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रिपोर्टर की डायरी

Rohtas: मानसिक तनाव में बेटे ने पिता और पत्नी को गोलियों से भून डाला और फिर खुद को भी गोली मार ली

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अमित सिंह की मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी, उन्होंने आवेश में आकर पत्नी और पिता की हत्या को बाद खुद को भी गोली मार ली।
  • Rohtas में दिल दहला देने वाली घटना, एक ही परिवार के 3 लोगों की गोली लगने से मौत
  • घरेलू कलह में बेटे ने पहले पत्नी और पिता को मारी गोली, फिर खुद को भी उड़ाया

  • मानसिक रूप से परेशान बताया जा रहा आरोपी अमित, पुलिस और FSL टीम जांच में जुटी

रोहतास | अविनाश श्रीवास्तव

बिहार (Bihar) के रोहतास (Rohtas) जिले में एक बेहद दुखद और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां भानस थाना क्षेत्र के डिहरा गांव में मानसिक अवसाद और घरेलू कलह ने एक ही पल में पूरे परिवार को खत्म कर दिया। मानसिक रूप से परेशान बताए जा रहे एक व्यक्ति ने पहले अपनी पत्नी और पिता की जान ले ली और जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उसने खुद को भी गोली मारकर जीवनलीला समाप्त कर ली। पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था और उसका इलाज चल रहा था।

पिता को लगा ‘बेटा मान जाएगा’, लेकिन चली गई जान

घटनाक्रम बेहद दर्दनाक है। बताया जा रहा है कि आरोपी अमित सिंह (Amit Singh) काफी समय से मानसिक रूप से विक्षिप्त था। सोमवार देर रात वह कहीं से हथियार लेकर घर पहुंचा और पत्नी नीतू देवी (Neetu Devi) से झगड़ने लगा। बात इतनी बिगड़ गई कि उसने पत्नी को गोली मार दी।

गोली की आवाज सुनकर बुजुर्ग पिता शालिग्राम सिंह (Shaligram Singh) दौड़े। उन्हें लगा कि वे अपने बेटे को समझा-बुझाकर शांत कर लेंगे और वह उनकी बात मान जाएगा। लेकिन अमित के सिर पर खून सवार था, उसने पिता को भी नहीं बख्शा और उन्हें भी गोली मार दी।

डर के मारे कमरों में कैद हुए परिजन

अमित का यह रौद्र रूप देखकर घर में मौजूद अन्य सदस्यों में दहशत फैल गई। अपनी जान बचाने के लिए उन्होंने खुद को कमरों में बंद कर लिया और छिप गए। दो लोगों की हत्या करने के बाद जब अमित का गुस्सा ठंडा हुआ और उसे अहसास हुआ कि उसने क्या कर दिया है, तो ग्लानि में उसने उसी हथियार से खुद को भी गोली मार ली।

पुलिस ने शुरू की जांच

घटना की सूचना मिलते ही बिक्रमगंज के एएसपी अंकित कुमार (ASP Ankit Kumar) पुलिस बल और एफएसएल (FSL) टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया कि परिजनों के मुताबिक अमित मानसिक तनाव में था। पुलिस हर पहलू से मामले की जांच कर रही है।

मदद के लिए यहां करें संपर्क (Helpline)

मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर विषय है। अगर आपके आसपास कोई व्यक्ति डिप्रेशन, तनाव या मानसिक परेशानी से जूझ रहा है, तो उसे अकेला न छोड़ें। सरकार द्वारा जारी मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास हेल्पलाइन ‘किरण’ (KIRAN) पर 1800-599-0019 या ‘टेली मानस’ (Tele MANAS) के टोल-फ्री नंबर 14416 पर संपर्क कर मुफ्त सलाह और मदद ली जा सकती है। सही समय पर इलाज और काउंसिलिंग से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

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रिपोर्टर की डायरी

मुंगेर : नामी सर्जन ने बेटे का गलत ऑपरेशन किया.. परिवार कर्ज में डूबा, पिता की मौत; कैंसर पीड़ित मां ने 6 साल लड़ी लड़ाई, आखिर मिला इंसाफ

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मुंगेर : नामी सर्जन ने बेटे का गलत ऑपरेशन किया.. परिवार कर्ज में डूबा, पिता की मौत; कैंसर पीड़ित मां ने 6 साल लड़ी लड़ाई, आखिर मिला इंसाफ

  • 11 साल के बच्चे का गलत ऑपरेशन करने का मामला।

मुंगेर | प्रशांत कुमार

बिहार के मुंगेर में एक बच्चे का गलत ऑपरेशन होने के बाद पूरा परिवार बर्बाद हो गया। अपेंडिसाइटिस का लेप्रोस्कोपिक ऑपरेशन करने के नाम पर एक नामी सर्जन ने बच्चे का पेट गले से नाभि तक चीर डाला, उसकी जान बचाने के लिए परिवार को भारी कर्ज लेकर कोलकाता में ऑपरेशन कराना पड़ा। कर्ज के बोझ के चलते पिता की असमय मौत हो गई।

