रिपोर्टर की डायरी
लखीसराय में राजकीय महोत्सव के लिए जिले का नाम ही बदल दिया!

- जिला प्रशासन ने जिले की संस्कृति के प्रसार के लिए आयोजित कराया पहला ‘लक्खी अमृत महोत्सव’
- डिप्टी सीएम का दावा- देवी लक्ष्मी के नाम पर जिले का नाम ‘लक्खीसराय’ जो अपभ्रंश होकर लखीसराय हुआ
- डीएम की ओर से जारी पोस्टर में आयोजन के साथ ही जिले का नाम भी लक्खीसराय लिखा गया।
- राजकीय कार्यक्रम में विपक्षी दलों को निमंत्रण नहीं मिला, डिप्टी सीएम ने अपने वोटरों को साधा।
लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य
जब पूरे देश में जगहों के नाम बदले जाने की राजनीति पिछले एक दशक से चल रही हो तो एक जिले में ‘बदले हुए नाम’ के साथ राजकीय महोत्सव करा देना आश्चर्य तो पैदा नहीं करना चाहिए। पर चूंकि बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा महीनेभर में हो जाएगी तो विपक्षी दल इस मुद्दे पर सक्रिय हो गए हैं। विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है कि आखिर किस आधार पर लखीसराय जिले में ‘लक्खी अमृत महोत्सव’ नाम से राजकीय आयोजन करा दिया गया, जबकि जिले का नाम लखीसराय है? सवाल यह भी है कि जिला प्रशासन के कार्यक्रम में सिर्फ सत्ताधारी पार्टी के नेता, विधायक व सांसद ही क्यों पहुंचे, किसी विपक्षी दल को क्यों निमंत्रण नहीं दिया गया?
पहली बार आयोजित हुआ ‘लक्खी अमृत महोत्सव’
बीते शनिवार को अनंत चतुर्दशी के मौके पर दो दिवसीय ‘लक्खी अमृत महोत्सव-2025’ की शुरूआत हुई। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला प्रशासन की ओर से किया गया, चौंकाने वाली बात यह है कि आयोजन के नाम के साथ ही जिले के नाम को भी ‘लक्खीसराय’ के रूप में प्रचारित किया गया जबकि आधिकारिक नाम लखीसराय है। डीएम ने अपने फेसबुक पेज से इस महोत्सव के जो पोस्टर जारी किए, उसमें जिले का नाम लक्खीसराय लिखा हुआ है। कार्यक्रम का उद्घाटन स्थानीय विधायक व डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने किया।
कार्यक्रम में भाजपा सांसद व भोजपुरी गायक मनोज तिवारी की विशेष मौजूदगी रही। डीएम ने अपने फेसबुक पेज से मनोज कुमार का एक आमंत्रण वीडियो भी पोस्ट किया, साथ ही एक विशेष पोस्टर भी जारी किया गया था।

डीएम के फेसबुक पेज पर इस महोत्सव का इवेंट क्रिएट किया गया, जिसमें जिले का नाम बदल दिया है। (साभार- फेसबुक पेज)
मात्र दो दिन पहले ही घोषणा हुई – अहम बात यह रही कि डीएम मिथिलेश मिश्र ने आयोजन से मात्र दो दिन पहले स्थानीय मीडिया को संबोधित करते हुए महोत्सव की सूचना दी थी। गौरतलब है कि इससे पहले कभी इस प्रकार का कार्यक्रम जिला प्रशासन की ओर से नहीं कराया गया। स्थानीय लोग कार्यक्रम को आगामी चुनाव से पहले माहौल बनाने की जुगत के रूप में देख रहे हैं।
देवी लक्ष्मी के नाम पर बना ‘लक्खीसराय’ : डिप्टी सीएम
बिहार के उपमुख्यमंत्री व स्थानीय विधायक विजय कुमार सिन्हा ने महोत्सव की पूर्व संध्या पर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि “यह महोत्सव समुद्र मंथन के बाद क्षीर सागर से माता लक्ष्मी के प्रादुर्भाव का प्रतीक पर्व है। इस क्षेत्र का नामकरण माता लक्ष्मी के नाम पर ही ‘लक्खीसराय’ हुआ था, जो कालांतर में अपभ्रंशित होकर ‘लखीसराय’ हो गया। यह पर्व उस विरासत के सम्मान का उत्सव भी है।”
जिले की सच्चाई – पाल बंश व बौद्ध धर्म का केंद्र रहा
