Connect with us

रिपोर्टर की डायरी

Bihar Sand Scam: लखीसराय के खनन विभाग में ठेकेदारों ने अफसरों के गठजोड़ से किया ऑनलाइन घोटाला, इंटरर्नल जांच में क्लीन चिट, पटना से आदेश हुआ तो FIR

Published

on

  • बिहार सरकार के उपसचिव के आदेश पर 7 FIR दर्ज हुई हैं, यूजर आईडी का गलत इस्तेमाल किया।

लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य

बिहार समेत पूरे देश में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ऑनलाइन सिस्टम लाया गया, सरकार का मानना था कि इससे भ्रष्टाचार घटेगा। पर ऑनलाइन सिस्टम में भी अफसरों की मदद से लूप-होल निकालकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। इससे जुड़ा ताजा मामला लखीसराय जिले में आया है।

यहां विभाग के कुछ पदाधिकारियों के साथ मिलकर बालू ठेकेदारों ने ऑनलाइन पोर्टल के यूजर आईडी से छेड़छाड़ की। इसकी मदद से लखीसराय जिले के बाहर के जिले से बालू खनन किया।

अवैध बालू खनन (Illegal Sand Mining) और भंडारण (Illegal Storage) में मिलीभगत के आरोपों की आंतरिक जांच कराने पर अफसरों ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। पर मामला पटना पहुंच गया।

फिर सरकार के उपसचिव पीयूष कुमार सिंह (Deputy Secretary Piyush Kumar Singh) के निर्देश पर खनन निदेशक अंबिका कुमार (Mines Director Ambika Kumar) ने तेतरहट थाना (Tetariahat Police Station) में 7 अलग-अलग FIR दर्ज कराई हैं।

केस दर्ज किए जाने की जानकारी की पुष्टि जिले के खनिज विभाग पदाधिकारी कुमार रंजन ने भी की है। इस मामले में सभी भागे हुए हैं, किसी भी ठेकेदार की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

 

नियमों की धज्जियां उड़ाकर हुआ बालू का काला कारोबार

FIR के मुताबिक, भंडारण लाइसेंस (Storage License) का गलत इस्तेमाल करते हुए ठेकेदारों ने अपनी यूज़र आईडी (User ID) पर फर्जी कैंपिंग साइटें (Fake Camping Sites) जोड़ दी थीं, ताकि बिना सरकारी अनुमति के ज्यादा बालू की खुदाई और बिक्री की जा सके। इस फ्रॉड के लिए उन्होंने सिस्टम में ऐसा खेल किया कि OTP की भी आवश्यकता नहीं पड़ती थी। इस तरह नियमों को ताक पर रखकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया।

सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में विभाग के अंदर बैठे कुछ पदाधिकारी और ठेकेदारों की मिलीभगत सामने आई है, जो बालू माफियाओं को तकनीकी और प्रशासनिक संरक्षण दे रहे थे।

 

कितना बड़ा है घोटाला?

प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ है कि यह खेल सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं था। लखीसराय के अलावा आसपास के जिलों में भी अवैध बालू भंडारण और बिक्री का सिलसिला जारी था। अधिकारियों ने बताया कि जांच टीम को डिजिटल डेटा, फर्जी परमिट और बालू रसीदों में कई विसंगतियां मिली हैं।

 

कानूनी कार्रवाई शुरू, अफसरों पर गिरेगी गाज

खनन निदेशक ने पुष्टि की है कि यह मामला बिहार खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियमावली 2019 (जिसमें 2024 में संशोधन किया गया था) के तहत दर्ज किया गया है। सरकार ने इस पर कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए हैं।

 

कब खत्म होगा बालू माफियाओं का खेल?

