आज के अखबार
अमेरिकी विदेशमंत्री की यात्रा से पहले मस्क से मोदी की वार्ता

1- अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले मोदी-मस्क की वार्ता
इस ख़बर को द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने पहले पन्ने की लीड बनाया है, जिसमें बताया गया है कि मस्क व मोदी के बीच बातचीत ऐसे दौर में हो रही है जबकि ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक ड्यूटी लगाई है और अगले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति वेन्स भारत आ रहे हैं। पारस्परिक कर ( रेसिप्रोकल टैरिफ़) से निपटने के लिए भारत अमेरिका के साथ व्यापार नीति बनाने पर तेजी से काम कर रहा है, ऐसे में मस्क से मोदी की फोनवार्ता महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वेन्स के आने पर भी इस कार्य को गति मिलने की संभावना है। ख़बर में बताया गया है कि मोदी ने एक्स पर ट्वीट किया कि फोनवार्ता में दोनों ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। इस ख़बर को दैनिक भास्कर, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी पहले पन्ने पर लिया। हालांकि दैनिक हिन्दुस्तान इसकी अहमियत नहीं समझ पाया और इसे विदेश पन्ने पर छापा है। एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी-अपनी ख़बर में यह भी बताया है कि गुरूवार को मस्क की सेटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस कंपनी ‘स्टारलिंक’ के प्रतिनिधि ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात की, जिसमें उन्होंने भारत में कंपनी के भविष्य के निवेश व स्थानीय साझेदारी (पार्टनरशिप) पर चर्चा की। अभी यह कंपनी भारत में काम शुरू करने के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र का इंतज़ार कर रही है। बता दें कि मस्क की स्टारलिंक ने पिछले साल रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की, इसके जरिए भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की योजना है।
ख़बर की अहमियत – ये मोदी की मस्क से दूसरी वार्ता है जो मात्र दो महीने के भीतर हुई है। मस्क की ट्रंप सरकार में खासी अहमियत को देखते हुए उपराष्ट्रपति वेन्स के भारत दौरे से पहले मस्क से वार्ता अहम हो जाती है। इसके अलावा, मस्क के भारत में टेस्ला व स्टारलिंक के जरिए निवेश की योजनाओं के चलते यह महत्वपूर्ण है।
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2- नासिक की दरगाह ध्वस्त करने के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर एक और महत्वपूर्ण ख़बर लगाई कि नासिक के एक प्राचीन दरगाह के आसपास अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए नासिक नगर निगम के दिए गए ध्वस्तिकरण नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट से पूछा है कि हजरत सतपीर सैयद बाबा दरगाह की ओर से इस ध्वस्तिकरण के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने और सुनवाई करने से क्या इनकार कर दिया गया था? बता दें, 15 अप्रैल की रात में एनएमसी अधिकारियों ने जब निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू की तो भीड़ की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी।
ख़बर की अहमियत – इस मामले में अंतरिम रोक लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने हाईकोर्ट से प्रश्न किया है कि तत्काल सुनवाई के लिए लिखित अनुरोध वाली याचिका को क्यों नहीं सुना गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जवाबदेही लेने से किसी मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में पारदर्शिता आ सकती है।
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3- अगर तिहाड़ में बंद किया तो आरोपियों को भारत नहीं भेजेंगे : ब्रिटेन प्रत्यर्पण अथॉरिटी
भारत की अदालतों विशेषकर तिहाड़ में बंद आरोपियों के साथ कथितरूप से होने वाले टॉर्चर का मुद्दा उठाते हुए ब्रिटेन की प्रत्यर्पण अथॉरिटी ने भारत के सामने शर्त रखी है कि अगर वह यह सुनिश्चित करेगा कि जो बड़े अपराध के आरोपी वह भारत में बुलाना चाहता है, उन्हें तिहाड़ में नहीं रखेगा.. तब ही वे (ब्रिटेन) भारत में प्रत्यर्पण की अपील पर सुनवाई करेंगे। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह अहम ख़बर पहले पन्ने पर लगाई है।
