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ईरान पर अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए

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सांकेतिक तस्वीर
  • अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए थे।
नई दिल्ली |
22 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अमेरिकी अखबारों के मुताबिक, इन हमलों से सीमित नुकसान हुआ, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “बेहद सफल” करार दिया। इन अखबारों ने तथ्यों और सरकारी दावों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से उजागर किया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर ट्रंप के दावों पर सवाल उठाए।
भारतीय हिंदी अखबारों की सरकारी रुख वाली कवरेज के उलट, अमेरिकी पत्रकारिता ने तथ्य-आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता दी, भले ही उनका नेतृत्व अप्रत्याशित और दृढ़ स्वभाव का हो। यह कवरेज मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित करती है। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए जिनका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। इसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था।
B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया : न्यूयॉर्क टाइम्स 
 न्यूयॉर्क टाइम्स ने 23 जून को इस शीर्षक से पहले पन्ने पर ख़बर लगाई – U.S. Claims Severe Damage, Warns Iran Not to Strike Back । खबर में हमले के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। लिखा है कि इन हमलों में सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और एक पनडुब्बी से 75 सटीक हथियारों का उपयोग किया गया, जिनमें 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम शामिल थे। साथ ही बताया है कि ईरान ने भी जवाब में इजरायल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें 10 लोग घायल हुए।
अखबार ने लिखा कि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि ये हमले बेहद सफल रहे और ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को “गंभीर नुकसान” पहुंचा है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को जवाबी हमले न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने प्रतिशोध लिया तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को “अवैध” बताया और कहा कि ईरान इसके जवाब दे। खबर में यह भी लिखा है कि इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है और अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की आशंका है, जिसके लिए पेंटागन हाई अलर्ट पर है। यह स्थिति मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की संभावना पैदा करती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

ईरान को व्यापक नुक़सान नहीं हुआ : वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पहले पन्ने पर लिखा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों हमले करने के बाद हमलों के नुक़सान का आकलन अमेरिका कर रहा है। इस ख़बर का शीर्षक भी यही है – U.S. Weighs Strikes’ Damage in Iran. । अख़बार ने लिखा है कि अमेरिकी हमले जिसका नाम “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” है, का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि हमले “अत्यंत सफल” रहे और सुविधाओं को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया, लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नुकसान उतना व्यापक नहीं हो सकता। IAEA के प्रमुख ने कहा कि फोर्डो में “बहुत महत्वपूर्ण नुकसान” हुआ, लेकिन सुविधा पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।
वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

हमले के नुक़सान का आकलन कर रही सरकार : द वॉशिंगटन पोस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह ही वॉशिंगटन पोस्ट ने भी लिखा है कि इस हमले के नुक़सान का आकलन करने में सरकारी अधिकारी लगे हुए हैं। सरकार के मुताबिक़, इस हमले का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ऐसे में रक्षा अधिकारियों को अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त किया या केवल उसे कुछ समय के लिए पीछे धकेला। खबर में वैश्विक नेताओं के मिश्रित प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र है, जहां कुछ ने संयम बरतने की अपील की, तो कुछ ने हमलों का समर्थन किया।
वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

 

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

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अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा (साभार - Linked IN)
अपने परिवार के साथ पत्रकार महेश लांगा, जिन्हें कथित तौर पर गोपनीय सूचना देने वाले की मौत हो गई (साभार - Linked IN)
नई दिल्ली|
गुजरात के एक सरकारी क्लर्क की मौत गिरफ्तारी के बाद अस्पताल में तबीयत बिगड़ने से हो गई है, आरोप है इन क्लर्क ने एक नामी पत्रकार को गोपनीय दस्तावेज दिए थे।
जिस पत्रकार को गोपनीय जानकारी देने का आरोप लगाया जा रहा है, उनकी ईडी ने फरवरी में गिरफ्तारी की थी।
दरअसल गुजरात मैरीटाइम बोर्ड के क्लर्क निशिध जानी को एक संवेदनशील दस्तावेज एक रिपोर्टर को देने के लिए गिरफ्तार किया गया, दो सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई। 
बता दें कि निशिध जानी ने जिस पत्रकार को कथित तौर पर गोपनीय सूचना दी थी, वह पत्रकार महेश लंगा अंग्रेजी के एक प्रतिष्ठित अखबार ‘द हिन्दू’ के लिए गुजरात में बतौर वरिष्ठ संवाददाता काम करते हैं। इनकी बीती फरवरी में ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने गिरफ्तारी कर ली थी।
 
इंडियन एक्सप्रेस की खबर

इंडियन एक्सप्रेस की खबर

 

इंडियन एक्सप्रेस ने 30 सितंबर 2025 के संस्करण को इस अहम खबर छापा है जो हिन्दी पट्टी के पाठकों तक पहुंचनी चाहिए।
खबर के मुताबिक, क्लर्क निशिध जानी ने गुजरात के पत्रकार माहेश लंगा को कथित तौर पर संवेदनशील दस्तावेज दिए, 17 सितंबर को उनकी गिरफ्तार हुई। उनकी अस्पताल में मौत हो गई। 
रिपोर्ट में बताया गया कि निशिध जानी की मौत फेफड़ों से संबंधित बीमारी के कारण हुई, और उनकी गिरफ्तारी से पहले उनकी मेडिकल फिटनेस जाँची गई थी। यह घटना सरकारी कार्रवाइयों और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठाती है। 
बता दें कि गुजरात मैरीटाइम बोर्ड (GMB), गुजरात सरकार की एक एजेंसी है, जिसे 1982 में गुजरात के छोटे बंदरगाहों के प्रबंधन, संचालन और बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
________________
(नोट – यह खबर कॉपी राइट एक्ट , 1957 के सेक्शन 52 के तहत फेयर डीलिंग के आधार पर की गई है, जिसमें अखबार को उचित श्रेय दिया गया है।)
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‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

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सांकेतिक AI तस्वीर

नई दिल्ली|

पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

सांकेतिक AI तस्वीर

सांकेतिक AI तस्वीर

यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस 

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

द इंडियन एक्सप्रेस, 23 सितंबर

उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस  

दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

दैनिक हिन्दुस्तान, 23 सितंबर

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SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

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एआई जेनरेट फोटो, साभार- ग्रोक

नई दिल्ली |

चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

 

चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI

इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस

पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण

अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। 

दैनिक जागरण

दैनिक जागरण

घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा

द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है। 

मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT

हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।

SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय

दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।

 

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