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बिहार : आचार संहिता के बीच सीमांचल में नकली नोट खपना शुरू
- सीमांचल में फिर सक्रिय हुआ जाली नोट का नेटवर्क, चुनावी माहौल में बढ़ी सतर्कता की जरूरत
अररिया | हमारे संवाददाता
सीमांचल का इलाका एक बार फिर जाली नोट के कारोबारियों के निशाने पर है। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जब बाजारों और मेलों में भीड़ उमड़ रही है, चुनाव प्रचार व जनसंपर्क तेजी पर है। ऐसे में तस्करों के लिए नकली नोट खपाने का यह सबसे मुफीद समय बन गया है।
पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार और अररिया जिले में पिछले एक दशक में कई बार जाली नोटों के नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। ताजा मामला अररिया के लक्ष्मी पूजा मेले का है, जिसमें 500 रुपये के जाली नोटों को खपाते एक युवक को रंगे-हाथ पकड़ा गया।
मेले में पकड़ा गया जाली नोट तस्कर
रानीगंज के छतीयौना गांव में आयोजित लक्ष्मी पूजा मेला में भीड़ का फायदा उठाकर तीन युवक दुकानदारों को ठग रहे थे। आइस्क्रीम, पान, खिलौना और मिठाई की दुकानों पर ग्राहक बनकर पहुंचे। लगातार तीसरी बार एक आइस्क्रीन दुकानदार को 500 रुपये का नोट देने के दौरान उसे शक के आधार पर पकड़ लिया गया। कमिटी के अध्यक्ष देवन मंडल और सचिव विश्वनाथ मंडल ने बताया कि तलाशी लेने पर युवक की जेब से 8 हजार रुपये के जाली नोट बरामद हुए। आरोपी की पहचान सिमराहा थाने के मदारगंज वार्ड संख्या 15 निवासी मोनाजिर आलम (24 वर्ष) के रूप में हुई। उसके दो साथी मौके से भाग निकले।
जाली नोट का सौदा और खुलासा
पूछताछ में मोनाजिर ने कबूल किया कि गांव के ही तोहसिर नामक व्यक्ति ने उसे 25 हजार रुपये के जाली नोट दिए थे। तोहसिर स्मैक और नकली नोट दोनों के कारोबार से जुड़ा है। उसी के कहने पर मोनाजिर अपने दो साथियों — गुड्डू मंडल और एक अन्य युवक — के साथ मेला में नोट खपाने पहुंचा था। रानीगंज पुलिस ने आरोपी से बरामद नकली नोटों और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया है। थानाध्यक्ष रवि रंजन सिंह के अनुसार, फरार आरोपियों की तलाश जारी है और नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
सीमांचल: जाली नोट तस्करों का सुरक्षित ठिकाना
अररिया जिला नेपाल सीमा से सटा हुआ है, जिससे यह इलाका जाली नोट तस्करी के लिए संवेदनशील माना जाता है। सीमावर्ती इलाकों में तस्कर आसानी से नेपाल के रास्ते नोट लाकर यहां खपाते हैं। स्थानीय स्तर पर ये कारोबारी एजेंटों के माध्यम से नोटों को बाजार, हाट-बाजार और मेलों में चलाते हैं।
- वर्ष 2019 में एसएसबी ने जोकीहाट थाना क्षेत्र के डोमा यादव उर्फ संतोष को एक लाख रुपये के नकली नोट के साथ गिरफ्तार किया था।
- 2020 में पूर्णिया, कटिहार और नवगछिया इलाके से जाली नोट छापने और खपाने वाले चार शातिरों को पुलिस ने पकड़ा था। उनके पास से 40 हजार रुपये के नकली नोट और प्रिंटर मशीन बरामद हुई थी।
चुनावी मौसम में बढ़ा खतरा
निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से नकली नोट का यह नेटवर्क फिर सक्रिय हो उठा है। चुनावी माहौल में जब नकदी का प्रवाह अधिक रहता है, तब ऐसे गिरोहों के लिए यह सुनहरा मौका बन जाता है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि सीमांचल की भौगोलिक स्थिति और नेपाल सीमा की खुली आवाजाही इस अवैध कारोबार को बढ़ावा देती है।
सतर्कता ही सुरक्षा
मेला कमिटी ने घटना के बाद दुकानदारों और आम लोगों से अपील की है कि नोट लेते समय सतर्क रहें और संदिग्ध नोट मिलने पर तुरंत पुलिस या कमिटी को सूचना दें। पुलिस प्रशासन ने भी सभी थाना क्षेत्रों को सतर्क किया है कि चुनावी सीजन में नकली नोट के नेटवर्क पर पैनी नजर रखी जाए।