लखीसराय में हुई यह कार्रवाई सिर्फ एक जिले की नहीं बल्कि पूरे बिहार की उस गहरी समस्या का हिस्सा है, जहां बालू माफिया, सिस्टम और राजनीति की जुगलबंदी वर्षों से चल रही है। अब जनता यही पूछ रही है – क्या इस बार सच में बालू माफियाओं का खेल खत्म होने वाला है, या यह भी किसी और घोटाले की तरह धीरे-धीरे दबा दिया जाएगा?


Edited by Mahak Arora

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रिपोर्टर की डायरी

जब नीतीश कुमार दसवीं बार CM बने, उसी दिन नालंदा विवि ने पूरे किए 75 वर्ष

Published

on

By The image belongs to the Nava Nalanda Mahavihara and I have permission - https://www.youtube.com/watch?v=VKXzC6nb-34, Public Domain, Link
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इस डीम्ड विश्वविद्यालय का स्थापना की थी।
  • नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने 21 सितंबर को स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए
नालंदा | संजीव राज
जिस दिन नालंदा के राजगीर के बेटे नीतीश कुमार ने पटना में दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली, उसी दिन राजगीर से महज 12 किलोमीटर दूर नालंदा में एक और इतिहास बना। यह ऐतिहासिक बन है- नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने अपने 75 वर्ष पूरे किए
यह संयोग एक संदेश भी लाया।
एक तरफ बिहार की नई सरकार शपथ ले रही है जो बार-बार दावा करती है कि वे शिक्षा क्रांति लाएंगे।

दूसरी तरफ उसी बिहार का नालंदा खड़ा है जो 1600 साल पहले दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जिसे ह्वेनसांग ने “ज्ञान का संयुक्त राष्ट्र” कहा था और जिसे आज फिर से जीवित किया जा रहा है।
प्रथम राष्ट्रपति ने रखी थी नींव 
20 नवंबर 1951 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नव नालंदा महाविहार की नींव रखी थी। इसका एक ही उद्देश्य था कि 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी द्वारा जलाए गए प्राचीन नालंदा को फिर से खड़ा किया जाए।  
75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

75 साल पूरे होने के मौके पर पहुंचे केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

AI से पांडुलिपियां होंगी डिजिटल
आज 75 साल पूरे होने के मौके पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने घोषणा की- 
“नव नालंदा महाविहार को ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का क्लस्टर सेंटर बनाया जा रहा है, प्राचीन पांडुलिपियों का AI से डिजिटलीकरण होगा।”
5वीं सदी में दुनिया के 10 हजार विद्यार्थी पढ़ते थे
एक समय यहां विदेशी विद्यार्थी पाली, बौद्ध दर्शन और तिब्बती अध्ययन पढ़ने आते हैं। वियतनाम के बौद्ध संघ ने इसे “United Nations of Wisdom” कहा। 5वीं सदी में 10,000 विद्यार्थी और 1,500 शिक्षक थे। कोरिया, चीन, तिब्बत, मध्य एशिया से लोग पढ़ने आते थे। आज फिर विदेशी छात्र भारत को “बौद्ध संस्कृति का राजदूत” बनकर लौट रहे हैं।
Continue Reading

चुनावी डायरी

दो सीटें जीतने के बाद भी NDA सरकार में सीमांचल को सीमित प्रतिनिधित्व, अररिया की जनता नाराज

Published

on

  • अररिया जिले को NDA सरकार के मंत्रीमंडल में कोई मंत्री नहीं मिला जबकि पहले हर सरकार यहां से मंत्री बनाती आई है।

फारबिसगंज(अररिया) |  मुबारक हुसैन
नई सरकार के गठन के साथ एनडीए समर्थकों में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं अररिया जिले में निराशा गहराती दिख रही है। इसका कारण है कि जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला, जबकि हर सरकार में अररिया से कैबिनेट मंत्री बनते आए हैं। इस बार पूर्णिया से विधायक लेशी सिंह को जरूर मंत्री बनाया गया है पर NDA मंत्रीमंडल में घटे सीमांचल के प्रतिनिधित्व से आम लोग नाराज हैं।

