आज के अखबार
गुजरात : क्लर्क ने पत्रकार को ‘खबर’ दी, गिरफ्तारी… फिर मौत

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‘I love Muhammad’ के समर्थन में यूपी-उत्तराखंड में जुलूस, कई गिरफ्तारियां

नई दिल्ली|
पांच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी (बारावफात) के दिन यूपी के कानपुर जिले से शुरू हुआ ‘I love Muhammad’ बैनर का विवाद अब यूपी के कई जिलों व उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले में भी फैल गया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीते रविवार को यूपी के सात जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बैनर के साथ मार्च निकाला गया, जिसके बाद सोमवार तक पुलिस ने कई गिरफ्तारियां कर ली। दूसरी ओर, दैनिक हिन्दुस्तान ने खबर दी है कि उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
यूपी के सात जिलों में जुलूस निकले – एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सप्ताहांत (Week End) पर कई जिलों में ‘I love Muhammad’ बैनर के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदर्शन किए जो कि कानपुर विवाद के खिलाफ एकजुटता के लिए निकाले गए थे। दरअसल कानपुर में पांच सितंबर को बारावफात (पैगंबर मुहम्मद का जन्मदिन)म की सजावट के दौरान ‘I love Muhammad’ लिखा एक साइनबोर्ड लगा दिया गया था, जिसका अन्य समुदाय ने नई प्रथा बताकर विरोध किया। इस मामले में पुलिस ने 10 सितंबर को केस दर्ज किया था। रविवार को कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव, पीलीभीत और बरेली में विरोध प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं।
उत्तराखंड : जुलूस निकालने वाले 500 लोगों पर केस
दैनिक हिन्दुस्तान ने 23 सितंबर के संस्करण में खबर की है कि यूपी के उन्नाव व उत्तराखंड के काशीपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुलूस निकालने के बाद बवाल हो गया। काशीपुर पुलिस ने रविवार रात हुए बवाल में तीन नामजद व 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हालांकि पुलिस का कहना है कि ये कार्रवाई उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकालने को लेकर की है न कि बैनर को लेकर। अखबार के मुताबिक, उन्नाव पुलिस ने 38 लोगों पर मुकदमें दर्ज किए हैं और सात को गिरफ्तार कर लिया है। अखबार का कहना है कि मूल विवाद गलत जगह ‘आई लव मोहम्मद’ का बोर्ड लगाने को लेकर हुआ था, अगले दिन कुछ लोगों ने एक धार्मिक पोस्टर फाड़ दिया, जिस पर दस सितंबर को पुलिस ने केस दर्ज किया, पर लोगों ने इसे ‘आई लव मोहम्मद’ पर केस दर्ज होने के तौर पर प्रचारित किया, जिससे यह विरोध बड़े स्तर पर फैल गया।
आज के अखबार
SCO से फिर उभरा रूस-भारत-चीन का त्रिकोण!

नई दिल्ली |
चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में आयोजित किए गए शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन पर सभी भारतीय अखबारों ने सकारात्मक कवरेज करते हुए इसे भारत की सफलता के रूप में देखा। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इंटरप्रेटरों के जरिए आपस में बात करते हुए ली गई तस्वीर को सभी अखबारों ने प्रमुखता से लगाया है। तीनों नेताओं की प्रतीकात्मक एकजुटता को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए सीधे संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन में त्रिकोणीय ढांचे का पुनर्जनन – एक्सप्रेस, TOI
इसी संदर्भ में इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने हेडिंग लगाई हैं, जिसका अर्थ निकलता है कि तियानजिन में एक त्रिकोणीय ढांचे (रूस, भारत, चीन) का पुनर्जनन हो सकता है जिसने ट्रंप और उनकी नीतियों के लिए कड़ा संकेत भेजा। गौरतलब है कि 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव था, जिसने RIC (रूस, भारत, चीन) को निष्क्रिय कर दिया। लेकिन 2024 में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद सीमा तनाव कम करने के लिए समझौते हुए।

टाइम्स ऑफ इंडिया

इंडियन एक्सप्रेस
पहलगाम हमले की सामूहिक निंदा भारत की जीत – जागरण
अधिकांश प्रमुख अखबारों ने एससीओ के मंच से पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा को पहली हेडिंग बनाया है, इसे समिट में भारत की बड़ी सफलता के रूप में दर्शाया गया है। दैनिक जागरण ने हेडिंग लगाई- ‘भारत की जीत, एससीओ के मंच से पहलगाम हमले की निंदा।’ अखबारों ने इसे इसलिए अहम बताया क्योंकि मात्र दो महीने बीते हैं जब SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक में पहलगाम हमले की निंदा करने को लेकर सहमति नहीं बनी थी, भारतीय विदेशमंत्री राजनाथ सिंह ने तब नाराजगी जताते हुए बैठक के साझा बयान पर दस्तखत नहीं किए थे और साझा बयान जारी नहीं हो सका था। एक्सप्रेस के शब्दों में कहे तो बदली वैश्विक परिस्थितियों ने इसे बदल दिया। न सिर्फ पाकिस्तान और चीन 22 अप्रैल के हमले की निंदा के लिए राजी हुआ, बल्कि साझा घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकी हमले के दोषियों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।

