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आज के अखबार

मोदी का तोहफा, पत्रकार की हत्या और फिर लौटा डेटा सुरक्षा कानून

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, पत्नी जिल बाइडन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

आज के अखबार (4 जनवरी 2025) | नई दिल्ली

1- मोदी ने अमेरिकी फर्स्ट लेडी को दिया 17 लाख का हीरा 

द टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने पर खबर दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2023 में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडन की पत्नी जिल बाइडन को 7.5 कैरेट का एक हीरा तोहफे में दिया था, जिसकी भारतीय करेंसी में कीमत 17 लाख (20 हजार अमेरिकी डॉलर) है। यह तोहफा अमेरिकी के पहले परिवार के किसी भी सदस्य को साल 2023 में मिला सबसे महंगा तोहफा था

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, पत्नी जिल बाइडन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, पत्नी जिल बाइडन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

।  यह जानकारी गुरुवार को अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की ओर से जारी एक रिपोर्ट के जरिए सामने आयी जिसमें अमेरिकी प्रतिनिधियों को विदेश से मिले तोहफों की जानकारी संकलित है। अखबार ने भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्र के हवाले से यह भी छापा है कि अमेरिका ने जिस हीरे की कीमत 17 लाख बताई है, वह प्रयोगशाला में बना हीरा है जिसकी कीमत अधिकतम दो लाख रुपये होगी, अमेरिका ने इसकी कीमत बहुत ज्यादा आंकी है। हालांकि अखबार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि विदेश मंत्रालय के सूत्र ने हीरे की कीमत को लेकर ऐसा क्यों कहा। हम आपको बता दें कि शुक्रवार को दिनभर सोशल मीडिया पर इस बारे में चर्चा होती रही कि भारतीय करदाता के रुपयों से इतने महंगे तोहफे क्यों दिए जा रहे हैं।

 

टाइम्स ऑफ इंडिया, 4 जनवरी

2. निजी डेटा की सुरक्षा से जुड़े मसौदे को सरकार ने जारी किया

निजी डाटा सुरक्षा का मसौदा (डाफ्ट) शुक्रवार को केंद्र सरकार ने आम जनता की राय के लिए जारी कर दिया। कई अखबारों ने इस डॉफ्ट में निजी डेटा से जुड़े अलग-अलग नियमों पर खबर की है। द टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहले पन्ने की लीड इसी खबर को बनाया है, हेडिंग है – अभिभावक की अनुमति से ही सोशल मीडिया पर आ सकेंगे बच्चे। खबर में बताया गया है कि भारत में बच्चों के लिए सोशल मीडिया ज्वाइन करना प्रतिबंधित नहीं होगा, हालांकि इससे जुड़ने के लिए उन्हें अपने अभिभावक की अनुमति चाहिए होगी जो कि वेरीफिकेशन प्रक्रिया वाली होगी। अखबार के मुताबिक, मसौदे के नियमों में कहीं ऐसा प्रावधान नहीं है कि किसी बच्चे को गलत जन्मतिथि बताकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जुड़ने से रोका जा सके।

टाइम्स ऑफ इंडिया, 4 जनवरी

टाइम्स ऑफ इंडिया, 4 जनवरी

कंपनियोें को निजी डेटा भारत में ही रखना होगा  – इंडियन एक्सप्रेस ने डिजिटल डेटा सुरक्षा कानून-2025 के मसौदे पर खबर दी है कि सभी निजी कंपनियों को निजी डेटा को भारतीय सीमाक्षेत्र में ही सुरक्षित रखना होगा। अखबार के अनुसार, 2023 के डेटा प्रोटेक्शन एक्ट में इस प्रावधान को हटा दिया था, तब कई कंपनियों ने इस प्रावधान पर आपत्ति जताई थी।

