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रिपोर्टर की डायरी

बेतिया के मेडिकल कॉलेज में डेडबॉडी को घेरकर प्रदर्शन क्यों कर रहे डॉक्टर?

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GMCH में डेडबॉडी को घेरकर वहां बैठकर धरना देते डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ।
GMCH में डेडबॉडी को घेरकर वहां बैठकर धरना देते डॉक्टर व मेडिकल स्टाफ।
  • बेतिया के सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में डॉक्टरों का प्रदर्शन।
  • नाइट ड्यूटी के दौरान डॉक्टर न होने का आरोप, मरीज की मौत हुई।
  • डॉक्टरों से मारपीट में मृतक की पत्नी व बहन घायल, इलाज जारी।

 

बेतिया | मनोज कुमार

बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के ऊपर लापरवाही के आरोप लगे तो उन्होंने एक डेडबॉडी को ही बंधक बनाकर धरना देना शुरू कर दिया।हालात ऐसे हुए कि मृतक के परिजनों को अस्पताल से भागना पड़ा, मृतक की पत्नी व बहन घायल हो गए हैं जिनका इलाज एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है।

दूसरी ओर, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों ने एक नर्स के साथ दुर्व्यवहार किया था। ये घटना बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के Government Medical college and Hospital की है, जिसे आपतौैर पर GMCH कहा जाता है।

शनिवार सुबह (25 अक्तूबर ) हुई इस घटना के बाद अस्पताल में तनाव की स्थिति बन गई, जिसके चलते SSB और नगर थाना पुलिस को तैनात किया गया।

 

दरअसल 24 नवंबर को बानूछपरा इलाके के एक गंभीर मरीज रंजय तिवारी को अस्पताल लाया गया। परिजनों का कहना है कि रंजय को तीन इंजेक्शन दिए गए, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ने लगी। परिजनों ने डॉक्टरों को खोजने की कोशिश की पर कोई भी डॉक्टर रात में मौजूद नहीं मिला, जिससे उनके मरीज की तड़प-तड़पकर मौत हो गई।

शनिवार सुबह जब डॉक्टर अस्पताल पहुंचे तो गुस्साए परिजनों ने हंगामा किया। आरोप है कि दोनों के बीच काफी मारपीट हुई और मारपीट के कारण मृतक की पत्नी तनुश्री और बहन छोटी कुमारी घायल हो गईं, जिनका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।

डेडबॉडी को घेरकर हंगामा करता मेडिकल स्टाफ।

डेडबॉडी को घेरकर हंगामा करता मेडिकल स्टाफ।

परिवार का कहना है कि उन्हें अब तक डेडबॉडी नहीं मिली है, उन्होंने पुलिस के शव दिलाने का अनुरोध किया है।

इस मामले में GMCH अधीक्षक सुधा भारती का कहना है कि उनके नर्सिंग व डॉक्टर स्टाफ में काफी नाराजगी है, वे मारपीट करने वाले लोगों के खिलाफ FIR चाहते हैं, उन्हें भी लगता है कि केस होना चाहिए। साथ ही उन्होंने बोला कि मरीज के अटेडेंट ने अपनी गलती मानी है। हालांकि डेडबॉडी सुपुर्द न करने को लेकर उनसे बात नहीं हो सकी।

बोलते पन्ने.. एक कोशिश है क्लिष्ट सूचनाओं से जनहित की जानकारियां निकालकर हिन्दी के दर्शकों की आवाज बनने का। सरकारी कागजों के गुलाबी मौसम से लेकर जमीन की काली हकीकत की बात भी होगी ग्राउंड रिपोर्टिंग के जरिए। साथ ही, बोलते पन्ने जरिए बनेगा .. आपकी उन भावनाओं को आवाज देने का, जो अक्सर डायरी के पन्नों में दबी रह जाती हैं।

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चुनावी डायरी

बिहार : बेतिया सांसद से रंगदारी-’10 करोड़ दो वरना बेटे को मार देंगे’

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सांसद डॉ. संजय जायसवाल से रंगदारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
  • डॉ. संजय जायसवाल ने रंगदारी के खिलाफ केस दर्ज करवाया।
  • जिला पुलिस ने 24 घंटों के अंदर एक आरोपी को पकड़ा।

बेतिया | मनोज कुमार

बिहार में आचार संहिता लगी हुई है फिर भी अपराधियों का साहस देखने लायक है। पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया सांसद डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि उनके पास 10 करोड़ की रंगदारी के लिए धमकी भरा फोनकॉल आया। फोन करने वाले ने कहा कि अगर रूपया नहीं मिला तो उनके बेटे डॉ. शिवम जायसवाल की हत्या कर देंगे।

चूंकि मामला सांसद का था तो जिला पुलिस ने एक SIT बनाकर तुरंत जांच शुरू कर दी और चौबीस घंटे के अंदर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि जिस युवक ने सांसद से रंगदारी के लिए फोन किया, उसने अपने भाई के फोन का इस्तेमाल किया, जिसकी तीन महीने पहले गुमशुदगी दर्ज करायी थी।

बेतिया सांसद का फाइल फोटो (साभार - फेसबुक)

बेतिया सांसद का फाइल फोटो (साभार – फेसबुक)

