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आज के अखबार

बिहार में पहली बार सभी आदिम जनजातियां कर सकेंगी वोट  

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आदिम जनजातियां

बोलते पन्ने स्टाफ |

21 अप्रैल के हिन्दी के अखबारों में कुछ ख़ास खबरें छपी हैं जो पढ़ने योग्य हैं।

बिहार में पहली बार सभी आदिम जनजातियां कर सकेंगी वोट  

दैनिक भास्कर के पटना ब्यूरो ने ख़बर दी है कि बिहार में मुख्यधारा की सभ्यता से कोसों दूर जीवन जी रहीं आदिम जनजातियों के सभी वयस्कों का वोटरकार्ड पहली बार बन गया है। बिहार के दस जिलों में पाँच ऐसी जनजातियां रह रही हैं जिसमें 3147 वोटर बने हैं। ये जनजातियां स्थायी निवास नहीं करतीं और इनकी बोली अलग होने से जबतक इनके सभी वयस्कों को मतदाता नहीं बनाया जा सका था। यह काम पिछले एक साल में चुनाव आयोग के चलाए गए अभियान के तहत हुआ।

दैनिक भास्कर, 21 अप्रैल

दैनिक भास्कर, 21 अप्रैल

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एनआरआई के लिए पोस्टल बैलेट से वोटिंग की सिफारिश

विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति की सिफारिश है कि प्रवासी भारतीयों को पोस्टल बैलेट से मतदान करने का अधिकार दिया जाए। इस मामले की ख़बर को दैनिक हिन्दुस्तान ने एक्सक्लूसिव लगाया है। अख़बार का कहना है कि विदेश मंत्रालय इस मुद्दे को विधि एवं न्याय मंत्रालय से सामने उठाएगा, जिसमें कहा गया है कि चुनाव में भाग लेने के लिए विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में चुनाव के दिन  मतदान केंद्र बनाए जाएं। अभी नियम है कि प्रवासी भारतीयों को वोट देने के लिए भारत आना पड़ता है,  जिससे बहुत कम लोग इसमें भाग लेते हैं।

दैनिक हिन्दुस्तान

दैनिक हिन्दुस्तान

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राष्ट्रीय खेल में पदक जीतने वाले डोप में फंसे

अमर उजाला ने पहले पन्ने पर ख़बर दी है कि हाल में उत्तराखंड में पूरे हुए राष्ट्रीय खेल में 11 खिलाड़ी डोप टेस्ट में पॉज़िटिव पाए गए हैं। इसमें से ज़्यादातर ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस आयोजन में मेडल जीते थे। साथ ही, यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है क्योंकि राष्ट्रीय डोप रोधी एजेंसी (नाडा) की ओर से लिए गए नमूनों की जाँच जारी है।

अमर उजाला, 21 अप्रैल

अमर उजाला, 21 अप्रैल

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गुजरात में वक्फ की ज़मीन पर अवैध कब्जे में कार्रवाई

अमर उजाला ने वक्फ की ज़मीन के निजी फायदे के लिए किए गए ग़लत इस्तेमाल में पाँच गिरफ्तारियां होने की अहम ख़बर दी है। यह मामला गुजरात का है जिसमें 5 हज़ार वर्ग किलोमीटर में अवैध निर्माण कराया गया और सौ से ज्यादा घरों-दुकानों से किराए की अवैध वसूली की गई।

अमर उजाला, 21 अप्रैल

अमर उजाला, 21 अप्रैल

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यूपी : असिस्टेंट प्रोफेसर परीक्षा का नकली पेपर 35 लाख में बेचने वाले पकड़े

असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा पास कराने के नाम पर नकली पेपर बनाकर पढ़ाने वाले एक असिस्टेंट प्रोफेसर समेत तीन को यूपी एसटीएफ़ ने गिरफ़्तार किया है। दावा है कि ये नकली पेपर बनाकर पढ़ाने और पास कराने के लिए 35-35 लाख रुपये लेते थे।

दैनिक भास्कर, 21 अप्रैल

दैनिक भास्कर, 21 अप्रैल

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

आज के अखबार

SIR का असर : गोवा में जिला परिषद चुनाव टले, ‘दोहरे बोझ’ से परेशान केरल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