3. मणिपुर में फिर हिंसा, एसपी चोटिल

एक और अहम खबर मणिपुर से हैं, जहां के कांगपोकपी जिले में शुक्रवार शाम को भीड़ ने पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पर हमला बोल दिया। प्रदर्शनकारियों ने एसपी कार्यालय के वाहनों में भी तोड़फोड़ की। इस घटना में एसपी के माथे पर चोट लग गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे, इसमें कई लोगों के घायल होने की खबर है। दरअसल, कुकी संगठन सैबोल गांव में 31 दिसंबर को सुरक्षा बलों द्वारा महिलाओं पर कथित लाठीचार्ज के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी मांग है कि उनके गांव से सुरक्षाबलों को हटाया जाए। इस खबर को सभी अखबारों ने प्रमुखता दी है।

4. चीन ने लद्दाख में बनाईं ‘दो काउंटी’, फिर तनातनी 

चीन ने लद्दाख के कुछ क्षेत्रों में अपनी दो नई काउंटी बनाई हैं, जिस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि अवैध कब्जा स्वीकार नहीं किया जाएगा। दरअसल चीनी मीडिया ने 27 दिसंबर को जानकारी दी है कि चीन के होटन प्रान्त में दो नई काउंटी बनाई गई हैं। इसके अलावा, भारत ने चीन की ओर से ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाए जाने के फैसले पर भी चिंता जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में शुक्रवार को कहा कि नई दिल्ली ने तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी पर पनबिजली बांध बनाने की चीन की योजना के बारे में बीजिंग को अपनी चिंताएं बताई हैं। इस खबर को भी टाइम्स, एक्सप्रेस ने प्रमुखता से पहले पन्ने पर छापा है।

इंडियन एक्सप्रेस, 4 नवंबर

इंडियन एक्सप्रेस, 4 नवंबर

5. बक्सर के साहसी पत्रकार का शव सेप्टिक टैंक में मिला
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में चर्चित पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव वहां के एक ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के परिसर में बने सेप्टिक टैंक में मिला है। वे कई टीवी चैनलों में सहयोगी के तौर पर काम करते थे और ‘बक्सर जंक्शन’ नाम का यूट्यूब चैनल चलाते थे। मुकेश पहली जनवरी की शाम से लापता थे, उनके भाई ने ठेकेदार पर हत्या का शक जताकर केस दर्ज करवाया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, स्थानीय पुलिस का कहना है कि अभी तक इस मामले में मुकेश का हाथ होने के संकेत नहीं मिले हैं, बल्कि हत्या करने के दो आरोपी मृतक के कजिन हैं। इस मामले में पत्रकारों ने विरोध में बंद का ऐलान किया है। मु्ख्यमंत्री ने भी पत्रकार की मौत पर शोक जताया है। भाजपा का आरोप है कि आरोपी कांग्रेस से जुड़ा हुआ है।
इंडियन एक्सप्रेस, 4 नवंबर

इंडियन एक्सप्रेस, 4 नवंबर

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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SIR का असर : गोवा में जिला परिषद चुनाव टले, ‘दोहरे बोझ’ से परेशान केरल सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

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SIR की प्रक्रिया देशभर में शुरू होते ही इससे जुड़ी हर राज्य की अलग चुनौतियां भी सामने आने लगी हैं।
SIR की प्रक्रिया देशभर में शुरू होते ही इससे जुड़ी हर राज्य की अलग चुनौतियां भी सामने आने लगी हैं।
  • देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया 4 तक जारी है।
  • SIR के चलते गोवा में प्रस्तावित निकाय चुनाव को एक सप्ताह आगे बढ़ाया गया है।

नई दिल्ली |

देश में चल रही मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी एसआईआर (SIR) का असर अब स्थानीय चुनावों पर पड़ने लगा है। गोवा (Goa) में एसआईआर के चलते जिला परिषद चुनावों को एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है।

SIR के चलते चुनाव टाले जाने का यह पहला ज्ञात मामला है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने गोवा समेत देशभर के 12 राज्यों व तीन केंद्र शासित प्रदेशों में SIR की प्रक्रिया (4 nov-4 dec) शुरू की है। घोषणा के वक्त आयोग ने कहा था कि वे राज्य ही इस प्रक्रिया के लिए चुने गए हैं जहां तुरंत चुनाव नहीं होने हैं ताकि चुनावी प्रक्रिया में कोई दखल न आए।

पर अब गोवा में निकाय चुनाव टाले जाने का मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग की योजना पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