दैनिक जागरण
घोषणापत्र में पाक में हुए हमले की भी निंदा हुई, जागरण ने नहीं छापा
द हिन्दू ने भी पहले पन्ने पर पहलगाम हमले की निंदा को ही हेडिंग बनाया और खबर में प्रमुखता से बताया है कि SCO ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस पर हुए बलूचिस्तान उग्रवादी संगठन के हमले की भी निंदा की है। यह महत्वपूर्ण जानकारी हिन्दी अखबार दैनिक जागरण ने अपनी कवरेज में नहीं दी जबकि उनकी प्रमुख खबर आतंकवाद पर आए एससीओ के साझा घोषणापत्र को लेकर ही है।
मोदी ने आतंकवाद पर परोक्ष रूप से पाक को घेरा – HT
हिन्दुस्तान टाइम्स ने पहले पन्ने पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान को लिया है, जिसमें उन्होंने आतंकवाद पर दोहरा रवैया उठाने वाले देशों पर सवाल उठाया। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोदी ने नाम लिए बिना पाक व चीन पर निशाना बनाया। अखबार ने पहलगाम पर निंदा करने की खबर को उतनी अहमियत नहीं दी और अंदर के पेज पर सेकेंड लीड बनाया। इसके अतिरिक्त सभी अखबारों ने मोदी व पुतिन की द्विपक्षीय बैठक को भी प्रमुखता से लिया। एचटी ने लिखा कि मोदी से यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए हाल में हुई पुतिन-ट्रंप वार्ता का समर्थन जताया और शांति प्रक्रिया में तेजी लाकर जल्द शांति स्थापित करने की बात पुतिन से कही।
SCO से बड़ी उम्मीद बांधना जल्दबाजी : संपादकीय
दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत को चीन व अमेरिका दोनों से ही सावधान रहने की जरूरत है, एससीओ समिट में ऐसी कोई घोषणा नहीं हुई जिससे यह माना जा सके कि वैश्विक समीकरण में कोई बड़ा परिवर्तन आएगा। अखबार ने लिखा है कि मोदी-जिनपिंग के बीच संबंधों में सुधार की बातें हुईं जो पहले भी होती रही है पर दोनों देशों के बीच अविश्वास की दीवार गिरने का नाम नहीं लेती। एचटी ने लिखा है एससीओ में भारत के साथ पाक में हुए आतंकी हमलों की भी निंदा की गई, भारत ने चीन के बेल्ट एवं रोड परियोजना के समर्थन से खुद को अलग करके अपने पुराने पक्ष को कायम रखा। अखबार कहता है कि ऐसे में यह सोचना अव्यवहारिक है कि इस मंच से कोई बड़े राजनयिक परिवर्तन आएंगे, पर इतना जरूर है कि ट्रंप के टैरिफ से जूझ रहे ईरान, चीन, रूस व भारत के बीच गहरा समन्वय स्थापित होगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा कि SCO शिखर सम्मेलन भारत के लिए रुस व चीन से संबंध सुधार में सफल साबित हो रहा है। शायद अमेरिका ने 50% टैरिफ लगाने की अपनी गलती को समझ लिया है, अमेरिकी दूतावास का रविवार को आया “मैत्रीपूर्ण” ट्वीट इसी दिशा में शायद एक नीतिगत सुधार का संकेत है। अखबार कहता है कि भारत को सुलह के इशारों के प्रति ग्रहणशील होना चाहिए लेकिन इसे दबाव में नहीं आना चाहिए।
आज के अखबार
GDP की छलांग को अखबारों ने क्यों बताया – सुखद आश्चर्य!

