चुनावी डायरी
तेजस्वी यादव का सवाल: क्या CM नीतीश कुमार मानसिक रूप से स्वस्थ? Viral वीडियो की सच जानिए
एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस दयनीय स्थिति में देख आपको कैसा लग रहा है? क्या अजीब हरकते करते मा॰ मुख्यमंत्री जी आपको मानसिक रूप से स्वस्थ दिखाई दे रहे है?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 5, 2025
क्या साजिशन इनकी ऐसी हालत बीजेपी के इशारे पर इनकी ख़ास भूंजा पार्टी ने प्रसाद या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने के बहाने की है?… pic.twitter.com/1JhRwi8DoR
- वर्चुअल युवा संवाद में पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद ज्ञापन के समय 40 सेकंड तक हाथ जोड़े रहे नीतीश कुमार।
- राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत पर सवाल पूछा, BJP पर आरोप लगाया।
पटना/नई दिल्ली|
चुनाव करीब आते ही नीतीश कुमार की सेहत का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया। इस बार तेजस्वी यादव ने एक वीडियो को ट्वीट करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के स्वास्थ्य पर प्रश्न उठाया है।

तेजस्वी का ट्वीट (साभार -एक्स)
दरअसल राजद नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक वीडियो ट्वीट करके पूछा है कि ” क्या अजीब हरकते करते मा. मुख्यमंत्री जी आपको मानसिक रूप से स्वस्थ दिखाई दे रहे है?”
दरअसल वीडियो में नीतीश कुमार लगातार 40 सेकंड तक हाथ जोड़े अभिवादन कर रहे हैं और इसी दौरान बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, कॉन्फ्रेंस में जुड़े पीएम नरेंद्र मोदी को संबोधित कर रहे हैं।

तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथ जोड़कर लगातार एक मुद्रा में बने रहने का वीडियो ट्वीट करके उनकी सेहत पर सवाल उठाए और BJP को इसके लिए आरोपी कहा। (साभार – एक्स)
पीएम मोदी को धन्यवाद ज्ञापन के दौरान लगातार हाथ जोड़े रहे
इस वीडियो में नीतीश कुमार के कथित ‘अजीब हरकत’ की स्वतंत्र जांच करने के लिए हमने भारतीय जनता पार्टी के यूट्यूब चैनल पर मौजूद 4 अक्तूबर के कार्यक्रम का वीडियो बरीकी से देखा। इस वीडियो के 27 मिनट पर वह दृश्य शुरू होता है, जिसे तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया।
दरअसल इस दौरान बिहार के डिप्टी CM सम्राट चौधरी, पीएम नरेंद्र मोदी को बिहार के युवाओं के लिए शुरू की गईं योजनाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापित कर रहे हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिर झुकाकर हाथ जोड़ लेते हैं और लगातार 40 सेकंड तक नमस्कार की मुद्रा वाले हाथों को सिर से लगाकर नमस्कार करते दिख रहे हैं।