दूसरी ओर, केरल (Kerala) सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों के बीच एसआईआर प्रक्रिया को रोकने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है। दोनों राज्यों का तर्क है कि चुनाव और एसआईआर एक साथ कराने से प्रशासनिक मशीनरी पर भारी दबाव पड़ रहा है।

 

गोवा: 13 की जगह अब 20 दिसंबर को होगा मतदान

गोवा में पहले जिला परिषद के चुनाव 13 दिसंबर 2025 को होने थे, लेकिन अब इन्हें एक हफ्ते आगे बढ़ाकर 20 दिसंबर 2025 कर दिया गया है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पंचायती राज विभाग ने आधिकारिक राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अखबार ने एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि यह फैसला “प्रशासनिक कारणों” से लिया गया है।

अधिकारी के मुताबिक, चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कई वरिष्ठ कर्मचारी पहले से ही एसआईआर प्रक्रिया में व्यस्त हैं। नए कर्मचारियों को अभी चुनाव कराने के लिए कड़ा प्रशिक्षण देने की जरूरत है, इसलिए पंचायत निदेशालय ने सरकार से चुनाव टालने का प्रस्ताव दिया था। गोवा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय गोयल (Sanjay Goel) ने भी पहले सरकार से अनुरोध किया था कि एसआईआर पूरा होने तक चुनाव टाल दिए जाएं, क्योंकि एक ही अधिकारी दो जिम्मेदारियां नहीं संभाल सकता।

 

केरल: सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, ‘प्रशासनिक संकट’ का हवाला

उधर, केरल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एसआईआर को चुनौती दी है। राज्य सरकार की मांग है कि जब तक स्थानीय स्वशासन संस्थाओं (LSGI) की चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक एसआईआर को रोका जाए।

केरल सरकार का तर्क है कि राज्य में 9 और 11 दिसंबर को निकाय चुनाव होने हैं, जिसके लिए 1,76,000 कर्मचारियों और 68 हजार सुरक्षाकर्मियों की जरूरत है। वहीं, एसआईआर के लिए अतिरिक्त 25,668 कर्मचारी चाहिए। सरकार का कहना है कि एक साथ दोनों प्रक्रियाएं चलाने से गंभीर प्रशासनिक जटिलताएं पैदा होंगी और रोजमर्रा का कामकाज ठप हो जाएगा।

 

चुनाव आयोग ने नहीं दिया जवाब

केरल के मुख्य सचिव ने 5 नवंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर टालने की मांग की थी, लेकिन आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। इससे पहले केरल हाईकोर्ट ने भी इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, केरल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी रतन खेलकर ने बताया कि राज्य में एसआईआर प्रक्रिया तेजी से चल रही है और 96 प्रतिशत गणना पत्र बांटे जा चुके हैं।


Edited by Mahak Arora (Content Writer)

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10 साल पहले बीफ के शक में पीट-पीटकर मार दिए गए अखलाक का केस वापस लेगी यूपी सरकार

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नई दिल्ली |

यूपी के गौतमबुद्ध जिले में दस साल पहले एक मुस्लिम व्यक्ति अखलाक की लिंचिंग गोमांस खाने की अफवाह में कर दी गई थी।इस मामले में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने अभियुक्तों के ख़िलाफ़ दर्ज मामला वापस लेने की अर्ज़ी दी है।

यह मामला दादरी के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को हुआ था, 50 साल के अख़लाक़ को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।

अखलाक के परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी हत्या गाय के मांस को लेकर एक झूठे दावे के बाद हुई थी, जिसके बाद देश भर में व्यापक निंदा और विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इस घटना ने गोरक्षा के नाम पर हिंसा और सांप्रदायिक तनाव को लेकर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी थी।
12 दिसंबर को अगली सुनवाई
इस केस को लेकर यूपी सरकार की ओर से बीते 14 अक्टूबर को गौतम बुद्ध नगर की एक अदालत में याचिका दायर की गई है। यह मामला एडीजे सौरभ द्विवेदी की अदालत में चल रहा है।

