसकी जानकारी होने पर भारत ने इसका विरोध जताया और इसके बाद श्रीलंका ने कदम पीछे खींच लिए हैं। अख़बार ने ख़बर में लिखा है कि इस मामले पर पाक व श्रीलंका दोनों ही ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है पर अभ्यास से श्रीलंका ने हाथ पीछे खींच लिए हैं, ऐसा सूत्रों ने बताया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने यह ख़बर न्यूज़ एजेंसी के हवाले से लगाई है। ग़ौरतलब है कि इस मामले की ख़बर किसी अन्य प्रमुख अख़बार में नहीं छपी है।  अख़बार का कहना है कि यह अभ्यास त्रिंकोमाली में होना था, यह क्षेत्र भारत के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि त्रिंकोमाली के जरिए बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर हिंद महासागर के अधिकांश हिस्से पर दबदबा बनाया जा सकता है।  हाल में प्रधानमंत्री मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान भारत, श्रीलंका और यूएई ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। 

दैनिक हिन्दुस्तान, 19 अप्रैल

दैनिक हिन्दुस्तान, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – श्रीलंका में चीन के बढ़ते दवाब के बीच पाकिस्तान का वहां संयुक्त सैन्य अभ्यास करना भारत के लिए दोहरी चुनौती बन सकता था।  बता दें कि श्रीलंका के महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को वहां की सरकार ने 99 साल के लिए चीन को पट्टे (लीज़) पर दे दिया है। यहां के कोलंबो बंदरगाह पर चीन ने अपना एक युद्धपोत दो साल पहले डॉक किया था, जिस पर भारत ने चिंता जतायी थी। 

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2- दैनिक भास्कर ने NTA को बताया – नेशनल तमाशा एजेंसी

इंजीनियरिंग व मेडिकल की प्रतिष्ठित परीक्षाएं कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTP) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर एक बड़ी स्टोरी लगाई है। इसमें बताया गया है कि जेईई मेन की परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविज़नल आंसर-की आ जानी चाहिए थी पर इसे एनटीपी ने चार दिन बाद जारी किया और इसके पाँच दिन के बाद फाइनल आंसर-की जारी की गई, पर उसे भी ढाई घंटे के अंदर वापस ले लिया गया। भास्कर के मुताबिक़, इसमें 11 सवालों के जबाव में सुधार की ज़रूरत है। इतनी बड़ी परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में प्रश्नों के जवाब ठीक न होना, इसकी गंभीरता पर प्रश्न खड़े करता है। अख़बार लिखता है कि इसी तरह सीजूईटी-पीजी की परीक्षा हुए 18 दिन हो गए हैं पर अब तक फाइनल आंसर-की जारी नहीं हुई है, जबकि अब तक रिजल्ट आ जाना चाहिए था।

ख़बर की अहमियत – भास्कर ने विशेषज्ञ के हवाले से लिखा है कि आंसर-की देरी से जारी होने से अभ्यार्थियों को पेपर पर आपत्ति दर्ज कराने का पर्याप्त मौका नहीं मिल जाता, तब तक रिजल्ट आ जाता है। सवालों के जवाब में गलतियों के मामलों पर विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया है कि ऐसा लगता है कि पेपर मशीन से बनाया जा रहा है, इंसानी दख़ल अगर हो तो इतनी गलतियां नहीं हो सकतीं।

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अगर रूस-यूक्रेन युद्ध पर सहमति नहीं बनी तो हम ख़ुद को अलग कर लेंगे : अमेरिकी विदेश मंत्री 

द हिन्दू ने पहली ख़बर लगाई है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन में युद्ध रोकने के प्रयासों में अगर कुछ और देशों देशों ने  अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो अमेरिका इस प्रयास से खुद को अलग कर लेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि हम इस कोशिश में महीनों तक नहीं जुटे रहेंगे, ृहमारे पास और भी कई काम हैं।

द हिन्दू, 19 अप्रैल

द हिन्दू, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – यूक्रेन इस युद्ध में अमेरिका सहायता के बूते इतने लंबे समय तक लड़ता आया है, ऐसे में अगर ट्रंप अमेरिका को इस युद्ध से अलग करते हैं तो यह यूक्रेन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

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अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा (साभार - Linked IN)
अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा, जिन्हें कथित तौर पर गोपनीय सूचना देने वाले की मौत हो गई (साभार - Linked IN)
नई दिल्ली|
गुजरात के एक सरकारी क्लर्क की मौत गिरफ्तारी के बाद अस्पताल में तबीयत बिगड़ने से हो गई है, आरोप है इन क्लर्क ने एक नामी पत्रकार को गोपनीय दस्तावेज दिए थे।
जिस पत्रकार को गोपनीय जानकारी देने का आरोप लगाया जा रहा है, उनकी ईडी ने फरवरी में गिरफ्तारी की थी।
दरअसल गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के क्लर्क निशिध जानी को एक संवेदनशील दस्तावेज एक रिपोर्टर को देने के लिए गिरफ्तार किया गया, दो सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई। 
बता दें कि निशिध जानी ने जिस पत्रकार को कथित तौर पर गोपनीय सूचना दी थी, वह पत्रकार महेश लंगा अंग्रेजी के एक प्रतिष्ठित अखबार ‘द हिन्दू’ के लिए गुजरात में बतौर वरिष्ठ संवाददाता काम करते हैं। इनकी बीती फरवरी में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने गिरफ्तारी कर ली थी।
 
इंडियन एक्सप्रेस की खबर

इंडियन एक्सप्रेस की खबर

 

इंडियन एक्सप्रेस ने 30 सितंबर 2025 के संस्करण को इस अहम खबर छापा है जो हिन्दी पट्टी के पाठकों तक पहुंचनी चाहिए।
खबर के मुताबिक, क्लर्क निशिध जानी ने गुजरात के पत्रकार माहेश लंगा को कथित तौर पर संवेदनशील दस्तावेज दिए, 17 सितंबर को उनकी गिरफ्तार हुई। उनकी अस्पताल में मौत हो गई। 
रिपोर्ट में बताया गया कि निशिध जानी की मौत फेफड़ों से संबंधित बीमारी के कारण हुई, और उनकी गिरफ्तारी से पहले उनकी मेडिकल फिटनेस जाँची गई थी। यह घटना सरकारी कार्रवाइयों और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। 
बता दें कि गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB), गुजरात सरकार की एक एजेंसी है, जिसे 1982 में गुजरात के छोटे बंदरगाहों के प्रबंधन, संचालन और बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
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(नोट – यह खबर कॉपी राइट एक्ट , 1957 के सेक्शन 52 के तहत फेयर डीलिंग के आधार पर की गई है, जिसमें अखबार को उचित श्रेय दिया गया है।)
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‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

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सांकेतिक AI तस्वीर

नई दिल्ली|

पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

सांकेतिक AI तस्वीर

सांकेतिक AI तस्वीर

यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस  

दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

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आज के अखबार

SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

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एआई जेनरेट फोटो, साभार- ग्रोक

नई दिल्ली |

चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

 

चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI

इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस

पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण

अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। 

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण

घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा

द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है। 

मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT

हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।

SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय

दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।

 

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