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SIR की प्रक्रिया देशभर में शुरू होते ही इससे जुड़ी हर राज्य की अलग चुनौतियां भी सामने आने लगी हैं।
SIR की प्रक्रिया देशभर में शुरू होते ही इससे जुड़ी हर राज्य की अलग चुनौतियां भी सामने आने लगी हैं।
  • देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया 4 तक जारी है।
  • SIR के चलते गोवा में प्रस्तावित निकाय चुनाव को एक सप्ताह आगे बढ़ाया गया है।

नई दिल्ली |

देश में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी एसआईआर (SIR) का असर अब स्थानीय चुनावों पर पड़ने लगा है। गोवा (Goa) में एसआईआर के चलते जिला परिषद चुनावों को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।

SIR के चलते चुनाव टाले जाने का यह पहला ज्ञात मामला है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने गोवा समेत देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया (4 nov-4 dec) शुरू की है। घोषणा के वक्त आयोग ने कहा था कि वे राज्य ही इस प्रक्रिया के लिए चुने गए हैं जहां तुरंत चुनाव नहीं होने हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में कोई दखल न आए।

पर अब गोवा में निकाय चुनाव टाले जाने का मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग की योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दूसरी ओर, केरल (Kerala) सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों के बीच एसआईआर प्रक्रिया को रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। दोनों राज्यों का तर्क है कि चुनाव और एसआईआर एक साथ कराने से प्रशासनिक मशीनरी पर भारी दबाव पड़ रहा है।

 

गोवा: 13 की जगह अब 20 दिसंबर को होगा मतदान

गोवा में पहले जिला परिषद के चुनाव 13 दिसंबर 2025 को होने थे, लेकिन अब इन्हें एक हफ्ते आगे बढ़ाकर 20 दिसंबर 2025 कर दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पंचायती राज विभाग ने आधिकारिक राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अखबार ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यह फैसला “प्रशासनिक कारणों” से लिया गया है।

अधिकारी के मुताबिक, चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कई वरिष्ठ कर्मचारी पहले से ही एसआईआर प्रक्रिया में व्यस्त हैं। नए कर्मचारियों को अभी चुनाव कराने के लिए कड़ा प्रशिक्षण देने की जरूरत है, इसलिए पंचायत निदेशालय ने सरकार से चुनाव टालने का प्रस्ताव दिया था। गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय गोयल (Sanjay Goel) ने भी पहले सरकार से अनुरोध किया था कि एसआईआर पूरा होने तक चुनाव टाल दिए जाएं, क्योंकि एक ही अधिकारी दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता।

 

केरल: सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, ‘प्रशासनिक संकट’ का हवाला

उधर, केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एसआईआर को चुनौती दी है। राज्य सरकार की मांग है कि जब तक स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGI) की चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक एसआईआर को रोका जाए।

केरल सरकार का तर्क है कि राज्य में 9 और 11 दिसंबर को निकाय चुनाव होने हैं, जिसके लिए 1,76,000 कर्मचारियों और 68 हजार सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। वहीं, एसआईआर के लिए अतिरिक्त 25,668 कर्मचारी चाहिए। सरकार का कहना है कि एक साथ दोनों प्रक्रियाएं चलाने से गंभीर प्रशासनिक जटिलताएं पैदा होंगी और रोजमर्रा का कामकाज ठप हो जाएगा।

 

चुनाव आयोग ने नहीं दिया जवाब

केरल के मुख्य सचिव ने 5 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर टालने की मांग की थी, लेकिन आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रतन खेलकर ने बताया कि राज्य में एसआईआर प्रक्रिया तेजी से चल रही है और 96 प्रतिशत गणना पत्र बांटे जा चुके हैं।


Edited by Mahak Arora (Content Writer)

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10 साल पहले बीफ के शक में पीट-पीटकर मार दिए गए अखलाक का केस वापस लेगी यूपी सरकार

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नई दिल्ली |

यूपी के गौतमबुद्ध जिले में दस साल पहले एक मुस्लिम व्यक्ति अखलाक की लिंचिंग गोमांस खाने की अफवाह में कर दी गई थी।इस मामले में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ दर्ज मामला वापस लेने की अर्ज़ी दी है।