सीमांचल के लिए जाली नोट की समस्या नई नहीं है, पर हर चुनाव के साथ इसका खतरा और बढ़ जाता है। ऐसे में प्रशासन, बैंकिंग संस्थान और आम जनता की सामूहिक सतर्कता ही इस नेटवर्क को तोड़ने की सबसे बड़ी कुंजी बन सकती है।
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बिहार : बेतिया सांसद से रंगदारी-’10 करोड़ दो वरना बेटे को मार देंगे’
- डॉ. संजय जायसवाल ने रंगदारी के खिलाफ केस दर्ज करवाया।
- जिला पुलिस ने 24 घंटों के अंदर एक आरोपी को पकड़ा।
बेतिया | मनोज कुमार
बिहार में आचार संहिता लगी हुई है फिर भी अपराधियों का साहस देखने लायक है। पश्चिमी चंपारण जिले के बेतिया सांसद डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि उनके पास 10 करोड़ की रंगदारी के लिए धमकी भरा फोनकॉल आया। फोन करने वाले ने कहा कि अगर रूपया नहीं मिला तो उनके बेटे डॉ. शिवम जायसवाल की हत्या कर देंगे।
(Note – इस खबर को वीडियो पर देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।)
चूंकि मामला सांसद का था तो जिला पुलिस ने एक SIT बनाकर तुरंत जांच शुरू कर दी और चौबीस घंटे के अंदर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि जिस युवक ने सांसद से रंगदारी के लिए फोन किया, उसने अपने भाई के फोन का इस्तेमाल किया, जिसकी तीन महीने पहले गुमशुदगी दर्ज करायी थी।
बता दें कि सांसद डॉ. संजय जायसवाल के 25 अक्तूबर को लिखित आवेदन दिया था कि उनके बेटे को जान से मारने की धमकी भरी फोन कॉल उन्हें 23 अक्टूबर को दो अलग-अलग मोबाइल नंबरों से आई। जिसमें उनसे 10 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी।
इस मामले में एसपी डॉ. शौर्य सुमन ने 26 अक्तूबर को बताया कि रंगदारी मांगने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तार आरोपी की पहचान कालीबाग थाना क्षेत्र के शास्त्री नगर निवासी अशोक कुमार के रूप में हुई है।
एसपी का कहना है कि आरोपी ने शातिर तरीके से घटना को अंजाम दिया। हमने मोबाइल के मालिक को गिरफ्तार किया तो पता लगा कि उसके भाई ने एक और अभियुक्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था, उसे पुलिस ढूंढने के लिए छापामारी कर रही है।
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बिहार : सीनियर सिटिजन व दिव्यांग वोटरों ने कर दिया चुनाव का आगाज
- होम वोटिंग की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए।
लखीसराय | गोपाल प्रसाद आर्य
बिहार में सीनियर सिटिजन व दिव्यांग मतदाताओं की वोटिंग 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। होम वोटिंग के दौरान मतदाताओं में खूब उत्साह देखा गया।
इसके लिए जिला प्रशासन ने घर-घर जाकर वोटिंग कराई। 85 साल से अधिक उम्र के सीनियर सिटिजनों के घर जाकर चुनाव अधिकारियों ने वोटिंग करायी।
लखीसराय में होम वोटिंग (घर-घर जाकर मतदान) की विशेष व्यवस्था के तहत 24 व 25 अक्टूबर को वोट डलवाए गए। जिले की सूर्यगढ़ा व लखीसराय विधानसभा क्षेत्रों में पाँच-पाँच मतदान टीमों ने पोस्टल बैलेट के जरिए वोटिंग करायी।
लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 14 वरिष्ठ मतदाता एवं 27 दिव्यांग मतदाता, कुल 41 मतदाता चिन्हित किए गए थे। जिला प्रशासन के कुशल पर्यवेक्षण में इन सभी 41 मतदाताओं का मतदान एक ही दिन में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया।
