Connect with us

आज के अखबार

आज के अखबार : अमेरिका से व्यापार बढ़ाने और ‘मेगा पार्टनरशिप’ के नारे तक

Published

on

मोदी-ट्रंप मुलाकात

आज के अखबार (15 फरवरी, 2025)| नई दिल्ली

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की कवरेज को हिन्दी व अंग्रेजी अखबारों ने अलग-अलग तरीकों से कवर किया है। हिन्दी अखबारों ने मोदी के भाषण, मुंबई हमलों के दोषी के भारत प्रत्यर्पण और ‘मुस्लिम आतंकवाद’ के खिलाफ साथ लड़ने की प्रतिवद्धता को प्रमुख हाइलाइट माना है। जबकि अंग्रेजी अखबारों की नजर में भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द होने की उम्मीद, ट्रंप के दवाब के बाद भारत का अमेरिका से व्यापार बढ़ाने का वादा करने को बड़ी खबर के तौर पर कवर किया है।

‘मीगा + मागा = मेगा पार्टनरशिप’

दैनिक जागरण की पहले पन्ने की हेडिंग है – ‘मीगा + मागा = मेगा पार्टनरशिप’ । जागरण ने मोदी के उस बयान को हेडिंग लगाया है, जिसमें वे ‘मीगा’ यानी ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेेन’ और ‘मागा’ यानी ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ नारे को जोड़कर संदेश दे रहे हैं कि अमेरिका की तरह भारत के लिए भी राष्ट्र सर्वोपरि है। अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने भी यही हेडिंग पहले पन्ने पर लगाई है।

दैनिक जागरण, 15 फरवरी 2025

दैनिक जागरण, 15 फरवरी 2025

दैनिक जागरण ने पहले पन्ने की रनिंग स्टोरी में बताया है कि अमेरिका पारस्परिक या बराबरी का टैक्स लगाने में भारत को रियायत नहीं देगा। साथ ही ट्रंप ने भारत को अमेरिका एफ-35 युद्धक विमान बेचने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव को अमर उजाला ने हाइलाइट किया है और अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि भारत के लिए यह ऐतिहासिक इसलिए भी है कि इन विमानों की खरीद का अधिकार पाने से भारत का दर्जा भी नाटो सहयोगी देशों के साथ इजरायल और जापान जैसे विशिष्ट समूह जैसा हो जाएगा।

साथ ही, भारत अब अमेरिका से ज्यादा तेल व गैस खरीदेगा। आपको बता दें कि भारत सबसे ज्यादा तेल रूस, इराक व सऊदी अरब से खरीदता है। इतना ही नहीं, मोदी के भारत लौटने के अगले दिन ही अमेरिका अवैध रूप से उनके देश में घुसे भारतीयों को भरकर एक और विमान भारत भेजेगा। जागरण ने ये जानकारियां बिना हाईलाइट किए खबर में बतायी हैं। बुलेट प्वाइंट में उन जानकारियों को बताया है जहां अमेरिका ने भारत की बात मानी, जैसे- मुंबई हमने के प्रमुख मास्टर माइंड तहब्बुर राणा का भारत में प्रत्यर्पण होगा। खालिस्तान समर्थक संगठनों पर निर्णायक कार्रवाई का भरोसा मिला है। भारत की रक्षा कंपनियों को अमेरिकी बाजार में बिक्री करने की अनुमति मिली।