इंडियन एक्सप्रेस ने गौतम बुद्ध नगर के अतिरिक्त जिला सरकारी वकील (ADGC) भग सिंह भाटी के हवाले से बताया है कि याचिका दायर कर दी गई है लेकिन अभी अदालत ने फैसला नहीं सुनाया है, इस केस की सुनवाई जारी है और अगली तारीख 12 दिसंबर 2025 है। 

CPI(M) ने यूपी सरकार की आलोचना की 

ये जानकारी सामने आने पर CPI(M) के जनरल सेक्रेटरी (general secretary) एमए बेबी ने यूपी सरकार की आलोचना की। उन्होंने लिखा- “सरकार ने भाजपा नेता संजय राणा के बेटे समेत अखलाक की हत्या के सभी आरोपियों के आरोप वापस लेने का जो फैलना लिया है, हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। सरकार का यह कदम नफरत, अपराध और हत्या को लेकर राज्य की मंजूरी देने के जैसा है।”

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यूपी में ‘नरेंद्र मोदी स्टडीज सेंटर’ चला रहा था, CBI ने केस दर्ज किया

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जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।
जासिम मोहम्मद ने पीएम मोदी के ऊपर लिखी किताब उन्हीं को भेट देने की यह फोटो अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डाली है।

नई दिल्ली |

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक युवक पीएम मोदी के नाम पर एक अवैध स्टडी सेंटर चलाता पकड़ा गया। प्रधानमंत्री कार्यालय की शिकायत पर सीबीआई ने आरोपी संचालक को गिरफ्तार करके FIR दर्ज करायी है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज’ (CNMS) के संस्थापक जासिम मोहम्मद के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि जासिम मोहम्मद ने बिना केंद्र सरकार या पीएमओ की मंजूरी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम का अनधिकृत इस्तेमाल करके साल 2021 में यह ट्रस्ट रजिस्टर किया।
CBI ने जासिम के ऊपर यह कार्रवाई इम्ब्लेम्स एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 के उल्लंघन के चलते की है। इस खबर को द इंडियन एक्सप्रेस ने 28 अक्तूबर को प्रकाशित किया है। 
4 साल पहले मिली थी शिकायत
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की शिकायत पर इस मामले की मार्च 2021 में करवाई गई थी। जांच अप्रैल में प्रारंभिक पूछताछ के बाद औपचारिक FIR में तब्दील हो गई।
PMO को एक वकील की शिकायत मिली थी, जिसमें सेंटर को अवैध बताया गया।
CBI ने पाया कि CNMS को 25 जनवरी 2021 को इंडियन ट्रस्ट्स एक्ट, 1882 के तहत रजिस्टर किया गया, लेकिन मोदी के नाम का इस्तेमाल बिना अनुमति के हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस

मोदी के प्रशंसक रहे हैं, 2017 में मुलाकात
सेंटर की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि यह स्वतंत्र रिसर्च ट्रस्ट है, जो सरकार या किसी राजनीतिक दल से संबद्ध नहीं। जासिम मोहम्मद, एक वकील और मोदी के प्रशंसक भी हैं। साल 2017 में अपनी किताब “नरेंद्र मोदी: अर्श से फर्श तक” पीएम को भेंट की थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हैं और 2014 के बाद BJP के समर्थक बने।
मोहम्मद फोरम फॉर मुस्लिम स्टडीज एंड एनालिसिस (FMSA) के प्रमुख हैं। CBI जांच में सेंटर की गतिविधियों, आयोजनों और फंड कलेक्शन की पड़ताल हो रही है, जिसमें मोदी के नाम का दुरुपयोग हुआ या नहीं।
नरेंद्र मोदी स्टडीज का दावा- रजिस्ट्रेशन पारदर्शी
CNMS ने बयान जारी कर कहा कि रजिस्ट्रेशन पारदर्शी था और नाम बदलाव कानूनी प्रक्रिया से हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सरकारी प्रतीकों के संरक्षण पर केंद्रित है, जो राजनीतिक हस्तियों के नाम के दुरुपयोग को रोकने का उदाहरण है। जांच जारी है, और अन्य शामिल लोगों पर भी नजर।
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