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आज के अखबार

अमेरिकी विदेशमंत्री की यात्रा से पहले मस्क से मोदी की वार्ता

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फाइल फुटेज

1- अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भारत यात्रा से पहले मोदी-मस्क की वार्ता 

इस ख़बर को द इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने पहले पन्ने की लीड बनाया है, जिसमें बताया गया है कि मस्क व मोदी के बीच बातचीत ऐसे दौर में हो रही है जबकि ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक ड्यूटी लगाई है और अगले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति वेन्स भारत आ रहे हैं। पारस्परिक कर ( रेसिप्रोकल टैरिफ़) से निपटने के लिए भारत अमेरिका के साथ व्यापार नीति बनाने पर तेजी से काम कर रहा है, ऐसे में मस्क से मोदी की फोनवार्ता महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि वेन्स के आने पर भी इस कार्य को गति मिलने की संभावना है। ख़बर में बताया गया है कि मोदी ने एक्स पर ट्वीट किया कि फोनवार्ता में दोनों ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। इस ख़बर को दैनिक भास्कर, टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी पहले पन्ने पर लिया। हालांकि दैनिक हिन्दुस्तान इसकी अहमियत नहीं समझ पाया और इसे विदेश पन्ने पर छापा है।  एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी-अपनी ख़बर में यह भी बताया है कि गुरूवार को मस्क की सेटेलाइट कम्युनिकेशन सर्विस कंपनी ‘स्टारलिंक’ के प्रतिनिधि ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाक़ात की, जिसमें उन्होंने भारत में कंपनी के भविष्य के निवेश व स्थानीय साझेदारी (पार्टनरशिप) पर चर्चा की।  अभी यह कंपनी भारत में काम शुरू करने के लिए सुरक्षा प्रमाणपत्र का इंतज़ार कर रही है। बता दें कि मस्क की स्टारलिंक ने पिछले साल रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ साझेदारी की, इसके जरिए भारत में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की योजना है।

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – ये मोदी की मस्क से दूसरी वार्ता है जो मात्र दो महीने के भीतर हुई है। मस्क की ट्रंप सरकार में खासी अहमियत को देखते हुए उपराष्ट्रपति वेन्स के भारत दौरे से पहले मस्क से वार्ता अहम हो जाती है। इसके अलावा, मस्क के भारत में टेस्ला व स्टारलिंक के जरिए निवेश की योजनाओं के चलते यह महत्वपूर्ण है।

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2- नासिक की दरगाह ध्वस्त करने के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई 

इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर एक और महत्वपूर्ण ख़बर लगाई कि नासिक के एक प्राचीन दरगाह के आसपास अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए नासिक नगर निगम के दिए गए ध्वस्तिकरण नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट से पूछा है कि हजरत सतपीर सैयद बाबा दरगाह की ओर से इस ध्वस्तिकरण के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने और सुनवाई करने से क्या इनकार कर दिया गया था? बता दें, 15 अप्रैल की रात में एनएमसी अधिकारियों ने जब निर्माण गिराने की कार्रवाई शुरू की तो भीड़ की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी।

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

द इंडियन एक्सप्रेस, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – इस मामले में अंतरिम रोक लगाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट की दो जजों वाली पीठ ने हाईकोर्ट से प्रश्न किया है कि तत्काल सुनवाई के लिए लिखित अनुरोध वाली याचिका को क्यों नहीं सुना गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की जवाबदेही लेने से किसी मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में पारदर्शिता आ सकती है।

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3- अगर तिहाड़ में बंद किया तो आरोपियों को भारत नहीं भेजेंगे : ब्रिटेन प्रत्यर्पण अथॉरिटी 