यह मामला दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को हुआ था, 50 साल के अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।

अखलाक के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या गाय के मांस को लेकर एक झूठे दावे के बाद हुई थी, जिसके बाद देश भर में व्यापक निंदा और विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इस घटना ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा और सांप्रदायिक तनाव को लेकर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी थी।
12 दिसंबर को अगली सुनवाई
इस केस को लेकर यूपी सरकार की ओर से बीते 14 अक्टूबर को गौतम बुद्ध नगर की एक अदालत में याचिका दायर की गई है। यह मामला एडीजे सौरभ द्विवेदी की अदालत में चल रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस ने गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (ADGC) भग सिंह भाटी के हवाले से बताया है कि याचिका दायर कर दी गई है लेकिन अभी अदालत ने फैसला नहीं सुनाया है, इस केस की सुनवाई जारी है और अगली तारीख 12 दिसंबर 2025 है। 

CPI(M) ने यूपी सरकार की आलोचना की 

ये जानकारी सामने आने पर CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी (general secretary) एमए बेबी ने यूपी सरकार की आलोचना की। उन्होंने लिखा- “सरकार ने भाजपा नेता संजय राणा के बेटे समेत अखलाक की हत्या के सभी आरोपियों के आरोप वापस लेने का जो फैलना लिया है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। सरकार का यह कदम नफरत, अपराध और हत्या को लेकर राज्य की मंजूरी देने के जैसा है।”

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यूपी में ‘नरेंद्र मोदी स्टडीज सेंटर’ चला रहा था, CBI ने केस दर्ज किया

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जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।
जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।

नई दिल्ली |

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक युवक पीएम मोदी के नाम पर एक अवैध स्टडी सेंटर चलाता पकड़ा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शिकायत पर सीबीआई ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार करके FIR दर्ज करायी है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज’ (CNMS) के संस्थापक जासिम मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि जासिम मोहम्मद ने बिना केंद्र सरकार या पीएमओ की मंजूरी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का अनधिकृत इस्तेमाल करके साल 2021 में यह ट्रस्ट रजिस्टर किया।
CBI ने जासिम के ऊपर यह कार्रवाई इम्ब्लेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 के उल्लंघन के चलते की है। इस खबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने 28 अक्तूबर को प्रकाशित किया है। 
4 साल पहले मिली थी शिकायत
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की शिकायत पर इस मामले की मार्च 2021 में करवाई गई थी। जांच अप्रैल में प्रारंभिक पूछताछ के बाद औपचारिक FIR में तब्दील हो गई।
PMO को एक वकील की शिकायत मिली थी, जिसमें सेंटर को अवैध बताया गया।
CBI ने पाया कि CNMS को 25 जनवरी 2021 को इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 के तहत रजिस्टर किया गया, लेकिन मोदी के नाम का इस्तेमाल बिना अनुमति के हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस

मोदी के प्रशंसक रहे हैं, 2017 में मुलाकात
सेंटर की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि यह स्वतंत्र रिसर्च ट्रस्ट है, जो सरकार या किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं। जासिम मोहम्मद, एक वकील और मोदी के प्रशंसक भी हैं। साल 2017 में अपनी किताब “नरेंद्र मोदी: अर्श से फर्श तक” पीएम को भेंट की थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हैं और 2014 के बाद BJP के समर्थक बने।
मोहम्मद फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस (FMSA) के प्रमुख हैं। CBI जांच में सेंटर की गतिविधियों, आयोजनों और फंड कलेक्शन की पड़ताल हो रही है, जिसमें मोदी के नाम का दुरुपयोग हुआ या नहीं।
नरेंद्र मोदी स्टडीज का दावा- रजिस्ट्रेशन पारदर्शी
CNMS ने बयान जारी कर कहा कि रजिस्ट्रेशन पारदर्शी था और नाम बदलाव कानूनी प्रक्रिया से हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सरकारी प्रतीकों के संरक्षण पर केंद्रित है, जो राजनीतिक हस्तियों के नाम के दुरुपयोग को रोकने का उदाहरण है। जांच जारी है, और अन्य शामिल लोगों पर भी नजर।
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