बांग्लादेश का मामला मोदी पर छोड़ता हूं : ट्रंप 

दैनिक जागरण की पहले पन्ने पर उपरोक्त शीर्षक से लगी खबर भी काफी महत्वपूर्ण है, जिसमें ट्रंप के पूरे बयान को अखबार ने सबसे नीचे लिखा है। ये बयान ट्रंप का भारत पर एक तरह से आरोप के तौर पर भी देखा जा सकता है। अखबार ने लिखा कि ट्रंप से जब बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति और वहां अमेरिकी एजेंसियों की भूमिका के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, ‘हमारे डीप स्टेट (ऐसी एजेंसियां जो छिपकर दूसरे देशों में काम करती हैं)’ की वहां कोई भूमिका नहीं है। यह काम पीएम नरेंद्र मोदी काफी लंबे समय से कर रहे हैं। मैं इस बारे में पढ़ रहा हूं, पर बांग्लादेश को मैं पीएम मोदी के लिए छोड़ता हूं।‘ ट्रंप के इस बयान के कई मायने निकाले जा सकते हैं। गौरतलब है कि बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट हो जाने के बाद व उन्हें भारत में शरण दिए जाने के चलते बांग्लादेश में यह भावना जोर ले रही है कि भारत उनकी घरेलू राजनीति में दखल देता है। ऐसे में ट्रंप के इस बयान को किस तरह सकारात्मक कहा जा सकता है, यह तो अखबार ही जाने, पर अखबार ने मोदी की यात्रा के प्रमुख हासिल के तौर पर इसे रेखांकित किया है। इंडियन एक्सप्रेस ने भी इस खबर को ट्रंप के बयान के आधार पर लगाया है, हालांकि खबर को अंदर के पेज पर जगह दी है।

दैनिक जागरण, 15 फरवरी 2025

दैनिक जागरण, 15 फरवरी 2025

अदाणी के सवाल पर मोदी बोले – निजी मुद्दा 

द इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने में दो कॉलम में अलग से खबर बनाई है जिसमें बताया गया है कि जब प्रधानमंत्री मोदी से अदाणी पर सवाल पूछा गया तो प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दो देशों के नेता जब मिलते हैं तो ‘कभी निजी मुद्दों’ पर बात नहीं करते। उनसे पूछा गया सवाल यह था – ‘एशिया के सबसे बड़े धनी लोगों में से एक और आपके एक सहयोगी के तौर पर देखे जाने वाले गौतम अदाणी के मामले को लेकर क्या आपने राष्ट्रपति ट्रंप से ऐक्शन लेने को कहा है या इस बारे में कोई बात ही हुई है?’ अपने जवाब की शुरूआत पीएम ने सभी भारतीयों को अपना मानने से की और फिर बोले कि व्यक्तिगत मुद्दों पर कभी चर्चा नहीं की जाती। इस बयान की काफी चर्चा रही पर हिन्दी अखबारों में दैनिक जागरण ने इस खबर को नहीं लगाया है।

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस, 15 फरवरी 2025

भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द होने की उम्मीद 

इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने की बैनर हेडिंग लिखी है – handshake, fingers crossed. हेडिंग दर्शाती है कि अमेरिका-भारत के सबसे बड़े नेताओं की मुलाकात अनिश्चितता के बीच दोस्ती वाली है क्योंकि ट्रंप के फैसलों और व्यवहार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता इसलिए इस वक्त लगभग पूरी दुनिया इसी भाव से गुजर रही है जिससे भारत अछूता नहीं। अखबार ने लिखा है कि दोनों देशों ने संकेत दिए हैं कि टैरिफ के मामले को सुलझाकर आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए वे इस साल में ट्रेड डील पर मोहर लगा देंगे। अखबार ने लिखा है कि इस साल ट्रंप को क्वाड सम्मेलन में शामिल होने के लिए भारत आना है, इस लिहाज से ट्रेड डील तैयार करने के लिए सात-आठ महीने का ही समय है। गौरतलब है कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान इस डील पर चर्चा हुई थी पर आगे बात नहीं बन सकी।

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस, 15 फरवरी 2025

मोदी-ट्रंप मुलाकात के मुख्य हाइलाइट (इंडियन एक्सप्रेस)

मोदी-ट्रंप मुलाकात के मुख्य हाइलाइट (इंडियन एक्सप्रेस)

अमेरिका से व्यापार बढ़ाने के लिए तेल-गैस खरीदेगा भारत 

द हिन्दू अखबार ने भारत के अमेरिका से व्यापार बढ़ाने की खबर को लीड लगाया है, जिसमें बताया गया है कि 2030 तक भारत अमेरिका से अपने व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर कर देगा। अखबार ने लिखा है कि भारत ने व्यापार बढ़ाने की घोषणा करके अमेरिका से भारत के व्यापार घाटे से जुड़ी राष्ट्रपति ट्रंप की चिंता को संबोधित किया है। मोदी ने वादा किया है कि भारत अब अमेरिका से ज्यादा ऊर्जा (गैस व तेल) खरीदेगा व वहां के निर्माण क्षेत्र में ज्यादा निवेश करेगा।

द हिन्दू

द हिन्दू, 15 फरवरी 2025

व्यापार बढ़ाने की खबर को ही टाइम्स ऑफ इंडिया ने पहली खबर बनाया है, जिसकी हेडिंग है –  From tariff tirde, Modi Steers Trump to bridging trade gap.

ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः

जल्द सऊदी में मिलेंगे ट्रंप-पुतिन :

अंतरराष्ट्रीय स्तर की बड़ी खबर की बात की जाए तो भारत-अमेरिकी की वार्ता के अलावा एक और खबर को आज कवर किया गया है। यह खबर है कि आने वाले समय में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की सऊदी अरब में मुलाकात हो सकती है। इस मामले में शुक्रवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मो. सलमान ने बयान जारी करके कहा कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई है और जल्द ही दोनों की मुलाकात उनके देश में हो सकती है। गौरतलब है कि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले सऊद के राजकुमार को ही कॉल किया था। दूसरी ओर, पिछले साल पुतिन ने मो. सलमान को धन्यवाद कहा था क्योंकि उनकी मध्यस्थता के चलते रूस व अमेरिका के बीच बंदियों की अदलाबदली हो सकी थी जो शीतयुद्ध के बाद सबसे बड़ी अदलाबदली थी।

इंडियन एक्सप्रेस

इंडियन एक्सप्रेस, 15 फरवरी 2025

 

आज के अखबार

दो अरब लोग गंदा पानी पीने को मजबूर

Published

on

साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
द हिन्दू ने 25 जून के संस्करण में लेख के ज़रिए बताया कि दुनिया में दो अरब लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं। यानी जो पानी वे पी रहे हैं, उसमें तमाम तरह के रोग होने की संभावना है। साथ ही, दुनिया के 3.6 अरब लोगों को सुरक्षित स्वच्छता सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। अख़बार ने संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। जिसमें भारत सहित कई देशों में जल संकट की गंभीरता को उजागर किया है।
शहरीकरण से जलसंकट गहराया 
लेख के मुताबिक़, सुरक्षित जल का संकट दुनिया में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, और जलवायु परिवर्तन के कारण और गहरा रहा है। भारत में, गंगा और यमुना जैसी नदियों में प्रदूषण और अपर्याप्त सीवेज उपचार इस समस्या को बढ़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 2022 के आंकड़े बताते हैं कि विश्व भर में 10 लाख लोग दूषित पानी और अपर्याप्त स्वच्छता के कारण होने वाली बीमारियों से मर रहे हैं।
द हिन्दू, 25 जून

द हिन्दू, 25 जून

67.8 करोड़ भारतीय गंदगी में जी रहे 
लेख में बताया गया कि भारत में 3.5 करोड़ लोग सुरक्षित पेयजल और 67.8 करोड़ लोग स्वच्छता सुविधाओं से वंचित हैं। जल शक्ति मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 230 जिलों में भूजल में आर्सेनिक और 469 जिलों में फ्लोराइड की मौजूदगी पाई गई है। WHO के मुताबिक़, भारत में 80% स्वास्थ्य समस्याएं जलजनित रोगों से जुड़ी हैं।
भारत में 40% शहरी पानी रिसकर बर्बाद 
भारत सरकार की जल जीवन मिशन जैसी पहल ने ग्रामीण क्षेत्रों में 49% घरों तक नल कनेक्शन पहुंचाया है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में 40% पानी रिसाव के कारण बर्बाद हो रहा है। विश्व बैंक और यूनिसेफ जैसी संस्थाएं जल प्रबंधन में सहयोग कर रही हैं। लेख में सुझाव दिया गया कि पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाने, रिसाव कम करने, और स्थानीय जल स्रोतों को पुनर्जनन करने की आवश्यकता है।

आंकड़ों की नज़र से :

