रिपोर्टर की डायरी
यूपी : ‘I love Muhammad’ के विवाद में बरेली में पथराव-फायरिंग, तनाव फैला
- जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय इस्लामिया मैदान जा रहे थे, पुलिस ने रोका, पत्थर चले
- बरेली के कोतवाली और बारादरी थाना क्षेत्रों में तनाव, बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात
- कानपुर में ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बोर्ड से शुरू हुए विवाद में पुलिस ने केस दर्ज किए थे
- इन कार्रवाइयों के विरोध में यूपी के कई जिलों में मुस्लिम समुदाय जुलूस निकाल रहा
बरेली | मोनू पांडेय
पांच सितंबर को बारावफात के दौरान कानपुर से शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ का विवाद बरेली में हिंसक बन गया। बरेली में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में जुटे मुस्लिम समुदाय के लोगों और पुलिस के बीच झड़प हुई, जो हिंसक हो गई। अब तक मुख्य तौर पर कोतवाली और बारादगी थाना क्षेत्र में पथराव व लाठीचार्ज की खबरें हैं।
“प्रदर्शनकारियों की ओर से पत्थर चले और फायरिंग भी हुई, जिससे हमारे कुछ पुलिसकर्मियों को छर्रे लगे हैं। मीडियाकर्मियों को भी पत्थर से चोटें आई हैं। हम घायलों व बाकी नुकसान का आंकड़ा जुटा रहे हैं। जिन लोगों ने भीड़ जमा करने की कॉल दी थी, उन्हें बक्शा नहीं जाएगा। सुबह से पुलिस अलर्ट पर थी इसलिए 90% लोग लौट गए थे, चंद लोगों ने माहौल खराब करने की कोशिश की। ” – अजय कुमार साहनी, डीआईजी, बरेली
विरोध करने इस्लामिया मैदान में जुट रहे थे प्रदर्शनकारी
बताया जा रहा है कि मौलाना तौकीर रजा ने मुस्लिमों से शहर के इस्लामिया ग्राउंड में प्रदर्शन करने की अपील की थी, जिसके बाद पुलिस अफसर को ज्ञापन सौंपा जाना था। जुमे की नमाज़ के बाद समर्थक प्रदर्शन के लिए इस्लामिया ग्राउंड की ओर जाने लगे तो वहां तैनात पुलिस बल ने रोका। आरोप है कि इस दौरान पथराव शुरू हो गया, पुलिस की ओर से लाठीचार्ज करके भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की गई।
आंसू गैस के गोले छोड़े, बाजार बंद कराए
कोतवाली थाना क्षेत्र के बिहारीपुर रोड पर उपद्रवियों पर लाठीचार्ज किया गया और सीओ सिटी आशुतोष शिवम ने टियर गैस का गोला छोड़ा। पुलिस ने शहर में बाजार बंद कराए हैं।
फिलहाल, तनाव के बाद से मौलाना तौकीर रजा की जानकारी स्पष्ट नहीं है। मौलाना तौकीर रजा इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) के अध्यक्ष है। इन पर 2010 में बरेली में दंगा करवाने का भी आरोप है। मामला अभी कोर्ट में है।
DM बोले- 20 लोग हिरासत में.. हालात काबू में, कल स्कूल खुलेंगे
“ज्ञापन देने की मांग लेकर कुछ लोग आए थे, हमने अनुमति नहीं दी फिर भी कुछ जगहों पर लोगों ने प्रदर्शन की कोशिश की, जिसे हमने नियंत्रित कर लिया। अब तक 15 से 20 लोग हिरासत में लिए गए हैं, करीब दस पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। बाहर से भी फोर्स बुला ली है, कल स्कूल-कॉलेज खुलेंगे। – अविनाश सिंह, डीएम, बरेली
पिछले सप्ताह पड़ोसी पीलीभीत समेत 6 जिलों में हुए थे प्रदर्शन
पिछले सप्ताह बरेली मंडल के जिले पीलीभीत के अलावा अन्य 5 जिलों में ‘आई लव मोहम्मद’ के समर्थन में मुस्लिम समुदाय ने प्रदर्शन किए थे। जिसमें कई गिरफ्तारियां हुईं। पिछले सप्ताह कानपुर, कौशांबी, भदोही, लखनऊ, उन्नाव में भी प्रदर्शन हुए। जिसमें उन्नाव व कौशांबी में बीते सोमवार को कई लोगों की गिरफ्तारियां कर ली गईं। दूसरी ओर, उत्तराखंड के काशीपुर में ऐसी ही जुलूस को लेकर पुलिस के साथ झड़प हो गई थी और 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
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‘I love Muhammad’ विवाद को समझने के लिए इस खबर को क्लिक करके पढ़ें।
रिपोर्टर की डायरी
जब नीतीश कुमार दसवीं बार CM बने, उसी दिन नालंदा विवि ने पूरे किए 75 वर्ष
- नव नालंदा महाविहार (Deemed University) ने 21 सितंबर को स्थापना के 75 वर्ष पूरे किए।
