आज के अखबार
हिंडनबर्ग रिपोर्ट : सेबी-अदाणी ‘गठजोड़’ को अखबारी कवरेज से समझें
NEW FROM US:
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) August 10, 2024
Whistleblower Documents Reveal SEBI’s Chairperson Had Stake In Obscure Offshore Entities Used In Adani Money Siphoning Scandalhttps://t.co/3ULOLxxhkU
नई दिल्ली |
अदाणी समूह पर सनसनीखेज खुलासे करने वाली अमेरिकी शॉर्टसेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अपनी खोजी रिपोर्ट के जरिए बड़े आरोप लगाए हैं। अपनी ताजा रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर दावा किया है कि सेबी (सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच भी अदाणी समूह के साथ मिली हुई थीं। आरोप है कि इस कंपनी में बुच की 8.7 लाख डॉलर की हिस्सेदारी थी। इस तथाकथित गठजोड़ के आधार पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया कि अदाणी पर सेबी ने कार्रवाई में रुचि नहीं दिखाई जबकि इस मामले पर सभी प्रमुख जानकारियां उपलब्ध करवा दी गई थीं।
आज के अखबार में इस बड़ी खबर की कवरेज की समीक्षा करेंगे क्योंकि हिंडनबर्ग के दावे ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए हैं। हिन्दी के अखबारों के पहले पन्ने पर इस खबर को इतना छोटा छापा गया है कि पाठकों की नजर में ये खबर ही न आ सके। 11 अगस्त के संस्करणों की कवरेज के जरिए इस मामले को विस्तार से समझिए।
कांग्रेस ने जेसीपी की मांग उठाई, टीएमसी ने मांगा इस्तीफा
पहले बता दें कि इस खबर को 11 अगस्त के इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने की प्रमुख खबर बनाया है। ऐसा करने वाला यह देश का एकमात्र अखबार है। हेडिंग है – Sebi chief had stake in Adani offshore entities, hence didn’t act : Hindenburg. (अनुवाद – अदाणी की ऑफशोर कंपनियों में सेबी चीफ की हिस्सेदारी थी जिसके चलते उन्होंने कार्रवाई नहीं की : हिन्डनबर्ग)। एक्सप्रेस ने लिखा है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रतिक्रिया में कांग्रेस ने ‘अदाणी मेगा स्कैम’ की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेसीपी) से कराने की मांग की है जबकि तृणमूल कांग्रेस ने सेबी प्रमुख का इस्तीफा मांगा है। इस खबर में बताया गया है कि 18 महीने पहले हिंडनबर्ग ने जिस अदाणी मनी साइफिंग घोटाले का दावा किया था, उसी से जुड़े अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में सेबी प्रमुख व पति की हिस्सेदारी थी।
सेबी प्रमुख बनने से पहले अदाणी समूह में हिस्सेदारी पति को सौंपी
अंग्रेजी के एक अन्य प्रमुख अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने इसे पहले पन्ने पर दूसरी बड़ी स्टोरी बनाया है, जिसमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि सेबी प्रमुख बनने से पहले बच व उनके पति के अदाणी कंपनी में स्टेक थे। सेबी चेयरपर्सन बनने के दो सप्ताह पहले माधवी पुरी बुच ने ये हिस्सेदारी अपने पति धवल बुच को स्थानांतरित कर दी थी। हालांकि सेबी में बुच होलटाइम मेंबर के तौर पर 2017 से ही जुड़ी हुई थीं। TOI ने लिखा कि शनिवार देर शाम जारी की गई इस रिपोर्टर पर बुच दंपति ने रात डेढ़ बजे एक्स पर बयान जारी करके आरोपों को निराधार बताया और कहा कि उनका वित्तीय लेनदेन एक खुली किताब है। द हिन्दू ने भी टाइम्स ऑफ इंडिया की तरह इस खबर को पहले पन्ने की दूसरी मेन स्टोरी बनाया है।
हिन्दी अखबारों के पहले पन्ने पर खबर को प्रमुखता नहीं मिली
दैनिक हिन्दुस्तान अखबार ने इस बड़ी खबर को पहले पन्ने पर सिर्फ सिंगल कॉलम मेें लगाया है। अंदर के पेज 17 पर इस खबर की विस्तृत रिपोर्ट छापी है (जिसका स्क्रीन शॉट ऊपर संलग्न है)। दैनिक जागरण के पहले पन्ने के निचले हिस्से में इस खबर को मात्र आधा कॉलम लगाया गया है, अर्थ संबंधी खबरों के पन्ने पर नीचे की ओर दो कॉलम में बाकी की खबर दी है। दोनों ही अखबारों ने इस मामले में विपक्ष की प्रतिक्रिया को नहीं छापा है। इन दोनों अखबारों के मुकाबले अमर उजाला ने पहले पन्ने पर ज्यादा स्थान दिया है, करीब डेढ़ कॉलम में खबर लिखी है हालांकि इस पर अंदर कोई विस्तृत रिपोर्ट नहीं है।