जब डिप्टी CM सम्राट चौधरी, पीएम को बिहार के युवाओं की योजनाओं के लिए धन्यवाद दे रहे हैं, उसी दौरान सीएम लगातार हाथ जोड़े रहे। (साभार – BJP यूट्यूब चैनल)
फिर वह अपनी बायीं ओर देखते हैं और हाथ आपस में मसलकर नमस्कार मुद्रा हटा लेते और फिर सीधी अवस्था में बैठ जाते दिख रहे हैं।
बता दें कि यह वीडियो शनिवार (4 अक्तूबर) को हुई एक ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस का है, जिसमें इन तीनों नेताओं के अलावा वीडियो में ऑनलाइन जुड़े बिहार के आम लोगों को भी देखा जा सकता है।
यह भी संभव है कि नीतीश कुमार इस दौरान युवाओं की ओर नमस्कार कर रहे हों क्योंकि वीडियो में सभी ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े हैं।
JDU ने प्रतिक्रिया नहीं दी
तेजस्वी यादव का यह ट्वीट एक्स (पहले ट्विटर) पर वायरल हो गया है, हालांकि JDU की ओर से तेजस्वी के इस आरोप पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
CM की ऐसी छवि के लिए BJP पर आरोप लगाया
तेजस्वी ने 5 अक्तूबर को किए अपने ट्वीट के जरिए न सिर्फ CM नीतीश कुमार की सेहत पर सवाल किया है, बल्कि बीजेपी पर सवाल उठाया है कि नीतीश कुमार को ‘अजीब हरकतें करता हुआ क्यों प्रजोक्ट किया जा रहा है?’
तेजस्वी का ट्वीट है –
“एक प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस दयनीय स्थिति में देख आपको कैसा लग रहा है? क्या अजीब हरकते करते मा॰ मुख्यमंत्री जी आपको मानसिक रूप से स्वस्थ दिखाई दे रहे है? क्या साजिशन इनकी ऐसी हालत बीजेपी के इशारे पर इनकी ख़ास भूंजा पार्टी ने प्रसाद या अन्य खाद्य पदार्थ खिलाने के बहाने की है? बिहार के बहुसंख्यक यह सच्चाई जानना चाहते है?” – तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री
समझिए क्या है भूंजा पार्टी, जिसका तेजस्वी ने जिक्र किया
स्थानीय मीडिया के बीच नीतीश कुमार की ‘भूंजा पार्टी’ की काफी चर्चा रहती है। वैसे तो बिहार में शाम के समय लोग चना, मकई, फरही आदि खाते हैं जो स्थानीय भाषा में भूंजा कहलाता है। पर नीतीश कुमार की ऐसी पार्टी के कई राजनीतिक मायने निकाले जाते रहे हैं।
दरअसल कहा जाता है कि नीतीश कुमार अपने मुख्यमंत्री आवास पर शनिवार की शाम को ऐसी बैठकी करते हैं, जिसमें उनके करीबी नेता जैसे- अशोक चौधरी, संजय झा, विजय कुमार चौधरी और कुछ IAS अधिकारी भी होते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, एक समय तक नीतीश कुमार की भूंजा पार्टी में आरसीपी सिंह भी शामिल हुआ करते थे। नीतीश कुमार की सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि “‘भूंजा पार्टी’ के लोग ही सरकार चला रहे हैं, ये लोग ही ट्रांसफर पोस्टिंग, टेंडर मैनेजमेंट व अन्य सरकारी तंत्र का हिस्सा हैं।”
ऑनलाइन कार्यक्रम में पीएम ने सीएम की तारीफ की थी
तेजस्वी ने जिस वीडियो का 1:14 सेकंड का हिस्सा ट्वीट किया है, वह बिहार के युवाओं से वर्जुअल संवाद कार्यक्रम से जुड़ा है। गौरतलब है कि इस वीडियो में पीएम नरेंद्र मोदी ने युवाओं को जंगलराज की याद दिलाते हुए सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बिहार के युवाओं से कहा था, “जिस पेड़ की जड़ों में कीड़ा लग जाता है, उसे फिर खड़े करने में बहुत मेहनत लगती है। RJD के राज में बिहार में वही कीड़े लग गए थे। नीतीश जी के साथ मिलकर हम बिहार को फिर पटरी पर लाए।”
इस कार्यक्रम में बिहार समेत देशभर के युवाओं के लिए 60 हजार करोड़ रुपए के निवेश से 1000 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (ITI) के विकास के लिए PM-सेतु योजना का शुभारंभ हुआ। वहीं, बिहार के इंटर पास युवाओं के लिए शुरू हुई योजना का भी जिक्र हुआ।
CM नीतीश कुमार की सेहत पर पहले भी उठे सवाल
नीतीश कुमार की सेहत को लेकर बार-बार सवाल उठते रहे हैं, जो उनके व्यवहार और बयानों से जुड़े विवादों से उभरे हैं:
- PK ने मेंटल हेल्थ पर सवाल उठाए (मई 2025): प्रशांत किशोर ने 23 मार्च 2025 को दावा किया कि “नीतीश कुमार मानसिक रूप से अक्षम हैं और राज्य के हालात से अनजान हैं। उन्होंने BPSC प्रदर्शन और वायरल वीडियो का हवाला देते हुए इस्तीफे की मांग की।”
- PM का नाम भूलने का विवाद (फरवरी 2025): 24 फरवरी 2025 को पटना में एक रैली में नीतीश ने पीएम का नाम भूलकर “हमारा PM वाजपेयी, नीतीश कुमार का PM मोदी” कहा, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठे।
- अफसर के सिर पर फूलदान रख दिया (फरवरी 2025): 21 फरवरी 2025 को पटना में एक कार्यक्रम में नीतीश ने एक नौकरशाह के सिर पर फूलदान रख दिया, जिसे RJD ने उनकी मानसिक अस्थिरता का सबूत बताया।
- स्वास्थ्य में गिरावट की चिंता (मार्च 2025): कांग्रेस और विपक्ष ने 24 मार्च 2025 को नीतीश की सेहत में बिगाड़ का मुद्दा उठाया, दावा किया कि NDA के साथ गठबंधन के बाद उनकी हालत खराब हुई है।
- अजीब हाव-भाव पर रिपोर्टिंग हुई (फरवरी 2025): 21 फरवरी 2025 को नीतीश कुमार की असामान्य से दिखते व्यवहार व हाव-भाव को स्थानीय मीडिया ने कवर किया, जिससे उनकी सेहत पर सवालिया निशान लगे।
- प्रगति यात्रा के दौरान सवाल (फरवरी 2025): विपक्ष ने दावा किया कि दो महीने की प्रगति यात्रा (21 फरवरी 2025 तक) के बावजूद नीतीश की सक्रियता उनकी सेहत की कमजोरी को छुपा नहीं पाई ।
गौरतलब है कि ये दावे मुख्य रूप से विपक्षी दलों, मीडिया रिपोर्ट्स, और सार्वजनिक घटनाओं पर आधारित हैं, लेकिन सरकार और JDU ने इन्हें खारिज किया है। जानकार कहते हैं कि नीतीश की सेहत पर बहस राजनीतिक और स्वास्थ्य दोनों पहलुओं से जुड़ी है।
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बिहार : चिराग की 30 सीटों की मांग, बोले- अभी बातचीत शुरूआती दौर में