यह संयोग एक संदेश भी लाया। एक तरफ बिहार की नई सरकार शपथ ले रही है जो बार-बार दावा करती है कि वे शिक्षा क्रांति लाएंगे।
दूसरी तरफ उसी बिहार का नालंदा खड़ा है जो 1600 साल पहले दुनिया का सबसे बड़ा आवासीय अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय था, जिसे ह्वेनसांग ने “ज्ञान का संयुक्त राष्ट्र” कहा था और जिसे आज फिर से जीवित किया जा रहा है।
“नव नालंदा महाविहार को ‘ज्ञान भारतम् मिशन’ का क्लस्टर सेंटर बनाया जा रहा है, प्राचीन पांडुलिपियों का AI से डिजिटलीकरण होगा।”
चुनावी डायरी
दो सीटें जीतने के बाद भी NDA सरकार में सीमांचल को सीमित प्रतिनिधित्व, अररिया की जनता नाराज
- अररिया जिले को NDA सरकार के मंत्रीमंडल में कोई मंत्री नहीं मिला जबकि पहले हर सरकार यहां से मंत्री बनाती आई है।
फारबिसगंज(अररिया) | मुबारक हुसैन
नई सरकार के गठन के साथ एनडीए समर्थकों में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं अररिया जिले में निराशा गहराती दिख रही है। इसका कारण है कि जिले से किसी भी विधायक को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला, जबकि हर सरकार में अररिया से कैबिनेट मंत्री बनते आए हैं। इस बार पूर्णिया से विधायक लेशी सिंह को जरूर मंत्री बनाया गया है पर NDA मंत्रीमंडल में घटे सीमांचल के प्रतिनिधित्व से आम लोग नाराज हैं।
बीजेपी ने दो सीट जीतीं फिर भी उपेक्षित
अररिया जिले की कुल छह विधानसभा सीटों में से नरपतगंज और सिकटी में भाजपा ने जीत दर्ज की। खासकर सिकटी से लगातार हैट्रिक के साथ छठी बार विधानसभा पहुंचे वरिष्ठ भाजपा नेता विजय मंडल के मंत्री बनने की अटकलें तेज थीं। पिछली सरकार में उन्होंने बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री के रूप में कार्य किया था और सीमांचल सहित कोसी अंचल के मुद्दों को मजबूती से उठाया था। ऐसे में माना जा रहा था कि अनुभव और लगातार जीत के आधार पर उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी। लेकिन इस बार उन्हें भी बाहर रखा गया, जिससे जिले में मायूसी और राजनीतिक बहस तेज हो गई है।
एनडीए का कमजोर प्रदर्शन भी बनी वजह?
पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार जिले में एनडीए का प्रदर्शन कमजोर रहा है। फारबिसगंज और रानीगंज जैसी परंपरागत सीटों पर एनडीए को हार का सामना करना पड़ा। दो दशक से अधिक समय तक इन दोनों सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा था। रानीगंज में जहां जदयू विजयी होती रही, वहीं फारबिसगंज भाजपा की सुरक्षित मानी जाने वाली सीट रही है। विश्लेषकों का कहना है कि छह में से सिर्फ दो सीटें जीत पाने की स्थिति एनडीए के लिए अनुकूल नहीं रही, जिसका असर मंत्री पद के चयन में दिखा है।
अररिया को मिलता रहा है प्रतिनिधित्व
स्थानीय राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि चाहे राज्य में महागठबंधन सरकार रही हो या एनडीए की, अररिया को हमेशा मंत्री पद के स्तर पर प्रतिनिधित्व मिलता रहा है। जिले के दिग्गज नेताओं जैसे सरयू मिश्रा, मोइदुर रहमान, अजीमुद्दीन, तस्लीमुद्दीन, सरफराज आलम, शाहनवाज आलम, शांति देवी और रामजी दास ऋषिदेव आदि ने पूर्व में मंत्री पद संभालकर जिले का प्रतिनिधित्व किया है। इसी क्रम को पिछले कार्यकाल में विजय कुमार मंडल ने आगे बढ़ाया पर इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।
सीमांचल की आवाज़ कमजोर होने की आशंका
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र पहले से ही विकास के मामले में पिछड़ा माना जाता है। ऐसे में मंत्री पद जैसा प्रतिनिधित्व जिले की समस्याओं को सरकार तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचाने का साधन रहा है। इस बार किसी भी नेता को मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से आम लोगों में चिंता है कि जिले की आवाज राजधानी में कमजोर पड़ सकती है।
क्या कहते हैं पार्टी कार्यकर्ता