भारत की अदालतों विशेषकर तिहाड़ में बंद आरोपियों के साथ कथितरूप से होने वाले टॉर्चर का मुद्दा उठाते हुए ब्रिटेन की प्रत्यर्पण अथॉरिटी ने भारत के सामने शर्त रखी है कि अगर वह यह सुनिश्चित करेगा कि जो बड़े अपराध के आरोपी वह भारत में बुलाना चाहता है, उन्हें तिहाड़ में नहीं रखेगा.. तब ही वे (ब्रिटेन) भारत में प्रत्यर्पण की अपील पर सुनवाई करेंगे। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह अहम ख़बर पहले पन्ने पर लगाई है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

 

ख़बर की अहमियत – भारतीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं, ऐसे में ब्रिटेन का भारतीय सरकार से यह कहना है उनके देश से भारत भेजे जाने वालों से जेल में मानवीय व्यवहार किया जाए और तिहाड़ को ‘अमानवीय व्यवहार’ की एक उपमा बना देना महत्वपूर्ण है। अगर भारत सरकार ऐसा आश्वासन देती है तो यह ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित होने वाले सभी मामलों पर लागू होगा, जिसका असर अन्य विदेशी प्रत्यर्पण के मामलों पर भी पड़ सकता है।

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अमेरिका में जिन विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा हुआ, उसमें आधे भारतीय 

अमेरिका में वीजा कैंसिल होने वालों में से आधे विद्यार्थी भारत से हैं जबकि 14 प्रतिशत चीन से हैं। अमेरिकी दूतावास ने वीजा अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए हैं। अमेरिका में जिन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के वीजा हाल ही में रद्द कर दिए गए उनमें से लगभग 50 प्रतिशत भारत से थे। अमेरिकी इमिग्रेशन लॉयर्स एसोसिएशन (AILA) ने यह जानकारी दी। यह ख़बर द इंडियन एक्सप्रेस व टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर दी है।

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

द टाइम्स ऑफ इंडिया, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – कई भारतीय विद्यार्थियों को बहुत छोटे अपराध जैसे ट्रैफिक व पार्किंग नियम तोड़ना आदि के आधार पर अमेरिकी सरकार ने विदेशी विद्यार्थियों का वीजा रद्दा करना शुरू कर दिया है। इस मामले में अभी तक भारतीय सरकार की अमेरिका को कोई शिकायत दर्ज किए जाने की रिपोर्ट सामने नहीं आई है, ऐसे में यह ख़बर और ज्यादा चिंताजनक है।

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4- श्रीलंका ने सैन्य अभ्यास के लिए पाक को कहा 

इस हेडलाइन के साथ दैनिक हिन्दुस्तान अख़बार ने यह ख़बर पहले पन्ने पर लीड लगाई है। जिसमें बताया गया है कि भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में पाकिस्तान की नौसेना के साथ एक संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाना था, जिसकी जानकारी होने पर भारत ने इसका विरोध जताया और इसके बाद श्रीलंका ने कदम पीछे खींच लिए हैं। अख़बार ने ख़बर में लिखा है कि इस मामले पर पाक व श्रीलंका दोनों ही ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है पर अभ्यास से श्रीलंका ने हाथ पीछे खींच लिए हैं, ऐसा सूत्रों ने बताया है। दैनिक हिन्दुस्तान ने यह ख़बर न्यूज़ एजेंसी के हवाले से लगाई है। ग़ौरतलब है कि इस मामले की ख़बर किसी अन्य प्रमुख अख़बार में नहीं छपी है।  अख़बार का कहना है कि यह अभ्यास त्रिंकोमाली में होना था, यह क्षेत्र भारत के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि त्रिंकोमाली के जरिए बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर हिंद महासागर के अधिकांश हिस्से पर दबदबा बनाया जा सकता है।  हाल में प्रधानमंत्री मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान भारत, श्रीलंका और यूएई ने त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। 