ख़बर की अहमियत – भारतीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, ऐसे में ब्रिटेन का भारतीय सरकार से यह कहना है उनके देश से भारत भेजे जाने वालों से जेल में मानवीय व्यवहार किया जाए और तिहाड़ को ‘अमानवीय व्यवहार’ की एक उपमा बना देना महत्वपूर्ण है। अगर भारत सरकार ऐसा आश्वासन देती है तो यह ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित होने वाले सभी मामलों पर लागू होगा, जिसका असर अन्य विदेशी प्रत्यर्पण के मामलों पर भी पड़ सकता है।
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अमेरिका में जिन विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा हुआ, उसमें आधे भारतीय
अमेरिका में वीजा कैंसिल होने वालों में से आधे विद्यार्थी भारत से हैं जबकि 14 प्रतिशत चीन से हैं। अमेरिकी दूतावास ने वीजा अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए हैं। अमेरिका में जिन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीजा हाल ही में रद्द कर दिए गए उनमें से लगभग 50 प्रतिशत भारत से थे। अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) ने यह जानकारी दी। यह ख़बर द इंडियन एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर दी है।
ख़बर की अहमियत – कई भारतीय विद्यार्थियों को बहुत छोटे अपराध जैसे ट्रैफिक व पार्किंग नियम तोड़ना आदि के आधार पर अमेरिकी सरकार ने विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा करना शुरू कर दिया है। इस मामले में अभी तक भारतीय सरकार की अमेरिका को कोई शिकायत दर्ज किए जाने की रिपोर्ट सामने नहीं आई है, ऐसे में यह ख़बर और ज्यादा चिंताजनक है।
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4- श्रीलंका ने सैन्य अभ्यास के लिए पाक को न कहा
इस हेडलाइन के साथ दैनिक हिन्दुस्तान अख़बार ने यह ख़बर पहले पन्ने पर लीड लगाई है। जिसमें बताया गया है कि भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में पाकिस्तान की नौसेना के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाना था, जिसकी जानकारी होने पर भारत ने इसका विरोध जताया और इसके बाद श्रीलंका ने कदम पीछे खींच लिए हैं। अख़बार ने ख़बर में लिखा है कि इस मामले पर पाक व श्रीलंका दोनों ही ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है पर अभ्यास से श्रीलंका ने हाथ पीछे खींच लिए हैं, ऐसा सूत्रों ने बताया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने यह ख़बर न्यूज़ एजेंसी के हवाले से लगाई है। ग़ौरतलब है कि इस मामले की ख़बर किसी अन्य प्रमुख अख़बार में नहीं छपी है। अख़बार का कहना है कि यह अभ्यास त्रिंकोमाली में होना था, यह क्षेत्र भारत के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि त्रिंकोमाली के जरिए बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर हिंद महासागर के अधिकांश हिस्से पर दबदबा बनाया जा सकता है। हाल में प्रधानमंत्री मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान भारत, श्रीलंका और यूएई ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते को अंतिम रूप दिया गया था।
ख़बर की अहमियत – श्रीलंका में चीन के बढ़ते दवाब के बीच पाकिस्तान का वहां संयुक्त सैन्य अभ्यास करना भारत के लिए दोहरी चुनौती बन सकता था। बता दें कि श्रीलंका के महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को वहां की सरकार ने 99 साल के लिए चीन को पट्टे (लीज़) पर दे दिया है। यहां के कोलंबो बंदरगाह पर चीन ने अपना एक युद्धपोत दो साल पहले डॉक किया था, जिस पर भारत ने चिंता जतायी थी।
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2- दैनिक भास्कर ने NTA को बताया – नेशनल तमाशा एजेंसी