  • 2 अरब: विश्व भर में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 3.6 अरब: सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 3.5 करोड़: भारत में सुरक्षित पेयजल से वंचित लोग।
  • 67.8 करोड़: भारत में स्वच्छता सुविधाओं से वंचित लोग।
  • 230 जिले: भारत में भूजल में आर्सेनिक की मौजूदगी।
  • 469 जिले: भारत में भूजल में फ्लोराइड की मौजूदगी।
  • 80 प्रतिशत: भारत में जलजनित रोगों से स्वास्थ्य समस्याएं।
Continue Reading

आज के अखबार

केरल : ‘भारत माता’ की तस्वीर पर विवाद क्यों

Published

on

भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
केरल के राजभवन में ‘भारत माता’ की तस्वीर के प्रदर्शन को लेकर राज्यपाल व मुख्यमंत्री के बीच विवाद गहरा गया है। द हिन्दू ने इस विवाद के बहाने भारत माता की अवधारणा पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसमें कहा गया है कि अखंड भारत के मानचित्र के सामने भगवा साड़ी में खड़ी एक स्त्री की इस तस्वीर की कोई संवैधानिक मान्यता नहीं है। लेख में केरल के राज्यपाल व राज्य सरकार के बीच के विवाद को अनावश्यक बताया है।
बता दें कि राजभवन में भारत माता की तस्वीर के सामने फूल अर्पित करके दीप जलाने के साथ सरकारी कार्यक्रमों की शुरूआत किए जाने के विरोध से मामला शुरू हुआ। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) ने इस चित्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संबंधित मानते हुए ऐसे कार्यक्रमों में न शामिल होने की घोषणा की है।   
द हिन्दू, 26 जून

द हिन्दू, 26 जून

भारत माता के चित्र का कोई संवैधानिक आधार नहीं
द हिन्दू में 26 जून 2025 को प्रकाशित लेख “A Lofty Concept, a Governor and Unwanted Controversy” में इस विवाद को अनावश्यक और भारत माता के चित्र को उच्च अवधारणा बताया गया है। इस लेख को लिखने वाले पी.डी.टी. अचारी लोकसभा के पूर्व महासचिव रहे हैं और वे संवैधानिक व संसदीय मामलों के विशेषज्ञ हैं। अचारी ने लिखा है कि केरल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने राजभवन में सरकारी आयोजनों में एक विशेष चित्र—जो भगवा साड़ी में एक महिला, हाथ में भाला, पीछे शेर और अखंड भारत के नक्शे को दर्शाता है—को प्रदर्शित करने और सम्मान करने की प्रथा शुरू की। लेख के अनुसार, भारत माता का यह चित्र संविधान या कानून द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है, न ही यह राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्र गान या प्रतीक की तरह आधिकारिक है। इसलिए, इसे सरकारी आयोजनों में शामिल करना अनुचित है।
केरल राज्य प्रतीक

केरल राज्य प्रतीक

‘राज्यपाल की ज़िद ने तनाव बढ़ाया’
लेखक ने कहा है कि राज्यपाल को राज्य सरकार की सलाह पर ही काम करना चाहिए। संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के बयान का हवाला देते हुए लेखक बताता है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह माननी चाहिए, लेकिन उनकी जिद ने सरकार के साथ तनाव बढ़ाया। इस विवाद ने CPI(M) और BJP कार्यकर्ताओं के बीच सड़कों पर टकराव को जन्म दिया। लेख सुझाव देता है कि संवैधानिक प्रोटोकॉल का पालन कर ऐसे टकरावों से बचा जा सकता है।
भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता का चित्र, साभार इंटरनेट

भारत माता की जयकार और तस्वीर में फर्क
लेख में भारत माता के ऐतिहासिक संदर्भ का उल्लेख है, जो बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की “आनंदमठ” में बंगा माता के रूप में शुरू हुआ और बाद में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में “भारत माता की जय” के नारे के रूप में लोकप्रिय हुआ। यह चित्र 19वीं सदी के राष्ट्रवाद को जोड़ता था।  हालांकि, लेख में यह भी कहा गया है कि भारत माता का यह चित्र आधुनिक भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है। 
Continue Reading