दैनिक हिन्दुस्तान, 19 अप्रैल

दैनिक हिन्दुस्तान, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – श्रीलंका में चीन के बढ़ते दवाब के बीच पाकिस्तान का वहां संयुक्त सैन्य अभ्यास करना भारत के लिए दोहरी चुनौती बन सकता था।  बता दें कि श्रीलंका के महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को वहां की सरकार ने 99 साल के लिए चीन को पट्टे (लीज़) पर दे दिया है। यहां के कोलंबो बंदरगाह पर चीन ने अपना एक युद्धपोत दो साल पहले डॉक किया था, जिस पर भारत ने चिंता जतायी थी। 

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2- दैनिक भास्कर ने NTA को बताया – नेशनल तमाशा एजेंसी

इंजीनियरिंग व मेडिकल की प्रतिष्ठित परीक्षाएं कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTP) की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर एक बड़ी स्टोरी लगाई है। इसमें बताया गया है कि जेईई मेन की परीक्षा के तुरंत बाद प्रोविज़नल आंसर-की आ जानी चाहिए थी पर इसे एनटीपी ने चार दिन बाद जारी किया और इसके पाँच दिन के बाद फाइनल आंसर-की जारी की गई, पर उसे भी ढाई घंटे के अंदर वापस ले लिया गया। भास्कर के मुताबिक़, इसमें 11 सवालों के जबाव में सुधार की ज़रूरत है। इतनी बड़ी परीक्षा में इतनी अधिक संख्या में प्रश्नों के जवाब ठीक न होना, इसकी गंभीरता पर प्रश्न खड़े करता है। अख़बार लिखता है कि इसी तरह सीजूईटी-पीजी की परीक्षा हुए 18 दिन हो गए हैं पर अब तक फाइनल आंसर-की जारी नहीं हुई है, जबकि अब तक रिजल्ट आ जाना चाहिए था।

ख़बर की अहमियत – भास्कर ने विशेषज्ञ के हवाले से लिखा है कि आंसर-की देरी से जारी होने से अभ्यार्थियों को पेपर पर आपत्ति दर्ज कराने का पर्याप्त मौका नहीं मिल जाता, तब तक रिजल्ट आ जाता है। सवालों के जवाब में गलतियों के मामलों पर विशेषज्ञ के हवाले से कहा गया है कि ऐसा लगता है कि पेपर मशीन से बनाया जा रहा है, इंसानी दख़ल अगर हो तो इतनी गलतियां नहीं हो सकतीं।

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अगर रूस-यूक्रेन युद्ध पर सहमति नहीं बनी तो हम ख़ुद को अलग कर लेंगे : अमेरिकी विदेश मंत्री 

द हिन्दू ने पहली ख़बर लगाई है कि अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा है कि यूक्रेन में युद्ध रोकने के प्रयासों में अगर कुछ और देशों देशों ने  अच्छा प्रदर्शन नहीं हुआ तो अमेरिका इस प्रयास से खुद को अलग कर लेगा। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि हम इस कोशिश में महीनों तक नहीं जुटे रहेंगे, ृहमारे पास और भी कई काम हैं।

द हिन्दू, 19 अप्रैल

द हिन्दू, 19 अप्रैल

ख़बर की अहमियत – यूक्रेन इस युद्ध में अमेरिका सहायता के बूते इतने लंबे समय तक लड़ता आया है, ऐसे में अगर ट्रंप अमेरिका को इस युद्ध से अलग करते हैं तो यह यूक्रेन के लिए बहुत बड़ा झटका होगा।

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दो अरब लोग गंदा पानी पीने को मजबूर

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साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
द हिन्दू ने 25 जून के संस्करण में लेख के ज़रिए बताया कि दुनिया में दो अरब लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। यानी जो पानी वे पी रहे हैं, उसमें तमाम तरह के रोग होने की संभावना है। साथ ही, दुनिया के 3.6 अरब लोगों को सुरक्षित स्वच्छता सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। अख़बार ने संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। जिसमें भारत सहित कई देशों में जल संकट की गंभीरता को उजागर किया है।
शहरीकरण से जलसंकट गहराया 
लेख के मुताबिक़, सुरक्षित जल का संकट दुनिया में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण और गहरा रहा है। भारत में, गंगा और यमुना जैसी नदियों में प्रदूषण और अपर्याप्त सीवेज उपचार इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में 10 लाख लोग दूषित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से मर रहे हैं।
द हिन्दू, 25 जून