इंजीनियरिंग व मेडिकल की प्रतिष्ठित परीक्षाएं कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTP) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर एक बड़ी स्टोरी लगाई है। इसमें बताया गया है कि जेईई मेन की परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविज़नल आंसर-की आ जानी चाहिए थी पर इसे एनटीपी ने चार दिन बाद जारी किया और इसके पाँच दिन के बाद फाइनल आंसर-की जारी की गई, पर उसे भी ढाई घंटे के अंदर वापस ले लिया गया। भास्कर के मुताबिक़, इसमें 11 सवालों के जबाव में सुधार की ज़रूरत है। इतनी बड़ी परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में प्रश्नों के जवाब ठीक न होना, इसकी गंभीरता पर प्रश्न खड़े करता है। अख़बार लिखता है कि इसी तरह सीजूईटी-पीजी की परीक्षा हुए 18 दिन हो गए हैं पर अब तक फाइनल आंसर-की जारी नहीं हुई है, जबकि अब तक रिजल्ट आ जाना चाहिए था।
ख़बर की अहमियत – भास्कर ने विशेषज्ञ के हवाले से लिखा है कि आंसर-की देरी से जारी होने से अभ्यार्थियों को पेपर पर आपत्ति दर्ज कराने का पर्याप्त मौका नहीं मिल जाता, तब तक रिजल्ट आ जाता है। सवालों के जवाब में गलतियों के मामलों पर विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया है कि ऐसा लगता है कि पेपर मशीन से बनाया जा रहा है, इंसानी दख़ल अगर हो तो इतनी गलतियां नहीं हो सकतीं।
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अगर रूस-यूक्रेन युद्ध पर सहमति नहीं बनी तो हम ख़ुद को अलग कर लेंगे : अमेरिकी विदेश मंत्री
द हिन्दू ने पहली ख़बर लगाई है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन में युद्ध रोकने के प्रयासों में अगर कुछ और देशों देशों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो अमेरिका इस प्रयास से खुद को अलग कर लेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि हम इस कोशिश में महीनों तक नहीं जुटे रहेंगे, ृहमारे पास और भी कई काम हैं।
ख़बर की अहमियत – यूक्रेन इस युद्ध में अमेरिका सहायता के बूते इतने लंबे समय तक लड़ता आया है, ऐसे में अगर ट्रंप अमेरिका को इस युद्ध से अलग करते हैं तो यह यूक्रेन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।
आज के अखबार
चुनाव धांधली : राहुल गांधी के दावों पर इंडियन एक्सप्रेस की जाँच

बोलते पन्ने | नई दिल्ली
द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार के सात जून के संस्करण में राहुल गांधी के लिखे एक लेख के बाद भारतीय राजनीति में चुनावी पारदर्शिता की बहस छिड़ गई है। राहुल गांधी ने पिछले साल हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों को मैच फिक्सिंग बताया और चेताया कि ऐसा बिहार में भी हो सकता है। अख़बार ने ठीक अगले दिन राहुल के दावों को अपनी जाँच के आधार पर ख़ारिज किया है। साथ ही, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का भी एक विस्तृत लेख छापा है जो इस मामले में भाजपा का पक्ष रखता है। यह पूरा मामला इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकारिता के लिए भी उदाहरण पेश करता है, जिसमें न सिर्फ राहुल गांधी को अपने दावे रखने का पूरा स्थान दिया गया, बल्कि अगले दिन अख़बार ने स्वतंत्र रूप से इसे जांचा और आरोपी पक्षों (भाजपा/चुनाव आयोग) को भी यथावत स्थान दिया।
महाराष्ट्र चुनाव में धांधली को लेकर राहुल का लेख – ‘Match-fixing Maharashtra’
राहुल गांधी ने इस लेख के जरिए एलओपी ने साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कथित धांधली को लेकर एक गंभीर आरोप है। लेख में पांच-चरणीय रणनीति के जरिए BJP पर मतदाता सूची में हेरफेर, मतदान प्रतिशत बढ़ाने और लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान का आरोप लगाया गया है।
- चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में हेरफेर (Rig the panel for appointing the Election Commission):
- गांधी ने 2023 के Election Commissioners Appointment Act पर सवाल उठाया, जिसमें चुनाव आयुक्तों की समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटा दिया गया।
- मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ना(Add fake voters to the roll):
- गांधी ने दावा किया कि 2019 के विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 8.98 करोड़ थी, जो मई 2024 के लोकसभा चुनावों तक 9.29 करोड़ हो गई। लेकिन नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों तक यह संख्या 9.70 करोड़ तक पहुंच गई, जो सरकार के अपने अनुमानों (9.54 करोड़ वयस्क आबादी) से भी अधिक थी।