इतना होने पर भी कैंसर पीड़ित मां ने अपने बेटे के साथ हुए अन्याय के खिलाफ लड़ाई नहीं रोकी और अब जाकर उन्हें न्याय मिला है। छह साल चले केस में जिला उपभोक्ता विभाग ने जिले के नामी सर्जन को आदेश दिया है कि वे पीड़ित को 16.51 लाख रुपये दें। साथ ही, कहा है कि अगर दोषी डॉक्टर ने आदेश की तारीख से 60 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया तो पूरी राशि पर नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।

बेटे के पेट में दर्द उठा था, 5 दिन में हालत बिगाड़ दी

समर शेखर नाम के 11 साल के बच्चे के पेट में एक अगस्त 2019 को अचानक काफी तेज दर्द उठा। समर की मां के मुताबिक, उन्हें नीलम सिनेमा के पास स्थित एक प्रसिद्ध सर्जन के यहां ले गए। जहां सर्जन ने कुछ जांच कर मरीज को अपेंडिसाइटिस होने की बात कही और तुरंत लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी का सुझाव दिया। अगले दिन दो अगस्त 2009 को लेप्रोस्कोपिक विधि से सर्जरी किया गया जो असफल रहा।

परिवार की अनुमति बिना पेट चीड़ डाला

इसके बाद डॉक्टर ने अभिभावक की बिना सहमति से पूरे पेट में चीड़ा लगा दिया। इसके बाद भी मरीज को पांच दिनों में पीड़ा कम नहीं हुई तो डाक्टर ने मरीज को घर ले जाने का सलाह दी। स्वजन के काफी दबाव देने के बाद डाक्टर ने अस्पताल का खर्च लेकर मरीज को छह अगस्त 2019 को रेफर किया।

हायर सेंटर में इलाज से इनकार, कहा- बच्चा मौत के करीब

जहां से उसे भागलपुर के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, पर वहां यह कहकर उसका इलाज करने से इंकार कर दिया गया कि बच्चे का आपरेशन इस प्रकार किया गया है कि उसे मृत्यु के करीब पहुंचा दिया गया है।

10 दिन वेंटिलेटर पर रखने के बाद जान बची

इसके बाद एमएमआरआई कोलकाता में बच्चे का आपरेशन कर उसकी जांच बचाई गई। यहां दस दिनों तक उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। इस प्रकार बच्चे के इलाज में आठ लाख से अधिक की रशि खर्च हो गई।

डॉक्टर का जवाब- अपेंडिक्स परफोरेशन के कारण खोला पेट
आयोग को दिए अपने लिखित जवाब में डॉक्टर ने कहा कि अपेंडिक्स परफोरेशन होने के आभास होने पर मरीज का पेट खोला गया। इसके अलावा आंतों पर फ्रिवीनस फ्लेक जमा हुआ था, व अपेंडिक्स के आसपास पस जैसा फ्लूड जमा था। ऐसा पाने के बाद जहां तक संभव था अपेंडिक्स काटकर निकाल दिया गया। वहीं, चिकित्सक ने यह स्वीकार किया कि कोलकाता में जो इलाज हुआ उसमें आंत में जो छेद था उसे बंद कर दिया और अपेंडिक्स के स्टम्प का फिर से आपरेशन कर शेष बचे अपेंडिक्स को बाहर कर दिया गया।

आयोग बोला- डॉक्टर ऑपरेशन नहीं, प्रयोग कर रहे थे

जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष रमण सिन्हा ने कहा: “आपातकाल के आभास पर पूरा पेट चीरना यह सिद्ध करता है कि डॉक्टर ऑपरेशन नहीं, प्रयोग कर रहे थे। अपेंडिसाइटिस में छोटा चीरा ही लगता है, यह अमानवीय है।” 

डॉक्टर को देने होंगे कुल 16.51 लाख रुपये

  • इलाज का खर्च 8.50 लाख + 6% ब्याज (2019 से)
  • मानसिक-शारीरिक कष्ट: 2 लाख
  • वाद व्यय: 50 हजार
  • बच्चे का शरीर पोस्टमार्टम की तरह चीरने का मुआवजा: 5 लाख
  • 60 दिन में भुगतान न हुआ तो पूरी राशि पर 9% सालाना ब्याज
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चुनावी डायरी

बिहार पंचायत चुनाव में बैलेट पेपर नहीं, पहली बार EVM से होगी वोटिंग

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बिहार पंचायत चुनाव 2026:

पटना |

बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद अब 2026 में होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने फैसला लिया है कि इस चुनाव में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग होगा।