गौरतलब है कि 1994 में मुंगेर के अलग होकर अस्तित्व में आए इस जिले के ज्ञात इतिहास में कभी इसे लक्खीसराय नहीं कहा गया है, न ही जिले के आधिकारिक इतिहास में ऐसा कुछ लिखा है। जिले की आधिकारिक वेबसाइट पर इतिहासकार के हवाले से दी गई जानकारी के मुताबिक, यह पाल वंश की सुनहरी अवधि के दौरान एक स्थापित प्रशासनिक और धार्मिक केंद्र था, यहां के राजा बौद्ध थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्यूएन त्सांग के हवाले से लिखा गया है कि इस जगह में 10 बुद्ध मठ थे और 400 से अधिक बौद्ध थे। इतिहास यह भी इंगित करता है कि यहां के सूरजघर में 1534 में शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं की बड़ी लड़ाई देखी गई। धार्मिक संदर्भ में शौर्य संप्रदाय के लिए सूर्यगढ़ा एक महत्वपूर्ण स्थान भी था और वहां भगवान शिव की एक सुंदर शिव मंदिर है जहां बड़ी संख्या में लोग धार्मिक श्रद्धा के साथ इकट्ठे होते हैं।
डिप्टी सीएम ने पटना से जल भरकर की रथयात्रा
इस महोत्सव के लिए स्थानीय विधायक व डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने पटना के सिमरिया गांव (NH-80) से जल उठाते हुए लखीसराय के अशोक धाम तक एक रथयात्रा की। इस मौके पर लखीसराय की जनता ने उनका फूल माला पहनाते हुए भव्य स्वागत किया। डिप्टी सीएम के अशोक धाम पहुंचने पर डीएम व सिन्हा के परिवार व भाजपा कार्यकताओं ने शिवलिंग पर जल अर्पित करके पूजा-अर्चना की। मौके पर सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं की मौजूदगी और विपक्षी दल के नेताओं की अनुपस्थिति के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
पहली बार डीएम बनकर कमान संभाल रहे मिथिलेश मिश्र
2011 बैच के आईएएस अफसर मिथिलेश मिश्र को लखीसराय के 41वें जिलाधिकारी के तौर पर पहली बार किसी जिले की बतौर डीएम जिम्मेदारी मिली है। इससे पहले वह पटना सचिवालय में महत्वपूर्ण योजनाओं को बतौर सचिव देख रहे थे। उन्होंने मध्याह्न भोजन (Mid-Day-Meal) के निदेशक के अलावा प्राथमिक शिक्षा निदेशक का प्रभार भी संभाला है।
बतौर डीएम अपने पहले कार्यकाल के दौरान लखीसराय में उन्होंने प्रथम ‘लक्खी अमृत महोत्सव-2025’ आयोजित कराया है। आयोजन के शुभांरभ के मौके पर डीएम के अलावा लखीसराय के एडीएम सुधांशु शेखर, कलेक्टर शशि भुषण कुमार, जनसम्पर्क पदाधिकारी विनोद प्रसाद, शिक्षा पदाधिकारी यदुवंश राम और नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी अमित कुमार समेत पूरा जिला प्रशासन मौजूद था।
विपक्षी नेता बोले- न्यौता नहीं मिला, डीएम का ‘नो कमेंट्स’
हमें जिला प्रशासन की ओर से निमंत्रण पत्र नहीं भेजा गया, जिला प्रशासन ने सिर्फ भाजपा नेताओं को ही बुलाया। ठीक यही बात कांग्रेस के जिला अध्यक्ष अमलेश कुमार अनीश ने कही और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि जिला प्रशासन ने राजकीय कार्यक्रम में अधिकांश सभी राजनीतिक दलों को नहीं बुलावा भेजा। लखीसराय कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम के जरिए स्थानीय भाजपा विधायक व डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा पार्टी के पक्ष में राजनीतिक माहौल बनाना चाहते हैं।
डीएम मिथिलेश मिश्र से जब इस राजकीय महोत्सव को पहली बार किए जाने की योजना, महोत्सव के नाम व विपक्षी दलों की अनुपस्थिति को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
15 साल से विधायकी जीत रहे डिप्टी सीएम सिन्हा
डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा लखीसराय विधानसभा सीट पर भाजपा के टिकट पर लगातार तीसरी बार के विधायक हैं। हालांकि दूसरी व तीसरी जीत में उनकी जीत का अंतर घटा है जो उनके लिए आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनौती बना हुआ है।
ऐसे में चुनाव से ठीक पहले लखीसराय की जनता के बीच संस्कृति महोत्सव के जरिए मौजूद रहकर उन्होंने एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है। गौरतलब है कि वे 2020 में विधानसभा के स्पीकर भी चुने गए थे। सिन्हा ने महोत्सव के दौरान भाषण में कहा कि ‘हमारा संकल्प है कि अमृत लक्खी महोत्सव की लोकप्रियता आने वाले दिनों में इतनी बढ़े कि यह राजकीय महोत्सव से राष्ट्रीय धरोहर का अंग बन सके।’
SIR में डिप्टी सीएम के भी दो वोटर आईडी निकले थे
हाल में डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा तब चर्चा में आए थे जब सघन वोटर निरीक्षण (SIR) की ड्राफ्ट सूची में उनके दो वोटर आईडी कार्ड पाए गए। उनका एक वोटर कार्ड पटना से और दूसरा गृहक्षेत्र लखीसराय से सक्रिय मिला था। इस पर सिन्हा ने प्रेसवार्ता करके सफाई दी थी कि उन्होंने पटना से वोटर कार्ड कटवाने की रिक्वेस्ट देकर लखीसराय से अपना नया वोटरकार्ड बनवाया था पर चुनाव आयोग की ओर से पटना वाले वोटर आईडी को कैंसिल नहीं किया गया।
चुनावी डायरी
बिहार : चिराग की 30 सीटों की मांग, बोले- अभी बातचीत शुरूआती दौर में

- दिल्ली में आज बीजेपी से सीट बंटवारे पर बात हुई, जिसमें सहमति न बनने पर रात को पटना आए।
- चिराग पासवान के प्रशांत किशोर से गठबंधन की खबरें चलीं, NDA का एकजुटता का संदेश दोहराया।
- एनडीए कह रहा है कि सीट बंटवारे पर बातचीत फाइनल दौर में है, चिराग बोले- बातचीत अभी शुरू हुई है।
पटना |
बीजेपी ने दिल्ली में चिराग पासवान के साथ 45 मिनट लंबी बैठक की, जिसमें सीट बंटवारे पर सहमति बनने की जगह उल्टा यह निकलकर आया कि मांझी के बाद अब चिराग ने ज्यादा सीटों की डिमांड कर दी है। मीडिया में चिराग के नाराज होकर प्रशांत किशोर के साथ संभावित गठबंधन की भी खबरें चलीं, माना जा रहा है कि इस तरह चिराग पासवान NDA के अंदर अपनी मांग को और पुख्ता बनाने की कोशिश में हैं।
दिल्ली में बात न बनने के बाद अचानक मंगलवार रात को चिराग पासवान पटना लौटे हैं। यहां उन्होंने मीडिया के सामने कहा कि “सभी तरह का डिस्कशन अभी प्राइमरी स्टेज पर है, फाइनल होने पर जानकारी दी जाएगी।”
चिराग- 30, मांझी- 15 सीटों पर अड़े
दिल्ली में चिराग पासवान के आवास पर सीट शेयरिंग को लेकर बैठक हुई। बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान, बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय चिराग को मनाने पहुंचे थे।
45 मिनट तक ये मीटिंग चली। सूत्रों की मानें तो चिराग पासवान 30 सीट और जीतन राम मांझी 15 सीटों पर अड़े हैं।
जदयू में भी सीटों पर बैठक
इससे पहले पटना में नीतीश कुमार ने जदयू नेताओं के साथ बैठक की। खबर है कि टिकट और उम्मीदवार को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सीएम ने 45 मिनट चर्चा की है। जदयू अपने कोटे की सीटों और उम्मीदवारों पर मंथन जारी है।
मुख्यमंत्री आवास पहुंचे जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और सांसद संजय झा ने कहा, ‘एनडीए पूरी मजबूती से खड़ा है और जल्द सीट शेयरिंग हो जाएगी।’
चुनावी डायरी
बिहार : RJD के दो विधायकों के खिलाफ राबड़ी आवास पर नारे लगे, टिकट न देने की मांग उठी