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी थी शेयरधारकों की जानकारी
जागरण ने अंदर के पेज पर लगाई अपनी खबर में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी ने अपनी जांच में अदाणी के ऑफशोर शेयरधारकों के वित्तपोषण की कोई जानकारी नहीं दी है। अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंडधारकों को ढूंढना चाहता था तो शायद अपने चेयरपर्सन से जांच शुरू कर सकता था। हिंडनबर्ग ने लिखा है कि हमें इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सेबी ऐसी जांच करने में अनिच्छुक था जो उसे अपने चेयरपर्सन तक ले जा सकता था। इस खबर की शुरुआत में जागरण ने लिखा है कि हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट को जांच के आधार पर सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है।
18 महीने पहले अदाणी पर आई थी हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट
जनवरी-2023 में बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले हिंडनबर्ग रिसर्च की पहली रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिससे पूरे संसद सत्र में हंगामा मचा था। उस रिपोर्ट में आरोप लगाए गए थे कि अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद अदाणी अस्पष्ट ऑफशोर बरमूडा और मॉरीशस फंड को नियंत्रित करते हैं और इनका इस्तेमाल पैसों की हेराफेरी व शेयरों की कीमत बढ़ाने के लिए किया गया था। इस रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने छह सदस्यीय कमेेटी बनाई थी और सेबी से भी जांच पूरी करने का अतिरिक्त समय देते हुए जांच करने को कहा था। इस रिपोर्ट को इस साल मई में सार्वजनिक कर दिया गया, जिसमें कहा गया कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी के नाकाम होने से जुड़े किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा था कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड (खुद ही शेयर खरीदने व बेचने) का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है।
आज के अखबार
आज के अख़बार : वक्फ के बदलावों पर एक सप्ताह की रोक

‘सुप्रीम संकेत’ के बीच वक्फ के बदलावों पर रोक
मुस्लिम समुदाय के लोगों की धार्मिक कार्यों के लिए दान की गई जमीनों के रखरखाव के नए वक्फ क़ानून को एक सप्ताह के लिए रोक दिया गया है। तमाम विपक्षी राजनीतिक दलों व मुस्लिम समुदाय के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने नए क़ानून को संसद में तो पास करा लिया था पर सुप्रीम कोर्ट में एक दिन की सुनवाई के बाद ही उसे पीछे हटना पड़ा है। इस मामले में पहली सुनवाई बुधवार को हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दे दिए थे कि वे इस क़ानून के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगा सकते हैं, सामान्यता: वे ऐसा नहीं करते हैं पर इस मामले में उन्हें ऐसा करना होगा। कोर्ट ने बुधवार को याचिकाओं पर केंद्र सरकार को गुरुवार तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। पर सरकार ने गुरुवार को जवाब दाखिल करने के लिए अदालत से एक सप्ताह का समय मांगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगले एक सप्ताह तक इस मामले में यथास्थिति बनाई रखी जाएगी। यानी केंद्रीय वक्फ काउंसिल, बोर्ड व वक्फ की जमीनों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लेकर एक सप्ताह की रोक का आदेश पारित किया है। इस मामले की अगली सुनवाई पाँच मई को होगी।
ख़ुद को सुपर संसद न समझे सुप्रीम कोर्ट : उपराष्ट्रपति धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर ऐतराज़ जताया, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने की समय सीमा तय करने की बात कही गई थी। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्पष्ट किया कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अदालत को जो विशेष अधिकार मिला है, वो अब लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ 24×7 तैयार रहने वाली न्यूक्लियर मिसाइल की तरह बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जज अब ‘सुपर पार्लियामेंट’ की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इस बयान को आज सभी अखबारों ने प्राथमिकता से पहले पन्ने पर लिया गया है।