- मतदान प्रतिशत में हेरफेर(Inflate voter turnout):
- गांधी ने ECI के डेटा का हवाला देते हुए कहा कि मतदान के दिन 5:30 बजे तक की अनंतिम मतदान संख्या और अंतिम मतदान संख्या में 7.83 प्रतिशत अंकों (लगभग 76 लाख मतदाताओं) का अंतर था। यह अंतर 2009 के बाद से किसी भी चुनाव की तुलना में असामान्य रूप से अधिक था।
- लक्षित बूथों पर फर्जी मतदान (Target the bogus voting exactly where BJP needs to win):
- गांधी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के लगभग 1 लाख मतदान केंद्रों में से 12,000 बूथों पर, जो 85 निर्वाचन क्षेत्रों में थे जहां BJP ने लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन किया था, असामान्य रूप से अधिक मतदाता जोड़े गए। इन बूथों पर औसतन 600 अतिरिक्त मतदाता थे, जो 5 बजे के बाद मतदान में शामिल हुए। गांधी ने सवाल उठाया कि एक मतदाता को वोट डालने में एक मिनट लगने पर भी इतने वोटों के लिए 10 घंटे का समय चाहिए, जो संभव नहीं था।
- सबूतों को छिपाना (Hide the evidence):
- गांधी ने ECI पर मतदाता सूची और मतदान डेटा में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने मांग की कि ECI 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की केंद्रीकृत व अंतिम मतदाता सूची सार्वजनिक करे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अदालत का रुख करेंगे।
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को बताया – क़ानून के प्रति अपराध
ECI ने गांधी के आरोपों को निराधार और कानून के प्रति अपमान करार दिया। आयोग ने कहा कि 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब सार्वजनिक रूप से उसकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। ECI ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र में 6.40 करोड़ मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान किया, और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई शिकायत नहीं की। ECI ने यह भी तर्क दिया कि नवीनतम जनगणना नहीं हुई है, इसलिए मतदाता संख्या को जनसंख्या अनुमानों से तुलना करना उचित नहीं है।
BJP की प्रतिक्रिया: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि वे नकली कथानक गढ़ने और संस्थानों को बदनाम करते हैं। नड्डा ने कहा कि गांधी की यह प्रतिक्रिया उनकी “हार की निराशा” और बिहार में संभावित हार के डर का परिणाम है।
महाराष्ट्र चुनाव परिणाम के बाद राहुल ने लगाया था आरोप
नवंबर 2024 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में BJP-नीत महायुति गठबंधन (BJP, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, और अजित पवार की NCP) ने 288 में से 235 सीटें जीतीं, जिसमें BJP ने अकेले 132 सीटें हासिल कीं। इसके विपरीत, महा विकास अघाड़ी (MVA), जिसमें कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT), और शरद पवार की NCP (SP) शामिल थीं, केवल 50 सीटों पर सिमट गई। गांधी ने इस मामले में 3 फरवरी 2025 को संसद में और बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने 8 फरवरी 2025 को NCP (SP) की सुप्रिया सुले और शिवसेना (UBT) के संजय राउत के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।
इंडियन एक्सप्रेस ने जाँच के आधार पर राहुल के दावों पर सवाल उठाए
- अखबार ने तर्क दिया कि ECI की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी कोई नई बात नहीं है। 2007 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार के तहत प्रशासकीय सुधार आयोग (ARC), जिसके अध्यक्ष एम. वीरप्पा मोइली थे, ने ECI नियुक्तियों के लिए एक कॉलेजियम प्रणाली की सिफारिश की थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि सभी सरकारों, जिसमें UPA भी शामिल है, ने इस प्रक्रिया को औपचारिक बनाने का अवसर गंवाया। 2023 का कानून पहली बार ECI नियुक्तियों को औपचारिक बनाता है, जिसमें विपक्ष के नेता को समिति में शामिल किया गया है।