- दिल्ली में आज बीजेपी से सीट बंटवारे पर बात हुई, जिसमें सहमति न बनने पर रात को पटना आए।
- चिराग पासवान के प्रशांत किशोर से गठबंधन की खबरें चलीं, NDA का एकजुटता का संदेश दोहराया।
- एनडीए कह रहा है कि सीट बंटवारे पर बातचीत फाइनल दौर में है, चिराग बोले- बातचीत अभी शुरू हुई है।
पटना |
बीजेपी ने दिल्ली में चिराग पासवान के साथ 45 मिनट लंबी बैठक की, जिसमें सीट बंटवारे पर सहमति बनने की जगह उल्टा यह निकलकर आया कि मांझी के बाद अब चिराग ने ज्यादा सीटों की डिमांड कर दी है। मीडिया में चिराग के नाराज होकर प्रशांत किशोर के साथ संभावित गठबंधन की भी खबरें चलीं, माना जा रहा है कि इस तरह चिराग पासवान NDA के अंदर अपनी मांग को और पुख्ता बनाने की कोशिश में हैं।
दिल्ली में बात न बनने के बाद अचानक मंगलवार रात को चिराग पासवान पटना लौटे हैं। यहां उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि “सभी तरह का डिस्कशन अभी प्राइमरी स्टेज पर है, फाइनल होने पर जानकारी दी जाएगी।”
चिराग- 30, मांझी- 15 सीटों पर अड़े
दिल्ली में चिराग पासवान के आवास पर सीट शेयरिंग को लेकर बैठक हुई। बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय चिराग को मनाने पहुंचे थे।
45 मिनट तक ये मीटिंग चली। सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान 30 सीट और जीतन राम मांझी 15 सीटों पर अड़े हैं।
जदयू में भी सीटों पर बैठक
इससे पहले पटना में नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के साथ बैठक की। खबर है कि टिकट और उम्मीदवार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सीएम ने 45 मिनट चर्चा की है। जदयू अपने कोटे की सीटों और उम्मीदवारों पर मंथन जारी है।
मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने कहा, ‘एनडीए पूरी मजबूती से खड़ा है और जल्द सीट शेयरिंग हो जाएगी।’
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बिहार : RJD के दो विधायकों के खिलाफ राबड़ी आवास पर नारे लगे, टिकट न देने की मांग उठी

- मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग पर नारे लगे
- मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ तीन दिन पहले हुआ था विरोध
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जीतन राम मांझी : NDA की दलित ताकत, पर सीट शेयर में बड़ी अड़चन

- बिहार चुनाव में NDA से 15 से 20 सीटें चाहते हैं HAM चीफ माझी
नई दिल्ली|
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) में सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान में जीतन राम मांझी का नाम सबसे ऊपर है। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) (HAM) के संस्थापक और केंद्रीय मंत्री मांझी ने 15 से 20 सीटों की मांग रखी है, लेकिन BJP-JDU गठबंधन उन्हें 3-7 सीटें देने पर अड़ा है। क्या मांझी NDA के लिए महादलित-दलित वोटों की ‘मजबूत कड़ी’ हैं या उनकी बढ़ती महत्वाकांक्षा के बीच गठबंधन बचाना ‘मजबूरी’ और चुनौती बन गया है? आइए जानते हैं इस विश्लेषण में..