पश्चिम बंगाल 25 हज़ार बर्खास्त शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट की राहत
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 25 हज़ार से अधिक बर्खास्त शिक्षकों को यह करते हुए राहत दी है कि भर्ती घोटाले में जिन शिक्षकों का नाम न आया हो, वे नई चयन प्रक्रिया पूरी होने तक पढ़ाना जारी रख सकते हैं। कोर्ट ने कहा- हम नहीं चाहते कि बच्चों की पढ़ाई कोर्ट के फैसले से बाधित हो। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) को 31 मई तक भर्ती प्रक्रिया का नोटिफिकेशन जारी करना होगा। 31 दिसंबर तक चयन प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। बंगाल सरकार और SSC को 31 मई तक भर्ती का विज्ञापन जारी कर उसका पूरा शेड्यूल कोर्ट को सौंपना होगा। अगर तय समय में प्रक्रिया पूरी नहीं हुई तो कोर्ट उचित कार्रवाई और जुर्माना लगाएगा। इस फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुशी जतायी है। इस ख़बर को आज हिन्दी व अंग्रेजी के अखबारों ने पहले पन्ने पर लगाया है।
पाक सेना प्रमुख बोले- ‘कश्मीर हमारी जीवन रेखा’, भारत ने कहा- अवैध कब्जा हटाओ
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर ने पाकिस्तानी ओवरसीज सिटिज़न के वार्षिक कार्यक्रम में बोलते हुए दो ऐसे बयान दिए जिन्हें सभी अखबारों ने प्राथमिकता से लिया है। मुनीर ने कहा कि हिन्दू व मुस्लिमों की संस्कृति, विचार, आस्था, रीतिरिवाज व महत्वाकांझाएं अलग-अलग हैं और यही हमारे अलग देश बनने का आधार बना। उन्होंने विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों से गुज़ारिश की कि पाकिस्तान बनने की इस कहानी (द्विराष्ट्रीय नीति) को वे अपने बच्चों को ज़रूर सुनाएं। साथ ही, कश्मीर पर उन्होंने कहा कि ‘ये हमारी जुगुलर वेन्स (जीवन रेखा) हैं, यह हमारी जीवन रेखा बनी रहेगी और हम इसे कभी नहीं भूलेंगे।’ बता दें कि इंसानी गर्दन में जुगुलर नसें वे वाहिकाएं हैं जो आपके मस्तिष्क से खून को वापस हृदय में पहुंचाती हैं। इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख का यह अब तक का सबसे कड़ा बयान है, जिस पर विदेशी मामलों के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ‘कोई विदेशी ज़मीन किसी के लिए कैसे जुगुलर वेन हो सकती है? पाकिस्तान का कश्मीर से सिर्फ यह रिश्ता है कि वह इस भारतीय क्षेत्र को (POK) अवैध अतिक्रमण को जल्द से जल्द खाली करे।’
जेएनयू के प्रो. स्वर्ण सिंह को यौन उत्पीड़न के लिए किया बर्खास्त
इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर ख़बर दी है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वरिष्ठ प्रोफेसर स्वर्ण सिंह को जापानी दूतावास की एक अधिकारी से जुड़े यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बर्खास्त कर दिया गया है। जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एक साल पहले रिटायर हुए प्रो. स्वर्ण सिंह को यूनिवर्सिटी की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की एक साल चली जाँच के आधार पर निष्कासित किया गया है। अख़बार ने लिखा है कि जापानी दूतावास की एक अधिकारी ने आईसीसी को शिकायत दी थी कि जब वे कॉन्फ़्रेंस आयोजन के लिए इस प्रोफेसर के लगातार संपर्क में थीं, तब उनसे यौन उत्पीड़न हुआ था। इस मामले की एक रिकॉर्डिंग भी उन्होंने समिति को सौंपी थी।
आज के अखबार
अवैध प्रवासी अब अमेरिका से जाएंगे कोस्टारिका

आज के अखबार (19 फरवरी, 2025) | नई दिल्ली
अमर उजाला की कुंभ पर की चापलूसी भरी कवरेज
अमर उजाला ने पूरे एक पन्ने पर बड़ी तस्वीरें लगाकर महाकुंभ के क्राउड मैनेजमेंट को लेकर एक स्पेशल स्टोरी की है जिसे इस संस्थान के पत्रकार अनूप ओझा ने लिखा है। इसकी हेडिंग है – ”महाकुंभ … विश्व को दिखाएगा प्रबंधन की राह”। कवरेज की हेडिंग ही सवाल खड़े करने वाली है कि क्या वाकई इस आयोजन का मैनेजमेंट इतना विश्वस्तरीय है कि यह दुनिया को प्रबंधन की राह दिखा पाए?