- अखबार ने ECI के डेटा के हवाले से मतदाता संख्या बढ़ने के आरोप पर लिखा कि नवंबर 2024 के लिए मतदाता सूची में 9.78 करोड़ मतदाता थे। मतदाता सूची तैयार करने के दौरान 3,901 दावों और आपत्तियों में से केवल 89 अपीलें दर्ज की गईं, और केवल एक मामला मुख्य निर्वाचन अधिकारी तक पहुंचा। यह न्यूनतम विवाद दर्शाता है। इसके अलावा, सभी राजनीतिक दलों जिसमें कांग्रेस भी शामिल थी, को मतदाता सूची तक पहुंच थी और कांग्रेस ने 27,099 बूथ-स्तरीय एजेंट नियुक्त किए थे, जिन्होंने उस समय कोई आपत्ति नहीं उठाई।
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अखबार ने लिखा कि मतदान के दिन देर रात तक मतदाता कतार में थे, जिसके कारण अंतिम आंकड़े बाद में अपडेट किए गए। ECI ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया। 2009 से 2024 तक के आंकड़ों में मतदान प्रतिशत में अंतर सामान्य रहा है, जैसे 2004 में 5%, 2009 में 4%, 2014 में 3%, और 2019 में 1%। 2024 में 4% का अंतर कोई असामान्य बात नहीं थी।
- कुछ विशेष बूथों पर बीजेपी को फायदा पहुंचने के आरोपों पर अख़बार ने देवेंद्र फडणवीस के लेख का हवाला देकर लिखा, जिसमें उन्होंने माढा (18% वृद्धि, शरद पवार समूह जीता), वानी (13% वृद्धि, उद्धव ठाकरे समूह जीता), और श्रीरामपुर (12% वृद्धि, कांग्रेस जीता) जैसे उदाहरण दिए। इनसे पता चलता है कि मतदान वृद्धि का लाभ केवल BJP को नहीं, बल्कि MVA को भी मिला।
- अंतिम आरोप पर अखबार ने ECI के हवाले से कहा कि मतदाता सूची सभी दलों के लिए उपलब्ध थी, और कांग्रेस के बूथ-स्तरीय एजेंट्स ने प्रक्रिया की निगरानी की थी। ECI ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस की शिकायतों का जवाब अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया था।
आज के अखबार
अमेरिकी अख़बार ने क्यों लिखा- ‘जाँच के घेरे में फिर आए गौतम अदाणी’

बोलते पन्ने | नई दिल्ली
अमेरिकी अख़बार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने तीन जून, 2025 के अपने संस्करण में एक खबर में दावा किया है कि भारतीय अरबपति गौतम अदाणी एक नई अमेरिकी जाँच में फँस गए हैं। अख़बार का दावा है कि अमेरिकी अभियोजक इस बात की जाँच कर रहे हैं कि उनकी कंपनियां कहीं ईरान से एलपीजी आयात करके अपने मुंद्रा पोर्ट के ज़रिए भारत तो नहीं ला रही थीं?
दरअसल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मई के पहले सप्ताह में पूरी दुनिया को चेतावनी दी थी कि कोई भी ईरान से तेल या पेट्रोकेमिकल्स नहीं खरीदेगा, ऐसा करने पर उस देश या व्यक्ति के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। यह भी बता दें कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की ख़बर का अदाणी की कंपनी ने खंडन किया है। ज्ञात हो कि नवंबर, 2024 में कारोबारी गौतम अदाणी पर अमेरिका में धोखाधड़ी और रिश्वत का मुक़दमा दायर हुआ था, जिसके बाद अब एक और मामले की जाँच को लेकर अख़बार ने दावा किया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस मामले पर की खोजी रिपोर्ट
अख़बार ने अपनी खोजी पड़ताल का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने मुंद्रा पोर्ट से फ़ारस की खाड़ी की ओर रेग्युलर जाने वाले जहाज़ों की गतिविधियों को जांचा, जिसमें कुछ ऐसी गतिविधियां पायी गईं जो अक्सर उन जहाजों में देखने को मिलती हैं जो प्रतिबंधों से बचने की कोशिश करते हैं। वॉल स्ट्रीट जर्नल की हालिया जांच में दावा किया गया कि मुंद्रा पोर्ट और फारस की खाड़ी के बीच चलने वाले एलपीजी टैंकरों ने जहाजों के स्वचालित पहचान प्रणाली (AIS) में हेरफेर करके प्रतिबंधों से बचने की कोशिश की। अख़बार ने 3 अप्रैल 2024 को एक जहाज़ की तस्वीरों के आधार पर ऐसा दावा किया है, जिसे आप इस आर्टिकल में अटैच अख़बार की कटिंग पर जाकर विस्तार से पढ़ सकते हैं।
अदाणी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को निराधार बताया
अखबार ने इस मामले में अदाणी के बयान को भी प्रमुख ख़बर में छापा है जिसमें कहा गया है कि – अदाणी समूह की कंपनियों और ईरानी एलपीजी के बीच संबंध का आरोप लगाने वाली वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट निराधार और नुकसान पहुंचाने वाली है। अदाणी जानबूझकर किसी भी तरह के प्रतिबंधों से बचने या ईरानी एलपीजी से जुड़े व्यापार में संलिप्तता से साफ़ इनकार करता है। हमें इस विषय पर अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किसी भी जांच की जानकारी नहीं है।