बीजेपी ने दो सीट जीतीं फिर भी उपेक्षित
अररिया जिले की कुल छह विधानसभा सीटों में से नरपतगंज और सिकटी में भाजपा ने जीत दर्ज की। खासकर सिकटी से लगातार हैट्रिक के साथ छठी बार विधानसभा पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता विजय मंडल के मंत्री बनने की अटकलें तेज थीं। पिछली सरकार में उन्होंने बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री के रूप में कार्य किया था और सीमांचल सहित कोसी अंचल के मुद्दों को मजबूती से उठाया था। ऐसे में माना जा रहा था कि अनुभव और लगातार जीत के आधार पर उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर रखा गया, जिससे जिले में मायूसी और राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

एनडीए का कमजोर प्रदर्शन भी बनी वजह?
पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार जिले में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा है। फारबिसगंज और रानीगंज जैसी परंपरागत सीटों पर एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। दो दशक से अधिक समय तक इन दोनों सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा था। रानीगंज में जहां जदयू विजयी होती रही, वहीं फारबिसगंज भाजपा की सुरक्षित मानी जाने वाली सीट रही है। विश्लेषकों का कहना है कि छह में से सिर्फ दो सीटें जीत पाने की स्थिति एनडीए के लिए अनुकूल नहीं रही, जिसका असर मंत्री पद के चयन में दिखा है।

अररिया को मिलता रहा है प्रतिनिधित्व
स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि चाहे राज्य में महागठबंधन सरकार रही हो या एनडीए की, अररिया को हमेशा मंत्री पद के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। जिले के दिग्गज नेताओं जैसे सरयू मिश्रा, मोइदुर रहमान, अजीमुद्दीन, तस्लीमुद्दीन, सरफराज आलम, शाहनवाज आलम, शांति देवी और रामजी दास ऋषिदेव आदि ने पूर्व में मंत्री पद संभालकर जिले का प्रतिनिधित्व किया है। इसी क्रम को पिछले कार्यकाल में विजय कुमार मंडल ने आगे बढ़ाया पर इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।

सीमांचल की आवाज़ कमजोर होने की आशंका
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र पहले से ही विकास के मामले में पिछड़ा माना जाता है। ऐसे में मंत्री पद जैसा प्रतिनिधित्व जिले की समस्याओं को सरकार तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाने का साधन रहा है। इस बार किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से आम लोगों में चिंता है कि जिले की आवाज राजधानी में कमजोर पड़ सकती है।

क्या कहते हैं पार्टी कार्यकर्ता
अररिया को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व न मिलने को लेकर NDA के घटक दलों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे राजनीतिक रूप से गलत संदेश जा सकता है। हालांकि कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि अगर 5 साल के कार्यकाल में NDA अपना कैबिनेट विस्तार करती है तो जरूर अररिया को मंत्री मिलेगा।


 