जीतनराम मांझी (तस्वीर – @NandiGuptaBJP)
NDA में मांझी की ‘मजबूती’: दलित वोटों का मजबूत आधार
हालिया बैठकों और बयानों से साफ है कि मांझी की मौजूदगी से NDA को जातीय समीकरण में मजबूती मिलती है। पर BJP के बार-बार मनाने पर भी वे अपनी मांग पर अड़े हैं, बीजेपी प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने इसे उनकी ‘साफगोई’ कहा है। जातीय गणित की नजर से देखें तो मांझी NDA को कई सीटों पर मजबूती देते दिखते हैं-
- महादलित-दलित वोट बैंक: बिहार में दलित (16%) और महादलित (मुसहर, डोम आदि) वोटरों पर मांझी की पकड़ मजबूत है। 2020 में HAM ने 7 सीटों पर 60% से ज्यादा स्ट्राइक रेट दिखाया, जो NDA की कुल 125 सीटों में योगदान देता है। चिराग पासवान (LJP) के साथ मिलकर वे पश्चिम चंपारण से गया तक दलित वोटों को एकजुट करते हैं।
- नीतीश के पूरक: NDA का महादलित फोकस मांझी से मजबूत होता है। लोकसभा 2024 में NDA की 30/40 सीटों में मांझी का रोल सराहा गया।
- केंद्रीय मंत्री के रूप में: MSME मंत्री के तौर पर वे केंद्र की रोजगार सृजन योजनाओं (जैसे PMEGP) को बिहार में लागू कर NDA की छवि चमकाते हैं।
NDA में मांझी की मजबूती – |
उदाहरण |
जातीय समीकरण |
महादलित (12%) वोटों पर पकड़; 2020 में 4/7 सीटें जीतीं। |
रणनीतिक भूमिका |
JDU-BJP के बीच दलित ब्रिज; चिराग के साथ मिलकर विपक्ष (RJD) को चुनौती। |
परिवारिक प्रभाव |
बेटा–बहू के मंत्री/विधायक होने से स्थानीय स्तर पर मजबूती। |
विवादास्पद अपील |
गरीबी से सत्ता की कहानी दलित युवाओं को प्रेरित करती है। |

जीतनराम मांझी के साथ बैठक करने पहुंचे बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, सम्राट चौधरी।
NDA के लिए ‘मजबूरी’: बढ़ती मांगें और बगावती तेवर
दूसरी तरफ, मांझी की महत्वाकांक्षा NDA के लिए सिरदर्द बनी हुई है:
- सीटों की मांग: बिहार विधानसभा चुनाव में 15-20 (कभी 25-40) सीटें मांग रहे हैं, ताकि HAM को ECI मान्यता (6% वोट/6 सीटें) मिले। लेकिन BJP-JDU उन्हें 3-7 सीटें देने को तैयार हैं। धर्मेंद्र प्रधान की 5 अक्टूबर 2025 की मीटिंग में मांझी को ‘3 से ज्यादा पर नहीं’ कहा गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मांझी ने धमकी दी- “अगर 15-20 न मिलीं तो 100 सीटों पर अकेले लड़ेंगे।”
- नाराजगी का इतिहास: 2015 में BJP ने नीतीश के सामने मांझी को ‘अपमानित’ होने दिया। अब अप्रत्यक्ष अपमान (वोटर लिस्ट न देना) से नाराज हैं। News18 में मांझी ने कहा, “हम रजिस्टर्ड हैं, लेकिन मान्यता नहीं—यह अपमान है।”
- गठबंधन तनाव: NDA का फॉर्मूला लगभग तय है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- JDU को 102-108, BJP को 101से 107, LJP को 20से 22, HAM को 3से 7, RLM को 3से 5 सीटें देने का फॉर्मूला है। मांझी की मांग से JDU-BJP के बीच ‘100 सीटों की लड़ाई’ तेज हुई है। उपेंद्र कुशवाहा (RLM) ने भी 15 सीटों की मांग कर दी है जिससे NDA पर 35 सीटों को लेकर दवाब बढ़ गया है।
- बगावत का जोखिम: अगर मांझी बगावत करें, तो दलित वोट बंट सकते हैं, जो महागठबंधन (RJD) को फायदा देगा। लेकिन NDA उन्हें ‘जरूरी बुराई’ मानता है—इग्नोर करने से वोट लॉस, मानने से सीट शेयरिंग बिगड़ेगी।
NDA के लिए मांझी की मजबूरी के पहलू |
उदाहरण |
सीट मांग का दबाव |
20 मांगीं, 3-7 ऑफर; बगावत की धमकी। |
पुराना अपमान |
2015 में BJP-JDU ने ‘छोड़ दिया‘; अब मान्यता की लड़ाई। |
गठबंधन असंतुलन |
JDU-BJP 200+ सीटें चाहते; छोटे दलों को ‘कुर्बानी‘ देनी पड़ रही। |
विवादास्पद छवि |
बयान गठबंधन को नुकसान पहुंचाते, लेकिन वोटरों को जोड़ते। |