बता दें कि पंचायत चुनावों में अब तक बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता रहा है, लेकिन 2026 में होने वाले इस चुनाव में ‘मल्टी पोस्ट ईवीएम’ का प्रयोग किया जाएगा, जिसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।

प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार इस बार लगने वाली मल्टी पोस्ट ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट (सीयू) और छह बैलेट यूनिट (बीयू) होंगी। इसका मतलब है कि मतदाता एक ही कंट्रोल यूनिट से जुड़े अलग-अलग छह पदों के लिए अलग-अलग बैलेट यूनिट में वोट डाल सकेंगे।

पंचायत चुनाव में वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य और सरपंच, इन सभी छह पदों के लिए एक साथ अलग-अलग मशीनों पर मतदान होगा। इससे मतदान प्रक्रिया तेज होगी और मतगणना भी पहले की तुलना में अधिक सुविधाजनक एवं त्रुटिरहित होने की उम्मीद है।

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रिपोर्टर की डायरी

बेगूसराय (बिहार) : जदयू नेता पर सोते समय बेखौफ बदमाशों ने गोलियां बरसाईं, मौके पर मौत

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मौके पर बिलखती पत्नी, इनसेट में मृतक जदयू नेता नीलेश कुमार महतो।
मौके पर बिलखती पत्नी, इनसेट में मृतक जदयू नेता नीलेश कुमार महतो।

बेगूसराय (छौड़ाही) | धनंजय झा

बिहार में नई सरकार (Bihar NDA Government) आने का बाद भी कानून व्यवस्था को लेकर हालात जस के तस हैं। NDA सरकार से जुड़ी प्रमुख पार्टी जदयू (JDU) के एक नेता की रात में सोते हुए अपराधियों ने गोलियों से भूनकर (Open Firing) निर्ममता से हत्या कर दी।

वह पूर्व पंचायत अध्यक्ष थे और हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए सक्रियता से प्रचार कर रहे थे। मृतक की पत्नी का कहना है कि करीब छह लोग रात में घर के बाहर बने जानवरों के बथान में घुस गए और वहीं बिस्तर पर सो रहे उनके पति के ऊपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। इस मामले में अभी केस दर्ज नहीं हुआ है।

जानवरों के डेरे में सोए हुए थे

यह मामला छौड़ाही थाना क्षेत्र के पीर नगर गांव का है। यहां 9 अक्तूबर की देर रात बेखौफ अपराधी जदयू के पूर्व पंचायत अध्यक्ष (Former Panchayat head) नीलेश कुमार के घर घुस गए और उनके ऊपर गोलीबारी शुरु करके निर्मम हत्या (cold blooded murder) कर दी। तब नीलेश कुमार अपने डेरा (बथान) में सोए हुए थे। पत्नी शिल्पा कुमारी का कहना है कि हथियारबंद बदमाशों ने कुछ बोले बिना अचानक ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलीबारी की आवाज सुनकर जब वे बथान की ओर दौड़े, तब तक अपराधी हथियार लहराते हुए फरार हो गए।

गले और छाती में गोली लगी

मृतक के भाई अखिलेश कुमार महतो का कहना है कि नीलेश के गले और छाती में गोली मारकर बदमाश भाग गए, वे तीन मोटरसाइकिलों पर आए थे। जब तक हम लोग पहुंचे, उनकी मौत हो चुकी थी।

पिता ने कहा- मौके पर गांव के ही लोग थे

मृतक के पिता रामबली महतो ने कहा कि वारदात के समय गांव के ही बृजेश कुमार और जयप्रकाश महतो सहित अन्य लोग हथियार लहराते हुए भागते देखे गए। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि हाल में कोई विवाद नहीं था, लेकिन कुछ साल पहले जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था।

खेतीबाड़ी करते थे, जमीनी नेता थे

पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद मृतक के भाई अखिलेश कुमार महतो ने कहा कि उनके भाई नीलेश कुमार की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। वे जदयू से लंबे समय से जुड़े थे और घर चलाने के लिए खेतीबाड़ी करते थे।

पार्टी की कोई प्रतिक्रिया नहीं 

पार्टी कार्यकर्ता की हत्या होने को लेकर अब तक जदयू की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और न ही मामले पर कोई केस दर्ज हुआ है। घटना की सूचना मिलने पर छौड़ाही थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया गया है।

SP मनीष बोले- जमीन को लेकर था विवाद

बेगूसराय एसपी मनीष ने बताया कि शुरुआती जांच में जमीन विवाद की बात सामने आ रही है। 2019 में दोनों पक्षों ने इस मामले को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि एक युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है और पुलिस टीम अन्य आरोपियों की तलाश में छापामारी कर रही है। वारदात की गंभीरता को देखते हुए पुलिस पूरे मामले को कई एंगल से जांच रही है।

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