अररिया को कैबिनेट में प्रतिनिधित्व न मिलने को लेकर NDA के घटक दलों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे राजनीतिक रूप से गलत संदेश जा सकता है। हालांकि कार्यकर्ता यह भी कह रहे हैं कि अगर 5 साल के कार्यकाल में NDA अपना कैबिनेट विस्तार करती है तो जरूर अररिया को मंत्री मिलेगा।
NDA सरकार के जिलावार कैबिनेट मंत्रियों की सूची
1. सहयोगी कोटा – संतोष सुमन – HAM – (गया)
2. सहयोगी कोटा – संजय पासवान – LJPR- (बेगूसराय)
3. सहयोगी कोटा – संजय सिंह – LJPR – ( वैशाली)
4. सहयोगी कोटा – दीपक प्रकाश – RLM – ( वैशाली )
5. भाजपा कोटा – रामकपाल यादव – BJP ( पटना)
6. भाजपा कोटा – संजय सिंह टाइगर – BJP ( आरा )
7. भाजपा कोटा – अरुण शंकर प्रसाद – BJP ( मधुबनी)
8. भाजपा कोटा – सुरेन्द्र मेहता – BJP, ( बेगूसराय)
9. भाजपा कोटा – नारायण प्रसाद – BJP ( पश्चिम चंपारण)
10. भाजपा कोटा – सम्राट चौधरी – डिप्टी सीएम ( मुंगेर )
11. भाजपा कोटा – विजय सिन्हा – डिप्टी सीएम – ( लखीसराय)
12. भाजपा कोटा – दिलीप जायसवाल – BJP ( किशनगंज )
13. भाजपा कोटा – मंगल पांडेय – BJP ( सीवान)
14. भाजपा कोटा – नितिन नवीन – BJP ( पटना)
15. भाजपा कोटा – रमा निपद – BJP ( मुजफ्फरपुर)
16. भाजपा कोटा – लखेंद्र पासवान – BJP ( वैशाली)
17. भाजपा कोटा – श्रेयसी सिंह – BJP ( जमुई )
18. भाजपा कोटा – प्रमोद कुमार चंद्रवंशी – BJP ( जहानाबाद)
19. JDU कोटा – नीतीश कुमार – मुख्यमंत्री ( नालंदा)
20. JDU कोटा – विजय कुमार चौधरी – JDU ( समस्तीपुर)
21. JDU कोटा – अशोक चौधरी – JDU (शेखपुरा)
22. JDU कोटा – विजेन्द्र यादव – JDU ( सुपौल)
23. JDU कोटा – श्रवण कुमार – JDU ( नालंदा)
24. JDU कोटा – जमा खान – JDU ( कैमूर)
25. JDU कोटा – लेशी सिंह – JDU ( पूर्णिया)
26. JDU कोटा – मदन सहनी – JDU ( दरभंगा)
चुनावी डायरी
बिहार : नई सरकार की शपथ के दिन मौन व्रत पर बैठे प्रशांत किशोर
- 20 नवंबर सुबह 11:14 मिनट से मौन व्रत शुरू हुआ तो 21 नवंबर को सुबह 11:15 बजे तक चलेगा।
बेतिया (पश्चिमी चंपारण) |
बिहार में गुरुवार को नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, इसी दिन को प्रशांत किशोर ने जनसुराज की चुनावी रणनीति की गड़बड़ियों से जुड़े प्रायश्चित के लिए चुना।
दो दिन पहले जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोेर ने मीडिया के सामने कहा था कि वे जनता तक अपने संदेश को ठीक ढंग से पहुंचा नहीं पाए, जिसके लिए वे प्रायश्चित स्वरूप एक दिन का मौत व्रत रखेंगे।
इसके तहत प्रशांत किशोर ने आज (20 नवंबर) सुबह सबा 11 बजे पश्चिमी चंपारण के भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम में मौन उपवास शुरू किया जो अगले दिन इसी समय तक चलेगा। अपने सहयोगियों के साथ वे गांधी प्रतिमा के पास बैठे मौत उपवास अकेले कर रहे हैं।
जनसुराज पार्टी ने एक्स पर प्रशांत किशोर की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा ‘गांधी आश्रम , भितिहरवा में एक दिन के मौन उपवास के साथ बिहार में बदलाव की नई शुरुआत।’
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी और उन्हें 3.34 प्रतिशत वोट मिला।
गांधी के आंदोलन के खिलाफ रहे हैं PK
गांधी के रास्ते पर चलते हुए मौन व्रत करके आत्मबल और आत्म चिंतन कर रहे प्रशांत किशोर कुछ मामलों में गांधीवादी विचारधारा से उलट राय रखते हैं। प्रशांत किशोर अक्सर अपने भाषणों में कहते रहे हैं कि वे महात्मा गांधी के आंदोलन करने के तरीकों का समर्थन नहीं करते।
वे कहते हैं कि दीर्घकालिक विकास और व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन आधारभूत तरीका नहीं है, बल्कि वे ऐसी चुनावी प्रक्रिया के समर्थक हैं जिसमें सही लोग चुनकर नेतृत्व करें।
उनका कहना है कि फ्रांस रेवोल्यूशन को छोड़कर इतिहास में किसी भी आंदोलन या क्रांति ने किसी भी देश में लंबे समय तक टिकने वाले विकास का रास्ता नहीं बनाया है।
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