बोलते पन्ने | नई दिल्ली
खबर का सार :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दो अप्रैल को भारत पर पहली बार टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, फिर इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया था। इसी अवधि यानी अप्रैल से लेकर जून के दौरान (Q1) भारत ने अप्रत्याशित जीडीपी वृद्धि 7.8% दर्ज की है जो कि पिछली पांच तिमाही में सर्वाधिक है। इस विकास दर के चलते ही भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के स्थान को बरकरार रखा है। इस खबर को 30 अगस्त के सभी प्रमुख अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है। चालू वित्त वर्ष में इस तेजी से विकास दर बढ़ने का अनुमान खुद भारतीय रिजर्व बैंक ने तक नहीं लगाया था, इसी के चलते प्रमुख अखबारों ने इस वृद्धि को ‘आश्चर्यजनक’ बताया है।
सर्विस सेक्टर से मिला बूम – यह वृद्धि मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र की मजबूत गतिविधियों के कारण हुई, जिसमें वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यापार, होटल, परिवहन जैसे उप-क्षेत्रों ने 9.3% की वृद्धि दिखाई। कृषि क्षेत्र में 3.7% और विनिर्माण में 7.7% की वृद्धि हुई, जबकि खनन (-3.1%) और बिजली (0.5%) में कमजोर प्रदर्शन रहा। यह अनपेक्षित वृद्धि अमेरिकी टैरिफ (50%) के बावजूद आई, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहा। हालांकि, कम मुद्रास्फीति के कारण नाममात्र जीडीपी वृद्धि 8.8% रही।
अखबारों ने क्या लिखा :
1- FT और एक्सप्रेस ने जीडीपी उछाल को बताया सुखद आश्चर्य
फाइनेंशियल टाइम्स ने पहले पन्ने पर इस खबर को टॉप बॉक्स लगाया है जिसमें pleasant surprise (सुखद आश्चर्य) शब्द का इस्तेमाल किया है। इसकी हेडिंग है – ‘सुखद आश्चर्य: Q1 में जीडीपी वृद्धि पांच तिमाही के उच्चतम स्तर 7.8% पर’ (अनुवाद।) अखबार ने लिखा है कि अमेरिकी टैरिफ (25%) के बावजूद यह अप्रत्याशित उछाल भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाए रखती है।
2- चौंकाने वाली जीडीपी वृद्धि : इंडियन एक्सप्रेस
इंडियन एक्सप्रेस ने इसे आश्चर्यजनक कहते हुए लिखा है कि अगर भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने में सफल हो जाता है तो अर्थव्यवस्था की यह गति बनी रहेगी। इस अखबार ने खबर को पहले पन्ने पर प्रमुखता से लगाया है, जिसकी हेडिंग है- ‘जीडीपी ने चौंकाया : सेवा क्षेत्र से पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.8% हुई, 5 तिमाहियों में सबसे अधिक।’ (अनुवाद)। एक अन्य अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी इसे अखबार की सेकंड लीड स्टोरी बनाया है।
3- द हिन्दू और HT में लीड खबर, दैनिक हिन्दुस्तान ने अहमियत नहीं समझी
अंग्रेजी के प्रमुख अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स व द हिन्दू ने इस खबर को पहले पन्ने की लीड खबर बनाया है। जबकि हिन्दी के दैनिक हिन्दुस्तान ने पहले पन्ने पर न तो खबर दी और न ही संक्षेप (टीजर) में ही इसकी जानकारी दी है जो असामान्य है। हालांकि इस खबर को अखबार ने बिजनेस पेज की लीड बनाया है, जिसकी हेडिंग है – ‘कृषि और सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से जीडीपी में तेजी दर्ज।’ खबर में बताया है कि एक साल पहले सेवा क्षेत्र में विकास दर 6.6% से बढ़कर 9.5% हो गई, इसी तरह कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 1.5% थी जो बढ़कर 3.5% हो गई है।
रुपये में रिकॉर्ड गिरावट – दूसरी ओर, इसी के अंग्रेजी अखबार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ ने पहले पन्ने की लीड स्टोरी बनाया है। साथ ही, पहले पन्ने पर ही जानकारी दी है कि रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर गिरा है, एक डॉलर अब 88.09 रुपये का हो गया है।
4- हमारी इकोनॉमी का ट्रंप को जवाब : दैनिक भास्कर
दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर जीडीपी ग्रोथ की खबर को ट्रंप को जवाब के एंगल पर लगाया है, अखबार ने संदर्भ दिया है कि ट्रंप ने हाल में भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ (Dead Economy) कहा था। अखबार लिखता है कि रिजर्व बैंक ने जीडीपी 6.5% रहने का अनुमान जताया था पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के शुक्रवार को जारी आंकड़े अनुमान से कहीं बेहतर हैं। दैनिक जागरण ने भी लगभग इसी ऐंगल पर लिखा – ‘शबाश भारत ! ट्रंप टैरिफ से पहले भारतीय आर्थिकी में 7.8% की अप्रत्याशित उछाल।’ अमर उजाला ने इसे पहले पेज की दूसरी प्रमुख खबर के रूप में लगाया है, हेडिंग है – ‘जीडीपी की ऊंची छलांग’।
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