आज के अखबार

अमेरिकी अखबारों ने ट्रंप के दावे पर सवाल उठाए

Published

on

सांकेतिक तस्वीर
बोलते पन्ने | नई दिल्ली
22 जून 2025 को ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं। न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जर्नल, और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रमुख अमेरिकी अखबारों के मुताबिक, इन हमलों से सीमित नुकसान हुआ, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हें “बेहद सफल” करार दिया। इन अखबारों ने तथ्यों और सरकारी दावों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से उजागर किया, खासकर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर ट्रंप के दावों पर सवाल उठाए।
भारतीय हिंदी अखबारों की सरकारी रुख वाली कवरेज के उलट, अमेरिकी पत्रकारिता ने तथ्य-आधारित विश्लेषण को प्राथमिकता दी, भले ही उनका नेतृत्व अप्रत्याशित और दृढ़ स्वभाव का हो। यह कवरेज मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर गंभीर प्रभाव को रेखांकित करती है। बता दें कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले किए जिनका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। इसे ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” नाम दिया गया था।
B-2 बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया : न्यूयॉर्क टाइम्स 
 न्यूयॉर्क टाइम्स ने 23 जून को इस शीर्षक से पहले पन्ने पर ख़बर लगाई – U.S. Claims Severe Damage, Warns Iran Not to Strike Back । खबर में हमले के तरीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। लिखा है कि इन हमलों में सात बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और एक पनडुब्बी से 75 सटीक हथियारों का उपयोग किया गया, जिनमें 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम शामिल थे। साथ ही बताया है कि ईरान ने भी जवाब में इजरायल पर मिसाइलें दागीं, जिसमें 10 लोग घायल हुए।
अखबार ने लिखा कि ट्रंप दावा कर रहे हैं कि ये हमले बेहद सफल रहे और ईरान के परमाणु संवर्धन कार्यक्रम को “गंभीर नुकसान” पहुंचा है। साथ ही ट्रंप ने ईरान को जवाबी हमले न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ईरान ने प्रतिशोध लिया तो और बड़े हमले होंगे। हालांकि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को “अवैध” बताया और कहा कि ईरान इसके जवाब दे। खबर में यह भी लिखा है कि इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया है और अमेरिकी ठिकानों पर जवाबी हमले की आशंका है, जिसके लिए पेंटागन हाई अलर्ट पर है। यह स्थिति मध्य पूर्व में व्यापक संघर्ष की संभावना पैदा करती है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

द न्यूयॉर्क टाइम्स, 23 जून

ईरान को व्यापक नुक़सान नहीं हुआ : वॉल स्ट्रीट जर्नल
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने पहले पन्ने पर लिखा कि ईरान के तीन परमाणु ठिकानों हमले करने के बाद हमलों के नुक़सान का आकलन अमेरिका कर रहा है। इस ख़बर का शीर्षक भी यही है – U.S. Weighs Strikes’ Damage in Iran. । अख़बार ने लिखा है कि अमेरिकी हमले जिसका नाम “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” है, का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि हमले “अत्यंत सफल” रहे और सुविधाओं को “पूरी तरह नष्ट” कर दिया गया, लेकिन प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि नुकसान उतना व्यापक नहीं हो सकता। IAEA के प्रमुख ने कहा कि फोर्डो में “बहुत महत्वपूर्ण नुकसान” हुआ, लेकिन सुविधा पूरी तरह नष्ट नहीं हुई।
वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

वॉल स्ट्रीट जर्नल, 23 जून

हमले के नुक़सान का आकलन कर रही सरकार : द वॉशिंगटन पोस्ट
वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरह ही वॉशिंगटन पोस्ट ने भी लिखा है कि इस हमले के नुक़सान का आकलन करने में सरकारी अधिकारी लगे हुए हैं। सरकार के मुताबिक़, इस हमले का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना था। ऐसे में रक्षा अधिकारियों को अभी यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त किया या केवल उसे कुछ समय के लिए पीछे धकेला। खबर में वैश्विक नेताओं के मिश्रित प्रतिक्रियाओं का भी जिक्र है, जहां कुछ ने संयम बरतने की अपील की, तो कुछ ने हमलों का समर्थन किया।
वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

वॉशिंटन पोस्ट, 23 जून

 

Continue Reading
Advertisement

Categories

Trending