अवैध प्रवासी अगर भारतीय साबित नहीं हुए तो दूसरे देश जाएंगे
दैनिक जागरण में आज दो खबरें नजर खींचने वाली हैं, हालांकि ये अंदर के पन्नों पर लगी हैं।
इसी मामले पर अमर उजाला ने लिखा है कि कोस्टा रिका देश अब अमेरिका से वापस भेजे जा रहे दूसरे देशों के अप्रवासियों को अपने देश में अस्थायी तौर पर रखेगा। फिर यहां से ऐसे लोगों को सत्यापन के बाद उनके देश भेजा जाएगा, जिसमें भारतीय अप्रवासी भी होंगे।
अवैध तरीकों से अमेरिका पहुंचे भारतीयों के अपने देश लौटने के बाद ऐसे ट्रैवल एजेंटों पर केज दर्ज होने शुरू हो गए हैं, जिनके चलते कई भारतीय डंकी का रास्ता लेने को मजबूर हुए थे।
अमेरिका की ओर से ड्यूटी लगने से आधा प्रतिशत जीडीपी गिरेगी
ट्रंप में मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान ही यह साफ कर दिया था कि भारत को पारस्परिक ड्यूटी/कर (reciprocal tariffs) को लेकर कोई रियायत नहीं मिलेगी। वह अमेरिकी उत्पादों पर जितनी ड्यूटी लगाएगा, उसके उत्पादों पर भी उतनी ही ड्यूटी लगाई जाएगी। इसको लेकर एसबीआई ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके आधार पर जागरण ने इसे अर्थ व्यवस्था के पन्ने पर लीड लगाया है।
राजस्थान में उर्दू की जगह संस्कृत पढ़ाने पर विवाद
द हिन्दू ने एक खबर दी है कि राजस्थान के उर्दू शिक्षकों ने इस बात पर कड़ा विरोध जताया है कि कुछ सरकारी स्कूलों में उर्दू कक्षाओं को बंद करने का आदेश दिया गया। साथ ही कहा गया है कि तीसरी भाषा के तौर पर संस्कृत को पढ़ाया जाए।
आज के अखबार
सुप्रीम सुनवाई से पहले केंद्र ने मुख्य चुनाव आयुक्त चुना, विपक्ष असहमत

आज के अखबार (18 फरवरी, 2025) | नई दिल्ली
सोमवार को केंद्र सरकार ने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को प्रमोट करके हुए मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) बना दिया, इस निर्वाचन पर विपक्षी दलों के नेता (LOP) राहुल गांधी ने अहमति जतायी। ये नियुक्ति ऐसे समय में हुई है, जब नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट एक याचिका की सुनवाई 19 फरवरी को करने जा रहा है। राहुल गांधी समेत पूरे विपक्ष की मांग थी कि केंद्र सरकार इस मामले में सर्वोच्च अदालत की सुनवाई के बाद ही सीईसी की नियुक्ति करें लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना। ऐसे में 18 फरवरी के अखबारों में इस खबर को प्रमुखता से कवर किया गया है। इसके अलावा, दिल्ली में भूकंप के झटकों, कतर के आमिर के भारत दौरे व नई दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ की फॉलोअप स्टोरी को अखबारों ने अन्य प्रमुख खबर बनाया है।
सीईसी के चुनाव पर विवाद क्यों
दरअसल 2023 में एक कानून लाकर केंद्र सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्तों के चुनावों की तीन सदस्यीय समिति से मुख्य प्रधान न्यायधीश को हटा दिया था। इस समिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व विपक्षी दलों के नेता प्रमुख को रखा गया है। बता दें कि ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त, विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया है जबकि सुखबीर सिंह संधू पहले से चुनाव आयुक्त हैं।
नए सीईसी के कार्यकाल में होगा बिहार-बंगाल का चुनाव
26वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होना है। इसके बाद अगले साल केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं जो कई मायनों में अहम चुनाव होंगे।
कवरेज
इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर सीईसी की नियुक्ति व एलओपी राहुल गांधी की असहमति की खबर लगाई है। साथ ही, निवर्तमान सीईसी राजीव कुमार ने अपने विदाई भाषण में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि चुनाव से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई के समय चुनाव की समय-सीमा का ध्यान रखा जाए। साथ ही, अखबार ने बताया है कि नए सीईसी ने महाराष्ट्र व केरल राज्य में अहम प्रशासनिक पदों पर काम किया है। इतना ही नहीं, मोदी सरकार के सबसे गोपनीय विधेयक ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक’ को बनाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी और राम मंदिर ट्रस्ट निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका थी। अखबार ने लिखा है कि 2024 में आईएएस से रिटायर होने के एक महीने बाद ही सरकार ने इन्हें चुनाव आयुक्त बना दिया और इसके ठीक एक दिन बाद ही लोकसभा चुनावों की घोषणा कर दी गई थी।