NDA सरकार के जिलावार कैबिनेट मंत्रियों की सूची

1. सहयोगी कोटा – संतोष सुमन – HAM – (गया)
2. सहयोगी कोटा – संजय पासवान – LJPR- (बेगूसराय)
3. सहयोगी कोटा – संजय सिंह – LJPR – ( वैशाली)
4. सहयोगी कोटा – दीपक प्रकाश – RLM – ( वैशाली )
5. भाजपा कोटा – रामकपाल यादव – BJP ( पटना)
6. भाजपा कोटा – संजय सिंह टाइगर – BJP ( आरा )
7. भाजपा कोटा – अरुण शंकर प्रसाद – BJP ( मधुबनी)
8. भाजपा कोटा – सुरेन्द्र मेहता – BJP, ( बेगूसराय)
9. भाजपा कोटा – नारायण प्रसाद – BJP ( पश्चिम चंपारण)
10. भाजपा कोटा – सम्राट चौधरी – डिप्टी सीएम ( मुंगेर )
11. भाजपा कोटा – विजय सिन्हा – डिप्टी सीएम – ( लखीसराय)
12. भाजपा कोटा – दिलीप जायसवाल – BJP ( किशनगंज )
13. भाजपा कोटा – मंगल पांडेय – BJP ( सीवान)
14. भाजपा कोटा – नितिन नवीन – BJP ( पटना)
15. भाजपा कोटा – रमा निपद – BJP ( मुजफ्फरपुर)
16. भाजपा कोटा – लखेंद्र पासवान – BJP ( वैशाली)
17. भाजपा कोटा – श्रेयसी सिंह – BJP ( जमुई )
18. भाजपा कोटा – प्रमोद कुमार चंद्रवंशी – BJP ( जहानाबाद)
19. JDU कोटा – नीतीश कुमार – मुख्यमंत्री ( नालंदा)
20. JDU कोटा – विजय कुमार चौधरी – JDU ( समस्तीपुर)
21. JDU कोटा – अशोक चौधरी – JDU (शेखपुरा)
22. JDU कोटा – विजेन्द्र यादव – JDU ( सुपौल)
23. JDU कोटा – श्रवण कुमार – JDU ( नालंदा)
24. JDU कोटा – जमा खान – JDU ( कैमूर)
25. JDU कोटा – लेशी सिंह – JDU ( पूर्णिया)
26. JDU कोटा – मदन सहनी – JDU ( दरभंगा)

Continue Reading

चुनावी डायरी

बिहार : नई सरकार की शपथ के दिन मौन व्रत पर बैठे प्रशांत किशोर

Published

on

गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
गांधी प्रतिमा के सहयोगियों संग बैठे प्रशांत किशोर।
  • 20 नवंबर सुबह 11:14 मिनट से मौन व्रत शुरू हुआ तो 21 नवंबर को सुबह 11:15 बजे तक चलेगा।

बेतिया (पश्चिमी चंपारण) |

बिहार में गुरुवार को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसी दिन को प्रशांत किशोर ने जनसुराज की चुनावी रणनीति की गड़बड़ियों से जुड़े प्रायश्चित के लिए चुना।

दो दिन पहले जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोेर ने मीडिया के सामने कहा था कि वे जनता तक अपने संदेश को ठीक ढंग से पहुंचा नहीं पाए, जिसके लिए वे प्रायश्चित स्वरूप एक दिन का मौत व्रत रखेंगे।

इसके तहत प्रशांत किशोर ने आज (20 नवंबर) सुबह सबा 11 बजे पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में मौन उपवास शुरू किया जो अगले दिन इसी समय तक चलेगा। अपने सहयोगियों के साथ वे गांधी प्रतिमा के पास बैठे मौत उपवास अकेले कर रहे हैं।

जनसुराज पार्टी ने एक्स पर प्रशांत किशोर की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा ‘गांधी आश्रम , भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के साथ बिहार में बदलाव की नई शुरुआत।’

बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और उन्हें 3.34 प्रतिशत वोट मिला।

 

गांधी के आंदोलन के खिलाफ रहे हैं PK

गांधी के रास्ते पर चलते हुए मौन व्रत करके आत्मबल और आत्म चिंतन कर रहे प्रशांत किशोर कुछ मामलों में गांधीवादी विचारधारा से उलट राय रखते हैं। प्रशांत किशोर अक्सर अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि वे महात्मा गांधी के आंदोलन करने के तरीकों का समर्थन नहीं करते।

वे कहते हैं कि दीर्घकालिक विकास और व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन आधारभूत तरीका नहीं है, बल्कि वे ऐसी चुनावी प्रक्रिया के समर्थक हैं जिसमें सही लोग चुनकर नेतृत्व करें।

उनका कहना है कि फ्रांस रेवोल्यूशन को छोड़कर इतिहास में किसी भी आंदोलन या क्रांति ने किसी भी देश में लंबे समय तक टिकने वाले विकास का रास्ता नहीं बनाया है।

Continue Reading
Advertisement

Categories

Trending