- मसौढ़ी विधायक रेखा पासवान का टिकट रद्द करने की मांग पर नारे लगे
- मखदुमपुर विधायक सतीश कुमार के खिलाफ तीन दिन पहले हुआ था विरोध
रिपोर्टर की डायरी
योगी के मंत्री वाल्मीकि जयंती पर फतेहपुर आए, लिंचिंग पीड़ित दलित परिवार से नहीं मिले

UP : वाल्मीकि जयंती पर योगी के मंत्री फतेहपुर आए पर लिंचिंग में मारे गए दलित के परिवार से नहीं मिले
- जलशक्ति मंत्री रामकेश निषाद वाल्मीकि बस्ती पहुंचे, कार्यक्रम किया पर मृतक के घर नहीं गए।
- मीडिया ने मंत्री से पूछा- मृतक के घर कोई बीजेपी नेता-मंत्री क्यों नहीं गए; मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया।
- कांग्रेस डेलीगेशन ने आज दलित परिवार से मुलाकात की, सपा सांसद भी मृतक के पिता से मिले।
फतेहपुर | संदीप केसरवानी
योगी आदित्यनाथ की सरकार के मंत्री आज फतेहपुर जिला पहुंचे और वाल्मीकि जयंती के कार्यक्रम में भाग लिया। पर स्थानीय लोगों को इस बात पर हैरानी हुई कि मंत्री जी आयोजन स्थल से सिर्फ एक किलोमीटर दूर उस पिता से मिलने नहीं पहुंचे जो अपने बेटे की लिंचिंग के बाद सरकार से न्याय की गुहार लगा रहा है।
मृतक हरिओम वाल्मीकि के घर पर किसी भाजपा नेता या विधायक के न पहुंचने से जुड़ा सवाल जब इस संवाददाता ने किया तो मंत्री जी ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। हालांकि उन्होंने योगी सरकार की कानून व्यवस्था को पूरे देश के लिए मॉडल बताया और कहा कि “इस घटना या दुर्घटना की जांच की जा रही है।”
गौरतलब है कि आज (7 अक्तूबर) को योगी सरकार ने वाल्मीकि जयंती के अवसर पर पूरे राज्य में छुट्टी रखी है और दलित समुदाय के उत्थान में प्रमुख रहे महर्षि वाल्मीकि से जुड़े कार्यक्रम हुए हैं। फतेहपुर में भी वाल्मीकि समुदाय व स्थानीय भाजपा नेताओं की ओर से आयोजित कार्यक्रम में भाग लेेने के लिए कैबिनेट मंत्री रामकेश निषाद पहुंचे थे।
ये आयोजन पीरनपुर के वाल्मीकि पार्क में हुआ जबकि उससे मुश्किल से एक किलोमीटर दूर के वाल्मीकि मोहल्ले पुरावली का पुरवा में मृतक हरिओम का घर है। वहां मृतक के पिता गंगादीन इसी आस में थे कि मंत्री जी उन्हें आकर न्याय दिलाने का विश्वास देंगे।
मृतक की बहन ने आज फिर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने भाई की हत्या में तुरंत न्याय दिलाने की मांग दोहराई।
बुलडोजर ऐक्शन के सवाल पर बोले- जांच से तय होगा
मंत्री को स्थानीय मीडिया के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा। योगी सरकार ‘बुलडोजर न्याय’ को लेकर पूरे देेश में सुर्खियां बटोरती है, ऐसे में मृतक के पिता व बहन ने भी आरोपियों के घरों पर बुलडोजर ऐक्शन की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। क्या इस हत्या के आरोपियों पर भी बुलडोजर ऐक्शन होगा? के सवाल पर मंत्री ने कहा- ‘ये जांच के बाद ये तय होगा। ‘
मंत्री ने सरकार की दलितों से जुड़ी योजनाएं बतायीं
यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री रामकेश निषाद ने वाल्मीकि बस्ती में पहुंचकर प्रदेश सरकार की ओर से इस दिन के लिए घोषित की गई छुट्टी की जानकारी दी। फिर आरोप लगाया कि “पिछली सरकारें सिर्फ दलितों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करती थीं।” उन्होंने बोला कि “सफाई कर्मचारियों का वेतन हमारी सरकार ने 8 हजार से वेतन बढ़ाकर 16 हजार कर दिया है।”
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