द हिन्दू, 25 जून

67.8 करोड़ भारतीय गंदगी में जी रहे 
लेख में बताया गया कि भारत में 3.5 करोड़ लोग सुरक्षित पेयजल और 67.8 करोड़ लोग स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 230 जिलों में भूजल में आर्सेनिक और 469 जिलों में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। WHO के मुताबिक़, भारत में 80% स्वास्थ्य समस्याएं जलजनित रोगों से जुड़ी हैं।
भारत में 40% शहरी पानी रिसकर बर्बाद 
भारत सरकार की जल जीवन मिशन जैसी पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में 49% घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाया है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 40% पानी रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है। विश्व बैंक और यूनिसेफ जैसी संस्थाएं जल प्रबंधन में सहयोग कर रही हैं। लेख में सुझाव दिया गया कि पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने, रिसाव कम करने, और स्थानीय जल स्रोतों को पुनर्जनन करने की आवश्यकता है।

आंकड़ों की नज़र से :

  • 2 अरब: विश्व भर में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 3.6 अरब: सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 3.5 करोड़: भारत में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 67.8 करोड़: भारत में स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 230 जिले: भारत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी।
  • 469 जिले: भारत में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी।
  • 80 प्रतिशत: भारत में जलजनित रोगों से स्वास्थ्य समस्याएं।
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केरल : ‘भारत माता’ की तस्वीर पर विवाद क्यों

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भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
केरल के राजभवन में ‘भारत माता’ की तस्वीर के प्रदर्शन को लेकर राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच विवाद गहरा गया है। द हिन्दू ने इस विवाद के बहाने भारत माता की अवधारणा पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि अखंड भारत के मानचित्र के सामने भगवा साड़ी में खड़ी एक स्त्री की इस तस्वीर की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। लेख में केरल के राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच के विवाद को अनावश्यक बताया है।
बता दें कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर के सामने फूल अर्पित करके दीप जलाने के साथ सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत किए जाने के विरोध से मामला शुरू हुआ। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने इस चित्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित मानते हुए ऐसे कार्यक्रमों में न शामिल होने की घोषणा की है।   
द हिन्दू, 26 जून

द हिन्दू, 26 जून

भारत माता के चित्र का कोई संवैधानिक आधार नहीं
द हिन्दू में 26 जून 2025 को प्रकाशित लेख “A Lofty Concept, a Governor and Unwanted Controversy” में इस विवाद को अनावश्यक और भारत माता के चित्र को उच्च अवधारणा बताया गया है। इस लेख को लिखने वाले पी.डी.टी. अचारी लोकसभा के पूर्व महासचिव रहे हैं और वे संवैधानिक व संसदीय मामलों के विशेषज्ञ हैं। अचारी ने लिखा है कि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में सरकारी आयोजनों में एक विशेष चित्र—जो भगवा साड़ी में एक महिला, हाथ में भाला, पीछे शेर और अखंड भारत के नक्शे को दर्शाता है—को प्रदर्शित करने और सम्मान करने की प्रथा शुरू की। लेख के अनुसार, भारत माता का यह चित्र संविधान या कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, न ही यह राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान या प्रतीक की तरह आधिकारिक है। इसलिए, इसे सरकारी आयोजनों में शामिल करना अनुचित है।
केरल राज्य प्रतीक