वहीं, सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र में 85 वर्ष से अधिक आयु के 42 वरिष्ठ मतदाता एवं 22 दिव्यांग मतदाता, कुल 64 मतदाता चिन्हित थे। इनमें से 57 मतदाताओं का मतदान 24 अक्टूबर को ही करा लिया गया तथा शेष 7 मतदाताओं का मतदान 25 अक्टूबर (शनिवार) को पूर्ण कराया गया। इस प्रकार दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
रिपोर्टर की डायरी
अब बरेली में 41 मकानों को अवैध बताया, बुलडोजर चलेगा
- पीड़ित लोग बोले- जिन्हें वोट दिया, वही घर उजाड़ रहे।
- मेयर बोले- निगम की जमीन की कार्रवाई नहीं रोक सकते।
- शाहबाद और डेलापीर के कब्जेदारों को एक सप्ताह की और मोहलत दी।
बरेली | मोनू पांडे
यूपी के बरेली में 41 मकानों को एक सप्ताह बाद बुलडोजर से ढहा दिया जाएगा। नगर निगम का कहना है कि शाहबाद और डेलापीर में उनकी जमीनों पर कई साल से अवैध कब्जा है और इसे हटाने के लिए कब्जेदारों को 15 दिनों का समय दिया था जिसकी मियाद 25 अक्तूबर को पूरी हो गई। हालांकि 25 अक्तूबर तक अधिकांश घर खाली नहीं हो सके तो नगर निगम ने एक सप्ताह की मोहलत दे दी है।
शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों पर चलेगा बुलडोजर
बरेली के शाहबाद मोहल्ले के 27 मकानों को नोटिस गया था, यहां 25 अक्टूबर को नगर निगम ने अवैध निर्माण ढहाने के निर्देश दिए थे, हालांकि लोगों को एक सप्ताह के अंदर खुद ही कब्जा खाली करने की मोहलत दी गई है। यहां रहने वाले लोगों का भी कहना है कि हम लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं। यहां एक प्रधानमंत्री आवास भी बना है, उस पर भी बुलडोजर चलेगा। यहां रहने वाले कुछ लोगों को पुलिस ने 26 सितंबर को हुई हिंसा में गिरफ्तार भी किया है।
डेलापीर तालाब किनारे 14 मकानों को अवैध बताया
नगर निगम ने डेलापीर तालाब के किनारे बसे 14 मकानों के अवैध बताते हुए 15 दिन पहले नोटिस भेजा था। हालांकि यहां के लोगों का कहना है कि वो लोग 50-60 सालों से यहां रह रहे हैं, जब हम लोग यहां रहने आए थे तब यहां घना जंगल था और बड़ा सा तालाब था।
उस वक्त यहां कोई मुफ्त में भी जगह नहीं लेना चाहता था। दिनदहाड़े लोगों को लूट लिया जाता था। धीरे-धीरे यहां कई कालोनियां बन गईं। अब यहां की जमीनें काफी महंगी हो गई हैं इसलिए नगर निगम अब हम लोगों को यहां से हटा रहा है।’
मजदूर वर्ग और दलित-ओबीसी परिवारों का इलाका
लोगों का कहना है कि हम सभी मजदूर वर्ग के हैं। सभी दलित और ओबीसी जाति के लोग हैं। रोज कमाने-खाने वाले हैं। 40-50 गज में सभी घर बने हुए हैं। यहां रहने वाले पुरुष रिक्शा चलाते हैं तो महिलाएं घरों में चौका-बर्तन करके पेट पालती हैं। हमने बहुत मेहनत करके एक-एक पैसा जोड़कर अपने घरों में लाखों रुपये लगाए हैं। कुछ लोगों का जन्म यहीं हुआ तो कुछ महिलाओं की शादी यहीं होकर आई। शादी के 50 साल हो गए। बच्चे बड़े हो गए, उनकी भी शादी हो गई। कुछ लोगों की लड़कियां जवान हैं, शादी की उम्र है। लोगों का कहना है कि अब हम लड़कियों की शादी करेंगे या नई जगह मकान बनाएंगे? अब हम सब सड़क पर जाएंगे। हमारे पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं है।
योगी से मिलने गए, लेकिन नहीं हुई सुनवाई
लोगों का कहना है कि हम लोग गोरखपुर और लखनऊ भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने गए थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। यहां लोकल स्तर पर मंत्री डॉ. अरुण कुमार और मेयर डॉ. उमेश गौतम के पास भी गए थे, लेकिन उन लोगों ने भी कोई मदद नहीं की। लोगों का कहना है कि मोदी हम सबको अपना परिवार कहते हैं, लेकिन अब अपने परिवार को ही उजाड़ रहे हैं। हम लोग गरीब हैं, इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
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