बता दें कि सांसद डॉ. संजय जायसवाल के 25 अक्तूबर को लिखित आवेदन दिया था कि उनके बेटे को जान से मारने की धमकी भरी फोन कॉल उन्हें 23 अक्टूबर को दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों से आई। जिसमें उनसे 10 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी।

बेतिया SP के साथ पुलिस कर्मी

बेतिया SP के साथ पुलिस कर्मी

इस मामले में एसपी डॉ. शौर्य सुमन ने 26 अक्तूबर को बताया कि रंगदारी मांगने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान कालीबाग थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर निवासी अशोक कुमार के रूप में हुई है।

एसपी का कहना है कि आरोपी ने शातिर तरीके से घटना को अंजाम दिया। हमने मोबाइल के मालिक को गिरफ्तार किया तो पता लगा कि उसके भाई ने एक और अभियुक्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था, उसे पुलिस ढूंढने के लिए छापामारी कर रही है।

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चुनावी डायरी

बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज

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लखीसराय में अपने घर पर वोट डालतीं वरिष्ठ नागरिक मतदाता
लखीसराय में अपने घर पर वोट डालतीं वरिष्ठ नागरिक मतदाता
  • होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।

लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य

बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।

इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।

लखीसराय में अपने घर पर वोट डालते वरिष्ठ नागरिक मतदाता

लखीसराय में अपने घर पर वोट डालते वरिष्ठ नागरिक मतदाता

लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।

लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।

वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

 

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रिपोर्टर की डायरी

अब बरेली में 41 मकानों को अवैध बताया, बुलडोजर चलेगा

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मकान खाली करने की तारीख पास आते ही कुछ लोग अपना मकान खुद ही खाली करने लगे।
मकान खाली करने की तारीख पास आते ही कुछ लोग अपना मकान खुद ही खाली करने लगे।
  • पीड़ित लोग बोले- जिन्हें वोट दिया, वही घर उजाड़ रहे।
  • मेयर बोले- निगम की जमीन की कार्रवाई नहीं रोक सकते।
  • शाहबाद और डेलापीर के कब्जेदारों को एक सप्ताह की और मोहलत दी।

 

बरेली | मोनू पांडे

यूपी के बरेली में 41 मकानों को एक सप्ताह बाद बुलडोजर से ढहा दिया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि शाहबाद और डेलापीर में उनकी जमीनों पर कई साल से अवैध कब्जा है और इसे हटाने के लिए कब्जेदारों को 15 दिनों का समय दिया था जिसकी मियाद 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। हालांकि 25 अक्तूबर तक अधिकांश घर खाली नहीं हो सके तो नगर निगम ने एक सप्ताह की मोहलत दे दी है।

 

शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों पर चलेगा बुलडोजर
बरेली के शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों को नोटिस गया था, यहां 25 अक्टूबर को नगर निगम ने अवैध निर्माण ढहाने के निर्देश दिए थे, हालांकि लोगों को एक सप्ताह के अंदर खुद ही कब्जा खाली करने की मोहलत दी गई है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है कि हम लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं। यहां एक प्रधानमंत्री आवास भी बना है, उस पर भी बुलडोजर चलेगा। यहां रहने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने 26 सितंबर को हुई हिंसा में  गिरफ्तार भी किया है।

 

डेलापीर तालाब किनारे 14 मकानों को अवैध बताया

नगर निगम ने डेलापीर तालाब के किनारे बसे 14 मकानों के अवैध बताते हुए 15 दिन पहले नोटिस भेजा था। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि वो लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं, जब हम लोग यहां रहने आए थे तब यहां घना जंगल था और बड़ा सा तालाब था।

उस वक्त यहां कोई मुफ्त में भी जगह नहीं लेना चाहता था। दिनदहाड़े लोगों को लूट लिया जाता था। धीरे-धीरे यहां कई कालोनियां बन गईं। अब यहां की जमीनें काफी महंगी हो गई हैं इसलिए नगर निगम अब हम लोगों को यहां से हटा रहा है।’

 

मजदूर वर्ग और दलित-ओबीसी परिवारों का इलाका
लोगों का कहना है कि हम सभी मजदूर वर्ग के हैं। सभी दलित और ओबीसी जाति के लोग हैं। रोज कमाने-खाने वाले हैं। 40-50 गज में सभी घर बने हुए हैं। यहां रहने वाले पुरुष रिक्शा चलाते हैं तो महिलाएं घरों में चौका-बर्तन करके पेट पालती हैं। हमने बहुत मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने घरों में लाखों रुपये लगाए हैं। कुछ लोगों का जन्म यहीं हुआ तो कुछ महिलाओं की शादी यहीं होकर आई। शादी के 50 साल हो गए। बच्चे बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गई। कुछ लोगों की लड़कियां जवान हैं, शादी की उम्र है। लोगों का कहना है कि अब हम लड़कियों की शादी करेंगे या नई जगह मकान बनाएंगे? अब हम सब सड़क पर जाएंगे। हमारे पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं है।

 

योगी से मिलने गए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
लोगों का कहना है कि हम लोग गोरखपुर और लखनऊ भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। यहां लोकल स्तर पर मंत्री डॉ. अरुण कुमार और मेयर डॉ. उमेश गौतम के पास भी गए थे, लेकिन उन लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि मोदी हम सबको अपना परिवार कहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार को ही उजाड़ रहे हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

 

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