अख़बार ने अपनी ख़बर में अदाणी के बारे में यह भी लिखा है कि गौतम अदाणी एशिया के दूसरे सबसे बड़े अमीर व्यक्ति हैं जो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी हैं। अख़बार ने लिखा है कि भारत की आर्थिक प्रगति का सबसे बड़ा कारण रहे निर्माण क्षेत्र में अदाणी की कई कंपनियों की बड़ी भागीदारी रही है।
आज के अखबार
पहलगाम आतंकी हमले पर अखबारी कवरेज

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा- अमेरिकी दौरे के बीच भारत में आतंकी हमलों का रहा है पैटर्न
इंडियन एक्सप्रेस ने लीड लगाई है – terrorists kill tourists in Kashmir यानी ‘कश्मीर में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया’। अखबार ने पहले पन्ने पर लगाई एक खबर में लिखा है कि बीते वर्षों में यह पैटर्न देखा गया है कि जब भी किसी अमेरिकी प्रतिनिधि की भारत यात्रा हुई है, आतंकियों ने उस मौके पर घटनाओं को अंजाम दिया है। अखबार ने साल 2000 में 32 ग्रामीणों को मार डालने व साल 2002 में दस बच्चों समेत 30 लोगों को गोलियों के भून डाला था। अखबार का कहना है कि ऐसे दौरों के बीच घटनाएं करके वे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा पा जाते हैं। अखबार ने यह भी लिखा है कि यह घटना ऐसे समय हुई है जब पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल असर मुनीर ने कहा कि कश्मीर हमारी जीवन रेखा (जुगुलर वेन्स) है। अखबार ने सूत्र के हवाले से लिखा है कि लोकल हैंडलर की मदद से वे बैसरन घाटी तक पहुंचे और मौजूद पर्यकों पर फायरिंग शुरू कर दी। इनके पास M4 व AK47 रायफल थीं। इसकी जांच जल्द ही एनआईए को दे दी जाएगी।
द हिन्दी ने लिखा – कश्मीर की डेमोग्राफी ‘बदलने’ को टीआरएफ ने बताया हमले की वजह
द हिन्दू ने लिखा है कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले समूह ‘द रेजिस्टेंट ग्रुप’ (TRF) ने अपने बयान में दावा किया कि ”जम्मू-कश्मीर में 85 हज़ार ग़ैर स्थानीय लोगों को मूल निवास प्रमाणपत्र जारी किए गए जो कि वहां की डेमोग्राफी बदलने के तहत हुआ। हम ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा करेंगे जो वहां अवैध रुप से बसने की कोशिश करेंगे।” अख़बार ने बताया है कि टीआरएफ एक आतंकी समूह है जो कि पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर-ए-तैएबा आतंकी संगठन का ही हिस्सा है।
आतंकी हमले की टाइम लाइन – HT
हिन्दुस्तान टाइम्स के मुताबिक़, जंगलों से निकलकर आए चार आतंकियों ने 22 अप्रैल की दोपहर 1:50 बजे पर्यटकों पर खुली फायरिंग शुरू कर दी, जिससे बचने के लिए कई लोग फेन्स की ओर भागे। स्थानीय पोनी वाले और गाइडों ने सबसे पहले पर्यटकों को सुरक्षित निकालना शुरू किया, इसके बाद पुलिस व सेना पहुंची।
देश में दंगा कराने के मकसद से हुई धर्म देखकर हत्या – TOI
टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने की ख़बर में लिखा है कि आतंकवादियों का यह कृत्य जिसमें उन्होंने धार्मिक मान्यता के आधार पर लोगों को चुनकर मारा, यह संभवता देश में धार्मिक दंगे कराने की नीयत से किया गया था। अख़बार लिखता है कि इससे पहले तक पर्यटकों पर आतंकवादी गोलीबारी करने से बचते थे क्योंकि उनके ज़रिए ही इस केंद्रशासित प्रदेश में रूपया पहुंचता है।
मौत की संख्या अलग- पहलगाम नरसंहार को लेकर शुरूआती जानकारियां स्पष्ट नहीं थीं, मौत का आंकड़ा आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किया गया था, ऐसे में पहले दिन छपी ख़बर में मौत की संख्या में अंतर दिखता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि पहलगाम नरसंहार में 28 की हत्या हुई जिसमें दो विदेशी मूल के पर्यटक थे। साथ ही, मौके पर बच गए लोगों के हवाले से लिखा है कि आतंकियों की संख्या छह तक थी। हालांकि अब हम जानते हैं कि कुल 26 की हत्या हुई जिसमें एक स्थानीय पोनीवाला कश्मीरी और बाकी 25 पर्यटक थे। इन पयर्टकों में एक नेपाली मूल के जबकि अन्य भारतीय थे।
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