दैनिक जागरण ने भी इसे पहले पन्ने पर लगाया है। हालांकि इस मामले में राहुल गांधी की असहमति व सुप्रीम कोर्ट की आगामी सुनवाई को हाइलाइट नहीं किया है। जागरण ने लिखा है कि ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर हुई है।
द हिन्दू अखबार ने भी इसे पहली स्टोरी बनाया है। अखबार ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों के हवाले से लिखा है कि राहुल गांधी इस समिति के सदस्य के तौर पर प्रधानमंत्री के आवास पहुंचे और वहां अपनी लिखित असहमति का पत्र सौंपकर लौट गए। जब सीईसी के लिए ज्ञानेश कुमार के नाम की चर्चा हुई तो वे वहां नहीं थे।
द हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को पहले पन्ने पर जगह तो दी है पर मेन स्टोरी नई दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ के फॉलोअप को लगाया है। जिसमें दो डॉक्टरों के हवाले से बताया गया है कि अगर समय से घायलों को ऑक्सीजन दी जाती तो जान बचायी जा सकती थी। अखबार ने पीड़ितों के हवाले से लिखा है कि मौके पर जो एंबुलेंस पहुंची थीं, उसमें भी ऑक्सीजन नहीं थी। अखबार ने दूसरी प्रमुख खबर दिल्ली में 20 फरवरी को होने जा रहे शपथ ग्रहण समारोह को लगाया है जो रामलीला मैदान में होगा।
***************************************************
पूजा स्थल कानून पर नई याचिका नहीं लेगा सुप्रीम कोर्ट
1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर लगातार याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं, इसकी भी एक सीमा होती है। सभी पर विचार करना संभव नहीं है इसलिए अब वह इस मामले पर और याचिकाएं स्वीकार नहीं करेगा। साथ ही दो जजों के ही मौजूद होने से इसकी सुनवाई टाल दी है। बता दें कि 6 धाराओं की वैधता पर दाखिल याचिकाओं पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने आखिरी बार 12 दिसंबर 2024 को सुनवाई की थी।
क्या है कानून और विवाद क्यों
इस कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। इसमें राम मंदिर को अपवाद माना गया है। इस कानून की छह धाराओं की वैधता को लेकर विवाद की स्थिति है। इस केस की धारा 2, 3, 4 को लेकर कुछ याचिकाओं में चुनौती दी गई है कि ये धाराएं हिन्दू, जैन, बौद्ध व सिखों के पूजा स्थलों पर अधिकार वापस लेने से रोकती है। जबकि कुछ याचिकाएं इस कानून के समर्थन में दाखिल की गई हैं।
सरकार ने अब तक दाखिल नहीं किया जवाब
दैनिक जागरण व इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले को विस्तार से कवर किया है। इस मामले पर पहली याचिका कानून के विपक्ष में दाखिल की गई और उसको लेकर 2021 में केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा गया था जो अभी तक नहीं हुआ है। 2022 में जमीयत-ए-उलमा ने कानून के समर्थन में याचिका दाखिल की थी।
-
आज की सुर्खियां3 months ago
27 जनवरी को उत्तराखंड में लागू होगा कॉमन सिविल कोड
-
आज के अखबार2 months ago
आज के अखबार : अमेरिका से व्यापार बढ़ाने और ‘मेगा पार्टनरशिप’ के नारे तक
-
आज के अखबार2 months ago
अवैध ‘घुसपैठियों’ को बिना सहमति के वापस नहीं भेज सकते : केंद्र
-
आज की सुर्खियां3 months ago
सरकार बोली- अवैध प्रवासी अगर भारतीय हुए तो घर वापसी, अमेरिका में निर्वासन उड़ाने शुरू
-
आज के अखबार2 months ago
अवैध प्रवासी अब अमेरिका से जाएंगे कोस्टारिका
-
आज की सुर्खियां3 months ago
नजदीकी सहयोगी बनेंगे भारत-इंडोनेशिया
-
देखें-दिखाएं3 months ago
गणतंत्र दिवस विशेष : तुम अड़े रहना ..
-
आज की सुर्खियां3 months ago
बिहार में फिर गैंगवार; ताइवान में समलैंगिक विवाह नियम लागू