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी
मजबूती ज्यादा, लेकिन मजबूरी नजरअंदाज नहीं
मांझी NDA के लिए ‘मजबूती‘ ज्यादा हैं—उनके बिना दलित वोटों का 20-25% हिस्सा खिसक सकता है। लेकिन सीट बंटवारे की उनकी जिद गठबंधन को ‘मजबूरी‘ में डाल रही है, जहां BJP-JDU को छोटे दलों को मनाना पड़ रहा। 5 अक्टूबर की प्रधान–मांझी बैठक में सहमति बनी, लेकिन अंतिम फॉर्मूला जून–जुलाई में तय होगा। अगर NDA 225+ सीटें जीतना चाहता है (जैसा मांझी दावा करते हैं), तो मांझी को ‘सम्मानजनक‘ रखना जरूरी। वरना, बिहार का जातीय समीकरण फिर उलट सकता है। राजनीतिक पंडितों का मानना है: मांझी ‘करो या मरो‘ के दौर में हैं, और NDA के लिए वे ‘जरूरी सहयोगी‘ से ‘संभावित खतरा‘ बन सकते हैं।
मांझी की राजनीतिक यात्रा: बंधुआ मजदूरी से सत्ता तक
जीतन राम मांझी बीते छह अक्तूबर को 81 बरस के हो गए। वे मुसहर समुदाय (महादलित) से आते हैं, जो बिहार के सबसे वंचित वर्गों में शुमार है। बचपन में बंधुआ मजदूरी करने वाले मांझी ने शिक्षा के बल पर 1966 में हिस्ट्री में ग्रेजुएशन किया और पोस्टल विभाग में नौकरी पाई।

जीतन राम माझी
1980 में कांग्रेस से राजनीति में कदम रखा, फिर RJD (लालू प्रसाद) और 2005 में JDU (नीतीश कुमार) से जुड़े। 2014 में लोकसभा चुनाव में JDU की करारी हार के बाद नीतीश ने इस्तीफा दिया और मांझी को मुख्यमंत्री बनाया—मकसद महादलित वोटों को साधना। लेकिन 9 महीने बाद (फरवरी 2015) विवादास्पद बयानों (जैसे डॉक्टरों के हाथ काटने की धमकी, चूहे खाने को जायज ठहराना) और नीतीश पर हमलों से JDU ने उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके बाद 18 विधायकों के साथ HAM बनाई।
2020 में NDA में वापसी हुई, जहां HAM को 7 सीटें मिलीं और 4 जीतीं। लोकसभा 2024 में गयासुर लोकसभा सीट जीतकर मांझी केंद्रीय मंत्री बने। उनके बेटे संतोष कुमार मांझी बिहार सरकार में मंत्री हैं, जबकि बहू दीपा मांझी इमामगंज से विधायक। यह पारिवारिक राजनीति NDA के लिए फायदेमंद रही, लेकिन मांझी के बयान (जैसे ताड़ी को ‘नेचुरल जूस’ कहना) अक्सर विवादों का सबब बने।
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