केरल राज्य प्रतीक

‘राज्यपाल की ज़िद ने तनाव बढ़ाया’
लेखक ने कहा है कि राज्यपाल को राज्य सरकार की सलाह पर ही काम करना चाहिए। संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बयान का हवाला देते हुए लेखक बताता है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह माननी चाहिए, लेकिन उनकी जिद ने सरकार के साथ तनाव बढ़ाया। इस विवाद ने CPI(M) और BJP कार्यकर्ताओं के बीच सड़कों पर टकराव को जन्म दिया। लेख सुझाव देता है कि संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन कर ऐसे टकरावों से बचा जा सकता है।
भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता की जयकार और तस्वीर में फर्क
लेख में भारत माता के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख है, जो बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की “आनंदमठ” में बंगा माता के रूप में शुरू हुआ और बाद में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में “भारत माता की जय” के नारे के रूप में लोकप्रिय हुआ। यह चित्र 19वीं सदी के राष्ट्रवाद को जोड़ता था।  हालांकि, लेख में यह भी कहा गया है कि भारत माता का यह चित्र आधुनिक भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है। 
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अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए

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सांकेतिक तस्वीर
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
22 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अमेरिकी अखबारों के मुताबिक, इन हमलों से सीमित नुकसान हुआ, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “बेहद सफल” करार दिया। इन अखबारों ने तथ्यों और सरकारी दावों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से उजागर किया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर ट्रंप के दावों पर सवाल उठाए।
भारतीय हिंदी अखबारों की सरकारी रुख वाली कवरेज के उलट, अमेरिकी पत्रकारिता ने तथ्य-आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता दी, भले ही उनका नेतृत्व अप्रत्याशित और दृढ़ स्वभाव का हो। यह कवरेज मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित करती है। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए जिनका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। इसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था।
B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया : न्यूयॉर्क टाइम्स 
 न्यूयॉर्क टाइम्स ने 23 जून को इस शीर्षक से पहले पन्ने पर ख़बर लगाई – U.S. Claims Severe Damage, Warns Iran Not to Strike Back । खबर में हमले के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। लिखा है कि इन हमलों में सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और एक पनडुब्बी से 75 सटीक हथियारों का उपयोग किया गया, जिनमें 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम शामिल थे। साथ ही बताया है कि ईरान ने भी जवाब में इजरायल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें 10 लोग घायल हुए।
अखबार ने लिखा कि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि ये हमले बेहद सफल रहे और ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को “गंभीर नुकसान” पहुंचा है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को जवाबी हमले न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने प्रतिशोध लिया तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को “अवैध” बताया और कहा कि ईरान इसके जवाब दे। खबर में यह भी लिखा है कि इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है और अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की आशंका है, जिसके लिए पेंटागन हाई अलर्ट पर है। यह स्थिति मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की संभावना पैदा करती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

ईरान को व्यापक नुक़सान नहीं हुआ : वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पहले पन्ने पर लिखा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों हमले करने के बाद हमलों के नुक़सान का आकलन अमेरिका कर रहा है। इस ख़बर का शीर्षक भी यही है – U.S. Weighs Strikes’ Damage in Iran. । अख़बार ने लिखा है कि अमेरिकी हमले जिसका नाम “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” है, का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि हमले “अत्यंत सफल” रहे और सुविधाओं को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया, लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नुकसान उतना व्यापक नहीं हो सकता। IAEA के प्रमुख ने कहा कि फोर्डो में “बहुत महत्वपूर्ण नुकसान” हुआ, लेकिन सुविधा पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।
वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

हमले के नुक़सान का आकलन कर रही सरकार : द वॉशिंगटन पोस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह ही वॉशिंगटन पोस्ट ने भी लिखा है कि इस हमले के नुक़सान का आकलन करने में सरकारी अधिकारी लगे हुए हैं। सरकार के मुताबिक़, इस हमले का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ऐसे में रक्षा अधिकारियों को अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त किया या केवल उसे कुछ समय के लिए पीछे धकेला। खबर में वैश्विक नेताओं के मिश्रित प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र है, जहां कुछ ने संयम बरतने की अपील की, तो कुछ ने हमलों का समर्थन किया।
वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

 

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